ग्लोबल वार्मिंग निबंध – Global Warming Essay In Hindi

ग्लोबल वार्मिंग निबंध – Essay On Global Warming In Hindi

प्रकृति ने जीव के लिए स्थल, जल और वायु के रूप में एक विस्तृत आवरण निर्मित किया है, जिसे हम ‘पर्यावरण’ की संज्ञा देते हैं। पर्यावरण के संतुलन को विकास के नाम पर बिगाड़ने का कार्य किया जा रहा है जिसके परिणामस्वरूप धरती का वातावरण प्रदूषित हो रहा है। आज प्रकृति प्रदत्त जीवनदायी वायु, भूमि और जल जीवन घातक बन गए हैं।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

1997 में जापान के क्योटो शहर में इस विषय पर विश्व सम्मेलन आयोजित किया गया था। इसमें ग्लोबल वार्मिंग पर चिंता जताई गई थी। 30 नवंबर से 11 दिसंबर, 2015 के बीच पेरिस में ग्लोबल वार्मिंग पर सम्मेलन आयोजित किया गया।

ग्लोबल वार्मिंग अचानक उत्पन्न नहीं हुई है। इसकी शुरूआत औद्योगिक क्रांति व शहरीकरण से हुई। कोयला आधारित उद्योग वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण हैं। अमेरिका के पेंसिलवेनिया, भारत में पानीपत, दिल्ली, बोकारो, मुंबई आदि शहरों में दिन में भी धुआँ छाया रहता है।

मनुष्य की विलासिता के स्वभाव ने भी प्रदूषण को बढ़ाया है। प्रशीतन के अनियमित प्रयोग ने वायुमंडल में क्लोरोफ्लोरो कार्बन गैस की मात्रा बढ़ा दी है। इसके कारण ओजोन परत नष्ट हो रही है। इस परत के न होने से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ बढ़ जाएँगी। आणविक विस्फोट से उत्सर्जित रेडियोधर्मी प्रभाव सैकड़ों वर्षों तक रहता है। परिवहन के साधनों कार, स्कूटर, बस, ट्रक, वायुयान-इनकी अनियंत्रित बढ़ोतरी से हानिकारक गैसों की मात्रा बढ़ रही है।

इस तरह विभिन्न प्रदूषणों से पर्यावरण में बदलाव आ रहा है। कभी गरमी अधिक होती है तो कभी सरदी। वर्षा का समय चक्र भी बदल रहा है। पर्यावरण प्रदूषण के कारण तापमान भी बढ़ रहा है। यह आशंका जताई जा रही है कि यदि प्रदूषण कम नहीं हुआ तो 2050 तक पृथ्वी का तापमान 3.5° तक बढ़ जाएगा। इससे ग्लेशियर पिघलने का खतरा है और प्रलय की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

तापमान की वृद्धि में अमेरिका, जापान सहित तमाम यूरोपीय देश अधिक जिम्मेदार हैं। ये 20 देश कुल कार्बनडाई ऑक्साइड का 80 फीसदी छोड़ते हैं। अमेरिका अकेला 25 प्रतिशत कार्बनडाई ऑक्साइड छोड़ता है। आज जरूरत है कि सभी देश इस पर गंभीरता से सोचें तथा विकसित देश अपनी जिम्मेदारी समझें।।