सत्रिया और बिहू नृत्य Class 6 Saransh in Hindi
Satriya Aur Bihu Nritya Class 6 Summary
सत्रिया और बिहू नृत्य पाठ का सारांश
लंदन का एक परिवार है। इसमें एंजीला नामक लड़की है. जो लंदन के जाने-माने इलाके केंजिंगन में रहती थी। उसका स्कूल भी घर के पास था। उसे अपने दोस्त जेम्स और कीरा के साथ समय बिताना पसंद था। वे मिलकर कई का काल्पनिक खेल खेला करते थे। उन्हें उन कहानियों से प्यार था, जिनमें ताजमहल, एफिल टॉवर या कोलोजियम की यात्रा पर जाना हो।
एंजेला की माँ ऐलेसेंड्रा डॉक्यूमेंट्री फिल्में बनाती थीं। उन्हें लंदन की ब्रिटिश अकादमी से असम की नृत्य-परंपरा पर एक डॉक्यूमेंट्री बनाने के लिए वित्तिय मदद मिली थी। इस काम को पूरा करने के लिए उनके पास केवल एक मास का समय था। वे अपनी पुत्री एंजेला और पति ब्रायन के साथ असम की यात्रा पर आई थी। यह यात्रा जल्दबाजी में बनाई गई थी, ताकि समय पर काम पूरा हो सके।
यह परिवा लंदन से नई दिल्ली होते हुए गुवाहाटी की उड़ान पर था। इसी दौरान माँ ने बेटी एंजेला को असम की खूबसूरती के बारे में कुछ बातें बताई थीं। असम भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में है। यह क्षेत्र अपने वन्य-जीवन, रेशम और चाय के बागानों के लिए जाना जाता है। असम में नृत्य परंपरा भी बहुत समृद्ध है। डॉक्यूमेंट्र में भी असम के जन-जीवन में कृत्य के महत्व्व को दर्शाना था। उन दिनों अप्रैल का महीना चल रहा था। असम में यह वक्म नए साल का होता है। इन दिनों असमवासी वसंत आने की खुशी में एक विशेष त्योहार मानते हैं-‘बिहू’। एंजेला उसी रात इसे देखने वाली थी।
गुवाहाटी पहुँचकर होटल में ठहरने के पश्चात् ये लोग शाम के समय एक गाँव मलंग में गए। माँ ने एंजेला को बताया कि बिहू. एक कृषि आधारित त्योहार है। भारत का एक बड़ा भाग किसानों का है। असम में बिहू साल में तीन बार मनाया जाता है-पहला किसान बीज बोते हुए. दूसरा धान-रोपते समय, तीसरा खेतों में अनाज तैयार होने पर।
एंजेला यह देखकर हतप्रभ थी एक बड़े बरगद के पेड़ के नीचे मंच बनाया गया था। वहाँ भागी भीड़ थी। एंजेला को ऐसा लगा जैसे वह टाइम-मशीन में आकर बैठ गई हो। वह तो मंत्रमुभ्ध होकर लड़के-लड़कियों को वसंत ऋहु के आगमन पर नृत्य करते देख रही थी। लड़कों ने वाद्य यंत्र ले रखे थे और लड़कियों ने लाल तथा बादामी रंग की खूबसूरत पोशाक पहन रखी थी। वे सभी मौज-मस्ती के नृत्य में खोए हुए थे।
एंजेला के परिवार ने नृत्य के अलावा लजीज पकवानों का भी पूरा आनंद लिया। असम में इस उत्सल्व और भृत्य दोनों को ‘बिहू’ कहा जाता है। असम की बिहू नृत्य ग्रामीण जनजीवन के साथ-साथ फसल लगाने से लेकर वसंत वें आगमन तक से जुड़ा हुआ है।
एंजेला की माँ तो अपनी डॉक्यूमेंट्री के लिए तथ्य जुटाने और इंटव्यू लेने में व्यस्त रहीं। यहाँ की जीवन लंदन के जीवन से बहुत अलग था। अगले दिन वे उत्तरी असम की आंर गए।
उत्तरी असम में ‘सत्रो’ अर्थात् मठों की पीठ है। यहाँ वें एक सत्र के पास रहकर सत्रिया नृत्य का फिल्मांकन करने वाले थे। जब वे ‘दक्षिणा पथ सत्र’ पहुँचे तब उनकी भेंट असम की जानी-मानी लेखिका रीना सेन से हुई। उन्हें रीना सेन के घर एक हफ्ते तक रुकना था रीना की एक बिटिया थी-अनु। यहीं अनु और एंजेला की दोस्तो हो गई। अनु ने एंजेला की कुछ असमिया शब्द भी सिखाए। वहीं एंजेला ने कुछ विशेष प्रकार के खिलौने भी देखे।
एंजेला और अनु ने देखा कि एलेसेंड्रा ने वैष्णव मठ के सभागार में नृत्य कर रहे युचा साधुओं को फिल्मांकन किया। माँ ने एंजेला को बताया कि बीसर्वीं शताब्दी के मध्य में कुछ साधु महों से वाहग आए और स्त्री-पुरुपों को सत्रिया नृत्य सिखाने लगे। पहले तो ऐसे साधुओं को मठों से निकाल दिया गया, लेकिन बाद में महिला सत्रिया कलाकारों के लिए मंच पर नृत्य करना आम बात हो गई। एंजेला की माँ सत्रिया नृत्यांगनाओं का फिल्मांकन करने वाली थी। एंजेला बहुत उत्साहित थी। अनु और एंजेला मत्रिया दृत्य देखन गए। इस नृत्य में भगवान् विष्णु के दो द्वारपालों-जय और विजय की कहानी थी।
परदा डठने पर एंजेला ने देखा कि सफेद पगड़ीनुमा टेपी में दो महिलाएँ नृत्य और अभिनय कर रही हैं। जय-विजय ने कई ने कई बड़े ॠषियों को भगवान् विष्णु से मिलने नहीं दिया, क्योंकि उस समय भगवान् सो रहे थे। इस पर ऋषि नाराज़ हो, गए और द्वारपालों को असुर बनने का श्राप दे दिया। भगवान् ने उन्हें द्वारपालों को श्राप से बचाया। महिला कलाकारों की नृत्य प्रस्तुति पुरुषों से बेहतर थी। अनु और एंजेला ने भी तलवार चलाते हुए नृत्य किया। नृत्य कलाकारों के नाम प्रिया और रीता थे। वे लड़कियों को सत्रिया और विहू की कुछ खूबसूरत मुद्राएँ व बारीकियाँ सिखा रही थीं।
लंदन लौट के बाद उन सभी रिकार्डिग्स को देखती रहीं जो उनकी माँ ने की थीं। माँ-बाप ने मिलकर एंजेला के लिए असमी नृत्य पर एक योजना तैयार की। एंजेला ने अपनी कक्षा में नृत्य की वीडियो रिकार्डिग का प्रदर्शन किया। सभी को यह बहुत पसंद आया।
सत्रिया और बिहू नृत्य लेखक परिचय
लेखिका जया मेहता का जन्म 1977 ई० में हुआ। जया मेहता एक कुशल नृत्यांगना हैं। इसके साथ-साथ वे लेखिका और शिक्षिका भी हैं। वे बच्चों की मित्र भी हैं। वे भारतीय नृत्यों के बारे में बहुत कुछ जानती हैं। इन तृत्यों की बारीकियों को अपने लेखों में सहजता से पिरो लेती है। उन्होंने ‘नृत्यशास्त्र’ नामक पुस्तक भी लिखी है। प्रस्तुत पाठ उसी से लिया गया है। जया मेहता स्वयं भी ओड़िसी नृत्य की पारगंत नर्तकी हैं। वे कई वर्षों से देश-विदेश में नृत्य की प्रस्तुतियाँ दे रही है।
शब्दार्थ :
- जाना-माना = प्रसिद्ध (famous)।
- काल्पनिक = कल्पना का (imagining)।
- निर्माता = बनाने वाली (producer)।
- वित्तीय – धन संबंधी (financial)।
- वक्त = समय (time)।
- वसंत = बसंत (spring season)।
- हैरान = आश्चर्यचकित (surprise)।
- नृत्य = नाच (dance)।
- कृषि = खेती (agriculture)।
- उत्सव = त्योहार (festival)।
- मंत्रमुग्ध = मोहित होकर (fascinated)।
- लज़ीज – स्वादिष्ट (tasty)।
- व्यक्त = प्रकट (express)।
- ग्रामीण = गाँव का (rural)।
- तथ्य = आँकड़े (facts)।
- शक्तिशाली = ताकतवर (brave)।
- युद्ध = लड़ाई (war)।
- नृत्यांगना = नर्तकी (dancer)।
- फिल्मांकन = फिल्म में अंकित करना (picturisation)।
- स्वीकृति = मंजूरी (acceptance)।
- अभिनय = नाटक (acting)।
- श्राप = शाप (curse)।
- अद्भुत = अनोखा (strange) ।
- साक्षात्कार = इंटरव्यू (interview)।
- मुद्राएँ = भाव-भंगिमाएँ (posture)।
- अत्यधिक = बहुत अधिक (too much)!
- आनंदित = मस्त (intoxicated)।