Holi Colors Essay In Hindi | होली पर रंग क्यों लगाते हैं पर निबन्ध

Holi Colors Essay In Hindi होली पर रंग क्यों लगाते हैं पर निबन्ध
होली पर रंग क्यों लगाते हैं संकेत बिंदु:

  • होली का त्योहार कब आता है
  • कथाएँ
  • कथा
  • मनाने का ढंग

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

होली पर रंग क्यों लगाते हैं पर निबन्ध | Essay on Holi Colors In Hindi

होली का त्योहार वसंत ऋतु का संदेशवाहक बनकर आता है। प्रति वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा को यह त्योहार मनाया जाता है। रंगों भरे इस त्योहार में जहाँ एक ओर हर्ष और उल्लास की वर्षा होती है वहीं दूसरी ओर मैत्री और स्नेह की नदी उमड़ पड़ती है।

धार्मिक दृष्टि से भी इस त्योहार का बहुत अधिक महत्व है। इसका आधार हिरण्यकश्यप नामक दानव राजा और उसके ईश्वरभक्त पुत्र प्रहलाद की कथा है। यह दानव राजा बहत अत्याचारी था और अपने को भगवान समझकर जनता से अपनी पूजा करवाता था। उसने अपने ईश्वरभक्त पुत्र को मार डालने के अनेक प्रयास किए पर भगवान किसी-न-किसी रूप में आकर अपने भक्त की रक्षा करते हैं। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका के पास वरदान की एक ऐसी चादर थी जिसे ओढ़कर आग नहीं लग सकती थी।

प्रह्लाद को मार डालने की इच्छा से होलिका स्वयं वह चादर ओढ़कर प्रहलाद को गोदी में बिठाकर जलती चिता में जा बैठी। होनी को कुछ और ही मंजूर था। चादर उड़कर प्रह्लाद पर जा पड़ी और होलिका जलकर भस्म हो गई। भक्त प्रह्लाद जीवित बच गया। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की विजय का भी प्रतीक है। हर वर्ष यह संदेश देने यह त्योहार आता है।

रंगों का यह त्योहार दो दिन तक मनाया जाता है। पानी वाले और सूखे रंगों, अबीर-गुलाल से लोग अपने मित्रों, परिचितों और संबंधियों से होली खेलते हैं। बच्चों के लिए तो यह त्योहार कई दिन पहले से शुरू हो जाता है। अपनी मनपसंद पिचकारियाँ खरीदकर वे अपने मित्रों के साथ होली खेलने लगते हैं। इस अवसर पर बाज़ारों की रौनक भी देखते ही बनती है।

गाँवों में तो लोग कई दिन पहले से ही नाचते और गीत गाते हुए इस त्योहार का आनंद लेते हैं। भारत भर में प्रसिद्ध है बरसाने की लट्ठमार होली। इसे देखने के लिए देश और विदेश से लोग यहाँ एकत्र होते हैं। कृष्ण और गोपियों की रासलीला का भी आयोजन किया जाता है। होली के दूसरे दिन को ‘धुलैंडी’ कहते हैं। इस दिन लोग नए वस्त्र पहनकर अपने मित्रों, संबंधियों से मिलने जाते हैं। गले मिलकर और मिष्ठान खिलाकर अतिथियों का स्वागत किया जाता है और स्नेह को ताज़ा किया जाता है।

पारस्परिक मेल-मिलाप के इस पवित्र त्योहार को कुछ लोग अपने कुकृत्यों से गंदा बना देते हैं। वे रंग के स्थान पर कीचड़, ग्रीस आदि गंदी वस्तुएँ एक-दूसरे पर फेंकते हैं। जबरदस्ती रंग डालने की कोशिश करते हैं। इससे कभी-कभी लड़ाई-झगड़ा भी हो जाता है। कई लोग इस त्योहार में भांग और शराब का सेवन भी आवश्यक मनाते हैं, यह उचित नहीं है। होली स्नेह और मैत्री का त्योहार है। आपसी भाईचारा बढ़ाने का त्योहार है। इसे इसी रूप में मनाना चाहिए। जीवन को रंगमय करने वाला यह त्योहार सबके जीवन को रंगमय कर जाता है।