Importance of Libraries Essay In Hindi | पुस्तकालयों का महत्व पर निबन्ध

Importance of Libraries Essay In Hindi पुस्तकालयों का महत्व पर निबन्ध

पुस्तकालयों का महत्व संकेत बिंदु:

  • पुस्तकालयों के प्रकार
  • सार्वजनिक और स्कूल तथा कॉलेज के पुस्तकालय
  • उपयोगिता
  • पुस्तकों का महत्व

पुस्तकालयों का महत्व पर निबन्ध | Essay on Importance of Libraries In Hindi

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

पुस्तकालयों का अर्थ – Meaning of Libraries

पुस्तकालय का अर्थ है-पुस्तकों का घर। पुस्तकालय में पुस्तकें संग्रहित होती हैं। इन्हें पढ़ने के लिए लोग आते हैं। पुस्तकालय ज्ञान के भंडार होते हैं। इनमें विभिन्न विषयों की पुस्तकें होती हैं। यहाँ सभी अपनी-अपनी रुचि और आवश्यकता की पुस्तकें पढ़ सकते हैं। पुस्तकालय के सदस्य बनकर पुस्तकें ले जाने की भी सुविधा रहती है।

पुस्तकालय कई प्रकार के होते हैं। प्रत्येक स्कूल और कॉलेज में पुस्तकालय होते हैं। इनका प्रयोग विद्यार्थी और शिक्षकगण करते हैं। विद्यार्थियों में पुस्तकें पढ़ने की रुचि जाग्रत हो, इसके लिए प्रत्येक कक्षा के विद्यार्थियों के लिए पुस्तकालय-पीरियड निर्धारित होता है। सप्ताह में एक बार पुस्तकालय-पीरियड होता है। इसमें विद्यार्थी अपनी रुचि की पुस्तकें लेते हैं। इन्हें एक सप्ताह या पंद्रह दिनों के लिए लिया जा सकता है। इन पुस्तकालयों में समाचार-पत्र और पत्रिकाएँ भी आती हैं। विद्यार्थी इन्हें पढ़कर नवीनतम जानकारियाँ प्राप्त करते हैं।

स्कूलों के पुस्तकालयों में बालकों और किशोरों के स्तर की पुस्तकें होती हैं। इनमें उपन्यास, कहानी-संग्रह, नाटक, निबंध, कॉमिक्स तथा सामान्य ज्ञान की पुस्तकें अधिक होती हैं। इनमें ऐसी पुस्तकें अधिक होती हैं जिनसे विद्यार्थियों में अच्छे संस्कार आएँ। उनका जीवन आदर्शमय बने। उनके विचारों में शुद्धता आए। वे स्वयं अच्छे बनें तथा समाज और राष्ट्र के विकास में योगदान कर सकें।

कॉलेजों के पुस्तकालयों में अनेक विषयों की पुस्तकें होती हैं। यहाँ उच्चस्तरीय तथा विविध विषयों की शिक्षा दी जाती है इसलिए पुस्तकालय में उनसे संबंधित पुस्तकें होती हैं। इनमें विज्ञान, इतिहास, अर्थशास्त्र, नृत्य, संगीत, साहित्य, ललित कला, भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र, जीव विज्ञान, कंप्यूटर, इलैक्ट्रॉनिक्स, वास्तुकला, वाणिज्य आदि से संबंधित पुस्तकें होती हैं।

कुछ पुस्तकालय सार्वजनिक होते हैं। यह नगरों और गाँवों के सभी व्यक्तियों के लिए होते हैं। इनके खुलने का समय निर्धारित होता है। इनमें सभी प्रकार के विषयों की पुस्तकें होती हैं। व्यक्ति इसके सदस्य बनकर एक निश्चित समय के लिए पुस्तकें घर ले जा सकते हैं। इनकी बहुत उपयोगिता होती है। इन पुस्तकालयों में प्राचीन पुस्तकें उपलब्ध होती हैं। कुछ पुस्तकें तो ऐसी होती हैं जो कहीं भी नहीं मिलतीं। वे पुस्तकालयों में ही उपलब्ध हो सकती हैं। यहाँ विभिन्न भाषाओं की पुस्तकें संग्रहित होती हैं।

धर्म, विज्ञान, इतिहास, भूगोल, शब्दकोश, साहित्य आदि जितने भी विषय हैं, सार्वजनिक पुस्तकालयों में इनसे संबंधित पुस्तकें मिल जाती हैं।

कई पुस्तकालय सरकारी विभागों द्वारा संचालित होते हैं। इनमें उस विभाग विशेष से संबंधित पुस्तकें ही अधिक होती हैं। इनके अतिरिक्त कुछ व्यक्तियों ने निजी पुस्तकालय बनाए होते हैं। इनमें उनकी रुचि की पुस्तकें ही अधिक होती हैं। साहित्यिक-पुस्तकालयों में साहित्य की विभिन्न विधाओं-उपन्यास, कहानी, लघुकथा, कविता, आलोचना, निबंध आदि की पुस्तकें अधिक होती हैं। इसी प्रकार डॉक्टर, वकील, चार्टड एकाउटेंट, वास्तु-शिल्पी, ज्योतिषी आदि अपने-अपने पुस्तकालयों में अपने विषयों से संबंधित अधिक पुस्तकें रखते हैं।

लोगों में पुस्तकें पढ़ने की रुचि जाग्रत हो, इसके लिए चलते-फिरते पुस्तकालय भी होते हैं। भारत सरकार के प्रकाशन-विभाग और नेशनल बुक ट्रस्ट ने ऐसे पुस्तकालय बनाए हैं। इनमें बस के आकार के वाहन में पुस्तकें होती हैं। ये चल-पुस्तकालय नगरों के विभिन्न क्षेत्रों में निर्धारित दिन और समय पर पहुँचते हैं। उस क्षेत्र के निवासी इनसे लाभान्वित हो जाते हैं।।

भारत में प्राचीन काल से ही पुस्तकालयों की परंपरा चली आ रही है। नालंदा, तक्षशिला और विक्रमशिला विश्वविद्यालयों के पुस्तकालय विश्वविख्यात थे। पुस्तकों में ही प्रत्येक समाज और राष्ट्र का इतिहास, रीति-रिवाज, परंपराएँ आदि सुरक्षित होते हैं इसलिए पुस्तकें अमूल्य धरोहर होती हैं। इन्हें पुस्तकालयों में ही सुरक्षित रखा जा सकता है।

सुशिक्षित व्यक्ति की पहचान उसकी पुस्तकों से होती है। पुस्तकालय तो प्रत्येक घर में होने चाहिए। इनसे अध्ययन के संस्कार पनपते हैं। भावी पीढ़ियाँ अपने अतीत से परिचित होती हैं। ये ज्ञान-क्षुधा की पूर्ति करते हैं। पुस्तकालय सभ्य समाज की पहचान होते हैं। पुस्तकें मार्गदर्शक होती हैं और पुस्तकालय ज्ञान के अमूल्य भंडार होते हैं। इनका सदुपयोग मनुष्य को सन्मार्ग की ओर ले जाता है।