परिवार नियोजन पर निबंध – (Essay On Family Planning In India In Hindi)
प्रस्तावना–
स्वाधीनता प्राप्ति के पश्चात् भारत विकास के पथ पर तेजी से दौड़ रहा है। कृषि, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य, यातायात, संचार, सुरक्षा आदि क्षेत्रों में नित्य नई प्रगति हो रही है। इन सबके साथ देश की जनसंख्या भी द्रुत गति से बढ़ रही है। अब हम एक अरब पच्चीस करोड़ से अधिक मानव–शक्ति वाला राष्ट्र बन चुके हैं।
साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।
परिवार नियोजन पर निबंध – Parivaar Niyojan Par Nibandh
बढ़ती हुई जनसंख्या का संकट–
देश की तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या हमारे लिए संकट का कारण बन चुकी है। जनसंख्या की वृद्धि दो गुणा दो के गुणात्मक सिद्धान्त पर होती है जबकि उत्पादन के साधनों की वृद्धि ‘एक धन एक’ के योग के सिद्धान्त से होती है अर्थात् जब आवश्यकता की वस्तुएँ एक से दो होती हैं, तब तक उपभोक्ताजनों की संख्या दो से चार हो जाती है।
इस तरह विकास के सभी उपाय तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या के सामने छोटे पड़ जाते हैं और समाज में वस्तुओं का अभाव बना रहता है। भोजन, वस्त्र और आवास की कमी बढ़ती ही जाती है। यही बढ़ती हुई जनसंख्या का संकट है।
जनसंख्या का दबाव–
भारत में हर क्षेत्र में विकास हुआ है परन्तु उस पर जनसंख्या वृद्धि का भीषण दबाव है। हरित क्रान्ति हुई है, खाद्य पदार्थों की उपलब्धता बढ़ी है किन्तु फिर भी भूख की समस्या हल नहीं हो रही है। एक बहुत बड़ी संख्या में लोगों को आधे पेट या खाली पेट रहना पड़ता है। इतने विशाल देश में जगह का अभाव है।
स्कूल में प्रवेश नहीं मिलता, बीमार होने पर अस्पताल में बैड नहीं मिलता, रेलों और बसों में सीट नहीं मिलती। प्रत्येक क्षेत्र में अभाव है। माँग बढ़ती ही जा रही है किन्तु आपूर्ति नहीं बढ़ रही है। इतनी लम्बी–चौड़ी दुनिया है फिर भी इसमें जगह नहीं है। रहने को घर नहीं है, सारा जहाँ हमारा।
जनसंख्या–
वृद्धि पर नियन्त्रण—जनसंख्या वृद्धि पर नियन्त्रण हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। अन्य देशों ने इस कार्य में सफलता पाई है। जापान का प्रयास अनुकरणीय है। चीन ने भी अपनी जनसंख्या वृद्धि को कठोरता से नियंत्रित किया है।
किन्तु हम इस दिशा को कोई ठोस नीति ही निर्धारित नहीं कर सके हैं। हम लोगों को कुछ लालच देकर बढ़ती हुई जनसंख्या को रोकने का भ्रम पाले बैठे हैं।
कारण भारत में जनसंख्या पर नियन्त्रण न होने के अनेक कारण हैं। यहाँ परिवार नियोजन पर बातें करना उचित नहीं माना जाता। बालक के जन्म को ईश्वर की देन माना जाता है। पुत्र का जन्म परिवार के लिए आवश्यक और गौरवपूर्ण माना जाता है। बेटा पैदा होने की आशा में बेटियों को बार–बार जन्म दिया जाता है। गरीब परिवार में बच्चों को भी किसी काम में लगाकर कुछ न कुछ कमाई कराई जाती है।
भारत में अनेक धर्म और जातियों के लोग रहते हैं। कुछ समझदार लोगों को छोड़कर हर जाति–धर्म के लोग अपनी संख्या बढ़ाने के विचार से परिवार नियोजन का विरोध करते हैं। सरकार केवल पुरस्कार देकर परिवार नियोजन कराना चाहती है। इसके लिए किसी कठोर दण्ड की व्यवस्था नहीं करती।
निवारण–
परिवार नियोजन पर खुलकर विचार होना आवश्यक है। कवि, लेखकों, धार्मिक पुरुषों, राजनैतिक नेताओं तथा मीडिया के लोगों को इस पर खुलकर आन्दोलन चलाना चाहिए। धर्म–जाति का भेदभाव छोड़कर जनसंख्या वृद्धि पर रोक के लिए एक समान कानून बनाना चाहिए, इसके साथ ही सब्सिडी आदि के रूप में मिलने वाली सरकारी सहायता भी उन्हीं लोगों को मिलनी चाहिए जो परिवार नियोजन को अपनाएँ।
उपसंहार–
परिवार नियोजन की उपेक्षा खतरनाक होगी। देश में भूखे–नंगों की बढ़ती हुई संख्या विकास को ध्वस्त कर देगी। भयंकर अशांति और हिंसा भी होगी। महामारी और युद्ध से भी भीषण संकट आयेगा। सब कुछ उलट–पुलट हो जायेगा, सरकारी योजनायें धरी की धरी रह जायेंगी। अत: उस विषय पर कहना तो पड़ेगा ही, कुछ करना भी पड़ेगा।
नहीं तो
इक वंश वृक्ष ऐसा बढ़ेगा
कि वन हो जायेगा
और कठिन ही नहीं,
असम्भव उसमें जीवन हो जायेगा।