परीक्षा Class 6 Saransh in Hindi
Pariksha Class 6 Summary
परीक्षा पाठ का सारांश
कहानी सम्राट मुंशी प्रेमचंद ने इस कहानी में यह दर्शाया है कि परोपकारी व्यक्ति ही प्रत्येक काम में सफलता प्राप्त करता है। देवगढ़ रियासत के दीवान सुजानसिंह बूढ़े होने पर ईश्वर भजन करने के लिए अपने दायित्व से मुक्त होना चाहते थे। राजा ने नया दीवान चुनने का दायित्व उन्हीं के कंधों पर डाल दिया। देश के प्रसिद्ध समाचार-पत्रों में एक सुयोग्य दीवान के लिए विज्ञापन निकाला गया। शर्त यह लगाई गई कि इच्छुक उम्मीदवारों का एक महीने तक रहन-सहन, आचार-व्यवहार तथा कर्त्तव्य पालन की परीक्षा ली जाएगी। परीक्षा में खरा उतरने वाला व्यक्ति ही इस उच्च पद पर सुशोभित होगा।
इस विज्ञापन ने पूरे देश में धूम मचा दी। उम्मीदवारों का मेला लग गया। सभी के अपने भिन्न-भिन्न रूप-रंग व स्वभाव थे। ग्रेजुएट भी काफी संख्या में आए। सभी आगंतुकों का अच्छा आदर-सत्कार किया गया। सभी उम्मीदवार अपनी-अपनी बुद्धि के अनुसार स्वयं को अनोखे रूप में दिखाने की चेष्टा में लगे रहते। इनके बोलचाल की भाषा में भी विनम्रता थी तो कोई सदाचार का देवता बना हुआ था। लेकिन वह बूढ़ा जौहरी (दीवान) सभी को परख रहा था। वह तो इन बगुलों में छिपे हंस को तलाश रहा था।
एक दिन नए फैशन वालों ने हॉकी का मैच खेला। सभी ने उत्साह से खेल खेला। संध्या के समय खेल बंद हुआ। मैदान से हटकर एक नाला था। एक किसान अनाज से भरी गाड़ी लेकर नाले में आया। नाले में कीचड़ भरी थी और चढ़ाई ऊँची थी। गाड़ी ऊपर चढ़ नहीं पा रही थी। किसान बार-बार जोर लगा रहा था, पर गाड़ी उभरने का नाम नहीं ले रही थी। वह निराश होकर किसी सहायक के मिलने की बाट देख रहा था। कई खिलाड़ी उधर से हाथों में डंडे लिए निकले पर किसी ने भी किसान की सहायता न की।
उसी समूह में एक ऐसा मनुष्य भी था जिसके हृदय में दया थी और साहस भी था। यद्यपि खेलते हुए उसके पैर में चोट लग गई थी, फिर भी किसान की मदद करने का निश्चय किया। यद्यपि किसान उस व्यक्ति से मदद की बात कहने में झिझक रहा था, पर उस आदमी ने कहा-“तुम गाड़ी पर जाकर बैलों को साधो, मैं पहियों को धकेलता हूँ, अभी गाड़ी ऊपर चढ़ जाती है।”
किसान गाड़ी पर जा बैठा। युवक ने पहिए को जोर से उकसाया। वह स्वयं घुटने तक जमीन में गड़ गया, पर हिम्मत न हारी। किसान ने बैलों को ललकारा और गाड़ी नाले के ऊपर आ गई। किसान ने युवक के सामने हाथ जोड़कर आभार प्रकट किया। युवक ने हंसकर अपना इनाम माँगा तो किसान ने गंभीर होकर कहा-“ईश्वर चाहेंगे तो दीवानी आपको ही मिलेगी।” युवक ने किसान को ध्यान से देखा। उसे लगा कि यह किसान ही सुजान सिंह है। सुजान सिंह को मोती मिल गया था।
परीक्षा का महीना पूरा हुआ। सभी उम्मोदवार फैसला सुनने को आतुर थें सुजानसिंह ने खड़े होकर कहा-“मुझे इस पद के लिए एक ऐसे पुरूष की आवश्यकता थी, जिसके हृदय में दया हो और साथ-साथ आत्मबल भी हो। इस रिसायत के सौभाग्य से हमें ऐसा पुरूष मिल गया है। मैं रियासत के लिए पंडित जानकीनाथ को दीवानी पाने की बधाई देता हूँ।”
परीक्षा लेखक परिचय
प्रेमचंद का जन्म सन् 1880 में बनारस के लमही गाँव में हुआ था। उनका मूल नाम धनपत राय था। प्रेमचंद का बचपन अभावों में बीता और शिक्षा बी.ए. तक ही हो पाई। उन्होंने शिक्षा विभाग में नौकरी की परंतु असहयोग आंदोलन में सक्रिय भाग लेने के लिए सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और लेखन कार्य के प्रति पूरी तरह समर्पित हो गए। सन् 1936 में इस महान कथाकार का देहांत हो गया।
प्रेमचंद की कहानियाँ मानसरोवर के आठ भागों में संकलित हैं। सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, कायाकल्प, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान उनके प्रमुख उपस्यास हैं। उन्होंने हंस, जागरण, माधुरी आदि पत्रिकाओं का संपादन भी किया। कथा साहित्य के अतिरिक्त प्रेमचंद ने निबंध एवं अन्य प्रकार का गद्य लेखन भी प्रचुर मात्रा में किया। प्रेमचंद साहित्य को सामाजिक परिवर्तन का सशक्त माध्यम मानते थे। उन्होंने जिस गाँव और शहर के परिवेश को देत्रा और जिया उसकी अभिव्यक्ति उनके कथा साहित्य में मिलती है। किसानों और मजदूरों की दयनीय स्थिति, दलितों का शोषण, समाज में स्त्री की दुर्दशा और स्वाधीनता आंदोलन आदि उनकी रचनाओं के मूल विषय हैं।
शब्दार्थ :
- परीक्षा = जाँच (test)।
- विनय = प्रार्थना (request)।
- अवस्था = आयु (age)।
- शक्ति = ताकत (energy)।
- नेकनामी = प्रसिद्धि (fame)।
- अनुभवशील = अनुभवी (experienced)।
- आदर = सम्मान (regard)।
- स्वीकार = मंजूर (accept)।
- विज्ञापन = (advertisement)
- हृष्ट-पुष्ट = स्वस्थ, ताकतवर (healthy)।
- मंदाग्नि = भूख कम लगना (less hunger)।
- मुल्क = देश (country)।
- सनद = डिग्री (degree)।
- आदर-सत्कार = सम्मान (regard)।
- सज्जन = भला आदमी (gentleman)।
- सदाचार = अच्छा आचार-व्यवहार (good behaviour)।
- जौहरी = जाँचकर्ता (good judge)।
- निर्णय = फैसला (decision)।
- निराश = नाउम्मीद् (distress)।
- साहस = हिम्मत (courage)।
- अकस्मात = अचानक (suddenly)।
- संदेह = शक (doubt)।
- तीव्र = तेज (sharp)।
- किस्मत = भाग्य (luck)।
- धनाढ़य = धनी, अमीर (rich people)।
- आत्मबल = आत्मा की ताकत (moral power)।
- कीर्ति = प्रसिद्धि (fame)।
- ईर्ष्या = जलन (jealous)
- स्वीकार = मंजूर (accept)
- आपत्ति = मुसीबत (difficulty)।
- दृढ़ संकल्प = पक्का इरादा (firm determination)।