कंप्यूटर पर निबंध – Computer Essay In Hindi

कंप्यूटर पर निबंध – Essay On Computer In Hindi

“प्रगति के इस दौर में कम्प्यूटर एक सशक्त माध्यम के रूप में उभरा है। कम्प्यूटर का आविष्कार मानव–बुद्धि की कुशाग्रता का परिणाम है। जाहिर है कि इसकी कार्यकुशलता हमारे हाथों में ही है।”

– सत्यजीतमजूमदार

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

रूपरेखा–

  • प्रस्तावना,
  • कम्प्यूटर और उसके उपयोग–
    • (क) बैंकिंग के क्षेत्र में,
    • (ख) प्रकाशन के क्षेत्र में,
    • (ग) सूचना और समाचार–प्रेषण के क्षेत्र में,
    • (घ) डिजाइनिंग के क्षेत्र में,
    • (ङ) कला के क्षेत्र में,
    • (च) वैज्ञानिक अनुसन्धान के क्षेत्र में,
    • (छ) औद्योगिक क्षेत्र में,
    • (ज) युद्ध के क्षेत्र में,
    • (झ) अन्य क्षेत्रों में,
  • कम्प्यूटर और मानव–मस्तिष्क,
  • उपसंहार।

प्रस्तावना–
आज कम्प्यूटर के प्रयोग से सभी क्षेत्रों में क्रान्ति आ गई है। अनेक क्षेत्रों का तो पूरी तरह कम्प्यूटरीकरण हो गया है। एक प्रकार से आज का जीवन कम्प्यूटर के बिना अधूरा हो गया है। जीवन को भली प्रकार से चलाने के लिए आज प्रत्येक व्यक्ति के लिए कम्प्यूटर का ज्ञान जरूरी हो गया है।

कम्प्यूटर और उसके उपयोग–
आज जीवन के कितने ही क्षेत्रों में कम्प्यूटर के व्यापक प्रयोग हो रहे हैं। बड़े–बड़े व्यवसाय, तकनीकी संस्थान और महत्त्वपूर्ण प्रतिष्ठान कम्प्यूटर के यन्त्र–मस्तिष्क का लाभ प्राप्त कर रहे हैं। अब तो कम्प्यूटर केवल कार्यालयों के वातानुकूलित कक्षों तक ही सीमित नहीं रह गए हैं, वरन् वह हजारों किलोमीटर दूर रखे हुए दूसरे कम्प्यूटर के साथ बातचीत कर सकते हैं, उससे सूचनाएँ प्राप्त कर सकते हैं और उसे सूचनाएँ भेज भी सकते हैं।

कम्प्यूटर का व्यापक प्रयोग जिन क्षेत्रों में हो रहा है, उनका विवरण इस प्रकार है-

(क) बैंकिंग के क्षेत्र में भारतीय बैंकों में खातों के संचालन और हिसाब–किताब रखने के लिए कम्प्यूटर का प्रयोग किया जाने लगा है। अब सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों ने चुम्बकीय संख्याओंवाली नई चैक बुक जारी की हैं। यूरोप के कई देशों सहित अपने देश में भी ऐसी व्यवस्थाएँ अस्तित्व में आ गई हैं कि घर के निजी कम्प्यूटर को बैंकों के कम्प्यूटरों के साथ जोड़कर घर बैठे ही लेन–देन का व्यवहार किया जा सकता है।

(ख) प्रकाशन के क्षेत्र में समाचार–पत्र और पुस्तकों के प्रकाशन के क्षेत्र में भी कम्प्यूटर विशेष योग दे रहे हैं। अब कम्प्यूटर पर टंकित होनेवाली सामग्री को कम्प्यूटर के परदे (स्क्रीन) पर देखकर उसमें संशोधन भी किया जा सकता है। कम्प्यूटर में संचित होने के बाद सम्पूर्ण सामग्री एक छोटी चुम्बकीय डिस्क पर अंकित हो जाती है। इससे कभी भी टंकित सामग्री को प्रिण्टर की सहायता से मुद्रित किया जा सकता है। आज सभी बड़े प्रकाशन संस्थानों और समाचार–पत्रों के सम्पादकीय विभाग में एक ओर कम्प्यूटरों पर लेखन सामग्री टंकित की जाती है और दूसरी तरफ इलेक्ट्रॉनिक प्रिण्टर तेज रफ्तार से टंकित सामग्री के प्रिण्ट निकाल देते हैं।

(ग) सूचना और समाचार–प्रेषण के क्षेत्र में दूरसंचार की दृष्टि से कम्प्यूटर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। अब तो ‘कम्प्यूटर नेटवर्क’ और इण्टरनेट के माध्यम से देश तथा विश्व के सभी प्रमुख नगरों को एक–दूसरे से जोड़ दिया गया है।

(घ)डिजाइनिंग के क्षेत्र में प्राय: यह समझा जाता है कि कम्प्यूटर अंकों और अक्षरों को ही प्रकट कर सकते हैं। वस्तुतः आधुनिक कम्प्यूटर के माध्यम से भवनों, मोटरगाड़ियों एवं हवाई जहाजों आदि के डिजाइन तैयार करने के लिए भी ‘कम्प्यूटर ग्राफिक’ के व्यापक प्रयोग हो रहे हैं। वास्तुशिल्पी अपने डिजाइन कम्प्यूटर के स्क्रीन पर तैयार करते हैं और संलग्न प्रिण्टर से इनके प्रिण्ट भी तुरन्त प्राप्त कर लेते हैं।

(ङ) कला के क्षेत्र में कम्प्युटर अब कलाकार अथवा चित्रकार की भूमिका भी निभा रहे हैं। अब कलाकार को, न तो कैनवास की आवश्यकता है, न रंग और कूचियों की। कम्प्यूटर के सामने बैठा हुआ कलाकार अपने ‘नियोजित प्रोग्राम’ के अनुसार स्क्रीन पर चित्र निर्मित करता है और यह चित्र प्रिण्ट की ‘कुंजी’ दबाते ही प्रिण्टर द्वारा कागज पर अपने उन्हीं वास्तविक रंगों के साथ छाप दिया जाता है।

(च) वैज्ञानिक अनुसन्धान के क्षेत्र में कम्प्यूटरों के माध्यम से वैज्ञानिक अनुसन्धान का स्वरूप ही बदलता जा रहा है। अन्तरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में तो कम्प्यूटर ने क्रान्ति ही उत्पन्न कर दी है। इनके माध्यम से अन्तरिक्ष के व्यापक चित्र उतारे जा रहे हैं और इन चित्रों का विश्लेषण कम्प्यूटरों के माध्यम से हो रहा है। . आधुनिक वेधशालाओं के लिए कम्प्यूटर सर्वाधिक आवश्यक हो गए हैं।

(छ) औद्योगिक क्षेत्र में बड़े–बड़े कारखानों में मशीनों के संचालन का कार्य अब कम्प्यूटर सँभाल रहे हैं। कम्प्यूटरों से जुड़कर रोबोट ऐसी मशीनों का नियन्त्रण कर रहे हैं, जिनका संचालन मानव के लिए अत्यधिक कठिन था। भयंकर शीत और जला देनेवाली गर्मी का भी उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

(ज) युद्ध के क्षेत्र में–वस्तुत: कम्प्यूटर का आविष्कार युद्ध के एक साधन के रूप में ही हुआ था। अमेरिका में जो पहला इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर बना था, उसका उपयोग अणुबम से सम्बन्धित गणनाओं के लिए ही हुआ था। जर्मन सेना के गुप्त सन्देशों को जानने के लिए अंग्रेजों ने ‘कोलोसम’ नामक कम्प्यूटर का प्रयोग किया था। आज भी नवीन तकनीकों पर आधारित शक्तिशाली कम्प्यूटरों का विकास किया जा रहा है। अमेरिका की ‘स्टार–वार्स’ योजना कम्प्यूटरों के नियन्त्रण पर ही आधारित है।

(झ) अन्य क्षेत्रों में सम्भवत: जीवन का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है, जिसमें कम्प्यूटर का प्रयोग न हो रहा हो अथवा न हो सकता हो। कम्प्यूटरों के माध्यम से संगीत का स्वरांकन किया जा रहा है तथा वायुयान एवं रेलयात्रा के आरक्षण की व्यवस्था हो रही है। कम्प्यूटर में संचित विवरण के आधार पर विवाह–सम्बन्ध जोड़नेवाले अनेक संगठन हमारे देश में कार्यरत हैं, यहाँ तक कि ‘कम्प्यूटर–ज्योतिष’ का व्यवसाय भी आरम्भ हो गया है।

इसके साथ ही परीक्षाफल के निर्माण, अन्तरिक्ष–यात्रा, मौसम सम्बन्धी जानकारी, चिकित्सा–क्षेत्र, चुनाव–कार्य आदि में भी कम्प्यूटर प्रणाली सर्वाधिक उपयोगी सिद्ध हो रही है। कम्प्यूटर की सहायता से एक भाषा का अनुवाद दूसरी भाषा में किया जा सकता है तथा शतरंज जैसा खेल भी खेला जा सकता है।

कम्प्यूटर और मानव–मस्तिष्क–
यह प्रश्न भी बहुत स्वाभाविक है कि क्या कम्प्यूटर और मानव–मस्तिष्क की तुल. की जा सकती है और इनमें कौन श्रेष्ठ है; क्योंकि कम्प्यूटर के मस्तिष्क का निर्माण भी मानव–बुद्धि के आधार ( ही सम्भव हुआ है। यह बात नितान्त सत्य है कि मानव मस्तिष्क की अपेक्षा कम्प्यूटर समस्याओं को बहुत कम समय में हल कर सकता है; किन्तु वह मानवीय संवेदनाओं, अभिरुचियों, भावनाओं और चित्त से रहित मात्र एक यन्त्र–पुरुष है। कम्प्यूटर केवल वही काम कर सकता है, जिसके लिए उसे निर्देशित (programmed) किया गया हो। वह कोई निर्णय स्वयं नहीं ले सकता है और न ही कोई नवीन बात सोच सकता है।

उपसंहार–
हम जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में कम्प्यूटर पर आश्रित हो गए हैं। यह सही है कि कम्प्यूटर में जो कुछ भी एकत्र किया गया है, वह आज के असाधारण बुद्धिजीवियों की देन है, लेकिन हम यह प्रश्न भी पूछने के लिए विवश हैं कि जो बुद्धि या जो स्मरण–शक्ति कम्प्यूटरों को दी गई है, क्या उससे पृथक् हमारा कोई अस्तित्व नहीं है? हो भी, तो क्या यह बात अपने–आपमें कुछ कम दुःखदायी नहीं है कि हम अपने प्रत्येक भावी कदम को कम्प्यूटर के माध्यम से प्रमाणित करना चाहें और उसके परिणामस्वरूप अपने–आपको निरन्तर कमजोर, हीन एवं अयोग्य बनाते रहें।