Nalanda Ancient Seat of Learning Summary in English and Hindi by Dr. Rajendra Prasad

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Nalanda Ancient Seat of Learning Summary in English and Hindi by Dr. Rajendra Prasad

Nalanda Ancient Seat of Learning by Dr. Rajendra Prasad About the Author

Dr. Rajendra Prasad (1884 – 1962) was the first President of India. He was born in Ziradei, Bihar in 1884. He shared Gandhiji’s great vision – the making of a new man in society. A living embodiment of plan living and high thinking’. Dr. Prasad was a statesman, scholar, historian, educationist, lofty idealist social reformer and above all great constructive thinker. As president he had moderating influence on the political thinking of the period.

Nalanda Ancient Seat of Learning Summary in English

Remembering the ancient glory of the Nalanda University, the government of Bihar took a decision to establish the Magadh Research Institute for the study of Pali and Prakrit and research in Buddhist literature and Philosophy. In ancient days, Nalanda did glorious work not only in the field of knowledge but also in uniting various parts of Asia.

The message of Nalanda was heard across the mountains and oceans of the Asian main land. It continued to be the centre of Asian consciousness for nearly six centuries. The history of Nalanda dates back to the age of Lord Buddha and Lord Mahavira.

The history shows that Nalanda University flourished from Lord Buddha and emperor Ashoka to the Gupta Age. Fa-Hien, a Chinese pilgrim, visited Nalanda in the 4th century AD. In the 7th century AD, during the reign of Emperor Harshavardhana, Hieun T’sang visited India and found Nalanda at the height of its glory. Hieun T’sang writes that the name ‘Nalanda’ derived from Naalam-Da, the peace of mind.

Nalanda University was established with the help of public charity and donations. The 8th century inscription of Yasovarman gives full description of Vihars and Sangha in India. The teachers and students at Nalanda were made completely free from economic worries. To met the recurring expenditure of the University, there was a trust. The resources of income were the gists of land, building and also the revenue of 100 villages. This property of the trust increased to 200 villages by the time of It-Sing’s visit. Uttar Pradesh, Bihar and Bengal had taken considerable part in the going on of Nalanda University.

Nalanda played a vital role in the field of international relation also. Being impressed by the achievement of Nalanda, the emperor of Java had a large Vihar constructed here to give visible expression of his devotion to Lord Buddha. Thus, Nalanda enjoyed its glory all over the world.

Nalanda had 10,000 students and 1,500 teachers at the time of Hieun T’sang’s visit. Infact, Nalanda was then an only centre of higher education. Scholoars from distant countries as China, Korea, Tibet, Turkistan and Manglia visited Nalanda to study and collect Buddhist literature. It had the biggest library in Asia. Scholars from distant countries here studied the copies of many manuscripts and translated them into their own languages. In the 12th century, the library was destroyed and many of the manuscripts had already found their way to other countries and are still there.

At least 100 lectures were delivered everyday at nalanda. Both Brahmanical and Buddhist literature, philosophy, science and art were the subjects of the syllabus. Vedas and allied literature were also taught and read there.

In the Syllabus of Nalanda University, grammar, logic, medical science and handicrafts were compulsory while the study of philosophy and religion was on one’s own special interest. The knowledge of grammar enabled students to get mastery of the language. Logic taught them to judge every issue rationally. Medical science enabled them to keep themselves in perfect health. Handicraft was compulsory to make them financially independent. Hieun T’sang studied law, yoga, phonetics and panini’s grammar at the feet of Acharya Sheelbhadra, the chancellor of the University.

Besides studies in literature and religion, Nalanda was also the centre of fine arts. It is true that the achievement of Nalanda was all-round in which religion, philosophy, language and handicrafts had equal importance.

We should aim at reviving the educational system of the past and re-establish Nalanda as a centre of art, literature, philosophy, religion and science.

Nalanda Ancient Seat of Learning Summary in Hindi

1. We have gathered……………………………and philosophy.
अनुवाद : हम नालन्दा के इस प्राचीन, प्रसिद्ध विश्वविद्यालय नगर में ज्ञान के संसार में नालन्दा की कीर्ति को पुनर्जीवित करने के श्रेष्ठ उद्देश्य से एकत्रित हुए हैं। इस उद्देश्य को ध्यान में रखकर इस राज्य की सरकार ने पाली और प्राकृत के अध्ययन व बौद्ध साहित्य व दर्शन के अनुसन्धान के लिए मगध अनुसंधान संस्थान स्थापित करने का निश्चय किया है।

2. Nalanda is the symbol…………………………….a temple around it.
अनुवाद : नालन्दा हमारे इतिहास का भव्य प्रतीक है, न केवल इसलिए कि यहाँ पर ज्ञान की जिज्ञासा अपने श्रेष्ठ रूप में विकसित हुई थी बल्कि इसलिए भी कि उस समय इसने एशिया के विभिन्न भागों को ज्ञान की कड़ियों से जोड़ रखा था । ज्ञान के क्षेत्र में कोई राष्ट्रीय या प्रजातीय भेदभाव नहीं होते और यह बात नालन्दा के बारे में सत्य थी।
नालन्दा का संदेश एशिया की मुख्य भूमि के पर्वतों व सागरों के पार सुना गया था, और लगभग छः शताब्दियों तक यह एशिया की चेतना का केन्द्र बना रहा था। नालन्दा का इतिहास बुद्ध और महावीर स्वामी के युग से आरम्भ होता है। जैन लेखों के अनुसार, महावीर स्वामी की आचार्य मन्खिला से भेंट नालन्दा में हुई थी। कहते हैं कि महावीर स्वामी चौदह वर्ष यहाँ रहे थे। सूत्र-कृतंग के अनुसार, नालन्दा के एक धनी व्यक्ति लेपा ने अपनी समस्त धन-सम्पत्ति के साथ बुद्ध का स्वागत किया था और उनका शिष्य बन गया था । तिब्बत के विद्वान इतिहासकार, लामा तारानाथ के अनुसार नालन्दा सरिपुत्र का जन्मस्थान है, जिसकी समाधि अशोक के राज्यकाल तक विद्यमान थी, जिसका अशोक ने उसके चारों ओर मन्दिर बनवाकर विस्तार किया था।

3. Though tradition…………………………… hisprevious births.
अनुवाद : यद्यपि परम्परा के अनुसार नालन्दा को बुद्ध व सम्राट अशोक से सम्बन्धित किया जाता है, फिर भी यह गुप्त काल में फलता-फूलता विश्वविद्यालय उभरकर सामने आया था। तारानाथ का कथन है कि भिक्षु नागार्जुन और आर्यदेव नालन्दा से संबंधित थे और आगे वह कहता है कि दिग्नाथ नालन्दा गया था और उसने शास्त्रीय विचार-विमर्श किया था। चौथी शताब्दी में एक चीनी यात्री फाहियान नालन्दा गया था, और उसने उस स्थान पर स्तूप का निर्माण होते देखा था जहाँ सरिपुत्र ने जन्म लिया था और मरा था। परन्तु नालन्दा ने उत्कृष्ट स्थान उसके काफी समय पश्चात् प्राप्त किया था। सातवीं शताब्दी में, सम्राट हर्षवर्धन के राजकाल में हियूनत्सांग भारत आया था, उस समय नालन्दा अपने वैभव के शिखर पर था। एक जातक कथा का उल्लेख करते हुए हियूनत्सांग लिखता है कि इसका नाम नालमदा, अर्थात् मन की शांति से निकला था, जो कि बुद्ध अपने पिछले जन्मों में प्राप्त करने में असफल रहे थे।

4. Nalanda University ……………………………Nalanda University.
अनुवाद : नालन्दा विश्वविद्यालय का जन्म जनता के उदार दान व चन्दे से हुआ था । ऐसा विश्वास किया जाता है कि मूलतः इसकी स्थापना 500 व्यापारियों द्वारा बनाई स्थायी निधि द्वारा की गई थी जिन्होंने अपने धन से भूमि मोल लेकर बुद्ध को भेंट कर दी थी। हियूनत्सांग की यात्रा के समय तक नालन्दा पूर्ण विकसित विश्वविद्यालय बन चुका था और उस समय इसमें छः विहार थे। आठवीं शताब्दी के यशोवर्मा के शिलालेख में नालन्दा का प्रभावशाली वर्णन है । एक पंक्ति में विहारों के ऊंचे शिखर आकाश जितने ऊँचे प्रतीत होते थे, और उनके चारों ओर स्वच्छ जल के ताल थे जिनमें लाल व पीले कमल तैर रहे थे, और बीच-बीच में आम के कुंज छितराए हुए थे। बड़े कमरे (हॉल) जिनमें सुन्दर सज्जा व मूर्तियाँ हैं, उनकी भवन-निर्माण कला व मूर्तिकला को देखकर अचम्भा होता है। यद्यपि भारत में कई संघराम हैं, परन्तु नालन्दा का तो अद्वितीय है। चीनी यात्री इत-सिंग की यात्रा के समय वहाँ 300 बड़े-बड़े कमरे और आठ हॉल थे। पुरातत्त्वीय खुदाई से खोजे गए अवशेष इस कथन की पुष्टि करते हैं।
नालन्दा के आचार्य व शिष्य पूर्णतः धन-सम्बन्धी चिन्ताओं से मुक्त कर दिए गए थे। धरती व भवनों के उपहार के अतिरिक्त, 100 गाँवों के कर (लगान) को एक न्यास के रूप में अलग से बना दिया गया था जिससे निरन्तर खर्च को पूरा किया जा सके । न्यास की यह सम्पत्ति इत-सिंग की यात्रा के समय बढ़कर 200 गाँव हो गई थी। उत्तर प्रदेश, बिहार व बंगाल के तीन राज्यों ने नालन्दा विश्वविद्यालय के निर्माण व उसके वित्तीय रख-रखाव में काफी बड़ा भाग लिया था।

5. Copper plates and……………………………found at Nalanda.
अनुवाद : पुरातत्त्वीय खुदाई में उस समय के बंगाल के महाराजा धर्मपाल देव और देवपाल देव के ताम्रपत्र व बुत नालन्दा में प्राप्त हुए हैं। इन ताम्रपत्रों में से एक नालन्दा द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध बनाए रखने पर प्रकाश डालता है। इससे हमें पता चलता है कि स्वर्णद्वीप (जो अब इन्डोनेशिया का भाग है) के शैलेन्द्र सम्राट श्री बालपुत्र देव ने मगध के शासक के पास एक दूत इस प्रार्थना के साथ भेजा कि वह उसकी ओर से पाँच गाँव नालन्दा को भेंट कर दें। उसके ताम्रपत्र के लेख के अनुसार जावा के सम्राट बलपुत्र ने नालन्दा की उपलब्धियों से प्रभावित होकर, बुद्ध के प्रति अपनी निष्ठा को प्रत्यक्ष रूप से व्यक्त करने के लिए, वहाँ एक बड़े विहार का निर्माण कराया । यह केवल एक उदाहरण है जो मात्र संयोगवश बच गया और यह हमारे समक्ष नालन्दा के उस वैभव का जो उसे संसार भर में प्राप्त था, अमिट छाप प्रस्तुत करता है। निस्संदेह नालन्दा महाविहारिय आर्य भिक्षु संघ एशिया भर में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था.। इस संघ की कई मिट्टी की मोहरें नालन्दा में पाई गई हैं।

6. At the time of……………………………are still there.
अनुवाद : हियूनत्सांग के आगमन के समय नालन्दा में 10,000 शिक्षार्थी और 1,500 आचार्य थे। इससे यह सुस्पष्ट है कि आचार्य अपने विद्यार्थियों की शिक्षा व प्रशिक्षण में व्यक्तिगत रूप से ध्यान दे सकते थे। वास्तव में उस समय नालन्दा उच्चतर शिक्षा का ऐसा ही केन्द्र था जैसा कि अब हम स्नातकोत्तर अनुसंधान संस्थान बनाने का प्रस्ताव कर रहे हैं। चीन, कोरिया, तिब्बत, तुर्किस्तान और मंगोलिया जैसे सुदूर देशों से विद्वान बौद्ध साहित्य का अध्ययन व संग्रह करने के लिए नालन्दा आते थे। वहाँ एशिया का सबसे बड़ा पुस्तकालय था। नालन्दा ही से अनेक हस्तलिपियाँ यात्रियों के द्वारा चीन पहुँची और वहाँ उनका चीनी भाषा में अनुवाद हुआ। एक प्रकार से, नालन्दा उच्चतर शिक्षा के ऐसे केन्द्र के रूप में विकसित हो गया था कि नालन्दा से सम्बन्धित होना सम्मान की बात थी । नागरिकों ने कई दुर्लभ पुस्तकों की नकल कराकर और उन्हें अभिरक्षा में रखकर उनका सुरक्षित रहना सुनिश्चित किया था। जब बारहवीं शताब्दी में इसके पुस्तकालय को नष्ट कर दिया गया, कई हस्तलिपियाँ नेपाल व तिब्बत पहुँच चुकी थीं, और यह हस्तलिपियाँ आज भी वहाँ हैं।

7. Without any ……………………….. prejudice whatsoever.
अनुवाद : किसी धर्म विशेष का नाम लिए, नालन्दा में 100 प्रवचन प्रतिदिन होते थे। ब्राह्मण व बौद्ध साहित्य, दर्शन, विज्ञान और कला नालन्दा विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम के भाग थे। बहुधा भिक्षु महायान व बुद्ध धर्म के 18 निकायों का अध्ययन करते थे परन्तु वेदों व उनसे सम्बद्ध साहित्य के अध्ययन व शिक्षा की भी व्यवस्था थी। नालन्दा के शैक्षणिक अधिकारियों का उदारवाद निराला था, और नालन्दा की उन्नति के बीज शैक्षणिक दृष्टिकोण में निहित थे जो कि बिना किसी भेदभाव के मानवजाति के सभी धर्मों व दर्शनों के लिए खुला था।

8. The syllabus of …………………………… Therawada at Nalanda.
अनुवाद : नालन्दा विश्वविद्यालय का पाठ्यक्रम बड़ी बुद्धिमत्ता से बनाया गया था, और उसका अनुसरण करके विद्यार्थी अपने दैनिक जीवन में अधिकतम सफल होते थे। इसमें पाँच विषयों का अध्ययन अनिवार्य था-व्याकरण, जिससे भाषा पर काफी महारत प्राप्त होती थी; तर्कशास्त्र, जो विद्यार्थियों को हर विषय को विवेक द्वारा समझना सिखाता था; वैद्यशास्त्र, जिससे विद्यार्थी स्वयं को व अन्य लोगों को पूर्णतः स्वस्थ रखने में सहायक सिद्ध होता था और अन्ततः हस्तकला । किसी-न-किसी हस्तकला का ज्ञान अनिवार्य था, जिससे विद्यार्थी धन के सम्बन्ध में स्वावलम्बी बन सकते थे। इन चार विषयों के अतिरिक्त धर्म व दर्शन का अध्ययन किया जाता . था जो कि किसी की अपने विशेष रुचि पर निर्भर करता था। नालन्दा ने पाठ्यक्रम के बारे में जो उच्च आदर्श रखा था, वह हमारे विचार करने योग्य है। इस भली-भाँति समन्वित पाठ्यक्रम से विद्यार्थियों का ज्ञान गहन व व्यवहार में उपयोगी बन जाता था। हियूनत्सांग ने विधि, योग, उच्चारण व पाणिनी के व्याकरण का अध्ययन विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य शीलभद्र के चरणों में बैठकर प्राप्त किया और इसके पश्चात् पाँच वर्ष बौद्ध लेखों का अध्ययन किया, व विशेष रूप से उसकी रुचि महायान में थी। इसी प्रकार चीनी यात्री इत-सिंग ने नालन्दा में थेरवाद की पुस्तकों का अध्ययन किया

9. The scholars of…………………………… be extant in Korea.
अनुवाद : नालन्दा के विद्वान ज्ञान की मशाल विदेशों में ले गए । उदाहरण के लिए, तिब्बत के सम्राट स्ट्रांग चन गम्पो ने अपने देश में संस्कृत लिपि व भारत के ज्ञान को प्रचलित करने व लोकप्रिय बनाने के विचार से थोनिम सम्भोत नाम के एक विद्वान को नालन्दा भेजा था, जहाँ उसने आचार्य देवविद सिंह के अधीन बौद्ध व ब्राह्मण साहित्य का अध्ययन किया था। इसके पश्चात् आठवीं शताब्दी में सम्राट के निमन्त्रण पर नालन्दा विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य शान्ति रक्षित तिब्बत गए थे। तन्त्रविद्या के प्रमुख विशेषज्ञ आचार्य कमल शील भी तिब्बत गए थे। नालन्दा के विद्वानों ने तिब्बती भाषा सीखी थी और बौद्ध व संस्कृत लेखों का उसमें अनुवाद किया था। इस प्रकार उन्होंने तिब्बत को बिल्कुल नया साहित्य दिया और धीरे-धीरे वहाँ के निवासियों को बौद्ध धर्म में परिवर्तित कर लिया। नालन्दा के आचार्य शान्ति रक्षित ने 749 ई० में पहला बौद्ध विहार स्थापित किया था। यह आवश्यक हो गया कि तिब्बत के त्रिपिताकर साहित्य में जो पुस्तकें उपलब्ध हैं उनका फिर से संस्कृत में अनुवाद कराया जाए। वे न केवल भारतीय इतिहास और संस्कृत पर प्रकाश डालेंगी, बल्कि नालन्दा विश्वविद्यालय ने ज्ञान की खोज में जो योगदान दिया है, उसका पूरा चित्र प्राप्त करने में भी सहायता करेंगी। इसके अतिरिक्त यह माना जाता है कि कोरिया के विद्वान भी विनय और अभिधर्म का अध्ययन करने नालन्दा आए थे। यह सम्भव है कि मूल संस्कृत लेखों का कोरियन में अनुवाद अब भी वहाँ विद्यमान हो ।

10. Besides being…………………………… had equal importance.
अनुवाद : साहित्य व धर्म के अध्ययन में प्रसिद्ध होने के अतिरिक्त, नालन्दा ललित कलाओं का भी केन्द्र था और इसने नेपाल, तिब्बत, इंडोनेशिया और मध्य एशिया की कला को प्रभावित किया था । नालन्दा की काँसे की मूर्तियाँ प्रभावकारी व सुन्दर हैं और विद्वान मानते हैं कि कुर्किहार में मिली बुद्ध की मूर्तियों पर नालन्दा स्कूल के चिह्न हैं । यह सत्य हैं कि नालन्दा की उपलब्धियाँ ज्ञान के सभी अंगों की खोज के कारण पैदा हुईं जिनमें धर्म और दर्शन, भाषा व हस्तकला का समान महत्त्व था।

11. We should aim…………………………… we wish it to be.
अनुवाद : हमारा उद्देश्य अतीत काल की शैक्षणिक प्रणाली को पुनर्जीवित करने का और नालन्दा को कला, साहित्य, दर्शन, धर्म और विज्ञान का केन्द्र बनने का होना चाहिए। सांस्कृतिक नवचेतना किसी राष्ट्र में तभी आ सकती है जब बड़ी संख्या में दृढ़संकल्प विद्वान जीवन-भर सत्य की खोज में लगे रहें । यद्यपि मगध अनुसंधान अभी बच्चा ही है, परन्तु बड़ी आयु को आवश्यकता के अनुसार ढाला गया है । इसलिए आशा की जा सकती है कि यह ऐसा केन्द्र के रूप में विकसित होगा जैसा हम इच्छा करते हैं।

Word-Meanings
renowned (adj)-famous = प्रसिद्ध | symbol (n)-emblem = प्रतीक । quest (n) – search = खोज, जिज्ञासा । blossom (v)- (here) developed = विकसित होना । racial (np)-of arace= प्रजातीय | realm (n)- sphere, field = क्षेत्र | consciousness (n) – experience = चेतना । pilgrim (a) – traveller = यात्री। telling (adj) – impressive=प्रभावशाली | remains-relics = अवशेष | archaeological excavations ~digging ancient sites = पुरातत्त्वीय खुदाई। envoy (n)- ambassador = राजदूत । devotion (n)- dedication = निष्ठा । indelible (adj)- impossible to remove = अमिट | preservation (n)-conservation = सुरक्षा । bygone era (n)- past age = बीता हुआ युग।