भ्रष्टाचार पर निबंध – Corruption Essay in Hindi

भ्रष्टाचार पर छोटे-बड़े निबंध (Essay on Corruption in Hindi)

भ्रष्टाचार : कारण और निवारण अथवा भारत का राष्ट्रीय चरित्र और भ्रष्टाचार – (Corruption: Causes And Prevention Or National Character And Corruption Of India)

रूपरेखा-

  • प्रस्तावना,
  • भ्रष्टाचार क्या है?
  • भ्रष्टाचार के विविध रूप,
  • भ्रष्टाचार की व्यापकता,
  • भ्रष्ट राजनीतिज्ञ,
  • सरकार की जन-विरोधी नीतियाँ,
  • निवारण के उपाय,
  • उपसंहार।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना-
‘आचारः परमोधर्मः’ भारतीय संस्कृति का सर्वमान्य सन्देश रहा है। सदाचरण को व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन का आधार मानने के कारण ही भारतभूमि ने विश्व में प्रतिष्ठा पाई थी। आज देश के सामने उपस्थित समस्याएँ और संकट, भ्रष्ट आचरण के ही परिणाम हैं।

Corruption Essay

भ्रष्टाचार क्या है? What is the Corruption

सत्य, प्रेम, अहिंसा, धैर्य, क्षमा, अक्रोध, विनय, दया, अस्तेय (चोरी न करना), शूरता आदि ऐसे गुण हैं जो प्रत्येक समाज में सम्मान की दृष्टि से देखे जाते हैं। इन गुणों की उपेक्षा करना या इनके विरोधी दुर्गुणों को अपनाना ही आचरण से भ्रष्ट होना या भ्रष्टाचार है, किन्तु आज भ्रष्टाचार से हमारा तात्पर्य अनैतिक आचरण द्वारा जनता के धन की लूट से है।

Corruption Essay in Hindi

भ्रष्टाचार के विविध रूप-
आज भ्रष्टाचार देश के हर वर्ग और क्षेत्र में छाया हुआ है। चाहे शिक्षा हो, चाहे धर्म, चाहे व्यवसाय हो, चाहे राजनीति, यहाँ तक कि कला और विज्ञान भी इस घृणित व्याधि से मुक्त नहीं हैं। सरकारी कार्यालयों में जाइए तो बिना सुविधा शुल्क के आपका काम. नहीं होगा।

भ्रष्टाचार की व्यापकता-
भारत में भ्रष्टाचार का कारण वह औपनिवेशिक जनविरोधी केन्द्रीयकृत प्रशासनिक ढाँचा है, जो देश को अंग्रेजी साम्राज्य से विरासत में मिला है। नेतृत्व की कमजोरी के कारण इसको जनोपयोगी बनाने का प्रयास ही नहीं हो सका है।

भ्रष्टाचार निरन्तर फैलता गया है। जब से भारत में वैश्वीकरण, निजीकरण, उदारीकरण, बाजारीकरण की नीतियाँ बनी हैं, तब से घोटालों की बाढ़ आ गयी है। राष्ट्रमंडल खेल घोटाला, आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाला, एंट्रेक्स-इसरो घोटाला, अवैध खनन घोटाला, आईपीएल घोटाला, नोट के बदले वोट घोटाला, पिछली केन्द्रीय सरकार के खनन तथा ‘टूजी’ घोटाले भ्रष्टाचार की अटूट परंपरा का स्मरण कराते हैं।

भ्रष्ट राजनीतिज्ञ-यथा राजा तथा प्रजा की कहावत के अनुसार भ्रष्टाचार शासकों से जनता की ओर फैल रहा है। अकेले टू जी घोटाले में सरकारी धन की जो लूट हुई है, उससे सभी भारतीय परिवारों को भोजन दिया जा सकता है शिक्षा के कानूनी अधिकार को हकीकत में बदला जा सकता है।

सरकार की जनविरोधी नीतियाँ-
पिछली सरकारों की आर्थिक नीतियाँ, जिनको उदारवाद या आर्थिक सुधार का ‘शुगर कोटेड’ रूप देकर पेश किया गया, जन विरोधी थीं। इनके द्वारा जनता के धन को कानूनी वैध रूप देकर लूटा गया है।

जैसे सट्टा गैर-कानूनी है पर शेयर बाजार तथा वायदा बाजार का सट्टा पूरी तरह कानूनी है। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी निजीकरण ने भी भ्रष्टाचार में वृद्धि की है।

जल, जंगल, जमीन, खनिज, प्राकृतिक संसाधन आदि को कानून बदलकर कम्पनियों तथा पूँजीपतियों को लुटाया जाना। किसानों, मजदूरों, गरीबों, आदिवासियों के शोषण का दुष्परिणाम नक्सलवाद के रूप में सामने आ चुका है। टू जी घोटाले में टाटा, रिलायन्स आदि के नाम भी हैं। इन कम्पनियों ने सरकार से सस्ते आवंटन प्राप्त कर विदेशी कम्पनियों को बेचकर करोड़ों रुपयों का लाभ कमाया है।

निवारण के उपाय-
भ्रष्टाचार की इस बाढ़ से जनजीवन की रक्षा केवल चारित्रिक दृढ़ता ही कर सकती है। समाज और देश के व्यापक हित में जब व्यक्ति अपने नैतिक उत्तरदायित्व का अनुभव करे और उसका पालन करे तभी भ्रष्टाचार का विनाश हो सकता है।

भ्रष्टाचार का अन्त करने के लिए वर्तमान प्रशासनिक व्यवस्था को बदलना भी जरूरी है। इसके लिए आई.ए.एस. अधिकारियों को प्राप्त शक्तियों में कमी करना आवश्यक है। निर्वाचित जन प्रतिनिधियों की योग्यता, आयु तथा कर्त्तव्य परायणता तय होनी चाहिए। अयोग्य जन प्रतिनिधि को वापस बुलाने का अधिकार जनता को होना चाहिए।

चुनाव में खड़े होने वाले व्यक्ति की सम्पत्ति तथा आचरण की जाँच होनी चाहिए। राजनीति में अपराधियों का प्रवेश रुकना चाहिए। पूँजीवादी आर्थिक नीतियाँ जो विदेशी पूँजी पर आधारित हैं, बदलकर जनवादी स्वदेशी अर्थनीति को अपनाया जाना चाहिए। प्रशासन में शुचिता और पारदर्शिता होनी चाहिए।

उपसंहार-
भारत में भ्रष्टाचार की दशा अत्यन्त भयावह है। बड़े-बड़े पूँजीपति, राजनेता तथा प्रशासनिक अधिकारियों का गठजोड़ इसके लिए जिम्मेदार है। इससे मुक्ति के लिए निरन्तर सजग रहकर प्रयास करना जरूरी है।

सौभाग्य से जनता को सजग रहकर उनका समर्थन और सहयोग करना चाहिए। वर्तमान केन्द्रीय सरकार ने एक सीमा तक उच्चस्तर पर भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का प्रयास किया है। पारदर्शिता पर भी जोर दिया गया है।