Class 6 Hindi Malhar Chapter 3 Pehli Boond Question Answer पहली बूँद
पहली बूँद Question Answer Class 6
कक्षा 6 हिंदी पाठ 3 पहली बूँद पाठ के प्रश्न उत्तर – Gol Class 6 Question Answer
पाठ से
मेरी समझ से
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (*) बनाइए
(i) कविता में नव-जीवन की ले अँगड़ाई’ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
- बादल
- पूँक्सस
- अंकुर(*)
(ii) “नीले नयनों-सा यह अंबर, काली पुतली-से ये जलधर” में काली पुतली’ है
- बारिश की बूँदें
- वृद्ध धरती
- नगाड़ा
- बादल (*)
(ख) अब आप अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने उत्तर क्यों चुने?
उत्तर :
‘नव-जीवन की ले अँगड़ाई’ के लिए ‘अंकुर’ का चयन सही है, क्योंकि कविता के अनुसार जब वर्षा की पहुली बूँद 4 ज. पर गिरती है और धरती में छिपे बीज में से अंकुर फूटने लगते हैं, मानों वह बीज नव-जीवन पाकर अँगड़ाई लेकर जाग रहा है।
‘काली पुतली’ के लिए ‘बादल’ का चयन सही है, क्योंकि कविता में “नीले नयनों-सा यह अंबर, काली पुतली-से ये जलधर” पंक्तियों में कवि ने नीले आकाश को नीली आँखों के रूप में और काले बादलों को उन आँखों की काली पुतली के रूप में चित्रित किया है।
‘काली पुतली’ के माध्यम से बादलों का वर्णन किया गया है, जो आकाश में स्थित हैं और आँखों के भीतर पुतली की तरह प्रतीत होते हैं।
मिलकर करें मिलान
कविता की कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन पंक्तियों में कुछ शब्द रेखांकित हैं। दाहिनी ओर रेखांकित शब्दों के भावार्थ दिए गए हैं। इनका मिलान कीजिए।
उत्तर:
कविता की पंक्तियाँ | भावार्थ |
1. आसमान में उड्ता सागर, लगा बिजलियों के स्वर्णिम पर | (ii) बादल |
2. बजा नगाड़े जगा रहे हैं, बादल धरती की तरुणाई | (i) मेघ गर्जना |
3. नीले नयनों-सा यह अंबर, काली पुतली-से ये जलधर। | (iv) आकाश |
4. वसुंधरा की रोमावलि-सी, हरी दूब पुलकी-मुस्काई। | (iii) हरी दूब |
पंक्तियों पर चर्चा
कविता में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार कक्षा में अपने समूह में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए
“आसमान में उड़ता सागर नगा बिजलियों के स्वर्णिम पर, बजा नगाड़े जगा रहे हैं, बादल धरती की तरुणाई।”
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने कहा है कि आसमान में समुद्र के रूप में बादल जल बिर्जलियों के सुनहरे पंख लगाकर उड़ रहा है और बादल नगाड़े बजाते हुए ऐसे प्रतीत हो रहे हैं, जैसे वह धरती की तरुणाई अर्थात् जवानी को जगाने का प्रयास कर रहे हैं।
“नीले नयनों-सा यह अंबर, काली पुतली-से ये जलधर। करुणा-विगलित अश्रु बहाकर, धरती की चिर-प्यास बुझाई।”
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने नीले आकाश को नीली आँखों के समान बताया है, जबकि काले बादल उन आँखों की काली पुतली की तरह हैं। कवि कहते हैं कि ये बादल जो धरती के दु:खों से दुःखी हैं, करुणा से भरे हुए हैं और बूँदों के रूप में अपने आँसू बहा रहे हैं। इन अश्रुओं के माध्यम से धरती की चिरकालिक प्यास बुझ गई है।
सोच-विचार के लिए
कविता को एक बार फिर से पढ़िए और निम्नलिखित के बारे में पता लगाकर पुस्तिका में लिखिए
बारिश की पहली बूँद से धरती का हर्ष कैसे प्रकट होता है?
उत्तर :
बारिश की पहली बूँद के धरती पर गिरते ही, धरती में जीवन का संचार हो जाता है। सूखी और बंजर पड़ी धरती, जो पहले बेजान-सी थी, बारिश की अमृत समान बूँदों का स्पर्श पाकर फिर से जीवित हो उठती है। कविता में अंकुर का फूटना, हरी दूब का मुस्कुराना और धरती के सूखे होठों पर अमृत-सी बूँद गिरना, इन सभी के माध्यम से धरती के हर्ष को प्रकट किया गया है। यह हर्ष धरती के नव-जीवन की प्राप्ति और उसके पुन: हरी-भरी होने की इच्छा के रूप में प्रकट होता है।
कविता में आकाश और बादलों को किनके समान बताया गया है?
उत्तर :
कविता में आकाश को ‘नीले-नयनो’ अर्थात् नीली आँखों के समान बताया गया है, जर्बकि बादलों को उन आँखों की ‘काली पुतली’ के रूप में चित्रित किया गया है। कवि ने प्रकृति के इन तत्त्वों का मानवीकरण करके, उनकी सुंदरता और गहराई को दर्शाने का प्रयास किया है।
कविता की रचना
“आसमान में उड़ता सागर, लगा बिजलियों के स्वर्णिम पर” कविता की इस पंक्ति का सामान्य अर्थ देखें तो समुद्र का आकाश में उड़ना असंभव होता है, लेकिन जब हम इस पंक्ति का भावार्थ समझते हैं, तो अर्थ इस प्रकार निकलता है- समुद्र का जल बिजलियों के सुनहरे पंख लगाकर आकाश में उड़ रहा है। ऐसे प्रयोग न केवल कविता की सुंदरता बढ़ाते है, बल्कि उसे आनंददायक भी बनाते हैं। इस कविता में ऐसे दृश्यों को पहचानें और उन पर चर्चा करें।
उत्तर :
इस कविता में कई ऐसे अद्धुत और कल्पनाशील दृश्यों का वर्णन किया गया है, जो कविता की सुंदरता को बढ़ाते हैं और पाठकों के मन में एक गहरा प्रभाव छोड़ते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख दृश्य दिए गए हैं
“आसमान में उड़ता सागर, लगा बिजलियों के स्वर्णिम पर” यहाँ बादलों को उड़ते हुए समुद्र के रूप में दिखाया गया है और बिजली को ‘सुनहरे पंख’ के रूप में। यह दृश्य कल्पना को नया आयाम देता है और एक साधारण बादल बिजली के दृश्य को असाधारण बनाता है।
“धरती के सूखे अधरों पर, गिरी बूँद अमृत-सी आकर” इस पंक्ति में कवि ने धरती के सूखे होंठों का मानवीकरण किया है, और वर्षा की पहली बूँद को अमृत के समान बताया है। यह दृश्य धरती के हर्ष और उसकी प्यास को अद्भुत रूप से व्यक्त करता है।
“वसुंधरा की रोमावलि-सी, हरी दूब्णुुलकी-मुसकाई.” यहाँ धरती की हरियाली को रोमावलि (शरीर के रोमकूपों) के रूप में दर्शाया गया है और हरी दूब को मुस्कुराते हुए दिखाया गया है। यह दृश्य प्रकृति के सौदर्य और जीवन के पुन: संचार का प्रतीक है।
“नीले नयनों-सा यह अंबर, काली पुतली-से ये जलधरा” इस पंक्ति में आकाश को नीली आँखों के रूप में और बादलों को काली पुतली के रूप में वर्णित किया गया है। यहाँ आकाश और बादलों के बीच के रंगों के संबंध को बहुत ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
शब्द एक अर्थ अनेक
‘अंकुर फूट पड़ा धरती से, नव-जीवन की ले अँगड़ाई’ कविता की इस पंक्ति में ‘फूटने’ का अर्थ पौथे का अंकुरण है। ‘फूट’ का प्रयोग अलग-अलग अर्थों में किया जाता है; जैसे-फूट डालना, घड़ा फूटना आदि। अब फूट शब्द का प्रयोग ऐसे वाक्यों में कीजिए, जहाँ इसके भिन्न-भिन्न अर्थ निकलते हों; जैसे-अंग्रेजों की नीति थी फूट डालो और राज करो।
उत्तर :
यहाँ ‘फूट’ शब्द का विभिन्न अर्थों में प्रयोग निम्नलिखित है
- फूट डालना अंग्रेजों की नीति थी फूट डालो और राज करो।
- अंकुर फूटना बगीचे में नए पौधों के अंकुर फूटने लगे हैं।
- घड़ा फूटना घड़ा फूट गया और सारा पानी बह गया।
- फूट-फूटकर रोना अपनी माँ को याद करते ही वह फूट-फूटकर रोने लगी।
- फूट पड़ना (भावनाओं का विस्फोट) उसके अंदर का गुस्सा अचानक फूट पड़ा।
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द
‘नीले नयनों-सा यह अंबर, काली पुतली-से ये जलधर’ कविता की इस पंक्ति में जलधर’ शब्द आया है। ‘जलधर’ दो शब्दों से बना है, जल और धर। इस प्रकार जलधर का शाब्दिक अर्थ हुआ जल को धारण करने वाला। बादल और समुद्र; दोनों ही जल धारण करते हैं। इसलिए दोनों जलधर हैं। वाक्य के संदर्भ या प्रयोग से हम जान सकेंगे कि जलधर का अर्थ समुद्र है या बादल। शब्दकोश या इंटरनेट की सहायता से ‘धर’ से मिलकर बने कुछ शब्द और उनके अर्थ ढूँढकर लिखिए।
उत्तर :
यहाँ ‘धर’ से मिलकर बने कुछ शब्द और उनके अर्थ निम्नलिखित है
- जलधर जल को धारण करने वाला अर्थात् बादल।
- हलधर हल को धारण करने वाला अर्थात् बलराम।
- मणिधर मणि (रत्न) को धारण करने वाला अर्थात् नाग।
- श्भीधर लक्ष्मी को धारण करने वाला अर्थात् विष्णु।
- गिरिधर पर्वत (गोवर्धन) को धारण करने वाला अर्थात् कृष्ण।
- चक्रधर चक्र को धारण करने वाला अर्थांत् कृष्ण।
शब्द पहेली
दिए गए शब्द-जाल में प्रश्नों के उत्तर खोजें
उत्तर :
(क) नगाड़ा
(ख) नयन
(ग) जलधर
(घ) दूब
(ङ) अश्रु
(च) अंबर
पाठ से आगे
आपकी बात
बारिश को लेकर प्रत्येक व्यक्ति का अनुभव भिन्न होता है। बारिश आने पर आपको कैसा लगता है? बताइए।
उत्तर :
जब बारिश आती है, तो मुझे बहुत अच्छा लगता है। बारिश की बूँदें जब धरती पर गिरती है, तो उसकी सोंधी मिट्टी की खुशबू मन को बहुत भाती है। बारिश की रिमझिम आवाज़ एक शांत वातावरण निर्मित कर देती है और उसकी आवाज सुनकर मन खुश हो जाता है। मुझे बारिश में भीगना और पानी में कागज़ की नाव चलाना बहुत पसंद है। स्कूल से घर लौटते समय जब अचानक बारिश होती है, तो दोस्तों के साथ भीगते हुए रास्ते में दौड़ना बहुत पसंद है, इसीलिए बारिश का मौसम मुझे बहुत आनंदित करता है और मेरे मन को तरोताजा कर देता है।
आपको कौन-सी ॠतु सबसे अधिक प्रिय है और क्यों? बताइए।
उत्तर :
मुझे वर्षा ऋतु सबसे अधिक प्रिय है, क्योंकि वर्षा ऋतु में मौसम बहुत ही खुशनुमा और ताजगी से भरा होता है, जब गर्मी से सभी लोग थक जाते हैं, तब बारिश की ठंडी-ठंडी बूँदें हमें राहत प्रदान करती हैं और हमे एक नई ऊर्जा का एहसास कराती हैं। इस मौसम में पक्षियों का कलरव सुनाई देता है, चारों ओर हरियाली छा जाती है और पेड-पौथे फिर से हरे-भरे हो जाते है, जिससे ग्रकृति की सुंदरता और भी निखर जाती है।
मुझे बारिश में खेलना और भीगना बहुत पसंद है, जब आसमान में बादल घिर आते हैं और अचानक से बारिश शुरू हो जाती है, तब बाहर निकलकर बारिश की बूँदों का आनंद लेना बहुत अच्छा लगता है। कभी-कभी मैं दोस्तों के साथ कागज़ की नाव बनाकर वर्षा ऋतु का आनंद लेती हैँ इसके अतिरिक्त, इस मौसम में घर पर परिवार वालों के साथ गर्मागर्म पकौडे और चाय पीने का मजा भी अलग ही होता है।
समाचार के माध्यमों से
प्रत्येक मौसम समाचार के विभिन्न माध्यमों (इलेक्ट्रॉंनिक या प्रिंट या सोशल मीडिया) के प्रमुख समाचारों में रहता है। संवाददाता कभी बाढ़ तो कभी सूखे या भीषण ठंड के समाचार, देते दिखाई देते हैं। आप भी बन सकते हैं संवाददाता या लिख सकते हैं समाचार। अत्यधिक गमीं, सर्दी या बारिश में आपने जो स्थिति देखी है उसका आँखों देखा हाल अपनी कक्षा में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर :
इस बार गर्मियों में जब तापमान 49 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया था, तब मैंने देखा कि अल्यधिक गर्मी के कारण सड़कों पर कोई भी व्यक्ति दिखाई नहीं दे रहा था, क्योंकि इस समय सभी लोग घरों में ही रहना पसंद कर रहे थे। कुछ लोग यदि बाहृर दिखाई दे रहे थे तो उनके सिर पर टोपी थी या वे छाते का उपयोग कर रहे थे। पशु-पक्षी इस भीषण गर्मीं में दिखाई नहीं दे रहे थे। गर्म हवाएँ लू चल रही थी। सरकार द्वारा विद्यालयों के लिए अवकाश घोषित कर दिया गया था। बाजार में आइसक्रीम की दुकानों पर ठंडे पेय पदार्थों की दुकानों पर भीड़ एकत्रित थी। कई स्थानों पर बिजली की कटौती हो जाने के कारण लोग परेशान थे। सड़क पर सन्नाटा था।
सृजन
नाम देना भी सुजन है। ऊपर दिए गए चित्र को ध्यान से देखिए और इसे एक नाम दीजिए।
उत्तर :
इस चित्र में एक रेगिस्तानी पौधा दिखाई दे रहा है, जो सूखी और कठिन परिस्थिति में भी जीवित है। हम इसका नाम ‘रेगिस्तानी लिली” या ‘मरु पुष्प’ रखेंगे, क्योंकि यह कठिन और शुष्क परिस्थिति में भी खिलता हुआ दिखाईं दे रहा है।
इन्हें भी जानें
इस कविता में नगाड़े की ध्वनि का उल्लेख है- “बजा नगाड़े जगा रहे हैं, बादल धरती की तरुणाई।” नगाड़ा भारत का एक पारंपरिक वाद्ययंत्र है। कुछ वाद्ययंत्रों को उन पर चोट कर बजाया जाता है; जैसे- ढोलक, नगाड़ा, डमरू, डफली आदि।
नगाड़ा प्रायः लोक उत्सवों के अवसर पर बजाया जाता है। होली जैसे लोकपर्व के अवसर पर गाए जाने वाले गीतों में इसका प्रयोग होता है। नगाड़ों को जोड़े में भी बजाया जाता है, जिसमें एक की ध्वनि पतली तथा दूसरे की मोटी होती है।
खोजबीन
आपके यहाँ उत्सवों में कौन-से वाद्ययंत्र बजाए जाते हैं, अपने समूह में उस पर चर्चा करें।
उत्तर :
हमारे क्षेत्र में उत्सवों के दौरान विभिन्न पारंपरिक वाद्ययंत्रों का प्रयोग किया जाता है। इनमें से कुछ प्रमुख वाद्ययंत्र निम्नलिखित हैं
- ढोलक इसे दोनों हाथों से बजाया जाता है। यह विशेष रूप से शादी, त्योहार और धार्मिक अवसरों पर बजाया जाता है।
- उमरू यह एक छोटा वाद्ययंत्र है, जिसे हाथ से बजाया जाता है। इसका प्रयोग अकसर धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है।
- बाँसुरी यह एक तंतुवाद्य है, जिसे होंठों से बजाया जाता है। इसकी मधुर ध्वनि संगीत समारोहों और भजन-कीर्तन में सुनाई देती है।
- नगाड़ा यह भी एक प्रमुख वाद्ययंत्र है, जिसे पारंपरिक उत्सवों और मेलों में बजाया जाता है। इसे एक जोड़े में बजाया जाता है, जिसमें एक नगाड़े की ध्वन्नि पतली और दूसरे की मोटी होती है।
- गिटार यह वाद्ययंत्र अपने अँगूठे और दूसरी उँगलियों से अलग-अलग नोट्स से बाजाया जाता है। इसका उपयोग सामान्यत: पाश्चात्य संगीत उत्सवों और जश्न में किया जाता है।
इन वाद्ययंत्रों का प्रयोग उत्सवों में न केवल संगीत का आंद बढ़ाता है, बल्कि सांस्कृतिक पहचान को भी दर्शाता है।
आइए इंद्रधनुष बनाएँ
बारिश की बूँदें न केवल जीव-जंतुओं को राहत पहुँचाती हैं, बल्कि धरती को हरा-भरा भी बनाती हैं। कभी-कभी ये बूँदें आकाश में बहुरंगी छटा बिखेरती हैं, जिसे ‘इंद्रधनुष’ कहा जाता है। आप भी एक सुंदर इंद्रधनुष बनाइए और उस पर एक छोटी-सी कविता लिखिए। इसे कोई प्यारा-सा नाम भी दीजिए।
उत्तर :
इंद्रधनुष छात्र स्वयं बनाएँ।
कविता-इंद्रधनुष का जादू
रंगों की बूँदें गिरती, आकाश से उतर आई,
धरा पर बिखरी छटा, जैसे रंगीन परतें बिछाईं।
नीला, हरा, पीला और लाल, सभी रंगों का प्यारा खेल,
इंद्रधनुष की इस छवि में धुपा है सुंदरता का मेल।
हर बूँद एक रंग भरती, आकाश में निखरती जाती,
धरती पर बनती रंगीन छाया, दिल को है चू जाती।
इंद्रधनुप के झिलमिलाते, रंगीले बाजार में,
इंद्रधनुष का जादू चल गया, देखो इस संसार में।
पहली बूँद Class 6 Summary Explanation in Hindi
प्रस्तुत कविता ‘पहली बूँद’ कवि ‘गोपालकृष्ग कौल’ द्वारा रचित है। इस कविता में कवि ने वर्षा ॠतु की प्रथम बूँद के धरती पर गिरने के सौदर्य और उसके महत्व को वर्णित करते हुए बताया है कि ज़्व मही यूँच धरती पर गिरती है, तो किस प्रकार जीवन का संचार होता है, धरती से अंकुर फूट पड़ते हैं और सूखी धरती की व्यासं कुल जाती है। उसके बाद चारो ओर हरियली का जाती हैं।
ऐसा लगता है कि वर्ष की बूँवें धरती के सूखे होठों पर अमृत बनकर गिरी हैं, जिससे बेजान और सूखी धरती को नया जीवन मिल गया हो। धरती की रोमावलि (हरी -क्ष) बारिश की पहली बूँद से प्रसन्न और रोमांचित होकर मुस्कुरा उठती है।
नीला आकाश नीली आँखों की तरह है और उनमें काले बादल बीली-ीली आँखों की काली पुतलियों की तरह लग रहे हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है, जैसे बादल धरती के टु:ख में दु:खी होकर वर्षा रूपी आँसू बहा रहा है। वर्षा का प्रेम पाकर धरती की प्यास बुझ़ जाती है और धरती के मन में फिर से हरा-भरा होने की इच्छा जाग जाती है।
काव्यांशों की विस्तृत व्याख्या
काव्यांश 1
वह पावस का प्रथम दिवस जब,
पहली बूँद धरा पर आई।
अंकुर फूट पड़ा धरती से,
नव-जीवन की ले अँगड़ाई।
धरती के सूखे अधरों पर,
गिरी बूँद अमृत-सी आकर।
वस्तु्धरा की रोमावलि-सी,
हरी-पूख्व पुलकी-मुसकाई
पहली बूँद धरा पर आई।।
शब्दार्थ : पावस-वर्षा ऋतु, दिवस-दिन, धरा-धरती, पृथ्वी, अंकुर-पौथे का छोटा-सा नवांकुर, अधर-होंठ, अमृत-दिव्य पेय, वह पेय पदार्थ जिसके पीने से जीव अमर हो जाता है, वसुंधरा-धरती, पृथ्वी, रोमावलि-रोयों की पंक्ति, पुलकी-मुसकाई-पुलकित और मुस्कुराई, खुशी और प्रसन्नता का भाव।
संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मल्हार’ में संकलित ‘पहली बूँद’ कविता से ली गई है। इसके रचयिता महाकवि ‘गोपालकृष्ण कौल’ हैं।
प्रसंग : कवि ने वर्षा ऋतु की पहली बूँद के धरती पर गिरने के प्रभाव और महत्त्व का वर्णन किया है, जिसमें सूखी धरती वर्षा की बूँदों से नव-जीवन पाकर हरी-भरी हो जाती है, साथ ही प्रकृति में एक नए उत्साह का संचार हो जाता है।
व्याख्या : प्रस्तुत कविता में कवि ने वर्षा ॠतु की पहली बूँद के धरती पर गिरने के दृश्य का अत्यंत मनोहर चित्रण किया है। कब्रि के अनुसार जब वर्षा की पहली बूँद धरती पर गिरती है और जैसे ही धुरती से मिलती है, उसमें नव-जीवन का संचार हो जाता है। वर्षा का जंल गिरते ही धरती के अंदर छिपे बीज में से अंकुर इस प्रकार फूटकर बाहर निकलते हैं, मानो वह बीज नव-जीवन पाकर अंगड़ाई लेकर जाग रहा है।
कवि कहते हैं कि धरती के सूखे होठों पर बारिश की बूँद अमृत के समान गिरती है, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि बेजान और सूखी पड़ी धरती को नवीन जीवन मिल गया है अर्थात् यहु धरती, जो सूखी और बंजर थी, वर्षा में बूँद के गिरने से जैसे अमृत से सिंचित हो गई है। सूखी धरती ग यह बूँद जीवनदायिनी बनकर गिरी, जिससे धरती की प्यास बुझ गई और उसे एक नया जीवन मिल गया। कवि ने धरती की छोटी-छोटी दूब को ‘वसुंधरा की रोमावलि (रोएँ)’ के रूप में देखा और कहा कि जैसे ही वर्षा की बूंदें धरती की हरी-दूब (हरि घास) के ऊपर गिरी तो वह प्रसन्न होकर मुस्कुरा उठी। इस प्रकार, वर्षा की पहली बूँद धरती के लिए नव-जीवन का संदेश लेकर आती है और उसे पुन: जीवित और हरा-भरा कर देती है।
विशेष :
- कवि ने वर्षा ऋतु का और प्रकृति का मनमोहक चित्रण किया है।
- यहाँ कवि ने प्रकृति कां मानवीकरण किया है।
- वर्षा की बूँदों को जीवनदायिनी अमृत बताया गया है।
काव्यांश 2
आसमान में उड़ता सागर,
लगा बिजलियों के स्वर्णिम पर
बजा नगाड़े जगा रहे हैं,
बादल धरती की तरुणाई।
पहली बूँद धरा पर आई।।
नीले नयनों-सा यह अंबर,
काली पुतली-से ये जलधर।
करुणा-विगलित अश्रु बहाकर,
धरती की चिर-प्यास बुझाई।
बूदूी धरती शस्य-श्यामला
बनने को फिर से ललचाई।
पहली बूँद धरा पर आई।।
भब्दार्थ : स्वर्णिम-सुनहरा या सोने जैसे रंग का, पर-पंख नगाड़े-ढोल (बादलों की गर्जना का संकेत), तरुणाई-यौवन-अवस्था या जवानी, अंबर-आकाश, जलधर-बादल, विगलित अश्रु-पिघले हुए औसू, चिर-प्यास-बहुत दिनों की प्यास (सूखे की स्थिति), शस्य-श्यामला -हरी-भरी धरती, ललचाई-लालसा।
संदर्भ : पूर्ववत्।
प्रसंग : कवि ने वर्षा ॠतु के आगमन पर धरती में आए परिवर्तन और उसके सौंदर्य का वर्णन किया है।
व्याख्या : प्रस्तुत पंक्तियों में कवि वर्षा की पहली बूँद के धरती पर गिरने के दृश्य को अत्यंत सजीवता और भावनात्मक गहराई के साथ प्रस्तुत करते हुए बताते हैं कि ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो आकाश में जल से भरे हुए बादल बिजली के सुनहरे पंख लगाकर उड़ रहे हैं। आकाश और बादल नगाड़े बजाते हुए ऐसे प्रतीत हो रहे हैं, जैसे वह धरती की तरुणाई (जवानी) को जगाने का प्रयास कर रहे हैं।
कवि आगे कहते हैं कि नीला आकाश नीली आँखों के समान है, जबकि काले बादल उन आँखों की काली पुतली की तरह हैं। यहाँ कवि ने आकाश को ‘नीले नयनो’ जैसा और बादलों को ‘काली पुतली’ की तरह बताया है, जिसमें आकाश और बादलों के रंगों का सूक्ष्म वर्णन किया गया है। कवि कहते हैं कि ये बादल (धरती के दु:खों से दु:खी होने के कारण) करुणा से भरे हुए हैं और अपनी बूँदों के रूप में आँसू बहा रहे हैं और इन अश्रुरूपी बूँदों से धरती की चिरकालिक (बहुत पुरानी) प्यास बुझ गई है। इस प्रेमपूर्ण वर्षा के कारण बूढ़ी धरती के मन में फिर से हरी-भरी होने की लालसा जागृत हो जाती है अर्थात् यह धरती, जो पहले बंजर और सूखी थी, अब पुन: हरी-भरी होने के लिए लालायित हो उठी है। वर्षा की पहली बूँद के गिरते ही धरती में पुन: जीवन का संचार होता है और वह फिर से अपनी पुरानी हरियाली और समृद्धि की ओर लौटने को उत्सुक हो जाती है।
विशेष :
- कविता में कवि ने बादलों को उड़ते हुए समुद्र के रूप में प्रस्तुत किया है।
- कवि ने आकाश को नीले नयन और बादलों को उसकी काली पुतली बताया है।
- प्रकृति के विभिन्न तत्त्वों का मानवीकरण करके कविता को बहुत ही प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है।