पर्यावरण बचाओ पर निबंध – Environment Essay In Hindi

पर्यावरण बचाओ पर छोटे तथा बड़े निबंध (Essay on Save Environment in Hindi)

प्रदूषण-वृद्धि की समस्या अथवा पर्यावरण बचाओ अभियान – (Pollution problem – Save environment campaign)

रूपरेखा-

  • प्रस्तावना,
  • पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार,
  • पर्यावरण प्रदूषण : जिम्मेदार कौन,
  • पर्यावरण प्रदूषण रोकने के उपाय,
  • उपसंहार।।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना-
आज की दुनिया विचित्र नवीन, प्रकृति पर सर्वत्र है विजयी पुरुष आसीन। हैं बँधे नर के करों में वारि, विद्युत, भाप, हुक्म पर चढ़ता-उतरता है पवन का ताप। वैज्ञानिक प्रगति के उन्माद से ग्रस्त मानव ने प्रकृति-माता को दासी के पद पर धकेल दिया है। वह नाना प्रकार से प्रकृति के निर्मम दोहन में व्यस्त है। उसे विरूप बना रहा है। उद्योगों का कूड़ा-कचरा और विषैले विसर्जन पर्यावरण को प्रदूषित करने की होड में लगे हए हैं। मनुष्य ने अपने ही प्रमाद से अपने भविष्य को अंधकारमय बना डाला है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार-आज सृष्टि का कोई पदार्थ, कोई कोना प्रदूषण के प्रहार से नहीं बच पाया है। प्रदूषण मानवता के अस्तित्व पर एक नंगी तलवार की भाँति लटक रहा है। प्रदूषण मुख्य रूप से निम्नलिखित प्रकार का है-

(1) जल प्रदूषण-जल मानव जीवन के लिए परम आवश्यक पदार्थ है। जल के परम्परागत स्रोत हैं-कुएँ, तालाब, नदी तथा वर्षा का जल। प्रदूषण ने इस सभी स्रोतों को दूषित कर दिया है। औद्योगिक प्रगति के साथ-साथ हानिकारक कचरा और रसायन बड़ी बेदर्दी से इन जलस्रोतों में मिल रहे हैं। महानगरों के समीप से बहने वाली नदियों की दशा तो अत्यन्त दयनीय है। गंगा, यमुना, गोमती आदि सभी नदियों की पवित्रता प्रदूषण की भेंट चढ़ गई है।

(2) वायु प्रदूषण-वायु भी जल जितना ही आवश्यक पदार्थ है। श्वास-प्रश्वास के साथ वायु निरन्तर शरीर में आती आज शद्ध वायु का मिलना भी कठिन हो गया है। वाहनों, कारखानों और सड़ते हुए औद्योगिक कचरे ने वायु में भी . जहर भर दिया है। घातक गैसों के रिसाव भी यदा-कदा प्रलय मचाते रहते हैं। गैसीय प्रदूषण ने सूर्य की घातक किरणों से रक्षा करने वाली ‘ओजोन परत’ को भी छेद डाला है।

(3) खाद्य प्रदूषण-प्रदूषित जल और वायु के बीच पनपने वाली वनस्पति या उसका सेवन करने वाले पशु-पक्षी भी आज दूषित हो रहे हैं। चाहे शाकाहारी हो या माँसाहारी कोई भी भोजन के प्रदूषण से नहीं बच सकता।

(4) ध्वनि प्रदूषण-कर्णकटु और कर्कश ध्वनियाँ मनुष्य के मानसिक सन्तुलन को बिगाड़ती हैं और उसकी कार्य-क्षमता को भी कुप्रभावित करती हैं। आकाश में वायुयानों की कानफोड़ ध्वनियाँ, धरती पर वाहनों, यन्त्रों और संगीत का मुफ्त दान करने वाले ध्वनि-विस्तारकों का शोर। सब मिलकर मनुष्य को बहरा बना देने पर तुले हुए हैं।

(5) विकिरणजनित प्रदूषण-परमाणु विस्फोटों तथा परमाणु संयन्त्रों से होते रहने वाले रिसाव आदि से विकिरणजनित प्रदूषण भी मनुष्य को भोगना पड़ रहा है। रूस के चेर्नोबिल तथा जापान के परमाणु केन्द्रों से होने वाला प्रदूषण जग विख्यात है।

पर्यावरण प्रदूषण :
जिम्मेदार कौन ?-प्रायः हर प्रकार के प्रदूषण की वृद्धि के लिए हमारी औद्योगिक और वैज्ञानिक प्रगति तथा मनुष्य का अविवेकपूर्ण आचरण ही जिम्मेदार है। वाहनों का गैस-विसर्जन, चिमनियों का धुआँ, रसायनशालाओं की विषैली गैसें मनुष्यों की साँसों में जहर फूंक रही हैं। सभी प्रकार के प्रदूषण हमारी औद्योगिक और जीवन-स्तर की प्रगति से जुड़ गये हैं। हमारी हालत साँप-छछूदर जैसी हो रही है।

पर्यावरण प्रदूषण रोकने के उपाय-प्रदूषण ऐसा रोग नहीं है कि जिसका कोई उपचार ही न हो। प्रदूषण फैलाने वाले सभी उद्योगों को बस्तियों से सुरक्षित दूरी पर ही स्थापित किया जाना चाहिए। किसी भी प्रकार की गन्दगी और प्रदूषित पदार्थ को नदियों और जलाशयों में छोड़ने पर कठोर दण्ड की व्यवस्था होनी चाहिए।

वायु को प्रदूषित करने वाले वाहनों पर भी नियन्त्रण आवश्यक है। प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने जो दीर्घगामी नीति बनाई है, भारत उसे स्वीकार कर चुका है। बहुसंख्यक देश भी इसे स्वीकार करने को तत्पर दिखते हैं। किन्तु अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति महोदय (ट्रंप) की भूमिका अत्यंत निराशाजनक है।

उपसंहार-पर्यावरण का प्रदूषण एक अदृश्य दानव की भाँति मनुष्य-समाज को निगल रहा है। यह एक विश्वव्यापी संकट है। यदि इस पर समय रहते नियन्त्रण नहीं किया गया तो आदमी शुद्ध जल, वायु, भोजन और शान्त वातावरण के लिए तरस जायेगा। प्रशासन और जनता, दोनों के गम्भीर प्रयासों से ही प्रदूषण से मुक्ति मिल सकती है।