Pariksha Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 10

Class 6 Hindi Malhar Chapter 10 Pariksha Question Answer परीक्षा

परीक्षा Question Answer Class 6

कक्षा 6 हिंदी पाठ 10 परीक्षा कविता के प्रश्न उत्तर – Pariksha Class 6 Question Answer

पाठ से

मेरी समझ से

आइए, अब हम कहानी ‘परीक्षा’ के बारे में कुछ चर्चा कर लेते हैं।
(क) आपकी समझ से नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (*) बनाइए
(i) महाराज ने दीवान को ही उनका उत्तराधिकारी चुनने का कार्य उनके किस गुण के कारण सौँपा?

  • सादगी
  • उदारता
  • बल
  • नीतिकुशलता (*)

(ii) दीवान साहब द्वारा नौकरी छोड़ने के निश्वय का क्या कारण था?

  • परमात्मा की याद
  • राज-काज सँभालने योग्य शक्ति न रहना (*)
  • बदनामी का भय
  • चालीस वर्ष की नौकरी पूरा हो जाना

(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर :
देवगदे रियासत के दीवान सुजार्नसिह नीतिकुशल व्यक्ति थे। इसी गुण के कारण महाराज ने उन्हें उनका उत्तराधिकारी चुननें का कार्य सौपा।
दीवान साहब द्वारा नौकरी छोड़ने का सबसे बड़ा कारण उनकी उम्र थी। बढ़ती उम्र के कारणं उनमें राज़-काज संभालने की योग्य शक्ति नहीं बची थी।

शीर्षक

(क) आपने जो कहानी पढ़ी है, इसका नाम प्रेमचंद ने ‘परीक्षा’ रखा है। अपने समूह में चर्चा करके लिखिए कि उन्होंने इस कहानी का यह नाम क्यों दिया होगा? अपने उत्तर के कारण भी लिखिए।
उत्तर :
प्रेमचंद की कहानी ‘परीक्षा’ का शीर्षक बहुत ही सटीक और अर्थपूर्ण है। कहानी में पात्रों को विभिन्न स्थितियों और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जो उनके चरित्र और मूल्यों की परीका लेते हैं। कहानी में केंद्रीय भूमिका परीक्षा की है। यह परीक्षा देवगढ़ रियासत के नए दीवान के चुनाव के लिए आयोजित की गई थी। यह परीक्षा एक महीने तक चलती है, जिसमें सभी उम्मीदवार अपने कौशल और व्यक्तित्व का प्रदर्शन करते हैं। उम्मीदवार के व्यक्तित्व का समग्र मूल्यांकन होने के बाद ही नए दीवान का चयन होना था। इसलिए इस कहानी का शीर्षक ‘परीक्षा’ रखा गया है।

‘परीक्षा’ शीर्षक कहानी के केंद्रीय विषय, पात्रों के विकास और पाठक के लिए संदेश को बखूबी व्यक्त करता है। यह शीर्षक कहानी को एक सार्वभौमिक अपील देता है, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में किसी-न-किसी रूप में परीक्षाओं का सामना करना पड्ता है।

(ख) यदि आपको इस कहानी को कोई अन्य नाम देना हो, तो क्या नाम देंगे? आपने यह नाम क्यों सोचा, यह भी बताइए?
उत्तर :
‘परीक्षा’ कहानी के अतिरिक्त में अन्य शीर्षक ‘आचरण की कसौटी’ देना चाँहूगा, जो कहानी के विभिन्न पहललुओं को उजागर करता है। यह शीर्षक कहानी के केंद्रीय विषय, यानी पात्रों के चरित्र और आचरण की परीक्षा को सीधे तौर पर दर्शाता है। कहानी में पात्रों को विभिन्न परिस्थितियों में रखकर उनके आचरण की कसौटी लगाई जाती है, जिससे उनके असली स्वरूप का पता चलता है।

पंक्तियों पर चर्चा

कहानी में से चुनकर यहाँ कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।
“इस पद के लिए ऐसे पुरुष की आवश्यकता थी, जिसके हुदय में दया हो और साथ-साथ आत्मबल भी हो। हृदय वह जो उदार हो, आत्मबल वह जो आपत्ति का वीरता के साथ सामना करे। ऐसे गुणवाले संसार में कम हैं और जो हैं, वे कीर्ति और मान के शिखर पर बैठे हुए हैं।”
उत्तर :
प्रस्तुत कहानी में जिस पद के लिए व्यक्ति की तलाश की जा रही है, वह बहुत महत्त्वपूर्ण पद है। इस पद के लिए एक ऐसे व्यक्ति की ज्ञरूरत थी, जो बहु द्यालु और साहसी हो। दूसरों के प्रति दया रखते हुए सहायता करना बिना डरे संकट का सामना करना आदि है ऐसे गुण वाले लोग बहुत कम होते हैं। ऐसे गुणों से संपन्न व्यक्ति का प्रत्येक क्षेत्र में बहुत सम्मान होता है। इसी कारणवश ऐसे व्यक्ति प्रसिद्धि व मान के सवोंच्च शिखर पर बैठे हैं।

सोच-विचार के लिए

कहानी को एक बार फिर से पढ़िए, निम्नलिखित के बारे में पता लगाइए और लिखिए
(क) नौकरी की चाह में आए लोगों ने नौकरी पाने के लिए कौन-कौन से प्रयत्न किए?
उत्तर :
नौकरी की चाह में आए लोगों ने नौकरी पाने के लिए तरह-तरह के प्रयत्न किए। सभी उम्मीदवार स्वर्य को बहुत अच्छा दिखाने का प्रयत्न कर रहे थे। जिन उम्मीद्वारों को देर तक सोने की आदत थी, वे सुबह जल्दी उठकर बगीचे में टहलने लगे। कई ठम्मीदवार नौकरों से अच्छा व्यवहार कर रहे थे, जो उनका वास्तविक स्वभाव नहीं था। कभी न पढ़ने वाले उम्मीदवार भी किताबों में डूबे रहते थे तथा दिखावटी नम्रता और सदाचार के द्वेवता बने हुए थे।

(ख) “उसे किसान की सूरत देखते ही सब बातें ज्ञात हो गई।” खिलाड़ी को कौन-कौन सी बातें पता चल गइ?
उत्तर :
किसान की सूरत देखते ही खिलाड़ी को पता चल गया कि किसान की गाड़ी नाले से पार नही हो पा रही है। गाड़ी पार न होने के कारण किसान परेशान है, लेकिन किसी खिलाड़ी से सहायता माँगने ही हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। किसान की इस परेशानी के भाव को खिलाडी ने उसका चेहरा देखकर पढ़ लिया।

(ग) “मगर उन आँखों में सत्कार था, इन औँखों में ईष्ष्या।” किनकी आँखों में सत्कार था और किनकी आँखों में ईष्ष्या थी? क्यों?
उत्तर :
रियासत के कर्मचारियों और रईसों की औख्तों में जानकीनाथ के प्रति सत्कार था, जबकि उम्मीदवार दल की आँखों में ईर्ष्या थी। ऐसा इसलिए था, क्योंकि रियासत के कर्मंचारियों और रईसों को नए दीवान जानकीनाथ के अधीन कार्य करना था, जबकि दीवान पद के लिए आए हुए उम्मीदवार जानकीनाथ के प्रतिद्वंदी थे।

खोजबीन

कहानी में से वे वाक्य खोजकर लिखिए, जिनसे पता चलता है कि-
(क) शायद युवक बूढ़े किसान की असलियत पह्चान गया था।
उत्तर :
युवक ने हैसकर कहा, “अब मुझे कुछ इनाम देते हो?” किसान ने गंभीर भाव से कहा, “नारायण चाहेंगे तो दीवानी आपको ही मिलेगी।” युवक ने किसान की तरफ़ गौर से देखा। उसके मन में एक संदेह हुआ क्या यह सुजानसिह नहीं हैं? आवाज मिलती है, च्हेरा-मोहरा भी वही। किसान ने भी उसकी ओर तीव्र दृष्टि से देखा। शायद उसके दिल के संदेह को भाँप गया। मुस्कराकर बोला, “गहरे पानी में पैठने से ही मोती मिलता है।”
उपर्युक्त पंक्तियों से पता चलता है कि युवक बूड़े किसान की असलियत पहचान गया था।

(ख) नौकरी के लिए आए लोग किसी तरह बस-पौकरी पा लेना चाहते थे।
उत्तर :
प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन को अपनी बुद्धि के अनुसार अच्छे रूप में दिखाने की कोशिश करता था। मिस्टर ‘अ’ नौ बजे दिन तक सोया करते थे, आजकल वे बगीचे में टहलते हुए ऊषा का दर्शन करते थे। मिस्टर ‘द’, ‘स’ और ‘ज’ से उनके घर पर नौकरों की नाक में दम था, लेकिन ये सज्जन आजकल ‘आप’ और ‘जनाब’ के बिना नौकरों से बातचीत नहीं करते थे। मिस्टर ‘ल’ को किताब से घृणा थी, परंतु आजकल वे बडे-बड़े ग्रंथ देखने-पढ़ने में डूबे रहते थे। जिससे बात कीजिए, वह नम्रता और सदाचार का देवता बना मालूम दिखाई देता था। लोग समझते थे कि एक महीने का झंझट है, किसी तरह काट लें, कहीं कार्य सिद्ध हो गया तो कौन पूछछता है?
उपर्युक्त पंक्तियों से पता चलता है कि नौकरी के लिए आए लोग किसी तरह बस नौकरी पा लेना चाहते थे।

कहानी की रचना

“लोग पसीने से तर हो गए। खून की गरमी आँख और चेहरे से झलक रही थी।” इन वाक्यों को पढ़कर आँखों के सामने थकान से चूर खिलाड़ियों का चित्र दिखाई देने लगता है। यह चित्रात्मक भाषा है। ध्यान देंगे तो इस पाठ में ऐसी और भी अनेक विशेष बातें आपको दिखाई देंगी।

कहानी को एक बार ध्यान से पढ़िए। आपको इस कहानी में और कौन-कौन सी विशेष बाते दिखाई दे रही हैं? अपने समूह में मिलकर उनकी सूची बनाइए।
उत्तर :
‘संध्या तक यही धूम रही। लोग पसीने से तर हो गए। खून की गरमी आँख और चेहरे से झलक रही थी। हाँफते-हाँफते बेदम हो गए, लेकिन हार-जीत का निर्णय न हो सका।”

‘किसान बार-बार जोर लगाता और बार-यार झुझलाकर बैलों को मारता, लेकिन गाड़ी उभरने का नाम न लेती। बेचारा इधर-उधर निराश होकर ताकता, लेकिन वहाँ कोई सहायक नज्जर न आता।”

“किसान ने उनकी ओर सहमी हुई आँखों से देखा, परंतु किसी से सहायता माँगने का साहस न हुआ। खिलाडियों ने भी उसको देखा मगर बंद आँखों से, जिनमें सत्रानुभूति न थी। उनमें स्वार्थ था, मद था, मगर उदारता और वात्सल्य का नाम भी न था।”

“युवक ने किसान की ओर गौर से देखा। उसके मन में एक संदेह हुआ, क्या यह सुजानसिंहु तो नहीं हैं? आवाज़ मिलती है, चेहरा-मोहरा भी वही। किसान ने भी उसकी ओर तीव्र दृष्टि से देखा। शायद उसके दिल के संदेह को भाँप गया। मुस्कराकर बोला, “गहरे पानी में पैठने से ही मोती मिलता है।”

समस्या और समाधान

इस कहानी में कुछ समस्याएँ हैं और उसके समाधान भी हैं। कहानी को एक बार फिर से पढ़कर बताइए कि
(क) महाराज के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने इसका क्या समाधान खोजा?
उत्तर महाराज के सामने नए दीवान के चयन की समस्या थी। इसके समाधान का सारा भार सरदार सुजानसिंह पर डाल कर महाराज ने समाधान को खोजा।
(ख) दीवान के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने इसका क्या समाधान खोजा?
उत्तर दीवान के सामने समस्या अपने जैसा ही नीतिवान और योग्य दीवान चुनने की थी। जानकीनाथ जैसे सुयोग्य उम्मीदवार का चयन करके उन्होंने इस समस्या का समाधान निकाला।
(ग) नौकरी के लिए आए लोगों के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने इसका क्या समाधान खोजा?
उत्तर नौकरी के लिए आए लोगों के सामने यह समस्या थी कि उन्हें अपने स्वभाव के विपरीत आचरण करना पड़ता था। इसके लिए उन्होंने अपने नकली अथवा दिखावटी आचरण को ही सामने रखने का निर्णय लिया। उन्हें लगता था कि एक महीने की ही तो बात्त है, किसी तरह काट लेने के बाद यदि कार्य सिद्ध हो जाता है, तो फिर कौन पूछने आएगा।

मन के भाव

“स्वार्थ था, मद था, मगर उदारता और वात्सल्य का नाम भी न था।” इस वाक्य में कुछ शब्दों के नीचे रेखा खिंची हुई है। ये सभी नाम हैं, लेकिन दिखाई देने वाली वस्तुओं, व्यक्तियों या स्थानों के नाम नहीं हैं। ये सभी शब्द मन के भावों के नाम हैं। आप कहानी में से ऐसे ही अन्य नामों को खोजकर नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में लिखिए।

Pariksha Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 10 5

उत्तर :
विनय, कर्त्तव्य, आदर-सत्कार, नाक में दम, घृणा, नम्रता, सदाचार, झुंझलाकर, निराश, सहमी, सहानुभूति, दया, साहस, गंभीर, संदेह, उत्सुक, आशा, निराशा, आत्मबल, उदार, वीरता, सत्कार, ईर्ष्या।

अभिनय

Pariksha Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 10 6

कहानी में युवक और किसान की बातचीत संवादों के रूप में दी गई है। यह भी बताया गया है कि उन दोनों ने ये बातें कैसे बोलीं। अपने समूह के साथ मिलकर तैयारी कीजिए और कहानी के इस भाग को कक्षा में अभिनय के द्वारा प्रस्तुत कीजिए। प्रत्येक समूह से अभिनेता या अभिनेत्री कक्षा में सामने एँग और एक-एक संवाद अभिनय के साथ बोलकर दिखाएँगे। उत्तर छात्र स्वयं करें।

विपरीतार्थक शब्द

“विद्या का कम, परंतु कर्त्तव्य का अधिक विचार किया जाएगा।” ‘कम’ का विपरीत अर्थ देने वाला शब्द है- ‘अधिक’। इसी प्रकार के कुछ विपरीतार्थक शब्द नीचे दिए गए हैं, लेकिन वे आमने-सामने नहीं हैं। रेखाएँ खींचकर विपरीतार्थक शब्दों के सही जोड़े बनाइए।

Pariksha Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 10 7

स्तंभ 1 स्तंभ 2
1. आना (i) निर्दंयी
2. गुण (ii) निराशा
3. आदर (iii) जीत
4. स्वस्थ (iv) अवगुण
5. कम (v) अस्वस्थ
6. दयालु (vi) अधिक
7. योग्य (vii) जाना
8. हार (viii) अयोग्य
9. आशा (ix) अनादर

उत्तर :

स्तंभ 1 स्तंभ 2
1. आना (vii) जाना
2. गुण (vi) अधिक
3. आदर (ix) अनादर
4. स्वस्थ (v) अस्वस्थ
5. कम (vi) अधिक
6. दयालु (i) निर्दंयी
7. योग्य (viii) अयोग्य
8. हार (iii) जीत
9. आशा (ii) निराशा

कहावत

“गहरे पानी में पैठने से ही मोती मिलता है।”
यह वाक्य एक कहावत है। इसका अर्थ है कि कोशिश करने पर ही सफलता मिलती है। ऐसी ही एक और कहावत है, “जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ” अर्थात् परिश्रम का फल अवश्य मिलता है। कहावतें ऐसे वाक्य होते हैं, जिन्हें लोग अपनी बात को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए प्रयोग करते हैं। आपके घर और आस-पड़ोस में भी लोग अनेक कहावतों का उपयोग करते होंगे।

नीचे कुछ कहावतें और उनके भावार्थ दिए गए हैं। आप इन कहावतों को कहानी से जोड़कर अपनी लेखन-पुस्तिका में लिखिए।

  • अधजल गगरी छलकत जाए जिसके पास थोड़ा ज्ञान होता है, वह उसका दिखावा करता है।
  • अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत समय निकल जाने के बाद पछताना व्यर्थ होता है।
  • एक अनार सौ बीमार कोई ऐसी एक चीज़ जिसको चाहने वाले अनेक हों।
  • जो गरजते हैं वे बरसते नहीं हैं जो अधिक बढ़-चढ़कर बोलते हैं, वे काम नहीं करते हैं।
  • जहाँ चाह, वहाँ राह जब किसी काम को करने की इच्छा होती है, तो उसका साधन भी मिल जाता है।

उत्तर :

  • अथजल गगरी छलकत जाए जिसके पास थोड़ा ज्ञान होता है, वह उसका दिखावा करता है।
  • कहानी से इसका संबंध सभी उम्मीदवार दीवान पद के चयन के लिए आए थे। वे अपनी योग्यता से अधिक बढ़-चढ़कर स्वय का प्रदर्शन कर रहे थे। इसे कहते हैं अधजल गगरी छलकत जाए।
  • अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत समय निकल जाने के बाद पछताना व्यर्थ होता है।
  • कहानी से इसका संबंध किसान की सहायता नहीं करने पर सभी उम्मीदवारों को पछतावा हुआ होगा, क्योंकि इसी के आधार पर सरदार सुजानसिंह ने नें दीवान का चयन कर लिया था। इसे कहते हैं अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत।
  • एक अनार सौ बीमार कोई ऐसी एक चीज़ जिसको चाहने वाले अनेक हों।
  • कहानी से इसका संबंध विज्ञापन में तो एक नौकरी की बात कही गई थी, लेकिन उम्मीदवार आ गए हज़ारों। इसे कहते हैं, एक अनार सौ बीमार।
  • जो गरजते हैं वे बरसते नहीं हैं जो अधिक बढ़-चढ़कर बोलते हैं, वे काम नहीं करते है।
  • कहानी से इसका संबंध दीवानी पद के लिए बहुत सारे उम्मीदवार आए थे। अपने प्रदर्शनों के माध्यम से वे यह दिखाते थे कि वे ही इस पद के योग्य हैं, लेकिन समय आने पर वे असफल हो गए। इसे कहते हैं, जो गरजते हैं वे बरसते नहीं हैं।
  • जहाँ चाह, वहाँ राह जब किसी काम को करने की इच्छा होती है, तो उसका साधन भी मिल जाता है।
  • कहानी से इसका संबंध इस कहानी में सभी उम्मीदवार दीवानी के पद के लिए आए थे। अपनी सादगी के बावजूद सुजानसिंह को दीवानी का पद मिल गया। इसे ही कहते हैं जहाँ चाह, वहाँ राह।

पाठ से आगे

अनुमान या कल्पना से

(क) “दूसरे दिन देश के प्रसिद्ध पत्रों में यह विज्ञापन निकला” देश के प्रसिद्ध पत्रों में नौकरी का विज्ञापन किसने निकलवाया होगा? आपको ऐसा क्यों लगता है?
उत्तर :
देश के प्रसिद्ध पत्रों में नौकरी का विज्ञापन सरदार सुजानसिंह ने निकलवाया होगा, क्योंकि राजा ने सुयोग्य दीवान की खोज का भार सरदार सुजानसंसिह पर डाला था।

(ख) “इस विज्ञापन ने सारे मुल्क में तहलका मचा दिया।” विज्ञापन ने पूरे देश में तहलका क्यों मचा दिया होगा?
उत्तर :
इस विज्ञापन ने सारे मुल्क में हहलका इसलिए मचा दिया, क्योकि दीवान के पद के लिए विद्या की कोई सीमा तय नहीं की गई थी और पद भी बहुत बड़ा था।

विज्ञापन

“दूसरे दिन देश के प्रसिद्ध पत्रों में यह विज्ञापन निकला कि देवगढ़ के लिए एक सुयोग्य दीवान की ज्रुूरत है।”

(क) कहानी में इस विज्ञापन की सामग्री को पढ़िए। इसके बाद अपने समूह में मिलकर इस विज्ञापन को अपनी कल्पना का उपयोग करते हुए बनाइए। (संकेत विज्ञापन बनाने के लिए आप एक चौकोर कागज पर हाशिया बनाइए। इसके बाद इस हाशिए के भीतर के खाली स्थान पर सुंदर लिखाई, चित्रों, रंगों आदि की सहायता से सभी आवश्यक जानकारी लिख दीजिए। आप भिन्न रंगों या चित्रों के भी विज्ञापन बना सकते हैं।)
उत्तर :
Pariksha Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 10 11

(ख) आपने भी अपने आस-पास दीवारों पर, समाचार-पत्रों में या पत्रिकाओं में, मोबाइल फोन या दूरदर्शन पर अनेक विज्ञापन देखे होंगे। अपने किसी मनपसंद विज्ञापन को याद कीजिए।
आपको वह अच्छा क्यों लगता है? सोचकर अपने समूह में बताइए। अपने समूह के बिंदुओं को लिख लीजिए।
उत्तर :
मुझे चॉकलेट का एक विज्ञापन बहुत पसंद है। इसमें एक बच्चा अपनी माँ से चॉकलेट माँगता है, लेकिन माँ मना कर देती है। फिर वह बच्चा अपनी माँ को गले लगाकर प्यार से मनाने की कोशिश करता है। आखिरकार, माँ मुस्कुराकर उसे चॉकलेट दे देती है। यह विज्ञापन मुझे इसलिए अच्छा लगता है, क्योकि इसमें माँ और बच्चे के बीच के प्यार और स्नेह को बहुत सुंदर हंग से दिखाया गया है। इस विज्ञापन में कोई शोर-शराबा नहीं है, सिर्फ प्यारे भाव हैं, जो दिल को हू जाते है।

(ग) विज्ञापनों से लाभ होते हैं, हानि होती हैं या दोनों? अपने समूह में चर्चा कीजिए और चर्चा के बिंदु लिखकर कक्षा में साझा कीजिए।

उत्तर विज्ञापनों से लाभ –

  • विज्ञापन हमें नए उत्पादों और सेवाओं के बारे में जानकारी देते हैं, जिससे हम अपने लिए सही चीज़ ले सकते है।
  • विज्ञापन उत्पादों को आकर्षक तरीके से पेश करते हैं, जिससे लोग उन्हें खरीदने के लिए प्रेरित हांते हैं।
  • विज्ञापन रोज़नगार के अवसर पैदा करते हैं और व्यापार को बढ़ावा देते है।

विज्ञापनों से हानि –

  • कई बार विज़ापन उत्पादों की झूठी जानकारी देकर लोगों को ध्रमित करते हैं।
  • विज्ञापनों के प्रभाव में आकर लोग ज़रूरत से ज़्यादा खरीदारी करते हैं, जिससे उनका बजट बिगड सकता है।
  • विज्ञापन छोटे बच्चों को प्रभावित करते हैं, जिससे सही व गलत का चुनाव किए बिना वे चीजों के प्रति आकर्षिक होकर ज्यादा जिद्दी हो जाते हैं।

आगे की कहानी

‘परीक्षा’ कहानी जहाँ समाप्त होती है, उसके आगे क्या हुआ होगा। आगे की कहानी अपनी कल्पना से बनाइए।
उत्तर :
जानकीनाथ अपनी उदारता और काम के प्रति निष्ठा के कारण राजा के सबसे विश्वासपात्र बन गए होंगे। राजा के यहाँ काम करते हुए जानकीनाथ का बहुत समय बीत गया होगा। राजा भी अब बूद्धे हो गए होंगे। दूसरे राज्यों के आक्रमण का भी भय बना रहता होगा इसलिए अब राज्य को ऐसे व्यक्ति के हाथों में सौपने की ज्रहूरत हुई होगी, जो प्रजा की देखभाल के साथ राज्य की भी सुरक्षा कर सके। राजा की कोई संतान नहीं थी इसी कारण दूसरे राज्य देवगढ़ को अपने राज्य में मिला लेना चाहते होंगे।

दरबार के अधिकारी षड्यंत्र में लगे रहते होंगे कि राज्य के उत्तराधिकारी वे चुन लिए जाएँ। वहीं, जानकीनाथ इन घड्यंत्रों को समाप्त करने और राज्य की सुरक्षा के लिए राजा की सहायता करते होंगे। दीवान जानकीनाथ की वफादारी और कर्तव्यनिष्ठा से बहुत प्रभावित हुए होंगे यह सब देखते हुए। एक दिन राजा ने सभा बुलाकर और जानकीनाथ की योग्यता को देखते हुए उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया होगा। कुछ वर्षों के बाद जब राजा की मृत्यु हो गई होगी, तब जानकीनाथ रियासत के राजा बन गए होंगे।

आपकी बात

(क) यदि कहानी में दीवान साहब के स्थान पर आप होते तो योग्य व्यक्ति को कैसे चुनते?
उत्तर :
यदि दीवान साहब के स्थान पर मुझे नए दीवान का चयन करना होता तो मैं भी किसी ऐसे उम्मीदवार को चुनता, जो उदार एवं उच्च नैतिक आदर्शों वाला हो। उदार एवं आदर्शवादी व्यक्ति ही राजा और प्रजा के प्रति ईमानदार हो सकता है। योग्य व्यक्ति के चयन के लिए मैं सभी उम्मीदवारों को समूह में बाँटकर अलग-अलग गाँवों में भेजता। इन सभी उम्मीदवारों की निगरानी स्वयं भी करता रहता। एक महीने के बाद सभी उम्मीदवारों के व्यवहार का निरीक्षण करता और अपनी निगरानी में जो देखता उसके आधार पर उनका मूल्यांकन करता। जो अभ्यर्थीं उदारता एवं उच्च आदर्शों के पैमाने पर खरा उतरता उसका चयन करता।

(ख) यदि आपको कक्षा का मॉनिटर चुनने के लिए कहा जाए तो आप उसे कैसे चुनेंगे? उसमें किन-किन गुणों को देखेंगे? गुणों की परख के लिए क्या-क्या करेंगे?
उत्तर :
यदि मुझे कक्षा के मॉंनिटर का चयन करने के लिए कहा जाए तो मैं गुणों के आधार पर मोनिटर का चयन करता। इसके लिए धैर्य, ईमानदारी, विद्यार्थियों के साथ व्यवहार, शालीनता, विद्यालयी गतिविधियों में रंचि आदि गुण देखता। इन गुणों की परख के लिए विद्यार्थियों और बच्चों से संबंधित विद्यार्थीं के बारे में जानकारी लेता।

नया-पुराना

“कोई नए फैशन का प्रेमी, कोई पुरानी सादगी पर मिटा हुआ।”
हमारे आस-पास अनेक वस्तुएँ ऐसी हैं, जिन्हें लोग फैशन या पुराना चलन कहकर दो भागों में बाँट देते हैं, जो वस्तु आपके माता-पिता या दादा-दादी के लिए नई हो, हो सकता है वह आपके लिए पुरानी हो या जो उनके लिए पुरानी हो, वह आपके लिए नई हो। अपने परिवार या परिजनों से चर्चा करके नीचे दी गई तालिका को पूरा कीजिए।

Pariksha Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 10 8
उत्तर :
छात्र स्वयं करें

वाद-विवाद

“आपस में हॉकी का खेल हो जाए। यह भी तो आखिर एक विद्या है।” क्या हॉकी जैसा खेल भी विद्या है? इस विषय पर कक्षा में एक वाद-विवाद गतिविधि का आयोजन कीजिए। इसे आयोजित करने के लिए कुछ सुझाव आगे दिए गए हैं-

  • कक्षा में पहले कुछ समूह बनाएँ। फिर पर्चीं निकालकर निर्धारित कर लीजिए कि कौन समूह पक्ष में बोलेंगे, कौन विपक्ष में।
  • आधे समूह इसके पक्ष में तर्क दीजिए, आधे समूह इसके विपक्ष में।
  • सभी समूहों को बोलने के लिए 5.5 मिनट का समय दिया जाएगा।
  • ध्यान रखें कि प्रत्येक समूह का प्रत्येक सदस्य चर्चा करने, तर्क देने आदि कार्यों में भाग अवश्य लें।

उत्तर :
छात्र स्वयं करें।

अच्छाई और दिखावा

“प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन को अपनी बुद्धि के अनुसार अच्छे रूप में दिखाने की कोशिश करता था।”
अपने समूह में निम्नलिखित पर चर्चा कीजिए और चर्चा के बिंदु अपनी लेखन-पुस्तिका में लिख लीजिए।
(क) प्रत्येक व्यक्ति अपनी बुद्धि के अनुसार स्वयं को अच्छा दिखाने की कोशिश करता है। स्वयं को अच्छा दिखाने के लिए लोग क्या-क्या करते हैं?
(संकेत मेहनत करना, कसरत करना, साफ़-सुथरे रहना आदि) उत्तर स्वयं को अच्छा दिखाने के लिए लोग निम्नलिखित कार्य करते हैं

  • अच्छे और साफ-सुथरे कपड़े पहनते हैं।
  • प्रतिदिन स्नान करते हैं।
  • शालीनता से बात करते हैं।
  • खेल में अपना कौशल दिखाते हैं।
  • मेहनत करके पढ़ते हैं।

(ख) क्या ‘स्वयं को अच्छा दिखाने’ में और ‘स्वयं के अच्छा होने’ में कोई अंतर है? कैसे?
उत्तर
हाँ, ‘स्वयं को अच्छा दिखाने’ और ‘स्वयं के अच्छा होने’ में अंतर है। ‘स्वयं को अच्छा दिखाने’ का अर्थ है कि हम बाहर से अच्छे दिखे, जैसे कि हम सिर्फ़ लोगों को खुश करने के लिए अच्छे काम करें या दिखावा करें, लेकिन अंदर से हम बैसे न हों।
‘स्वयं के अच्छा होने’ का अर्थ है कि हम सच में अच्छे इसान बनें। हम सही आचरण करें, सच्चे बनें, दूसरों की सहायता करें, चाहे कोई देख रहा हो या नहीं।
अच्छा होना ज़्यादा महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमें और दूसरों को सच्ची खुशी देता है। अच्छे दिखने से लोग बस थोड़ी देर के लिए ख्रुश हो सकते हैं, लेकिन अच्छा बनने से सबका भला होता है।

परिधान तरह-तरह के

“कोट उतार डाला”
‘कोट’ एक परिधान का नाम है। कुछ अन्य परिधानों के नाम और चित्र नीचे दिए गए हैं। परिधानों के नामों को इनके सही चित्र के साथ मिलाइए। इन्हें आपके घर में क्या कहते हैं? लिखिए।

Pariksha Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 10 9
उत्तर :
Pariksha Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 10 12

आपकी परीक्षाएँ

हम सभी अपने जीवन में अनेक प्रकार की परीक्षाएँ लेते और देते हैं। आप अपने अनुभवों के आधार पर कुछ परीक्षाओं के उदाहरण बताहए। यह भी बताइए कि किसने, कब, कैसे और क्यों वह परीक्षा ली।
(संकेत जैसे किसी को विश्वास दिलाने के लिए उसके सामने साइकिल चलाकर दिखाना, स्कूल या घर पर कोई परीक्षा देना, किसी को किसी काम की चुनौती देना आदि।)

आज की पहेली

आज आपकी एक रोचक परीक्षा है। यहाँ दिए गए चित्र एक जैसे हैं या भिन्न? इन चित्रों में कुछ अंतर हैं। देखते हैं आप कितने अंतर कितनी जल्दी खोज पाते हैं।

Pariksha Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 10 10
उत्तर :

  • पहले चित्र में कुत्ता आदमी को पीठ दिखा रहा है, तो दूसरे चित्र में कुत्ता आदमी को देख रहा है
  • पहले चित्र में इमारत के पास बड़ी-सी झाड़ी है तथा दूसरे चित्र में वह नहीं है।
  • पहले चित्र में सिग्नल बंद है तथा दूसरे चित्र में सिग्नल शुरू है।
  • पहले चित्र में दादीजी ने लाल रंग की चूड़ियाँ पहनी हैं तथा दूसरे चित्र में जामनी रंग की हैं।
  • पहले चित्र में लड़की के बालों में रिबन नहीं है तथा दूसरे चित्र में लाल रंग का रिबन है।

परीक्षा Class 6 Summary Explanation in Hindi

कहानीकार ‘प्रेमचंद’ द्वारा रचित ‘परीक्षा’ कहानी में लेखक ने सरदार सुजानसिंह के उच्च चरित्र एवं देशभक्ति से पूर्ण व्यक्तित्व को दर्शाया है। वे कर्तव्यनिष्ठ, समर्थित व धर्म पराजय व्यक्ति थे, जिन्होंने अपना कार्य ईमानदारी से किया। प्रेमचंद ने प्रस्तुत पाठ में दीवान पद के लिए आए उम्मीदवारों, किसान व युवक के माध्यम से यह दर्शाने का प्रयास किया है कि मनुष्य की असली पहचान, उसकी योग्यताएँ एवं शिक्षा मात्र नहीं है।

Pariksha Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 10 1

दीवान जैसे पद का असली हकदार केवल वही व्यक्ति हो सकता है, जो योग्यताओं का सही समय पर उपयोग करें, जैसे पंडित जानकीनाथ ने स्वयं आहत होते हुए भी किसान की मदद करके अपने उदार व उच्च चरित्र होने का प्रमाण दिया और परीक्षा में उत्तीर्ण होकर अपनी पृथक् पहचान बनाई है।

दीवान सुजानसिंह को राजकाज की ज़िम्मेदारी से मुक्त करने का निवेदन

सरदार सुजानसिंह देवगद़ रियासत के दीवान थे। उन्होने अधिक उम्र हो जाने के कारण राजकाज की जिम्मेदारी से मुक्त करने का निवेदन महाराज से किया। महाराज ने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया, लेकिन यह शर्त भी रखी कि नए दीवान का चुनाव सरदार सुजानसिंह ही करेंगे।

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दूसरे दिन देश के प्रसिद्ध अखब्रांरों में यह विज्ञापन जारी किया गया कि रियासत को एक सुयोग्य दीवान की आवश्यकता है। विज्ञापन में जरूरी योग्यता का भी उल्लेख किया गया था। इस पद के लिए ग्रेजुएट होने की जरूरत नहीं थी, बल्कि कर्तंव्यनिष्ठ होना जरुरी था। विज्ञापन में उल्लेख था कि उम्मीदवारों का एक महीने तक मूल्यांकन होने के बाद परिणाम की घोषणा की जाएगी।

दीवान पद के लिए उम्मीदवारों का आगमन और उनका व्यवहार

देवगद़ रियासत में दीवान पद के लिए आयोजित प्रतियोगिता में देश भर से लोग आए थे। हर कोई इस पद को पाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार था। प्रतियोगी अपने आप को बेहतर दिखाने के लिए नकली व्यवहार कर रहे थे, जो लोग आलसी थे, वे सुबह जल्दी उठकर बगीचे में टहलने लगे।

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जो लोग किताबें नहीं पढ़ते थे, वे बड़े-बड़े ग्रंथ पढ़ने लगे। हर कोई नम्रता और सदाचार का दिखावा कर रहा था। दीवान सरदार सुजानसिंह इन सबका बारीकी से निरीक्षण कर रहे थे। उन्हें पता था कि ये लोग सिर्फ़ पद पाने के लिए ऐसा कर रहे हैं। सुजानसंत जानते .थे कि इन लोगों का असली चेहरा जल्द ही सामने आ जाएगा।

हॉकी खेल का आयोजन

दीवान पद के लिए आए हुए उम्मीदवारों ने एक दिन तय किया कि हॉकी का खेल खेला जाए। इस खेल के माध्यम से सभी खिलाड़ी अपनी इस खेल कला का भी प्रदर्शन करना चाहते थे। रियासत देवगढ़ के लिए यह खेल बिलकुल नया था। वहाँ पर इसे बच्चों का खेल समझा जाता था। दोनों टीमें मैदान में उतरी और अपने खेल कौशल का प्रदर्शन करने लगीं। दोनों टीमें एक-दूसरे से कम नहीं थीं। शाम हो गई, लेकिन खेल का कोई परिणाम नहीं निकला।

एक युवक द्वारा किसान की सहायता करना

मैदान से थोड़ी दूर एक नाला था। इसको पार करने के लिए कोई पुल नहीं बना था। एक किसान उस नाले से अपनी बैलगाड़ी लेकर निकल रहा था, लेकिन वह भरी हुई गाड़ी को इस नाले के ऊपर से पार नहीं कर पा रहा था। बैलगाड़ी को खींचने में असमर्थ किसान निराश हो गया था। हॉकी के खिलाड़ी खेल खत्म करके वहीं से वापस आ रहे थे किंतु उनसे सहायता माँगने की किसान की हिम्मत नहीं हुई। अधिकतर खिलाड़ी भी उसकी मदद करने के प्रति उदासीन थे।

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हॉकी के एक खिलाड़ी ने किसान की मुश्किल देखी और उसकी सहायता करने के लिए आगे आया। उसे खेल के दौरान चोट भी लग गई थी, लेकिन उसने अपनी चोट की परवाह किए बिना किसान की गाड़ी को ऊपर खींचने में सहायता की। गाड़ी जब नाले से पार हो गई तब किसान ने युवक के प्रति आभार प्रकट किया। युवक ने किसान से मजाक में कुछ इनाम माँगने का आग्रह किया। किसान ने हँसते हुए कहा कि अगर भगवान चाहेंगे, तो तुम्हें दीवानी मिलेगी।

दीवान का चयन

देवगढ़ रियासत में दीवान के चुनाव के लिए बहुत उम्मीदवार आए थे। सभी उम्मीदवार इस पद के लिए उत्सुक थे। जब चुनाव का दिन आया तो रियासत के सरदार सुजानसिंह ने सभी उम्मीदवारों को एकत्रित किया। सुजानसिंह ने बताया कि उन्हें ऐसे दीवान की आवश्यकता है, जिसके द्दुय में दया हो और साथ ही आत्मबल भी हो और उन्हें ऐसा व्यक्ति मिल गया है, जिसके पास ये सभी गुण हैं।
फिर सुजानसिंह बताते हैं कि यह व्यक्ति एक गरीब किसान की सहायता करने के लिए अपनी चोट की परवाह किए बिना दलदल से गाड़ी निकालने में लगा था। इस कार्य से साबित होता है कि इस व्यक्ति के हदय में दया, साहस और आत्मबल है।
अंत में, सुजानसिंह जानकीनाथ को ही नया दीवान घोषित करते हैं। अन्य उम्मीदवारों को यह बात स्वीकार करनी पड़ती है कि जानकीनाथ ही इस पद के लिए सबसे योग्य उम्मीदवार हैं।

शब्दार्थ :

शब्द – हिंदी अर्थ

  • रियासत – राज, शासन
  • अवस्था – हालत, दशा
  • नेकनामी – सुख्याति, सुप्रसिद्धि
  • नीति कुशल – लोक व्यवहार में श्रेष्ठ
  • तहलका – उत्पाद, उपद्रव
  • अंगरखे – अचकन
  • कंटोप – कान को ढकने वाली टोपी
  • जौहरी – बहुमूल्य रत्न परखने एवं बेचने वाला क्यापारी
  • अकस्मात् – अचानक, एकदम
  • उत्सुक – बेचैन, अत्यधिक इच्छुक
  • धनाठ्य – धनी, समृद्ध, धनवान, रईस
  • आत्मबल – आत्मा या मन का बल
  • फरमाया – कहना
  • संकल्प – दृढ़ निश्चय

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