भारत में लोकतंत्र पर निबंध – Democracy in India Essay in Hindi

भारत में लोकतंत्र पर बड़े तथा छोटे निबंध (Essay on Democracy in India in Hindi)

जनतंत्र का आधार चुनाव – Democracy’s Base Election

रूपरेखा-

  • प्रस्तावना,
  • जनता और चुनाव,
  • राजनैतिक दल और नेता,
  • चुनाव प्रचार,
  • चुनाव का दिन,
  • मतगणना,
  • उपसंहार।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना-
चुनाव लोकतंत्र का आधार है। एक निश्चित समय के लिए जनता अपने प्रतिनिधि चुनती है। ये लोग मिलकर देश की व्यवस्था चलाने के लिए सरकार का गठन करते हैं। संविधान द्वारा अधिकार प्राप्त आयोग चुनाव कराने की व्यवस्था करता है। उसका दायित्व स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना होता है। लोकतंत्र के लिए चुनाव आवश्यक है। उसके बिना लोकतंत्र नहीं चल सकता।

जनता और चुनाव-
चुनाव का अधिकार जनता को होता है। भारतीय संविधान के अनुसार प्रत्येक वयस्क स्त्री-पुरुष को अपना प्रतिनिधि चुनने का अधिकार है। पच्चीस वर्ष का होने के बाद प्रत्येक स्त्री-पुरुष को चुनाव में खड़ा होने का अपि कार है। हमारे देश में अनेक राजनैतिक दल हैं। ये दल चुनाव में अपना उम्मीदवार खड़ा करते हैं। जनता जिसको पसन्द करती है उसको वोट देकर अपना प्रतिनिधि चुनती है। इस प्रकार निर्वाचन में जनता बहुत महत्त्वपूर्ण होती है। उसके बिना निर्वाचन का कार्य हो ही नहीं सकता।

राजनैतिक दल और नेता-
भारत में अनेक राजनैतिक दल हैं। इनमें दो-चार राष्ट्रीय स्तर के तथा शेष सभी क्षेत्रीय दल हैं। ये चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारते हैं। कुछ लोग निर्दलीय रूप से भी चुनाव लड़ते हैं। चुनाव की घोषणा होने पर राजनैतिक दल किसी क्षेत्र से एक उम्मीदवार को टिकट देता है।

टिकट पाने के लिए भीषण मारामारी होती है। उससे आपसी सद्भाव टूटता है, जातिवाद तथा सम्प्रदायवाद बढ़ता है, एक-दूसरे के विरुद्ध आरोप-प्रत्यारोप लगाये जाते हैं। इस प्रकार चुनाव शांति और गम्भीरता के साथ नहीं हो पाता।

चुनाव प्रचार-
नामांकन पूरा होने के साथ ही प्रत्याशी तथा दल अपना प्रचार आरम्भ कर देते हैं। इसके लिए अखबारों तथा दूरदर्शन पर विज्ञापन दिए जाते हैं, जनसभाएँ होती हैं, झण्डा-बैनर आदि का प्रयोग होता है, जुलूस निकाले जाते. अन्त में प्रत्याशी अपने मतदाताओं से व्यक्तिगत सम्पर्क करता है।

उस समय वह विनम्रता की साकार मूर्ति बन जाता है। जनता के लिए यह समय बड़ा महत्त्वपूर्ण होता है। वैसे कोई उसे पूछे या न पूछे, इस समय नेतागण उसके घर की धूल ले लेते है। चुनाव प्रचार का समय बड़ा कठिन होता है।

इस समय दंगे तथा झगड़े होने का भय सदा बना रहता है। चुनाव से पूर्व प्रचार बन्द हो जाता है। कुछ स्वार्थी नेता रात के अंधेरे में वोटरों को नकद रुपया तथा शराब देकर उनको अपने पक्ष में वोट देने के लिए तैयार करते हैं।

चुनाव का दिन निर्वाचन आयोग चुनाव की व्यवस्था करता है। मतदान केन्द्र पर मतदान अधिकारी उपस्थित रहते हैं जो मतदान कराते हैं। अपने मतदान केन्द्र पर जाकर निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार मतदाता मतदान करता है।

आजकल ई. वी. एम. का बटन दबाकर मतदान कराया जाता है। इस मशीन में प्रत्येक प्रत्याशी का नाम तथा चुनाव-चिह्न अंकित होता है। उसके एक्सीलेण्ट सामने लगा बटन दबाने से उसको वोट मिल जाता है। अब सबसे नीचे एक बटन नोटा अर्थात् इनमें से कोई नहीं का भी होता है।

जिस मतदाता को कोई उम्मीदवार पसंद नहीं होता वह नोटा का बटन दबाता है। चुनाव शांतिपूर्वक कराने की कठोर व्यवस्था की जाती है तथा पुलिस और सुरक्षा बलों की ड्यूटी लगाई जाती है। किन्तु कुछ स्थानों पर मारपीट, बूथ कैप्चरिंग, गोलीबारी आदि की घटनाएँ होती हैं।

मतगणना-
मतदान का काम समाप्त होने के पश्चात् मतगणना की जाती है। गणना में जिस उम्मीदवार को सबसे ज्यादा मत मिलते हैं उसे विजयी घोषित किया जाता है। जिस दल को बहुमत प्राप्त होता है, उसके विजयी उम्मीदवार अपना एक नेता चुनते हैं।

वही प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री नियुक्त किया जाता है और शासन-व्यवस्था सँभालता है।

उपसंहार-
चुनाव में भाग लेने वाले मतदाता को जाति, धर्म अथवा अन्य दबाव से मुक्त होकर वोट करना चाहिए। उसे निष्पक्ष होकर सुयोग्य उम्मीदवार का ही चयन करना चाहिए। इधर ई. वी. एम. मशीन की प्रामाणिकता को लेकर, उत्तर-प्रदेश आदि राज्यों के चुनाव परिणामों के पश्चात्, शंका युक्त सवाल भी उठे हैं। किन्तु ये शंकाएँ वास्तविक कम और पराजय की पीड़ा को व्यक्त करने वाली ही अधिक प्रतीत होती हैं। कुल मिलाकर हमारा निर्वाचन आयोग अपनी सुव्यवस्था के लिए बधाई का पात्र सिद्ध होता है। निष्पक्ष और त्रुटिरहित मतदान ही लोकतंत्र का मूलाधार है।