यदि मैं प्रधानाचार्य होता पर निबंध – If I Was The Principal Essay In Hindi

यदि मैं प्रधानाचार्य होता पर निबंध – Essay On If I Was The Principal In Hindi

संकेत बिंदु –

  • प्रस्तावना
  • पढ़ाई की उत्तम व्यवस्था
  • गरीब छात्रों के लिए विशेष प्रयास
  • उपसंहार
  • मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था
  • परीक्षा प्रणाली में सुधार
  • पाठ्य सहगामी क्रियाओं को बढ़ावा

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना – मानव मन में नाना प्रकार की कल्पनाएँ जन्म लेती हैं। कल्पना के इसी उड़ान के समय वह खुद को भिन्न-भिन्न रूपों में देखता है। वह सोचता है कि यदि मैं यह होता तो ऐसा करता, यदि मैं वह होता तो वैसा करता है। मानव के इसी स्वभाव के अनुरूप मैं भी कल्पना की दुनिया में खोकर प्रायः सोचता हूँ कि यदि मैं अपने विद्यालय का प्रधानाचार्य होता तो कितना अच्छा होता। इस नई भूमिका को निभाने के लिए क्या-क्या करता, उसकी योजना बनाने लगता हूँ।

मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था – सरकारी विद्यालयों में मूलभूत सुविधाओं की क्या स्थिति होती है, यह बताने की आवश्यकता नहीं होती। यह बात तो सभी को पता ही है। मैं सर्वप्रथम विद्यालय में पीने के लिए स्वच्छ पानी की व्यवस्था करवाता। इसके बाद मेरा दूसरा कदम सफ़ाई की व्यवस्था की ओर होता। इस स्तर पर मैं दयनीय हालत में पहुँच चुके शौचालयों की सफ़ाई और मरम्मत करवाता। इसके बाद बच्चों के बैठने के लिए बेंचों की समुचित व्यवस्था कराता। अब कक्षा-कक्ष में श्यामपट और टूटी-फूटी और श्लोक लिखी दीवारों की मरम्मत कराकर रंग-पेंट करवाता। इसके बाद विद्यालय प्रांगण और खेल के मैदान की साफ़-सफ़ाई करवाता तथा विद्यालय परिसर में असामाजिक तत्वों और आवारा पशुओं के घुस आने से रोकने की पूरी व्यवस्था करता। मैं विद्यालय में इतनी टाट-पट्टियों की व्यवस्था करवाता कि सभी छात्र उस पर बैठकर मध्यांतर का खाना खा सकें।

पढ़ाई की उत्तम व्यवस्था – विद्यालय में मूलभूत सुविधाएँ होने के बाद मैं अध्यापकों की कमी पूरी करने के लिए विभाग को लिखता और जितने भी अध्यापक हैं उन्हें नियमित रूप से कक्षाओं में जाकर पढ़ाने को कहता। प्रत्येक विषय के शिक्षण के बाद बचे समय में छात्रों की खेल-कूद की व्यवस्था करता ताकि छात्र पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी अच्छा प्रदर्शन करें। समय की माँग को देखते हुए मैं छात्रों को नैतिक शिक्षा अनिवार्य रूप से प्रतिदिन प्रार्थना सभा में देने की व्यवस्था सुनिश्चित करता।

परीक्षा प्रणाली में सुधार – वर्तमान में सरकार की फेल न करने की नीति से शिक्षा स्तर में गिरावट आ गई है। मैं छात्रों की परीक्षा प्रतिमाह करवाकर साल में दो मुख्य परीक्षाएँ आयोजित करवाता और परीक्षा में नकल रोकने पर पूरा जोर देता ताकि छात्रों में शुरू से ही पढ़ने की आदत का विकास हो और वे सरकारी नीति का सहारा लेने को विवश न हों।

गरीब छात्रों के लिए विशेष प्रयास – मैं अपने विद्यालय में गरीब किंतु मेधावी छात्रों की पढ़ाई के लिए विशेष प्रयास करवाता तथा छात्र कल्याण निधि से उनके लिए कापियाँ, स्टेशनरी और अन्य कार्यों के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करता। ऐसे छात्रों को छात्रवृत्ति संबंधी जानकारी समय-समय पर देकर उनको सरकारी सहायता दिलाने का सतत प्रयास करता।

पाठ्य सहगामी क्रियाओं को बढ़ावा – छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए पढ़ाई-लिखाई के अलावा अन्य क्रियाकलापों पर भी ध्यान देना आवश्यक है। मैं छात्रों की दिल्ली-दर्शन की व्यवस्था कर उन्हें दर्शनीय स्थानों को दिखाता। इसके अलावा बाल सभा के आयोजन में भाषण, कविता-पाठ, वाद-विवाद, नाटक अभिनय जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए छात्रों को प्रोत्साहित करता ताकि छात्र इनमें भाग लेकर इसे पढ़ाई का अंग समझें और पढ़ाई को बोझ मानने की भूल न करें।

उपसंहार – विदयालय का प्रधानाचार्य बनकर मैं चाहूँगा कि छात्रों में पढ़ाई के प्रति रुचि उत्पन्न हो। इसके लिए मैं उन्हें पढ़ाते समय सरल और रुचिकर तकनीक अपनाने के लिए शिक्षकों से कहूँगा। मैं छात्रों को यह अवसर दूंगा कि वे अपनी बात कर सकें। इतने प्रयासों के बाद मेरा विद्यालय निःसंदेह अच्छा बन जाएगा। विद्यालय की उन्नति में ही मेरी मेहनत सार्थक सिद्ध होगी।