Class 6 Hindi Malhar Chapter 13 Ped Ki Baat Question Answer पेड़ की बात
पेड़ की बात Question Answer Class 6
कक्षा 6 हिंदी पाठ 13 पेड़ की बात निबंध के प्रश्न उत्तर – Ped Ki Baat Class 6 Question Answer
पाठ से
मेरी समझ से
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (*) बनाइए।
(i) जैसे पौधे को भी सब भेद मालूम हो गया हो पौधे को कौन-सा भेद पता लग गया?
- उसे उल्टा लटकाया गया है। (*)
- उसे किसी ने सजा दी है।
- बच्चे को गमला रखना नहीं आया।
- प्रकाश ऊपर से आ रहा है।
(ii) पेड़-पौधे जीव-जंतुओं के मित्र कैसे हैं?
- हमारे जैसे ही साँस लेते हैं।
- हमारे जैसे ही भोजन ग्रहण करते हैं।
- हवा को शुद्ध करके सहायता करते हैं। (*)
- धरती पर हमारे साथ ही जन्मे हैं।
(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए और कारण बताइए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर :
पौधे का सिर नीचे की ओर लटका रहा और जड़ ऊपर को रही दो- एक दिन बाद पौधे को यह भेद मालूम हो गया कि उसे उल्टा लटकाया गया है। इसी कारण उसकी सब पत्तियाँ और डालियाँ टेढ़ी होकर ऊपर की तरफ़ उठ आई तथा जड़ घूमकर नीचे की ओर लटक गई।
पेड़-पौधे अंगारक (कार्बन डाइ-ऑक्साइड) वायु को ग्रहण करके उसे शुद्ध कर देते हैं और ऑक्सीजन खोड़ते हैं, जो जीव-जंतुओं के लिए आवश्यक है। इस प्रकार, पेड-पौधे हवा को गुद्ध करते हैं व जीव-जंतुओं के भित्र होते हैं।
पंक्तियों पर चर्चा
पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।
(क) पेड़-पौधों के रेशे-रेशे में सूरज की किरणें आबद्ध हैं। ईंधन को जलाने पर जो प्रकाश व ताप बाहर प्रकट होता है, वह सूर्य की ही ऊर्जा है।
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्कियों का आशय है कि पेड़-पौधों में जो ऊर्जा संप्रहित होती है, वह सूर्य की ‘किरणों से आती है। अत: प्रकाश के बिना पेड़-पौधों का जीवन असंभव है। इसका कारण यह है कि कोई भी बिना भोज़न के ओवित नहीँ रह सकता है। प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन डाइआंक्साइड और क्लोरोफिल की सहायता से पौधे अपना भोजन बनाते है। पौधों के हर रेशे में प्रकाश विद्यमान है। जब हम ईंधन जलाते हैं, तो वही ऊर्जा प्रकाश और ताप के रूप में बाहर आती है। इससे स्पष्ट है कि पेड़-पौधों के माध्यम से सूर्य की ऊर्जा संरक्षित रहती है और बाद में ये प्रयोग में लाई जा सकती है।
(ख) मधुमक्खी व तितली के साथ वृक्ष की चिरकाल से घनिष्ठता है। वे दल-बल सहित फूल देखने आती हैं।
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति पेड़ और पराग कण के बीच के गहरे संबंध को दर्शाती है। मधुमक्खियाँ और तित्तलियाँ एक पेड़ के फूल से पराग कण लेकर दूसरे फूल पर जाती है। इस प्रकार वे प्रजनन-प्रक्रिया में सहायता करती हैं व शहद भी चखती है, जिससे पेड़ बीज्ज उत्पन्न कर पाते हैं। अत: यह मधुमक्खी व तितली के साथ वृक्ष का एक सहजीवी रिश्ता है।
मिलकर करें मिलान
पाठ में से चुनकर कुछ वाक्यांश नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थ या संदर्भ से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।
वाक्यांश | अर्थ या संदर्भ |
1. बीज का ढक्कन दरक गया | (i) मटमैली माटी और विषाक्त वायु से सुंदर-सुंदर फूलों में परिवर्तित होते हैं। |
2. उसे ‘अंगारक’ वायु कहते हैं | (ii) जीवन के लिए सूर्य का प्रकाश आधारशक्ति या महत्तपूर्ण है। |
3. पत्ते सूर्य ऊर्जा के सहारे ‘अंगारक’ वायु से अंगार निःशेष कर डालते हैं | (iii) अपनी संपन्नता और भावी पीढ़ी की उत्पत्ति से प्रसन्न- संतुष्ट। |
4. प्रकाश ही जीवन का मूलमंत्र है | (iv) साँस छोडने पर निकलने वाली वायु-कार्बन डाई आक्साइड। |
5. जैसे फूल-फूल के बहाने वह स्वयं हँस रहा हो | (v) सूर्य के प्रकाश से पत्ते विषाक्त वायु के प्रभाव को नष्ट कर देते हैं। |
6. इस अपरूप उपादान से किस तरह ऐसे सुंदर फूल खिलते हैं | (vi) बीज के दोनों दलों में दरार आ गई या फट गए |
उत्तर :
वाक्यांश | अर्थ या संदर्भ |
1. बीज का ढक्कन दरक गया | (vi) बीज के दोनों दलों में दरार आ गई या फट गए |
2. उसे ‘अंगारक’ वायु कहते हैं | (iv) साँस छोडने पर निकलने वाली वायु-कार्बन डाई आक्साइड। |
3. पत्ते सूर्य ऊर्जा के सहारे ‘अंगारक’ वायु से अंगार निःशेष कर डालते हैं | (v) सूर्य के प्रकाश से पत्ते विषाक्त वायु के प्रभाव को नष्ट कर देते हैं। |
4. प्रकाश ही जीवन का मूलमंत्र है | (ii) जीवन के लिए सूर्य का प्रकाश आधारशक्ति या महत्तपूर्ण है। |
5. जैसे फूल-फूल के बहाने वह स्वयं हँस रहा हो | (iii) अपनी संपन्नता और भावी पीढ़ी की उत्पत्ति से प्रसन्न- संतुष्ट। |
6. इस अपरूप उपादान से किस तरह ऐसे सुंदर फूल खिलते हैं | (i) मटमैली माटी और विषाक्त वायु से सुंदर-सुंदर फूलों में परिवर्तित होते हैं। |
सोच-विचार के लिए
पाठ को एक बार फिर से पढ्दिए, पता लगाइए और लिखिए
(क) बीज के अंकुरित होने में किस-किस का सहयोग मिलता है?
उत्तर :
बीज के अंकुरित होने में धरती, पानी, सूरज की रोशनी का सहयोग मिलता है।
(ख) पौधे अपना भोजन कैसे प्राप्त करते हैं?
उत्तर :
पौधे अपना भोजन निम्नलिखित तरीकों से प्राप्त करते हैं
- जड़ के माध्यम से जड़ों द्वारा मिद्टी से पानी और आवश्यक खनिज तत्त्वों को सोखकर रसपान करते हैं।
- पत्तों के माध्यम से पत्तियों में छोटे-छोटे मुँह (स्टोमाटा) होते हैं, जो हवा से कार्बन-डाइओंक्साइड ग्रहण करते हैं और प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के माध्यम से भोजन (ग्लूकोज़) बनाते हैं।
लेख की रचना
इस लेख में एक के बाद एक विचार को लेखक ने सुसंगत रूप से प्रस्तुत किया है। गमले को औंधा लटकाना या मूली काटकर बोना जैसेउदाहरण देकर बात कहना इस लेख का एक तरीका है। अपने तथ्य को वास्तविकता या व्यावहारिकता से जोड़ना भी इस लेख की विशेषता है।
(क) जैसे लेखक ने ‘पेड़ की बार्त’ कही है वैसे ही अपने आस-पास की चीजें देखिए और किसी एक चीज पर लेख लिखिए, जैसे-गेहूँ की बात।
उत्तर :
‘गेहूँ की बात्’
गेहूं की खेती में कई चरण होते हैं, जिनमें से प्रत्येक चरण महत्त्वपूर्ण है। सबसे पहले किसान बीज बोते हैं और खेत को तैयार करते हैं। बीज की अंकुरण प्रक्रिया में मिट्टी, पानी और सूर्य की रोशनी का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। जैसे ही बीज अंकुरित होता है, वह धीरे-धीरे जड़े फैलाता है और पौधा बड़ा होता है। गेहू के पौधों को उचित मात्रा में पानी और धूप की आवश्यकता होती है, ताकि वे अच्छे से विकसित हो सकें। फसल की कटाई के बाद गेहूँ को सहेजने और पिरोने की प्रक्रिया भी आवश्यक होती है। गेहूँ का प्रत्थेक चरण बहुत ध्यानपूर्वक किया जाता है, जिससे हमें स्वस्थ और उत्तम गुणवत्ता का अनाज मिलता है। इस प्रकार गेहैं की खेती में भूमि, मौसम और किसान की मेहनत बहुत आवश्यक है।
(ख) उसे कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तर :
प्रस्तुत गतिविधि को अन्य विद्यार्थियों के साथ साझा करें।
अनुमान या कल्पना से
अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए।
(क) इस तरह संतान के लिए अपना जीवन न्योछावर करके वृक्ष समाप्त हो जाता है। वृक्ष के समाप्त होने के बाद क्या होता है?
उत्तर :
वृक्ष के समाप्त होने के बाद वह अपना जीवन संतान के लिए न्योछावर कर देता है। पेड़ सूख जाता है और्वर अंतत: जड़ सहित भूमि पर गिर जाता है एवं उसकी लकड़ी, पत्तियाँ व अन्य भाग मिट्टी में मिलकर खाद बन जाते हैं। इससे पेड़ की संतान (बीज) विक्कसित होती है, जो भविष्य में नए पेड़ बन जाते हैं। इस प्रक्रिया से प्राकृतिक चक्र पूरा होता है और पेड़े की जाति आगे बढ़ती रहती है।
(ख) पेड़-पौधों के बारे में लेखक की रूचि कैसे जागृत हुई होगी?
उत्तर :
लेखक की पेड़-पौधों के बारे में रुचि उनके प्राकृतिक अवलोकनों और विश्लेषण से जागृत हुई होगी। उन्होंने पेड़ की विकास प्रक्रिया, जीवनशैली और उनके पर्यावरणीय योगदान को गहराई से समझा होगा। गमले को उल्टा लटकाने जैसे प्रयोग और पेड़-पौधों के जीवन के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करते हुए लेखक ने प्रकृति के प्रति अपनी जिज्ञासा और सम्मान को व्यक्त किया है।
प्रवाह चार्ट
बीज से बीज तक की यात्रा का आरेख पूरा कीजिए-
उत्तर :
बीज, अंकुर, पौधा, पत्ता, कली, फूल, फल, बीज
अंकुरण
मिट्टी के किसी भी पात्र में मिट्टी भरकर उसमें राजमा या चने के 4-5 बीज बो दीजिए।
हल्का-सा पानी छिड़क दीजिए।
3-4 दिन तक थोड़ा-थोड़ा पानी डालिए।
अब इसमें आए परिवर्तन लेखन पुस्तिका में लिखिए।
(संकेत एक दिन में पौधे की लंबाई कितनी बढ़ती है, कितने पत्ते निकले, प्रकाश की तरफ़ पौधे मुड़े या नहीं आदि।)
उत्तर :
बीज बोने के 3-4 दिन बाद पौधे अंकुरित हो गए। पहले दिन पौधे की लंबाई 1 सेमी बढ़ी और दूसरे दिन 2 सेमी बढ़ी। पत्ते भी उभरने लगे। पौधे प्रकाश की दिशा में मुड़े, जिससे यह पता चलता है कि वे प्रकाश के प्रति संवेदनशील हैं। नियमित पानी देने से पौधे स्वस्थ दिख रहे हैं।
शब्दों के रूप
नीचे दिए गए चित्र को देखिए
यहाँ मिट्टी से जुड़े, कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं जो उसकी विशेषता बता रहे हैं। अब आप पेड़, सर्दी, सूर्य जैसे शब्दों की विशेषता बताने वाले शब्द बॉक्स बनाकर लिखिए –
शब्द | विशेषता |
पेड़ | हरे-भरे, छायादार, मजबूत, फलदार, ऊँचा, शाखायुक्त |
सर्दी | ठंडी, कंपकंपाती, बर्फीली, कड़ाके की, शुष्क, हवादार |
सूर्य | तेज, चमकदार, गरम, ऊर्जावान, प्रखर, स्वर्णिम |
आकाश | नीला, विस्तृत, अनंत, स्वच्छ, खुला, ऊँचा |
हवा | शीतल, मंद, सुगंधित, तेज, ताजगगी भरी, हल्की |
पानी | स्वच्छ, ठंडा, तरल, साफ़, मीठा, बहता |
पाठ से आगे
मेरे प्रिय
नीचे दी गई तालिका से प्रत्येक के लिए अपनी पसंद के तीन-तीन नाम लिखिए।
उत्तर :
आज की पहेली
इस शब्द सीढ़ी में पाठ में आए शब्द हैं। उन्हें पूरा कीजिए और पाठ में रेखांकित कीजिए-
उत्तर :
रात, तमाम, ममता, ताप, पल्लव, वसंत, तना, नाम, मजबूत, तरल, लटक, कम
खोजबीन के लिए
इंटरनेट कड़ियों का प्रयोग करके आप जगदीशचंद्र बसु के बारे में और जान-समझ सकते हैं –
जगदीशचंद्र बसु –
उत्तर :
जगदीशचंद्र बसु एक महान वैज्ञानिक थे, जिनका जन्म 30 नवंबर, 1858 को बंगाल के मेमनसिंह जिले में हुआ था। वे भारत के पहले वैज्ञानिकों में से एक थे जिन्होंने पादप (पौधों) और रेडियो विज्ञान में महत्त्वपूर्ण खोजें की। बसु ने सिद्ध किया कि पौधों में भी जीवन होता है और वे भी दर्द और ख्वुशी महसूस कर सकते हैं। उन्होंने अपने प्रयोगों के माध्यम से यह दिखाया कि जब पौधों को पानी, धूप या उर्वरक मिलता है, तो वे तेजी से बढ़ते हैं। जब उन्हें काटा जाता है या नुकसान पहुँचाया जाता है, तो उनकी वृद्धि धीमी हो जाती है। उन्होंने एक उपकरण ‘क्रेस्कोग्राफ’ का अविष्कार किया, जिससे पौधों की गति को मापा जा सकता है। जगदीशचंद्र बसु ने रेडियो विज्ञान में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। वे पहले व्यक्ति चे, जिन्होंने वायरलेस संचार के सिद्धांतों को प्रदर्शित किया। उनके शोध ने भविष्य में रेडियो और अन्य वायरलेस उपकरणों के विकास की नींव रखी।
उनकी उपलग्रियों के कारण्द्धन्हें न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में सम्मान मिला। उनके वैज्ञानिक कार्यों ने यह सिद्ध किया कि भारतीय वैज्ञानिक भी विज्ञान की दुनिया में महत्त्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं।
जगदीशचंद्र बसु-एक विलक्षण और संवेदनशील वैज्ञानिक
उत्तर :
जगदीशचंद्र बसु एक विलक्षण और संवेदनशील वैज्ञानिक थे। उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया। उनका जन्म 30 नवंबर, 1858 को यंगाल में हुआ था। बसु की वैज्ञानिक यात्रा उनके गहरे संवेदनशीलता और प्रकृति के प्रति लगाव के कारण अंद्वितीय बनी। उन्होंने पौधों के जीवन पर अद्भुत खोज की, जिससे यह साबित हुआ कि पौधों में भी संवेदनशीलता होती है। उन्होने ‘क्रेस्कोग्राफ’ नामक उपकरण का अविष्कार किया, जो पौधों की वृद्धि और उनकी प्रतिक्रियाओं को मापने में सहायक था। बसु ने दिखाया कि पौधे दर्द और खुशी महसूस कर सकते हैं और उनका विकास बाहरी परिस्थितियों से प्रभावित होता है। उनकी यह खोज विज़ान में एक नया दृष्टिकोण लेकर आई।
बसु ने रेडियो विज्ञान में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने वायरलेस संचार के सिद्धांतों को स्थापित किया, जिससे भविष्य में रेडियो और वायरलेस उपकरणों का विकास हुआ। उनकी संवेदनशीलता केवल पौधों तक ही सीमित नहीं थी; वे अपने देश और समाज के प्रति भी गहरी संवेदना रखते थे।
जगदीशचंद्र बसु की वैज्ञानिक सोच और उनकी संवेदनशीलता ने उन्हें एक विलक्षण व्यक्तित्व प्रदान किया। उनका जीवन और कार्य विज्ञान में नैविकता और संवेदनशीलता की मिसाल पेश करते हैं, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
पेड़ की बात Class 6 Summary Explanation in Hindi
‘जगदीशचंद्र बसु’ द्वारा लिखित इस पाठ में लेखक ने पेड़-पौधों के जीवन के विभिन्न पहलुओं का विस्तारपूर्वक वर्णन किया है। लेखक ने पेड़ के जीवन चक्र, भोजन ग्रहण करने की प्रक्रिया और पेड़ों का पर्यावरण के प्रति योगदान को अत्यधिक संवेदनशीलता, सरल व रोचक ढंग से समझाया है।
इस पाठ में मनुष्य, प्रकृति अर्थात् पेड़ का पर्यावरण से पारस्परिक संबंधों का सटीकता से वर्णन किया गया है। पाठ की शुरुआत बीज के अंकुरित होने से होती है, उस अंकुर का एक हिस्सा मिट्टी में जड़ बनकर नीचे की ओर बढ़ता है, जबकि दूसरा हिस्सा ‘तने’ के रूप में ऊपर की ओर वृद्धि करता है।
बीज से पेड़ बनने की प्रक्रिया
लेखक ने बताया कि जब बीज को मिट्टी में बोया जाता है, तब वह धीरे-धीरे अंकुरित होता है। यह अंकुर मिट्टी में नीचे की ओर जड़ का निर्माण करता है तथा दूसरा हिस्सा तने के रूप में ऊपर की ओर बढ़ता है। जड़े मिट्टी से पोषक तत्त्व और जल अवशोषित करती हैं, जिससे पेड़ में विकास संभव होता है। तना पेड़ को मजबूती व आकार देता है और पत्तियों को सूरज के प्रकाश तक पहुँचने में सहायता करता है।
पेड़-पौधों का भोजन संग्रहण
लेखक ने पाठ में पेड़-पौधों के भोजन ग्रहण करने की प्रक्रिया का वर्णन किया है। पेड़-पौधों के ‘दाँत’ नहीं होते, इसलिए वह ठोस भोजन ग्रहण नहीं कर सकते। वे मिट्टी से जल और घुले हुए पोषक तत्त्वों को जड़ों के माध्यम से अवशोषित करते हैं। पत्तियों द्वारा सूर्य के प्रकाश को ग्रहण करने की प्रक्रिया प्रकाश संश्लेषण कहलाती है, इससे पेड़-पौधों का भोजन संभव हो पाता है।
पेड़-पौधे और प्रकाश
प्रकाश पेड़-पौधों के जीवन के लिए अत्यधिक महत्तपूूर्ण होता है। पत्तियाँ हवा के माध्यम से बढ़ने का प्रयास करती हैं तथा भोजन ग्रहण करती हैं। यदि किसी पौधे को अँधेरे में रखा जाए, तो वह प्रकाश की तलाश में अपनी दिशा में भी बदलाव करता रहता है।
यदि वह ऐसा न करे तो वह सूख जाएँगा। सूर्य की किरणें पाकर ही पेड़-पौधे पल्लवित होते हैं। पेड़-पौधों के रेशे-रेशे में सूरज की किरणें आबद्ध हैं।
पेड़-प्दै का पर्यावरणीय योगदान
पेड़-पांथां से हम सभी प्राणियों को ऑक्सीजन प्राप्त होती है। साथ ही वे हमारे पर्यावरण को भी स्वच्छ रखते हैं। मनुष्य द्वारा श्वसन क्रिया के हौरान ऑक्सीजन को ग्रहण कर कार्बन डाइ-ऑक्साइड छोड़ी जाती है, जिसे पेड़ अवशोषित करके स्वयं के भोजन की प्रक्रिया पूर्ण कर वातावरण को शुद्ध बनाते हैं।
पेड़-पौधों की संरचना व जीवन
लेखक ने बताया कि पेड़-पौधे भी जीवित होते हैं, उन्हें भी हमारी तरह भोजन, पानी और सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है। पेड़-पौधें जड़ो, तनों और पत्तियों के माध्यम से अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। जैसे -जैसे पौधा बड़ा होता है, वह अपनी शाखाओं और पत्तियों के माध्यम से बढ़ता जाता है और अंतत: एक संपूर्ण पेड़ बन जाता है।
वृक्ष अपने जीवन के दौरान अपने शरीर में रस व पोषक तत्त्वों का संचय करते हैं, जिससे वे अपनी संतानों अर्थात् बीजों का भरण-पोषण व सुरक्षा करते हैं पेड़ अपने बीज की रक्षा के लिए फूलों की पंखुडियों का घर बनाते हैं। फूलों से आच्छादित होने पर पेड़ अधिक सुंदर दिखाई देता है। मधुमक्खियाँ एक फूल के पराग-कण को दूसरे फूल तक लेकर जाती है। इस प्रकार फूल में बीज फलता है।
पेड़ों का अंत
पेड़ों का सूखना उनकी शाखाओं और पत्तियों का पीला व कमजोर हो जाना पेड़ की जीवन लीला समाप्त होने की निशानी है। पत्तियों के झड़ जाने व शाखाओं के टूटकर गिरने से अंत में पूरा पेड़ जड़ सहित धरती पर गिर जाता है, परंतु वह अपने बीजों अर्थात् संतानों के माध्यम से अपने लिए एक नए जीवन की उम्मीद छोड़ जाता है।
शब्दार्थ
शब्द – अर्थ
- आहिस्ता – धीरे
- औंधा – सिर नीचे किया हुआ, उल्टा
- विषाक्त – विष से युक्त
- परीक्षण – जाँच, परख
- संवर्द्धन – समृद्ध करने का कार्य
- सचेष्ट – चेष्टा युक्त
- आबद्ध – बँधा हुआ
- अंगारक – कार्बन, छोटा, अंगारा
- घनिष्ठता – निकट, पास
- स्नेहसिक्त – प्रेम से युक्त
- अकस्मात – अचानक, संयोगवश
- न्योछावर – त्याग करना
- अनगिनत – बेहिसाब
- सूक्ष्मदर्शी – बहुत बारीक देखने वाला यंत्र