दूरसंचार में क्रांति निबंध – Revolution In Telecommunication Essay In Hindi

दूरसंचार में क्रांति निबंध – Essay On Revolution In Telecommunication In Hindi

रूपरेखा–

  • प्रस्तावना,
  • दूर–संचार का मानव जीवन में महत्त्व,
  • उद्योग और व्यवसाय के क्षेत्र में दूर–संचार का योगदान,
  • भारत में दूर–संचार का विकास,
  • प्राथमिक सेवा,
  • सेल्यूलर मोबाइल टेलीफोन सेवा,
  • इण्टरनेट सेवा,
  • उपसंहार।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

दूरसंचार में क्रांति निबंध – Doorasanchaar Mein Kraanti Nibandh

प्रस्तावना–
दूर–संचार के क्षेत्र में उन्नति से मानवजीवन की गुणवत्ता पर गहरा प्रभाव पड़ा है। यह सर्वविदित है कि आज हम ‘सम्पर्क’ युग में रह रहे हैं। दूर–संचार के विकास ने मानवजीवन के प्रत्येक क्षेत्र को अपने दायरे में ले लिया है। प्राचीनकाल में सन्देशों के आदान–प्रदान में बहुत अधिक समय तथा धन लग जाया करता था, परन्तु आज समय और धन दोनों की बड़े पैमाने पर बचत हुई है।

दूर–संचार के क्षेत्र में नई तकनीक से अब टेलीफोन, सेल्यूलर फोन, फैक्स और ई–मेल द्वारा क्षणभर में ही किसी भी प्रकार के सन्देश एवं विचारों का आदान–प्रदान किया जा सकता है। आज चन्द्रमा तथा अन्य ग्रहों से सम्प्रेषित सन्देश पृथ्वी पर पलभर में ही प्राप्त किए जा सकते हैं। दूरसंचार ने पृथ्वी और आकाश की सम्पूर्ण दूरी को समेट लिया है।

दूर–संचार का मानव–
जीवन में महत्त्व–मानव–जीवन की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने में दूर–संचार महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। सूचनाओं के आदान–प्रदान करने में समय की दूरी घट गई है। अब क्षणभर में सन्देश व विचारों का आदान–प्रदान किया जा सकता है। शिक्षा, चिकित्सा, परिवहन तथा उद्योग आदि के क्षेत्र में दूर–संचार का महत्त्व बढ़ गया है।

अपराधों पर नियन्त्रण करने तथा शासन व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने में दूर–संचार का विशेष योगदान है। दूर–संचार के अभाव में देश में शान्ति और सुव्यवस्था करना कठिन कार्य है। व्यावसायिक क्षेत्र में भी सही समय पर सही सूचनाओं का महत्त्व दिन–प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। अतः कहा जा सकता है कि किसी भी राष्ट्र के लिए वहाँ की दूर–संचार व्यवस्था का विकसित होना अत्यावश्यक है।

उद्योग और व्यवसाय के क्षेत्र में दूर–
संचार का योगदान–किसी भी देश का विकास उसकी सुदृढ़ अर्थव्यवस्था पर निर्भर करता है। उद्योग और व्यवसाय के क्षेत्र में क्रान्तिकारी परिवर्तन लाता है, लेकिन सफल व्यवसाय और उद्योगों के विकास के लिए दूर–संचार की अत्यधिक आवश्यकता होती है। भूमण्डलीकरण के इस काल में तो व्यवसायी एवं उद्योगपति सूचनाओं के माध्यम में व्यवसाय एवं उद्योग में नई ऊँचाइयों को छूने के लिए लालायित हैं।

सूचनाएँ व्यवसाय का जीवन–रक्त है। व्यवसाय के अन्तर्गत माल के उत्पादन से पूर्व, उत्पादन से वितरण तक और विक्रयोपरान्त सेवाएँ प्रदान करने के लिए दूरसंचार का महत्त्वपूर्ण स्थान है। संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास परिषद् की रिपोर्ट के अनुसार दूर–संचार एवं सूचना–प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विदेशी निवेश प्राप्त करने के मामले में भारत अग्रणी देश बनता जा रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2000 में दक्षिण एशिया में हुए कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में भारत का हिस्सा 76 प्रतिशत था। चीन में भारत से ज्यादा मोबाइल फोन हैं, लेकिन इण्टरनेट के क्षेत्र में व्यावसायिक गतिविधियों का लाभ उठाने के लिए भारत का माहौल चीन से कहीं बेहतर है, दूर–संचार में क्रान्ति ने आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन की नई सम्भावना को जन्म दिया है, जिसका लाभ विकसित और विकासशील देश दोनों ही उठा रहे हैं।

भारत में दूर–संचार का विकास–
भारत ने दूर–संचार के क्षेत्र में असीमित उन्नति की है। भारत का दूर–संचार नेटवर्क एशिया के विशालतम दूर–संचार नेटवर्कों में गिना जाता है। जून 2013 के अन्त तक 903.10 मिलियन टेलीफोन कनेक्शनों के साथ भारतीय दूरसंचार नेटवर्क चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क है। जून 2013 के अन्त तक 873.37 मिलियन टेलीफोन कनेक्शनों के साथ भारतीय वायरलैस टेलीफोन नेटवर्क भी दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क है।

आज लगभग सभी देशों के लिए इण्टरनेशनल सबस्क्राइबर डायलिंग सेवा उपलब्ध है। इण्टरनेट उपभोक्ताओं की संख्या 7 करोड़ 34 लाख है। अन्तर्राष्ट्रीय संचार–क्षेत्र में उपग्रह संचार और जल के नीचे से स्थापित संचार सम्बन्धों द्वारा अपार प्रगति हुई है।

ध्वनिवाली और ध्वनिरहित दूरसंचार सेवाएँ, जिनमें आँकड़ा प्रेषण, फैसीपाइल, मोबाइल रेडियो, रेडियो पेनिंग और लीज्ड लाइन सेवाएँ शामिल हैं। 31 मार्च, 2013 ई० की स्थिति के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में 357.74 मिलियन फोन हैं।

प्राथमिक सेवा–भारतीय दूर–
संचार विनियामक प्राधिकरण की सिफारिशों के अनुरूप सरकार ने 25 जनवरी, 2001 ई० को लाइसेंस देने के लिए दिशा–निर्देश जारी किए, जिनके अनुसार नए प्राथमिक सेवा उपलब्ध करानेवाले बिना किसी प्रतिबन्ध के सभी सेवा क्षेत्रों में खुला प्रवेश कर सकते हैं।

इन दिशा–निर्देशों के अनुसार स्थानीय क्षेत्रों में प्राथमिक टेलीफोन सेवा के उपभोक्ताओं के लिए वायरलेस सबस्क्राइबर एक्सेस प्रणालियों के अन्तर्गत भी हाथवाले टेलीफोन सेट प्रयोग करने की छूट है।

वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए दूर–
संचार शुल्क संरचना के युक्तीकरण के कई प्रयास किए गए हैं। सर्वप्रथम शुल्क संरचना में सुधार 1 मई, 1999 ई० में किया गया, जिसके अन्तर्गत लम्बी दूरी के एस० टी० डी० और आई० एस० डी० शुल्कों में कमी की गई है। इसके दूसरे चरण का क्रियान्वयन अक्टूबर 2000 ई० में किया, जिसके अन्तर्गत एस० टी० डी० और आई० एस० डी० के शुल्कों में पुन: कमी की गई।

जनवरी 2001 ई० में 200 किमी तक की दूरी तक किए जानेवाले कालों को एस० टी० डी० की अपेक्षा लोकल काल की श्रेणी में डाल दिया गया। 14 जनवरी, 2002 ई० को बी० एस० एन० एल० और एम० टी० एन० एल० ने विभिन्न दूरियों के लिए एस० टी० डी० दरों को घटा दिया और सेल्यूलर मोबाइल फोन की शुल्क दरों में लगभग आधे की कमी कर दी गई।

सेल्यूलर मोबाइल टेलीफोन सेवा–
सभी महानगरों और 29 राज्यों के लगभग सभी शहरों के लिए सेवाएँ शुरू हो चुकी हैं। 31 मई, 2013 ई० तक देश में 873.37 मिलियन सेल्यूलर उपभोक्ता थे। नई दूर–संचार नीति के अन्तर्गत सेल्यूलर सेवा के मौजूदा लाइसेंस–धारकों को 1 अगस्त, 1999 ई० से राजस्व भागीदारी प्रणाली अपनाने की अनुमति मिल गई।

देश के विभिन्न भागों में सेल्यूलर मोबाइल टेलीफोन सेवा चलाने के लिए एम०टी०एन०एल० और बी०एस०एन०एल० को लाइसेंस जारी किए गए। नई नीति के अनुसार सेल्यूलर ऑपरेटरों को यह छूट दी गई है कि वे अपने कार्यक्षेत्र में सभी प्रकार की मोबाइल सेवा, जिसमें ध्वनि और गैर–ध्वनि सन्देश शामिल हैं, डेटा सेवा और पी०सी०ओ० उपलब्ध करा सकते हैं।

इण्टरनेट सेवा–
नवम्बर 1998 ई० से इण्टरनेट सेवा निजी भागीदारी के लिए खोल दी गई। अब इसके लाइसेंस को पहले पाँच साल तक के लिए शुल्क–मुक्त किया जा चुका है और अगले दस सालों के लिए 1 रुपया प्रतिवर्ष शुल्क निर्धारित किया गया है।

भारत में पंजीकृत कोई भी कम्पनी लाइसेंस प्राप्त कर सकती है और इसके लिए पहले से भी किसी अनुभव की आवश्यकता नहीं होगी। अब तक 506 आई०एस०पी० (इण्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर) लाइसेंस जारी किए गए हैं।

मार्च 2013 तक भारत में लगभग 20.04 मिलियन लोग इण्टरनेट से जुड़ी ब्रॉडबैण्ड सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं। सरकार ने देश की प्रत्येक पंचायत में वर्ष 2012 से ब्रॉडबैण्ड की शुरूआत करने का निर्णय लिया है। व्यावसायिक साइटों को इण्टरनेट पर लाँच किया जा चुका है।

ई–मेल के द्वारा मास कैम्पेन चलाना अब एक सामान्य प्रचलन हो चुका है। ‘चैट’ एक ऐसी उपलब्ध सेवा है, जिसके द्वारा इण्टरनेटधारक एक–दूसरे के साथ आपस में ऑनलाइन वार्तालाप कर सकते हैं। ई–गर्वनेंस सरकार की पहली प्राथमिकता है।

उपसंहार–
वास्तव में दूर–संचार प्रणाली ने विश्व की दूरियों को समेटते हुए मानव जीवन को एक नया मोड़ दिया है। आज हमारा देश दूर–संचार टेक्नोलॉजी की दौड़ में निरन्तर आगे बढ़ रहा है। विभिन्न निजी कम्पनियों का भी इसमें विशेष योगदान रहा है, जिसके कारण देश के कोने–कोने से जोड़ने में सफल हुए हैं।

इस प्रकार दूर–संचार के प्रसार ने शिक्षा, चिकित्सा, परिवहन, व्यवसाय तथा उद्योग के विकास के साथ–साथ मानव–जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उन्नति को गति प्रदान की है।