समाचार-पत्र का महत्त्व पर निबंध – Essay On Importance Of Newspaper In Hindi
प्रजातन्त्र और समाचार–पत्र – Democracy And Newspaper
रूपरेखा–
- प्रस्तावना,
- समाचार–पत्रों का विकास,
- प्रचलित पत्र–पत्रिकाएँ,
- समाचार वितरण एजेन्सियाँ,
- समाचार–पत्रों का महत्त्व,
- समाचार–पत्रों का दायित्व,
- उपसंहार।
साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।
समाचार-पत्र का महत्त्व पर निबंध – Samaachaar-Patr Ka Mahattv Par Nibandh
प्रस्तावना–
कवि दिनकर कहते हैं-
“नव्य नर की मष्टि में विकराल,
हैं सिमटते जा रहे प्रत्येक क्षण दिक्काल।”
आज का महत्त्वाकांक्षी मानव देश और काल की सीमाओं को लाँघता हुआ विश्व नागरिकता के पथ पर बढ़ा चला जा रहा है। आज उसको अपने पड़ोस में या अपने नगर में ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण विश्व में प्रतिक्षण घटित होने वाली घटनाओं को जानने की इच्छा होती है।
उसकी इस ज्ञान–पिपासा को तृप्त करने में समाचार–पत्रों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। यही कारण है कि आज समाचार–पत्र मनुष्य की परम आवश्यकता बन गया है।
समाचार–पत्रों का विकास–समाचार–पत्र
शब्द आज पूरी तरह लाक्षणिक हो गया है। अब समाचार–पत्र केवल समाचारों से पूर्ण पत्र नहीं रह गया है, बल्कि यह साहित्य, राजनीति, धर्म, विज्ञान, ज्योतिष आदि विविध विधाओं को भी अपनी कलेवर सीमा में सँभाले चल रहा है।
किन्तु वर्तमान स्वरूप में आते–आते समाचार–पत्र ने एक लम्बी यात्रा तय की है। भारत में अंग्रेजी शासन के साथ समाचार–पत्र का आगमन हुआ। इसके विकास और प्रसार में ईसाई मिशनरियों, ईश्वर चन्द्र विद्यासागर और राजा राममोहन राय का योगदान महत्त्वपूर्ण रहा।।
प्रचलित पत्र–पत्रिकाएँ–देश
के स्वतन्त्र होने के पश्चात् समाचार–पत्रों का तीव्रता से विकास हुआ और आज अनेक सार्वदेशिक एवं क्षेत्रीय समाचार–पत्र प्रकाशित हो रहे हैं। इनमें हिन्दी भाषा में प्रकाशित–नवभारत टाइम्स, हिन्दुस्तान, जनमत, पंजाब केसरी, नवजीवन, जनयुग, राजस्थान पत्रिका, अमर उजाला, भारत, आज, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर आदि हैं तथा अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित–टाइम्स ऑफ इण्डिया, इण्डियन एक्सप्रेस, हिन्दुस्तान टाइम्स, नार्दर्न इण्डिया पत्रिका, स्टेट्समैन आदि हैं।
इनके अतिरिक्त अनेक साप्ताहिक, पाक्षिक एवं मासिक पत्रिकाएँ भी प्रकाशित हो रही हैं।
समाचार वितरण एजेन्सियाँ–समाचार–पत्र
अब एक सुसंगठित और विश्वव्यापी उद्योग बन चुका है। अब समाचार उपलब्ध कराने वाली एजेन्सियाँ हैं जिनके संवाददाता सारे संसार में कार्यरत रहते हैं। विभिन्न देशों की अपनी समाचार एजेन्सियाँ भी कार्यरत हैं। पी. टी. आई., तास, न्यु चाइना, समाचार, यु. एन. आई, ब्लासम कम्य. आदि ऐसी ही समाचार एजेन्सियाँ हैं।
समाचार–पत्रों का महत्त्व–समाचार–पत्र
मीडिया का एक प्रमुख अंग है। दूरदर्शन और रेडियो के रहते हुए भी समाचार–पत्रों की व्यापकता और विश्वसनीयता बराबर बनी हुई है। __ जीवन के हर क्षेत्र के लिए आज समाचार–पत्र महत्त्वपूर्ण बन गया है। राजनीति को प्रभावित करने में समाचार–पत्रों की भूमिका निरंतर प्रभावशाली होती जा रही है।
राजनेताओं की मनमानी और गोपनीय कार्य–प्रणाली पर समाचार–पत्रों ने काफी अंकुश लगाया है। जनमत को प्रभावित करने और राजनीतिक जागरूकता बढ़ाने में समाचार–पत्रों की भूमिका सराहनीय है।
व्यापारिक गतिविधियों का प्रकाशन, ग्राहक को सचेत करना, धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को स्थान देना, सामाजिक परिवर्तनों पर सही दृष्टिकोण, खेल और मनोरंजन को समुचित स्थान तथा नवीनतम वैज्ञानिक प्रगति को प्रकाश में लाना आदि ऐसे कार्य हैं, जिन्होंने समाचार–पत्रों को जीवन का महत्त्वपूर्ण अंग बना दिया है। यही कारण है कि आज समाचार–पत्र प्रजातंत्र का प्रहरी और चतुर्थ स्तम्भ माना जा रहा है।
समाचार–पत्रों का दायित्व–समाचार–पत्रों
के व्यापक महत्त्व को देखते हुए उनके द्वारा कुछ दायित्वों का निर्वहन भी आवश्यक माना गया है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर समाचार–पत्रों से आशा की जाती है कि वे विश्व–शांति और विश्वबंधुत्व की भावना को प्रोत्साहित करें। उनके समाचार राष्ट्रीय या वर्ग–विशेष के हितों से प्रभावित न हों। उनमें पारदर्शिता और तटस्थता हो।
राष्ट्रीय स्तर पर प्रजातांत्रिक मूल्यों की रक्षा करना और जनता को जागरूक बनाना तथा शासन की गलत नीतियों की आलोचना करना भी समाचार–पत्रों का दायित्व है। सामाजिक–सौहार्द्र और धार्मिक समरसता को प्रोत्साहित करना भी महत्त्वपूर्ण दायित्व है। इसके अतिरिक्त प्रामाणिकता और आत्मनियंत्रण भी समाचार–पत्रों के लिए अनिवार्य अपेक्षा है।
पीत–पत्रकारिता, अनावश्यक सनसनी फैलाना और अतिव्यावसायिकता पर नियंत्रण रखना भी समाचार–पत्रों का दायित्व है। प्रेस परिषद् इस दिशा में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है।
उपसंहार–
पत्रकारिता को एक गौरवशाली आजीविका माना गया है। अतः क्षुद्र लाभों से और भयादोहन से मुक्त रहकर उसे सामाजिक नेतृत्व की महती भूमिका निभानी चाहिए। प्रेस की स्वतंत्रता प्रजातंत्र की सुरक्षा का आधार है। अतः जनता और शासन दोनों को इसका सम्मान करना चाहिए।