मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध – Means Of Entertainment Essay In Hindi

मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध – Essay On Means Of Entertainment In Hindi

संकेत बिंदु –

  • प्रस्तावना
  • मनोरंजन की आवश्यकता और उसका महत्त्व
  • प्राचीन काल के मनोरंजन के साधन
  • आधुनिक काल के मनोरंजन के साधन
  • भारत में मनोरंजन के साधनों की स्थिति
  • उपसंहार

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना – मनुष्य को अपनी अनेक तरह की आवश्यकताओं के लिए श्रम करना पड़ता है। श्रम के उपरांत थकान होना स्वाभाविक है। इसके अलावा जीवन संघर्ष और चिंताओं से परेशान होने पर वह इन्हें भूलना चाहता है और इनसे मुक्ति पाने का उपाय खोजता है और वह मनोरंजन का सहारा लेता है। मनोरंज से थके हुए मन-मस्तिष्क को सहारा मिलता है, एक नई स्फूर्ति मिलती है और कुछ पल के लिए व्यक्ति थकान एवं चिंता को भूल जाता है।

Means Of Entertainment Essay In Hindi

मनोरंजन की आवश्यकता और उसका महत्त्व – आदिम काल से ही मनुष्य को मनोरंजन की आवश्यकता रही है। जीवन संघर्ष से थका मानव ऐसा साधन ढूँढ़ना चाहता है जिससे उसका तन-मन दोनों ही प्रफुल्लित हो जाए और वह नव स्फूर्ति से भरकर कार्य में लग सके। वास्तव में मनोरंजन के बिना जीवन नीरस हो जाता है। ऐसी स्थिति में काम में उसका मन नहीं लगता है और न व्यक्ति को कार्य में वांछित सफलता मिलती है। ऐसे में मनोरंजन की आवश्यकता असंदिग्ध हो जाती है।

Essay On Means Of Entertainment In Hindi

प्राचीन काल में मनोरंजन के साधन – प्राचीनकाल में न मनुष्य का इतना विकास हुआ था और न मनोरंजन के साधनों का। वह प्रकृति और जानवरों के अधिक निकट रहता था। ऐसे में उसके मनोरंजन के साधन भी प्रकृति और इन्हीं पालतू जानवरों के इर्द-गिर्द हुआ करते थे। वह तोता, मैना, तीतर, कुत्ता, भेड़, बैल, बिल्ली, कबूतर आदि पशु-पक्षी पालता था और तीतर, मुर्गे, भेड़ (नर) भैंसे, साँड़ आदि को लड़ाकर अपना मनोरंजन किया करता था। वह शिकार करके भी मनोरंजन किया करता था। इसके अलावा कुश्ती लड़कर, नाटक, नौटंकी, सर्कस आदि के माध्यम से मनोरंजन करता था। इसके अलावा पर्व-त्योहार तथा अन्य आयोजनों के मौके पर वह गाने-बजाने तथा नाचने के द्वारा आनंदित होता था।

आधुनिक काल के मनोरंजन के साधन – सभ्यता के विकास एवं विज्ञान की अद्भुत खोजों के कारण मनोरंजन का क्षेत्र भी अछूता न रह सका। प्राचीन काल की नौटंकी, नाच-गान की अन्य विधाओं का उत्कृष्ट रूप हमारे सामने आया। इससे नाटक के मंचन की व्यवस्था एवं प्रस्तुति में बदलाव के कारण नाटकों का आकर्षण बढ़ गया। पार्श्वगायन के कारण अब नाटक भी अपना मौलिक रूप कायम नहीं रख सके पर दर्शकों को आकर्षित करने में नाटक सफल हैं। लोग थियेटरों में इनसे भरपूर मनोरंजन करते हैं। सिनेमा आधुनिक काल का सर्वाधिक सशक्त और लोकप्रिय मनोरंजन का साधन है। यह हर आयु-वर्ग के लोगों की पहली पसंद है। यह सस्ता और सर्वसुलभ होने के अलावा ऐसा साधन है जो काल्पनिक घटनाओं को वास्तविक रूप में चमत्कारिक ढंग से प्रस्तुत करता है जिसका जादू-सा असर हमारे मन-मस्तिष्क पर छा जाता है और हम एक अलग दुनिया में खो जाते हैं। इस पर दिखाई जाने वाली फ़िल्में हमें कल्पनालोक में ले जाती हैं।

रेडियो और टेलीविज़न भी वर्तमान युग के मनोरंजन के लोकप्रिय साधन है। रेडियो पर गीत-संगीत, कहानी, चुटकुले, वार्ता आदि सनकर लोग अपना मनोरंजन करते हैं तो टेलीविज़न पर दुनिया को किसी कोने की घटनाएँ एवं ताज़े समाचार मनोरंजन के अलावा ज्ञानवर्धन भी करते हैं। तरह-तरह के धारावाहिक, फ़िल्में, कार्टून, खेल आदि देखकर लोग अपने दिनभर की थकान भूल जाते हैं। मोबाइल फ़ोन भी मनोरंजन का लोकप्रिय साधन सिद्ध हुआ है। इस पर एफ०एम० के विभिन्न चैनलों से तथा मेमोरी कार्ड में संचित गाने इच्छानुसार सुने जा सकते हैं। अकेला होते ही लोग इस पर गेम खेलना शुरू कर देते हैं। कैमरे के प्रयोग से मोबाइल की दुनिया में क्रांति आ गई। अब तो इससे रिकार्डिंग एवं फ़ोटोग्राफी करके मनोरंजन किया जाने लगा है।

इन साधनों के अलावा म्यूजिक प्लेयर्स, टेबलेट, कंप्यूटर भी मनोरंजन के साधन के रूप में प्रयोग किए जा रहे हैं।

भारत में मनोरंजन के साधनों की स्थिति – मनुष्य की बढ़ती आवश्यकता और सीमित होते संसाधनों के कारण मनोरंजन के साधनों की आवश्यकता और भी बढ़ गई है, परंतु बढ़ती जनसंख्या के कारण ये साधन महँगे हो रहे हैं तथा इनकी उपलब्धता सीमित हो रही है। आज न पार्क बच रहे हैं और खेल के मैदान। इनके अभाव में व्यक्ति का स्वभाव चिड़चिड़ा, रूखा और क्रोधी होता जा रहा है। इसके लिए मनोरंजन के साधनों को सर्वसुलभ और सबकी पहुँच में बनाया जाना चाहिए।

उपसंहार – मनोरंजन मानव जीवन के लिए अत्यावश्यक हैं, परंतु ‘अति सर्वत्र वय॑ते’ वाली उक्ति इन पर भी लागू होती है। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि मनोरंजन के चक्कर में हम इतने खो जाएँ कि हमारे काम इससे प्रभावित होने लगे और हम आलसी और कामचोर बन जाएँ। हमें ऐसी स्थिति से सदा बचना चाहिए।

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