दूरदर्शन और युवावर्ग पर निबंध – Doordarshan Essay In Hindi

दूरदर्शन और युवावर्ग पर निबंध – Essay On Doordarshan In Hindi

दूरदर्शन का जीवन पर बढ़ता अनुचित प्रभाव – Doordarshan’s Increasing Undue Influence On Life

रूपरेखा–

  • प्रस्तावना,
  • दूरदर्शन का प्रभाव–क्षेत्र,
  • दूरदर्शन के अनुचित प्रभाव,
  • बचाव के उपाय.
  • उपसंहार।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

दूरदर्शन और युवावर्ग पर निबंध – Dooradarshan Aur Yuvaavarg Par Nibandh

प्रस्तावना–
दूरदर्शन आज भारतीय जन–जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। दृश्य और श्रव्य दोनों साधनों के सुसंयोजन ने इसे मनोरंजन का श्रेष्ठतम साधन प्रमाणित कर दिया है। नित्य नई तकनीकों के प्रवेश और नये–नये चैनलों के उद्घाटन ने बालक और युवावर्ग को दूरदर्शन का दीवाना बना दिया है।

दूरदर्शन का प्रभाव–
क्षेत्र–दूरदर्शन का प्रभाव–क्षेत्र पिछले दशकों में बड़ी तीव्रता से बढ़ा है। हर आयु, वर्ग तथा रुचि के लोगों में दूरदर्शन से लगाव बढ़ा है।

इस समय सामाजिक जीवन के हर क्षेत्र पर किसी–न–किसी रूप में दूरदर्शन का प्रभाव है। युवा इसके मनोरंजक पक्ष से, व्यवसायी इसकी असीमित विज्ञापन–क्षमता से, राजनीतिज्ञ इसके देशव्यापी प्रसारण से, धार्मिक इसकी कथाओं और धार्मिक स्थलों की सजीव प्रस्तुति से प्रभावित हैं।।

दूरदर्शन के अनुचित प्रभाव–दूरदर्शन की लोकप्रियता जैसे–जैसे बढ़ रही है, वैसे–वैसे इसका हानिकारक पक्ष भी सामने आता जा रहा है। जीवन के सभी क्षेत्रों में इसके कुप्रभाव देखे जा सकते हैं–

(क) सामाजिक दुष्प्रभाव–दूरदर्शन ने व्यक्ति के सामाजिक जीवन को गहराई से कुप्रभावित किया है। छात्र और युवा वर्ग के वीडियो गेम और कार्टून फिल्मों में उलझे रहने से उनके स्वाभाविक खेलकूद पर विराम–सा लग गया है और सामाजिक सक्रियता घट गई है। युवाओं का ही नहीं मोबाइल सम्हाले रहने वाले प्रौढ़ों का भी प्रत्यक्ष संपर्क निरंतर सिकुड़ता जा रहा है।

(ख) सांस्कृतिक दुष्प्रभाव–दूरदर्शन के धारावाहिक और विज्ञापन, लोगों में नैतिकता, उत्तरदायित्व के अभाव और घोर भौतिकता को बढ़ावा दे रहे हैं। भारतीय जीवन–मूल्यों की उपेक्षा के साथ ही नए–नए अन्धविश्वास भी परोसे जा रहे हैं। फैशन, विलासिता और अपराधी प्रवृत्ति को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

(ग) आर्थिक दुष्प्रभाव–दूरदर्शन ने लोगों के अप्रत्यक्ष आर्थिक–शोषण का मार्ग भी खोल दिया है। ‘इंडियन आइडल’, ‘नच बलिए’ तथा अन्यान्य प्रतियोगिताओं के माध्यम से एस. एम. एस. या मत संग्रह द्वारा युवाओं की जेबें खाली कराई जा रही हैं। इसके अतिरिक्त अतिश्योक्तिपूर्ण और भ्रामक विज्ञापनों के जाल में फंसाकर उपभोक्ता को अपव्यय के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

(घ) स्वास्थ्य सम्बन्धी दुष्प्रभाव–दूरदर्शन कार्यक्रमों को लम्बे समय तक देखते रहने के कारण छात्रों और युवाओं का स्वास्थ्य भी कुप्रभावित हो रहा है। वे धीरे–धीरे मोटापे का शिकार हो रहे हैं। खेलों तथा व्यायाम में उनकी रुचि क है। इसके साथ ही दूरदर्शन के निरंतर देखने से नेत्र–ज्योति भी कुप्रभावित हो रही है।

बचाव के उपाय–
जब तक दूरदर्शन के चैनल घोर व्यावसायिक दृष्टिकोण से ग्रस्त रहेंगे तब तक वे दर्शकों का मानसिक और शारीरिक अनिष्ट करते रहेंगे। अतः सरकार और जनता दोनों को इस ओर ध्यान देना होगा। ‘ट्राई’ और ‘टी डी सैट’ ने अब अश्लीलता परोसने वाले चैनलों की लगाम कसना प्रारम्भ कर दिया है।

फिर भी स्थिति अनियन्त्रित है। इसके लिए जनता को भी संयम और जागरूकता दिखानी होगी। इसके साथ ही नैतिक मूल्यों का खिल्ली उड़ाने वालों को समुचित जवाब दिया जाना भी आवश्यक है।

उपसंहार–
दूरदर्शन के अनुचित प्रभावों के विस्तार में राजनीतिक स्वार्थों तथा उद्योग जगत् के अनुचित दबाव ने भी पूरा सहयोग किया है। शीतल.पेयों में कीटनाशक पाए जाने पर भी कानूनी दावपेंचों के सहारे उनका विज्ञापन न रुक पाना, इसका स्पष्ट उदाहरण है। दूरदर्शन के अनेक लाभों के होते हुए उसके दुष्प्रभावों की अनदेखी करना भविष्य में बहुत महँगा पड़ सकता है।

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