Meri Maa Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 6

Class 6 Hindi Malhar Chapter 6 Meri Maa Question Answer मेरी माँ

मेरी माँ Question Answer Class 6

कक्षा 6 हिंदी पाठ 6 मेरी माँ पाठ के प्रश्न उत्तर – Meri Maa Class 6 Question Answer

पाठ से

मेरी समझ से

(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (*) बनाइए
(i) ‘किंतु यह इच्छा पूर्ण होती नहीं दिखाई देती।’
बिस्मिल को अपनी किस इच्छा के पूर्ण न होने की आशंका थी?

  • भारत माता के साथ रहने की
  • अपनी प्रतिज्ञा पर दृढ़ रहने की
  • अपनी माँ की जीवनपर्यंत सेवा करने की (*)
  • भोग विलास तथा ऐश्वर्य भोगने की

(ii) रामप्रसाद बिस्मिल की माँ का सबसे बड़ा आदेश क्या था?

  • देश की सेवा करें
  • कभी किसी के प्राण न लेना (*)
  • कभी किसी से छल न करना
  • सदा सच बोलना’

(ख) अब अपने मित्रों के साथ तर्कपूर्ण चर्चा कीजिए कि आपने ये ही उत्तर क्यों चुने?
उत्तर :
मैंने ये उत्तर इसलिए चुने, क्योंकि पाठ के अनुसार ये उत्तर सटीक वं सही हैं। बिस्मिल को अपनी माँ की जीवनपर्यंत सेवा करने की इच्छा के पूर्ण न होने की आशंका थी, क्योंकि वे एक क्रांतिकारी थे और अंग्रेजों द्वारा उन्हें जेल भेजे जाने और फाँसी की सज़ा सुनाए जाने के कारण उन्हें यह आशंका हो गई थी कि वे अब अपनी माँ के चरणों की सेवा नहीं कर पाएँगे।

प्रस्तुत पाठ में रामप्रसाद बिस्मिल ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उनकी माँ का सबसे बड़ा आदेश यह था कि वे किसी की प्राणहानि न करें। उनकी माँ ने उन्हें सिखाया था कि शत्रु को भी कभी प्राणदंड नहीं देना चाहिए। इसी आदेश को निभाने के लिए उन्हें कई बार अपनी प्रतिज्ञा भंग करनी पड़ी।

पंक्तियों पर चर्चा

पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें पढ़कर समझिए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? कक्षा में अपने विचार साझा कीजिए और लिखिए।

(क) “यदि मुझे ऐसी माता न मिलतीं, तो मैं भी अति साधारण मनुष्यों की भाँति संसार-चक्र में फँसकर जीवन निर्वाह करता।”
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति का अर्थ यह है कि रामप्रसाद बिस्मिल अपनी माँ को अपने जीवन के हर क्षेत्र में एक महत्तपपूर्ण मार्गदर्शक मानते हैं। वे यह स्वीकार करते हैं कि अगर उन्हें ऐसी प्रेरणादायी माँ नहीं मिली होती, जो उन्हें सही दिशा दिखाती हैं, तो वे भी साधारण लोगों की तरह एक सामान्य जीवन जीते, जो समाज और पारिवारिक जिम्मेदारियों के चक्र में उलझककर रह जाते। उनकी माँ ने उन्हें उच्च आदर्शों और महान लक्ष्यों की ओर प्रेरित किया, जिसके कारण वे अपने जीवन को सामान्य से अलग एक क्रांतिकारी के रूप में जीने में सक्षम हो सके।

(ख) ‘उनके इस आदेश की पूर्ति करने के लिए मुझे मजजबूरन एक-दो बार अपनी प्रतिज्ञा भंग भी करनी पड़ी थी।”
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति में लेखक अपनी माँ के आदेश का पालन करने की बात कह रहे हैं, जिसमें उनकी माँ ने उन्हें आदेश दिया था कि कभी किसी की मी प्राणहानि न हो, चाहे वह शत्रु ही क्यों न हो। लेखक के लिए यह आदेश इतना महत्त्वपूर्ण था कि उन्हें क्रांतिकारी गतिविधियों में कई बार अपनी प्रतिज्ञा को तोद्डना पड़ा। यह उनकी माँ के प्रति गहरी निष्ठा और सम्मान को दर्शाता है, जो किसी भी अन्य प्रतिज्ञा या संकल्प से अधिक महत्त्वपूर्ण था।

मिलकर करें मिलान

पाठ में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थ या संदर्भों से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट, पुस्तकालय या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।

Meri Maa Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 6 3

शब्द अर्थ या संवर्भ
1. देवनागरी (i) सिखों के दसवें और अंतिम गुरु थे। उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की।
2. आर्यसमाज (ii) इटली के गुप्त राष्ट्रवादी दल का सेनापति इटली का मसीहा था, जिसने लोगों को एक सूत्र में बाँधा।
3. मेजिनी (iii) महर्षि दयानंद द्वारा स्थापित एक संस्थ।।
4. गोबिंद सिंह (iv) भारत की एक भाषा-लिपि जिसमें हिंदी, संस्कृत, मराठी आदि भाषाएँ लिखी जाती हैं।

उत्तर :

शब्द अर्थ या संवर्भ
1. देवनागरी (iv) भारत की एक भाषा-लिपि जिसमें हिंदी, संस्कृत, मराठी आदि भाषाएँ लिखी जाती हैं।
2. आर्यसमाज (iii) महर्षि दयानंद द्वारा स्थापित एक संस्थ।।
3. मेजिनी (ii) इटली के गुप्त राष्ट्रवादी दल का सेनापति इटली का मसीहा था, जिसने लोगों को एक सूत्र में बाँधा।
4. गोबिंद सिंह (i) सिखों के दसवें और अंतिम गुरु थे। उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की।

सोच-विचार के लिए

पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और दिए गए प्रश्नों के बारे में पता लगाकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।

प्रश्न 1.
बिस्मिल की माताजी जब ब्याहकर आई तो उनकी आयु काफ़ी कम थी।
(क) फिर भी उन्होंने स्वयं को अपने परिवार के अनुकूल कैसे ढाला?
उत्तर :
बिस्मिल की माताजी जब शाहजहाँपुर आई, तब वह बिल्कुल अशिक्षित और एक ग्रामीण कन्या के समान थीं। परिवार में आने के बाद उन्होंने अपने घर के कार्यों को सीखने के लिए दादीजी की छोटी बहन से शिक्षा ली। थोड़े ही दिनों में उन्होंने गृहकार्य में दक्षता प्राप्त कर ली और घर के सभी कामकाज को ठीक-से सँभालने लगीं। उन्होने नए परिवेश में स्वयं को ढालते हुए परिवार के अनुरूप अपने आपको दाल लिया।

(ख) उन्होंने अपनी इच्छाशक्ति के बल पर स्वयं को कैसे शिक्षित किया?
उत्तर :
बिस्मिल की माताजी को पढ़ने का शौक स्वयं ही पैदा हुआ था। उन्होंने मुहल्ले की शिक्षित सखी-सहेलियों से अक्षर-बोध प्राप्त किया और घर के कामकाज के बाद बचे समय में पढ़ाई करने लगी। अपनी इच्छाशक्ति और परिश्रम से उन्होंने थोड़े समय में देवनागरी पुस्तकों का अध्ययन करना सीख लिया। उन्होंने अपनी बेटियों को भी छोटी आयु में शिक्षा दी, जिससे उनकी शिक्षित बनने की इच्छार्शक्ति और प्रयास स्पष्ट होते हैं।

प्रश्न 2.
बिस्मिल को साहसी बनाने में उनकी माताजी नें कैसे सहयोग दिया?
उत्तर :
बिस्मिल की माताजी ने उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया और उनके हर निर्णय में साण दिया। जब विस्मिल सेवा-समिति में सहयोग देते थे, तो पिताजी और दादीजी के विरोध के बावजूद उनकी माँ ने उनका उत्साह्य बनाए रखा। माताजी के प्रोत्साहन तथा सद्व्यवहार ने बिस्मिल के जीवन में वह दृदृता उत्पन्न की कि किसी आपत्ति तथा संकट के आने पर भी उन्होंने अपने संकल्प को नहीं ल्यागा। उन्होने हमेशा बिस्मिल को सत्य पर डटे रहने का आदेश दिया, जो उनके साहस का मूल था।

प्रश्न 3.
आज से कई दशक पहले बिस्मिल की माँ शिक्षा के महत्त्व को समझती थीं, बताइए कैसे?
उत्तर :
बिस्मिल की माँ ने शिक्षा के महत्व को समझते हुए ही अपने बच्चों को पढ़ाने का निर्णय लिया था। उन्होंने स्वयं ही हिंदी पढ़ने का शौक पैदा किया और स्वयं को भी शिक्षित किया। बिस्मिल के विवाह के संबंध में जब दादीजी और पिताजी जोर देते थे, तब भी उन्होंने यही कहा कि पहले शिक्षा पूरी कर लो, फिर विवाह करना उचित होगा। यह उनके शिक्षा के प्रति गंभीर दृष्टिकोण को दर्शाता है।

प्रश्न 4.
हम कैसे कह सकते हैं कि बिस्मिल की माँ स्वतंत्र और उदार विचारों वाली थी?
उत्तर :
हम यह कह सकते हैं कि विस्मिल की माँ स्वतंत्र और उदार विचारों वाली थी, क्योंकि उन्होंने बिस्मिल के जीवन में हर महत्वपूर्ण निर्णय का समर्थन किया, चाहे वह शिक्षा का हो या क्रांतिकारी जीवन का। लखनऊ कांग्रेस में जाने के लिए उन्होंने पिताजी और दादीजी के विरोध के बावजूद बिस्मिल को आर्थिक सहायता दी और उनके उत्साह को बनाए रखा। उन्होंने बिस्मिल को शिक्षा पूरी करने से पहले विवाह नहीं करने का सुझाव दिया, जो उनकी दूरदर्शिता और स्वतंत्र सोच को दर्शाता है। साथ ही उन्होंने बिस्मिल को सत्य और धर्म का पालन करने की शिक्षा दी और यह भी सिख्वाया कि किसी की प्राणहानि न हो, चाहे वह शत्रु ही क्यो न हो, उसे भी प्राणदंड न देना। इन सब बातों से यह स्पष्ट होता है कि बिस्मिल की माँ स्वतंत्र, उदार और सशक्त विचारों वाली थी।

आत्मकथा की रचना

यह पाठ रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ की आत्मकथा का एक अंश है। आत्मकथा यानी अपनी कथा। दुनिया में अनेक लोग अपनी आत्मकथा लिखते हैं, कभी अपने लिए, तो कभी दूसरों के पढ़ने के लिए।

(क) इस पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और अपने-अपने समूह में मिलकर इस पाठ की ऐसी पंक्तियों की सूची बनाइए, जिनसे पता लगे कि लेखक अपने बारे में कह रहा है।
उत्तर :
इस पाठ में कई पंक्तियाँ ऐसी हैं, जो स्पष्ट रूप से यह दर्शाती हैं कि लेखक रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ अपने बारे में बात कर रहे हैं। नीचे उन पंक्तियों की सूची दी गई है
“लखनऊ कांग्रेस में जाने के लिए मेरी बड़ी इच्छा थी।”
“पिताजी और दादीजी को मेरे इस प्रकार के कार्य अच्छे न लगते थे, कितु माताजी मेरा उत्साह भंग न होने देती थीं।”
“वास्तव में, मेरी माताजी देवी हैं। मुझमें जो कुछ जीवन तथा साहस आया, वह मेरी माताजी तथा गुरुदेव श्री सोमदेव जी की कृपाओं का ही परिणाम है।”
“यदि मुझे ऐसी माता न मिलतीं, तो मै भी अति साधारण मनुष्यों की भौँति संसार-चक्र में फँसकर जीवन निर्वाह करता।”
“पिताजी और दादीजी मेरे विवाह के लिए बहुत अनुरोध करते, किंतु माताजी यही कहती कि शिक्षा पूरी होने के बाद ही विवाह करना उचित होगा।”
“अपने जीवन में हमेशा सत्य का आचरण करता था, चाहे कुछ हो जाए, सत्य बात कह देता था।”
“माताजी का सबसे बड़ा आदेश मेरे लिए यही था कि किसी की प्राणहानि न हो।” “जन्मदात्री जननी! इस जीवन में तो तुम्हारा ऋण उतारने का प्रयत्न करने का भी अवसर न मिला।”

(ख) अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तर :
छात्र स्वयं करें।

शब्द-प्रयोग तरह-तरह के

(क) “माताजी उनसे अक्षर-बोध करतीं।” इस वाक्य में अक्षर-बोध का अर्थ है अक्षर का बोध या ज्ञान।
एक अन्य वाक्य देखिए- “जो कुछ समय मिल जाता, उसमें पढ़ना-लिखना करतीं।
इस वाक्य में पढ़ना-लिखना अर्थात् पढ़ना और लिखना। हम लेखन में शब्दों को मिलाकर छोटा बना लेते हैं, जिससे समय, स्याही, कागज आदि की बचत होती है। संक्षेपीकरण मानव का स्वभाव भी है। इस पाठ से ऐसे शब्द खोजकर सूची बनाइए।
उत्तर :

  • चोरी-छिपे चोरी से और छिपकर
  • बचते-बचते बचते हुए और बचाते हुए
  • सेवा-समिति सेवा के लिए समिति
  • डाँट-फटकार डाँटना और फटकारना
  • पढ़ना-लिखना पढ़ना और लिखना
  • संसार-चक्र संसार का चक्र
  • प्राणहानि प्राण की हानि
  • प्राणदंड प्राण का दंड
  • भोग-विलास भोग और विलास
  • पालन-पोषण पालन और पोषण
  • देश-सेवा देश की सेवा
  • जन्म-जन्मांतर जन्म और जन्मांतर
  • धर्म-रक्षार्थ धर्म की रक्षा के लिए

पाठ से आगे

आपकी बात

(क) रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ के मित्रों के नाम खोजिए और स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भागीदारी पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर :
रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ के कुछ प्रमुख मित्र और साथी थे, जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में महत्त्वपूर्ण भागीदारी निभाई-‘ चंद्रशेखर आज्ञाद, अशफाकउल्लाह खान, राजेंद्र लाहिड़ी, केशव चक्रवर्ती, मुकंदी लाल, बनवारी लाल आदि।
स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भागीदारी
रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ और उनके मित्रों ने अंग्रेजों के खिलाफ़ हचियार उठाने और क्रांतिकारी गतिविधियों के माध्यम से देश को स्वतंत्र कराने का प्रयास किया। काकोरी कांड में रेलवे की धनराशि लूटकर उन्होने अंग्रेजी हुकूमत को चुनौती दी थी। उनकी गतिविधियाँ हिंसक थीं, लेकिन उनका उद्देश्य भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त करना था। उनका बलिदान भारतीय स्वतंत्रता संभ्राम का एक महत्त्वपूर्ण अध्याय है।

(ख) नीचे लिखे बिंदुओं को आधार बनाते हुए अपनी माँ या अपने अभिभावक से बातचीत कीजिए और उनके बारे में गहराई से जानिए कि उनका प्रिय रंग, भोज्य पदार्थ, गीत, बचपन की यादें, प्रिय स्थान आदि कौन-कौन से थे? उदाहरण के लिए आपका जन्म कहाँ हुआ था?
आपकी प्रिय पुस्तक का नाम क्या है?
उत्तर :
छात्र स्वयं करें।

पुस्तकालय या इंटरनेट से

आप पुस्तकालय से रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ की आत्मकथा खोजकर पढ़िए।
देशभक्तों से संबंधित अन्य पुस्तकें; जैसे-उनके पत्र, आत्मकथा, जीवनी आदि पढ़िए और अपने मित्रों से साझा कीजिए।
उत्तर :
छात्र स्वयं करें।

शब्दों की बात

आप अपनी माँ को क्या कहकर संबोधित करते हैं? अन्य भाषाओं में माँ के लिए प्रयुक्त संबोधन और माँ के लिए शब्द हैँढ्ठिए।
क्या उनमें कुछ समानता दिखंती है? हाँ, तो क्या?
उत्तर :
माँ को संबोधित करने के लिए प्रत्येक भाषा में अलग-अलग शब्द और संबोधन होते हैं, लेकिन इनमें एक दिलचस्प समानता यह है कि अधिकांश भाषाओं में ‘माँ’ के लिए उपयोग किए जाने वाले शब्दों में ‘म’ या ‘मा’ ध्वनि होती है।
उदाहरण :

  • हिंदी माँ
  • अंग्रेज़ी मदर, मॉम
  • स्पेनिश माद्रे, मामा
  • जर्मन मुटर, मामा
  • रूसी मामा
  • जापानी ओकासान
  • फ्रेंच मेअर, ममाँ
  • चीन मामा
  • अरबी उम्म
  • इटालियन मामा, माद्रे

आज की पहेली

यहाँ दी गई वर्ग पहेली में पाठ से बारह विशेषण दिए गए हैं। उन्हें छाँटकर पाठ में रेखांकित कीजिए।
Meri Maa Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 6 4
उत्तर :

  • मंगलमयी
  • प्रत्येक
  • ग्यारह
  • धार्मिक
  • महान
  • स्वाधीन
  • दुखभरी
  • साधारण
  • छोटी
  • बड़ा
  • बूब
  • मनोहर

मेरी माँ Class 6 Summary Explanation in Hindi

प्रस्तुत पाठ ‘मेरी माँ’ भारत के महान क्रांतिकारी रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ की आत्मकथा है। इस पाठ में लेखक अपने जीवन में अपनी माताजी के अद्वितीय योगदान और प्रभाव का वर्णन करते हैं। लेखक अपनी माताजी को देवी समान मानते हैं, जिन्होंने उनके जीवन को सही दिशा दी। लेखक बताते हैं कि माताजी के प्रोत्साहन, प्रेम और त्याग के कारण ही वे अपने जीवन में साहस, धैर्य और दृढ़ता के साथ आगे बढ़ सके।

Meri Maa Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 6 1

माताजी ने न केवल उन्हें शिक्षा और संस्कार दिए, बल्कि उनके क्रांतिकारी जीवन में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। माताजी के द्वारा दिए गए संस्कारों के कारण लेखक सत्य और धर्म के मार्ग पर अडिग रहे। उन्होंने अपनी माताजी के प्रति गहरे आभार और श्रद्धा व्यक्त करते हुए कहा कि माताजी के उपदेशों और मार्गदर्शन ने ही उनके जीवन को सार्थक बनाया। लेखक का अंतिम संदेश माताजी के प्रति उनके अटूट प्रेम और देश सेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

Meri Maa Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 6 2

लखनऊ कांग्रेस में जाने की इच्छा और सेवा समिति का आरंभ

बिस्मिल लखनऊ कांग्रेस में जाने के लिए अत्यधिक इच्छुक थे। दादीजी और पिताजी ने तो विरोध किया, लेकिन माताजी ने उनकी इच्छाओं का समर्थन किया और उन्हें खर्च भी दे दिया। उसी समय शाहजहाँपुर में सेवा समिति का आरंभ हुआ था, जिसमें बिस्मिल ने उत्साहपूर्वक सहयोग दिया। हालाँकि, उनके इस कार्य को पिताजी और दादीजी ने पसंद् नहीं किया, लेकिन माताजी ने उनका उत्साह बनाए रखा और अपने पति की डाँट-फटकार भी सहन की। बिस्मिल का साहस और जीवन में दृढ़ता माताजी और गुरुदेव श्री सोमदेव जी की कृपा का परिणाम थी।

विवाह के प्रति माताजी का दृष्टिकोण

दादीजी और पिताजी विस्मिल के विवाह के लिए उत्सुक थे, लेकिन माताजी का मानना था कि शिक्षा पूरी होने के बाद ही विवाह कराना उचित होगा। माताजी के इस प्रोत्साहन ने बिस्मिल के जीवन में दृदता पैदा की और उन्होंने किसी भी आपत्ति या संकट के आने पर भी अपने संकल्प को नहीं छोड़ा।

सत्य और धर्म के प्रति अडिगता

बिस्मिल ने जीवन में हमेशा सत्य और धर्म का पालन किया। एक घटना का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि पिताजी के कहने पर वकील ने उन्हें एक दीवानी मुकदमे में हस्ताक्षर करने के लिए बुलाया, लेकिन उन्होने इसे धर्म के विरुद्ध मानकर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। वकील साहब ने उन्हें समझाया कि मुकदमा खारिज हो जाएगा, लेकिन बिस्मिल सत्य के मार्ग से नहीं डिगे। यह घटना उनकी सत्यनिष्ठा और धर्म के प्रति अडिगता को दर्शाती है।

माताजी का शिक्षा और व्यक्तित्व विकास में योगदान

बिस्मिल की माताजी ने उन्हें शिक्षा और क्रांतिकारी जीवन में विशेष रूप से सहयोग दिया। ग्यारह वर्ष की उम्र में माताजी विवाह करके शाहजहाँपुर आई थी, तब वह अशिक्षित थीं। शादी के बाद माताजी ने शाहजहाँपुर आकर गृहकार्य की शिक्षा ली और घर का सारा कामकाज सँभाल लिया। बाद में उन्होंने स्वयं हिदी पढ़ना शुरू किया और जल्द ही देवनागरी पुस्तकों का अध्ययन करने लगी। बिस्मिल की बहनों को छोटी आयु में माताजी ही शिक्षा देती थीं। जब से विस्मिल आर्यसमाज में सम्मिलित हुए, माताजी से खूब बातें करते, तब से माताजी की विचारधारा में उदारता आई और उन्होंने जीवन में हर कदम पर बिस्मिल को मार्गदर्शन दिया। माताजी का बिस्मिल की शिक्षा और क्रांतिकारी जीवन में भी विशेष योगदान था, जैसे मेजिनी को उनकी माता ने की थी। माताजी ने बिस्मिल को सिखाया कि किसी की प्राणहानि नहीं होनी चाहिए और इस सिद्धांत का पालन करने के लिए बिस्मिल को कभी-कभी अपनी प्रतिज्ञा भंग करनी पड़ी थी।

माताजी के प्रति कृतज्ञता और समर्पण

बिस्मिल ने अपनी माताजी के प्रति गहन आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि उनकी माताजी ने न केवल उन्हें जन्म दिया, बल्कि आत्मिक, धार्मिक और सामाजिक उन्नति में भी उनकी सदैव सहायता की है। उन्होंने माताजी के प्रेम, दृद़ता और उपदेशों के लिए उनका ऋणी होने की बात कही। बिस्मिल ने माना कि माताजी के बिना वे भी साधारण जीवन व्यतीत करते, लेकिन उनकी प्रेरणा और समर्थन से ही वे देश सेवा और धार्मिक जीवन में संलग्न हो सके।

माताजी से अंतिम विदाई

बिस्मिल ने अपने जीवन की अंतिम इच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि वे माताजी के चरणों की सेवा करके अपने जीवन को सफल बनाना चाहते थे, लेकिन यह संभव नहीं हो सका। उन्होंने माताजी से आग्रह किया कि वे उनकी मृत्यु का ब्रबः सुनकर धैर्य धारण करें, क्योंकि वे भारत माता की सेवा में अपने जाद्रन को बलिदान कर रहे हैं।

उन्होंने विश्वास जताया कि स्वाधीन भारत के इतिहास में माताजी का नाम भी उज्ज्वल अक्षरों में लिखा जाएगा, जैसे गुरु गोबिंद सिंह जी की धर्मपत्नी अपने पुत्रों के बलिदान पर बहुत प्रसन्न हुई थी और मिठाई बाँटी थी। बिस्मिल ने अपनी माँ से अंतिम समय में भी उनके हृदय को विचलित न होने देने का आशीर्वांद्य माँगा, ताकि वे परमात्मा का स्मरण करते हुए शरीर त्याग सकें।

शब्दार्थ 

शब्द – हिंदी अर्थ

  • उत्साह – जोश, उत्सुकता
  • सहयोग – मदद, सहायता
  • प्रोत्साहन – प्रेरणा
  • संकल्प – दृद निश्चय
  • विरोध – नकारात्मकंता, असहुमित
  • अशिक्षित – अनपद़, बिना शिक्षा के
  • साहस – हिम्मत, वीरता
  • आचरण – व्यवहार
  • सत्यनिष्ठा – सत्य के प्रति निष्ठा
  • क्रांतिकारी – परिवर्तनकामी, विद्रोही
  • प्राणहानि – मृत्यु
  • प्राणदंड – मृत्यु दंड
  • ॠण – कर्ज
  • सांत्वना – ढॉढदस
  • भोग-विलास – ऐशोआराम, सुख-सुविधा
  • श्रद्धापूर्वक – सम्मानपूर्वक
  • स्वाधीन – स्वतंत्र
  • प्रत्याशा – उम्मीद, आशा
  • विलास – ऐश्वर्य, सुख
  • संसार-चक्र – जीवन का चक्र
  • उन्नति – प्रगति, तरक्की
  • संघर्ष – कठिनाई, संघर्ष

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