मेरा प्रिय त्यौहार निबंध – (Essay On My Favorite Festival In Hindi)
राजस्थान के प्रमुख मेले तथा पर्व – Major Fairs And Festivals Of Rajasthan
रूपरेखा–
- प्रस्तावना,
- प्रमुख त्योहार,
- अन्य धर्मावलम्बियों के त्योहार,
- मेले,
- उपसंहार।
साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।
मेरा प्रिय त्यौहार निबंध – Mera Priy Tyauhaar Nibandh
प्रस्तावना–
किसी देश–प्रदेश की संस्कृति उसके त्योहारों, पर्वो और मेलों के माध्यम से सहज ही अभिव्यक्त होती है। देश में मनाये जाने वाले सभी पर्वोत्सव राजस्थान में भी मनाये जाते हैं। इनमें से कुछ पर्यों को राजस्थान का रंग देकर मनाया जाता है। राजस्थान के सभी पर्व और उत्सव हमें प्रिय हैं।
प्रमुख त्योहार–
राजस्थान में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहार इस प्रकार हैं-
तीज–
यह महिलाओं का त्योहार है। श्रावण मास के शुक्लपक्ष की तृतीया को किशोरियाँ और नवविवाहिताएँ इसे विशेष उल्लास से मनाती हैं। इस त्योहार के उपलक्ष्य में सौभाग्यसूचक सामग्री का आदान–प्रदान होता है।
इस दिन कन्याएँ और नवविवाहिताएँ बाग–बगीचों में या घरों पर ही झूला झूलती हैं। नारी–हृदय की आकांक्षाओं और व्यथाओं को प्रतिध्वनित करने वाला यह त्योहार राजस्थान में अपना विशिष्ट स्थान रखता है।
रक्षाबन्धन–
यह त्योहार सावन की पूर्णिमा को मनाया जाता है। कहीं–कहीं पर ब्राह्मण अपने यजमानों की कलाई पर रक्षासूत्र बाँधकर उन्हें आशीर्वाद देते हैं और बदले में दक्षिणा प्राप्त करते हैं। दूसरी ओर यह भाई और बहिन के स्नेहमय सम्बन्ध को राखी के धागे से दृढ़तर बनाने वाला त्योहार है। राजस्थानी इतिहास की कुछ गौरवमयी घटनाएँ भी इस त्योहार से जुड़ी हैं।
गणेश चतुर्थी–
यह प्रमुख रूप से विद्या–बुद्धि की प्राप्ति के इच्छुक छात्रों का त्योहार है। बच्चे इस दिन नये वस्त्र धारण करके गुरुजनों को भेंट देते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दिन विद्या और बुद्धि के प्रदाता गणेश की पूजा की जाती है।
जन्माष्टमी–
भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी को यह त्योहार मनाया जाता है। यह भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव है। इस दिन बहुत–से लोग व्रत रखते हैं, मन्दिरों व घरों में कृष्ण के जीवन से सम्बन्धित झाँकियाँ भी सजायी जाती हैं।
दशहरा–
क्वार (आश्विन) मास के शुक्लपक्ष की दशमी को यह त्योहार मनाया जाता है। रामलीलाओं के प्रदर्शन तथा रावण–दहन के रूप में यह सारे भारत और राजस्थान में भी मनाया जाता है।
दीपावली–
दीपावली का त्योहार भी देशव्यापी त्योहार है और राजस्थानी इसे मनाने में पीछे नहीं रहते। इस त्योहार के स्वागत में घरों एवं दुकानों की सफाई तथा लिपाई–पुताई की जाती है। यह त्योहार कई दिनों का संयुक्त पर्व है।
धनतेरस को नये बर्तन या अन्य गृहोपयोगी वस्तुएँ खरीदने की प्रथा है। दीपावली पर व्यापारी वर्ग अपने बही–खातों का पूजन करता है। रात्रि को गणेश और लक्ष्मी जी का पूजन होता है। यह उल्लास और समृद्धि का त्योहार है।
होली–
होली का त्योहार सारे भारत में मनाया जाता है। फाल्गुन के महीने की पूर्णिमा को होलिका दहन होता है और दूसरे दिन रंग की होली खेली जाती है। यह त्योहार सबको प्रिय मानकर गले लगाने का त्योहार है।
गणगौर–
गणगौर राजस्थान का सर्वप्रमुख त्योहार है। कन्याएँ उत्तम वर पाने के लिए तथा विवाहिताएँ अखण्ड सौभाग्य पाने के लिए इस दिन (गौरा) पार्वती का पूजन करती हैं। इस दिन राजस्थान के प्रमुख नगरों में भव्य और विशाल शोभायात्रा और झाँकियाँ भी निकलती हैं।
अन्य धर्मावलम्बियों के त्योहार–
इन हिन्दू त्योहारों के अतिरिक्त राजस्थान में अन्य धर्मावलम्बियों के त्योहार भी उत्साह के साथ मनाये जाते हैं। मुसलमान बन्धु ईद, मुहर्रम आदि; ईसाई बन्धु क्रिसमस तथा सिख भाई वैशाखी आदि पर्यों को मनाते हैं। राजस्थानी लोग मक्त भाव से एक–दसरे के पर्वो और त्योहारों में भाग लेते हैं।
मेले–
महावीर जी का मेला जैन धर्मावलम्बियों से सम्बद्ध है। यह मेला हिण्डौन में लगता है। इसके अतिरिक्त कोटा का दशहरा, कैला देवी का मेला, पुष्कर जी का मेला, गोगामेढ़ी का मेला, रानी सती का मेला, गणेश चतुर्थी का मेला तथा ख्वाजा का उर्स यहाँ के प्रसिद्ध मेले हैं।
उपसंहार–
पर्व और मेले लोकमानस के उल्लास और सांस्कृतिक एकता के प्रतीक हैं। इन त्योहारों के माध्यम से परम्पराएँ और धर्म जुड़े हैं। वहीं ये पर्वोत्सव राजस्थान को शेष भारत के साथ सांस्कृतिक रूप से जोड़ने वाले भी हैं। अतः इन सभी पर्वोत्सवों को जन–जीवन के लिए अधिकाधिक उपयोगी बनाने का प्रयास होना चाहिए।