एड्स पर निबंध – Aids Essay In Hindi

एड्स पर निबंध – Essay On Aids In Hindi

रहमिन बहुभेषज करत, व्याधि न छाँड़त साथ।
खग मृग बसत अरोग वन, हरि अनाथ के नाथ।।

कवि रहीम की ये पक्तियाँ उस समय जितनी प्रासंगिक थी, उतनी या उससे कहीं अधिक आज भी प्रासंगिक हैं। विज्ञान के कारण भले ही नाना प्रकार की चिकित्सा सुविधाएँ बढ़ी हैं पर नयी-नयी बीमारियों के कारण मनुष्य पूरी तरह चिंता मुक्त नहीं हो पाया। कुछ बीमारियाँ थोड़े-से इलाज से ठीक हो जाती हैं तो कुछ थोड़े अधिक इलाज से, परंतु कुछ बीमारियाँ ऐसी हैं जो थोड़ी लापरवाही के कारण जानलेवा साबित हो जाती हैं। ऐसी ही एक बीमारी है-एड्स।

एड्स-कारण और निवारण – (Aids-Kaaran Aur Nivaaran)

विश्व के अनेक देशों की तरह भारत भी इस बीमारी से अछूता नहीं है। हमारे देश में लाखों लोग एच० आई० वी० के संक्रमण से पीड़ित हैं। दुर्भाग्य से युवा और लड़के भी इससे संक्रमित हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में 3 करोड़, 61 लाख वयस्क इससे पीड़ित हैं। वहीं 14 लाख बच्चे भी संक्रमणग्रस्त पाए गए हैं।

इसकी बढ़ती गति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1991 में यह संख्या आधी थी। देश के जिन राज्यों में इसके रोगियों की संख्या अधिक है उनमें आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, नागालैंड और मणिपुर प्रमुख हैं। इस रोग के संक्रमण से 75% से अधिक पुरुष हैं जिनमें से 83% को यह यौन कारणों से हुआ है।

अफ्रीका महाद्वीप के दक्षिणी भाग में 38 लाख के करीब लोग इसके शिकार बन गए। वहाँ एच० आई० वी० और एड्स से प्रभावितों की संख्या ढाई करोड़ पार कर चुकी है। सही बात तो यह है कि एड्स ने अपने पैर दुनिया भर में पसार दिया है।

किसी देश-विशेष को ही नहीं वरन् विश्व को एकजुट होकर इसके निवारण के लिए कटिबद्ध हो जाना चाहिए। एड्स एक भयंकर एवं लगभग लाइलाज बीमारी है जो एच० आई० वी० नामक वायरस से फैलती है। एड्स (AIDS) का पूरा नाम (Acquired) (एक्वायर्ड), I (Immuno)(इम्यूनो), D (Deficiency)(डिफेसेंसी) और S (Syndrome) (सिंड्रोम) है।

वास्तव में एड्स बहुत-से लक्षणों का समूह है जो शरीर की रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है, जिससे संक्रमित व्यक्ति को आसानी से कोई भी बीमारी हो जाती है और रोगी असमय काल-कवलित हो जाता है।

एच० आई वी० वायरस जब एक बार किसी व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाता है तो इस संक्रमण के लक्षण सात से दस साल तक प्रकट नहीं होते हैं और व्यक्ति स्वयं को भला-चंगा महसूस करता है। उसे स्वयं भी इस संक्रमण का ज्ञान नहीं होता है, किंतु जब संक्रमण अपना असर दिखाता है तो व्यक्ति रोगग्रस्त हो जाता है।

एच० आई० वी० संक्रमित व्यक्ति का इलाज असंभव होता है। उसकी जिंदगी उस नाव के समान हो जाती है जिसका खेवनहार केवल ईश्वर ही होता है। किसी स्वस्थ व्यक्ति को एड्स किन कारणों से हो सकता है, इसकी जानकारी लोगों में विशेषकर युवाओं को जरूर होनी चाहिए। एड्स को यौन रोग की संज्ञा दी गई है, क्योंकि यह रोग एच० आई० वी० संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध स्थापित करने से होता है।

यदि महिला एच० आई० बी० संक्रमित है तो संबंध बनाने जाले पुरुष को और यदि पुरुष संक्रमित है तो संबंधित महिला को एड्स होने की संभावना हो जाती है। इसके प्रसार का दूसरा कारण है-दूषित सुइयों कर प्रयोग।

जब कोई डॉक्टर किसी एच० आई० वी० संक्रमित व्यक्ति को सुई लगाता है और उसी सुई का प्रयोग स्वस्थ व्यक्ति के लिए करता है तो यह रोग फैलता है। मादक पदार्थों का सुई द्वारा सेवन करने से भी एड्स फैलने की संभावना बनी रहती है। एड्स फैलने का तीसरा कारण है-संक्रमित रोगी का रक्त स्वस्थ व्यक्ति को चढ़ाना। इसके फैलने का चौथा और अंतिम कारण है-एच० आई वी० संक्रमित माता द्वारा बच्चे को स्तनपान कराना।

जिस व्यक्ति को एड्स हो जाता है उसके शरीर के वजन में धीरे-धीरे कमी आने लगती है। उसके बगल, गर्दन और जाँघों की ग्रंथियों में सूजन आ जाती है। बुखार होने के साथ मुँह और जीभ पर सफेद चकत्ते पड़ जाते हैं। ये लक्षण अन्य रोग के भी हो सकते हैं, अत: इसकी पुष्टि करने के लिए एलिसा टेस्ट (Elisa Test) तथा वेस्टर्न ब्लाक (Westem Block) नामक खून की जाँच द्वारा की जाती है।

इन जाँचों द्वारा पुष्टि होने पर ही किसी व्यक्ति को एड्स का रोगी समझना चाहिए। समूचा विश्व 1 दिसंबर को प्रतिवर्ष एड्स दिवस मनाता है। एड्स का अंतर्राष्ट्रीय प्रतीक लाल फीता (रिबन) है जिसे पहनकर लोग इसके विरुद्ध अपनी वचनबद्धता दर्शाते हैं।

एड्स दिवस दुनिया के सभी देशों के बीच एकजुट होकर प्रयास करने तथा इसके खिलाफ एकजुटता विकसित करने का संदेश देता है। अब समय आ गया है कि लोगों को एड्स के बारे में भरपूर जानकारी दी जाए। एड्स के विषय में जानकारी ही इसका बचाव है। युवाओं और छात्रों को इसके विषय में अधिकाधिक जानकारी दी जानी चाहिए।

आम लोगों के बीच कुछ भ्रांतियाँ फैली हैं कि यह छुआछूत की बीमारी है, जबकि सच्चाई यह है कि एड्स साधारण संपर्क करने से, हाथ मिलाने, गले लगाने, संक्रमित व्यक्ति के साथ उठने-बैठने से नहीं फैलता है। अत: हमारा कर्तव्य बन जाता है कि संक्रमित व्यक्ति या एड्स रोगी की उपेक्षा न करें तथा उसका साथ देकर उसका मनोबल बढ़ाने का प्रयास करें। आइए, हम सब मिलकर लोगों को जागरूक बनाएँ तथा पूरी जानकारी दें, क्योंकि जानकारी ही इसका बचाव है।