पेड़ की बात Class 6 Saransh in Hindi
Ped Ki Baat Class 6 Summary
पेड़ की बात पाठ का सारांश
इस पाठ में बीज का अंकुरण होना तथा पेड़ बनने तक की पूरी कहानी बताई गई है। बीज बहुत दिनों तक मिट्टी के नीचे पड़े रहे। महीनों बीत गए। सर्दियों के बाद वसंत आया। उसके बाद वर्षा की शुरूआत में दो-एक दिन पानी बरसा। अबं बीज अकुंरित होकर दो कोमल पत्तियों के माध्यम से बाहर निकल आया। एक अंश मिट्टी के नीचे दबा रहा और दूसरा अंश मिट्टी को भेदकर अंकुर के रूप में ऊपर निकल आया। जो अंश मिट्टी के नीचे रहता है उसे जड़ कहते हैं और जो अंश ऊपर की ओर बढ़ता है, उसे तना कहा जाता है। जड़ नीचे की ओर जाती है और तना ऊपर की ओर उठेगा।
हम जिस तरह भोजन करते हैं, पेड़-पौधे भी उसी तरह भोजन करते हैं। हमारे दाँत हैं अतः कठोर चीज खा सकते हैं। छोटे बच्चों के दाँत नहीं होते, वे केवल दूध पी सकते हैं। पेड़-पौधों के भी दाँत नहीं होते, इसीलिए वे केवल तरल द्रव्य या वायु से भोजन ग्रहण करते हैं। पेड़-पौधे जड़ के द्वारा मिट्टी से रसपान करते हैं। पेड़-पौधे द्रव्यों को सोखते हैं। जड़ों को पानी न मिलने पर भोजन बंद हो जाता है तो पैंड़ मर जाता है। पेड़ में हजारों नल होते हैं। इन्हीं नलों के द्वारा मिट्टी में पेड़ के शरीर में रस का संचार होता है। इसके अलावा वृक्ष के पत्ते हवा से आहार ग्रहण करते हैं। पत्तों में अनगिनत छोटे-छोटे मुँह होते हैं।
हम सूक्ष्मदर्शी यंत्र द्वारा इन्हें देख सकते हैं। जरूरत न होने पर ये होंठ बंद हो जाते हैं। साँस छोड़ने के साथ एक प्रकार की विषाक्त वायु बाहर निकलती है। इस विषाक्त वायु को ‘अंगारक’ वायु कहते हैं। पेड़-पौधे इसी का सेवन करके इसे पूरी तरह से शुद्ध कर देते हैं। जब पेड़ के पत्तों पर सूर्य का प्रकाश पड़ता है तब पत्ते सूर्य-ऊर्जा के सहारे ‘अंगारक’ वायु से अंगार को नष्ट कर डालते हैं। यही अंगार वृक्ष के शरीर में प्रवेश करके उसका संवर्धन करते हैं। पेड़-पौधों को प्रकाश की आवश्यकता होती है। प्रकाश न मिलने पर ये बच नहीं पाते।
प्रकाश ही जीवन का मूलमंत्र है। सूर्य की किरणें पाकर ही पेड़ पल्लवित होता है। ईंधन को जलाने पर जहो प्रकाश व ताप बाहर प्रकट होता है, वही सूर्य की ऊर्जा है। हम भी प्रकाश की खुराक पाने पर ही जीवित है।
कई पेड़ एक वर्ष बाद ही मर जाते हैं। सभी पेड़ मरने से पहले बीज के रूप में अपनी संतान छोड़ जाते हैं। बीज की सुरक्षा के लिए पेड़ फूल की पंखुड़ियों में एक छोटा-सा घर तैयार करते हैं। फूलों से छाया पेड़ सुंदर दिखाई देता है। पेड़ रूपी माता का स्पर्श पाकर फूल खिलखिला उठते हैं।
पेड़ भी प्रसन्न अवस्था में अपने परिजनों को आमंत्रित करते हैं। फूल ही उसके निशान हैं। मधुमक्खी व तितली दल-बल के साथ फूल देखने आती हैं। पतंगे रात के अंधेरे में आते हैं। पेड़-पौधे उनके लिए चारों ओर सुगंध बिखेर देते हैं। वृक्ष अपने फूलों में शहद एकत्रित करते हैं। मधुमक्खी और तितली इरती का पान करती हैं। फूलों में पराग-कण होते हैं। मधुमक्खियाँ इन पराग-कणों को एक फूल से दूसरे फूल तक ले जाती हैं। पराग-कण के बिना बीज पक नहीं सकता। इस प्रकार फूल में बीज पकता है। अपने शरीर का रस पिलाकर वृक्ष बीजों का पोषण करता है। वह अपनी संतान के लिए अपना सब-कुछ लुटा देता है। जो पेड़ कुछ दिन पहले हरा-भरा था, अब वह किसी दिन सूख जाता है। उसकी शक्ति कमजोर हो जाती है। सूखा पेड़ हवा की मार सह नहीं पाता और थोड़ा-सा थपेड़ा लगते ही गिर पड़ पड़ता है। इस तरह संतान के लिए अपना जीवन न्योछावर के वृक्ष समाप्त हो जाता है।
पेड़ की बात लेखक परिचय
जगदीशचंद्र बसु प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे। उनका जन्म 1928 ई. में हुआ था। प्रसिद्ध वैज्ञानिक जगदीशचंद्र बसु का बचपन प्रकृति का अवलोकन करते हुए बीता। पेड़-पौधों, जीव-जंतुओं से प्रेम करते हुए उनकी शिक्षा आरंभ हुई। वे जीवविज्ञान, भौतिकी, वनस्पति विज्ञान तथा विज्ञान कथा लेखन में रूचि रखने वाले एक बहुविद् व्यक्ति थे। उन्होंने सिद्ध किया कि पौधों का एक निश्चित जीवनचक्र व एक प्रजनन प्रणाली होती है और वे अपने परिवेश के प्रति जागरूक होते हैं। इस प्रकार वे यह स्थापित करने वाले विश्व के पहले व्यक्ति थे कि पौधे किसी भी अन्य जीव रूप के समान होते हैं। विज्ञान जैसे विषय को भी चित्रात्मक साहित्यिक स्वरूप प्रदान कर्मे वाले जगदीशचंद्र बसु ने सर्व प्रथम रेडियो तरंगों के द्वारा संचार स्थापित कर एक बड़ी वैज्ञानिक खोज की थी। ‘पेड़ की बात’ का बांग्ला से हिंदी में अनुवाद शंकर सेन ने किया है। उनका निधन 2020 में हुआ।
शब्दार्थ :
- शिशु = छोटा बच्चा (small baby)।
- अहिस्ता-अहिस्ता = धीरे-धीरे (slowly)।
- सुकोमल = कोमल (tender)।
- माटी = मिट्टी (earth)।
- आश्चर्य = हैरानी (surprise)।
- अंश = हिस्सा (part)।
- परीक्षण = जाँच (test)।
- तरल द्रव्य = तरल पदार्थ (liquid)।
- सूक्ष्म = बारीक (thin)।
- संचार = आना-जाना (communication)।
- सूक्ष्मदर्शी यंत्र (microscope)।
- प्रश्वास = साँस छोड़ना (exhale)।
- विषाक्त = जहरीली (toxicated)।
- विधाता = ईश्वर (god)।
- पूर्णतया = पूरी तरह से (fully)।
- सूर्य-ऊर्जा = सूरज की ताकत (solar-energy)।
- नि:शेष = खत्म (destroy)।
- संवर्धन = बढ़ोतरी (flourished)।
- मूलमंत्र (basic formula)।
- आबद्ध = बँधी हुई (intact )।
- व्यग्र = बेचैन (restless)।
- आच्छादित = ढ़का हुआ (covered)।
- विषाक्त = जहरीली (poisonous)।
- स्पर्श = छूना (touch)।
- प्रफुल्लित = खुश (happy)।
- स्नेहानिक्त = प्रेमभरी (with love; sweet)।
- पराग-कण (palam)।
- क्रीड़ा = खेल (game)
- आधात = हमला (assault)
- समाप्त = खत्म (end )।