Jalate Chalo Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 7

Class 6 Hindi Malhar Chapter 7 Jalate Chalo Question Answer जलाते चलो

जलाते चलो Question Answer Class 6

कक्षा 6 हिंदी पाठ 7 जलाते चलो कविता के प्रश्न उत्तर – Jalate Chalo Class 6 Question Answer

पाठ से

आइए, अब हम इस कविता से अपनी मित्रता को और घनिष्ठ बना लेते हैं। इसके लिए नीचे कुछ गतिविधियाँ दी गई हैं। हो सकता है कि इन्हें करने के लिए आप कविता को फिर से पढ़ने की आवश्यकता का अनुभव करें।

मेरी समझ से

(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (*) बनाइए
(i) निम्नलिखित में से कौन-सी बात इस कविता में मुख्य रूप से कही गई है?

  • भलाई के कार्य करते रहना (*)
  • दीपावली के दीपक जलाना
  • बल्ब आदि जलाकर अंधकार दूर करना
  • तिमिर मिलने तक नाव चलाते रहना

(ii) “जला दीप पहला तुम्हीं ने तिमिर की, चुनौती प्रथम बार स्वीकार की थी।” यह वाक्य किससे कहा गया है?

  • तूफ़ान से
  • मनुष्यों से (*)
  • दीपकों से
  • तिमिर से

(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए और कारण बताइए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर :
इस कविता में कवि ने मुख्य रूप से भलाई के कार्य करने की बात कही है। कविता का मुख्य संदेश यह है कि प्रेम और स्नेह का दीप जलाते रहना चाहिए, ताकि अंधकार को मिटाया जा सके और दुनिया में अच्छाई अर्थात् रोशनी फैलाई जा सके। वाक्य में ‘तुम्हीं ने’ का संदर्भ मनुष्यों से है, जिन्होने पहली बार अंधकार की चुनौती को स्वीकार किया और दीप जलाया है। यह वाक्य उनके दृढ़ संकल्प और संघर्ष की बात करता है। यहाँ दीपक और तूफ़ान का संदर्भ मनुष्यों के संघर्ष और उनके प्रयासों से है, न कि सीधे किसी अन्य वस्तु से।

मिलकर करें मिलान

कविता में से चुनकर कुछ शब्द यहाँ दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थों या संदर्भों से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।

Jalate Chalo Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 7 3

शब्द अर्थ या संदर्भ
1. अमावस (i) पूर्णमासी, वह तिथि जिस रात चंद्रमा पूरा दिखाई देता है।
2. पूर्णिमा (ii) विद्युत-दीये अर्थात् बिजली से जलने वाले दीपक, बल्च ओदि उपकरण।
3. विद्युत-दीये (iii) समय, काल, युग संख्या में चार माने गए है-सत्ययुग (सतयुग), त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग।
4. युग (iv) अमाबस्या, जिस रात आकाश में चंद्रमा दिखाई नहीं देता।

उत्तर :

शब्द अर्थ या संदर्भ
1. अमावस (iv) अमाबस्या, जिस रात आकाश में चंद्रमा दिखाई नहीं देता।
2. पूर्णिमा (i) पूर्णमासी, वह तिथि जिस रात चंद्रमा पूरा दिखाई देता है।
3. विद्युत-दीये (ii) विद्युत-दीये अर्थात् बिजली से जलने वाले दीपक, बल्च ओदि उपकरण।
4. युग (iii) समय, काल, युग संख्या में चार माने गए है-सत्ययुग (सतयुग), त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग।

पंक्तियों पर चर्चा

कविता में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।

Jalate Chalo Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 7 13

“दिये और तूफ़ान की यह कहानी
चली आ रही और चलती रहेगी,
जली जो प्रथम बार लौ दीप की
स्वर्ण-सी जल रही और जलती रहेगी।
रहेगा धरा पर दिया एक भी यदि
कभी तो निशा को सवेरा मिलेगा।”
उत्तर :
कवि ने इन पंक्तियों के माध्यम से संघर्ष और सफलता की निरंतरता को स्पष्ट किया है। यहाँ दियों और तूफ़ान की कहानी को प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया गया है। कवि बताना चाहते हैं कि दियों की लौ और तृफान की यह कहानी हमेशा से चलती आ रही है और चलती रहेगी।

इसका तात्पर्य है कि जीवन में संघर्ष और चुनौती की स्थिति हमेशा बनी रहती है। जिस प्रकार दीपक की लौ पहली बार जलने के बाद सोने जैसी चमक के साथ जलती रहती है, उसी प्रकार एक बार जब मनुष्य ने संघर्ष का मार्ग अपनाया, तो वह जीवन की कठिनाइयों का सामना करते हुए उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ता रहेगा। इस प्रकार, कवि का संदेश है कि भले ही संघर्ष और कठिनाइयाँ बनी रहें, हमें हतोत्साहित नहीं होना चाहिए। एक छोटे से प्रयास जैसे एक दीपक की लौ भी अंधकार को दूर करने में महत्त्वपूर्ण भूलिका निभा सकती है। प्रेम, स्नेह और ज्ञान के प्रकाश को फैलाते रहना चाहिए, ताकि जीवन में आशा और सार्थकता बनी रहे।

सोच-विचार के लिए

कविता को एक बार फिर से पढ़िए, पता लगाइए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।

(क) कविता में अँधेरे या तिमि के लिए किन वस्तुओं के उदाहरण दिए गए हैं?
उत्तर :

  • अमावस
  • तिमिर की शिला
  • तुफांन
  • तिमिर की सरिता
  • पवन
  • निशा

(ख) यह कविता आशा और उत्साह जगाने वाली कविता है। इसमें क्या आशा की गई है? यह आशा क्यों की गई है?
उत्तर :
इस कविता में आशा की गई है कि यदि हम निरंतर प्रेम और स्नेह से भरे दीप जलाते रहें, तो एक दिन अंधकार अवश्य मिटेगा और संसार में प्रकाश फैलेगा। आशा इसलिए की गई है, क्योंकि कवि का मानना है कि प्रेम और स्नेह के दीप की निरंतरता से ही अंधेरे को दूर किया जा सकता है और एक नई सुबह का आगमन हो सकता है।

(ग) कविता में किसे जलाने और किसे बुझाने की बात कही गई है?
उत्तर :
कविता में स्नेह और प्रेम के दियों को जलाने और बिना स्नेह के विद्युत दियों को बुझाने की बात कही गई है। स्नेह और प्रेम से भरे दियों का अर्थ है मानवता के प्रति सहानुभूति, करणणा और प्रेम का संचार करना, जबकि बिना स्नेह के विद्युत दिये केवल बाहरी प्रकाश का प्रतीक हैं, जो जीवन के अंधकार को मिटाने में असमर्थ है। कवि का कहना है कि केवल स्नेह और प्रेम ही वह दीप हैं, जो वास्तव में जीवन में प्रकाश ला सकते हैं।

कविता की रचना

“जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर
कभी तो धरा का अँधेरा मिटेगा।

इन पंक्तियों को अपने शिक्षक के साथ मिलकर लय सहित गाने या बोलने का प्रयास कीजिए। आप हाथों से ताल भी दे सकते हैं। दोनों पंक्तियों को गाने या बोलने में समान समय लगा या अलग-अलग? आपने अवश्य ही अनुभव किया होगा कि इन पंक्तियों को बोलने या गाने मैं लगभग एकसमान समय लगता है। केवल इन दो पंक्तियों को ही नहीं, बल्कि इस कविता की प्रत्येक पंक्ति को गाने में या बोलने में लगभग समान समय ही लगता है। इस विशेषता के कारण यह कविता और अधिक प्रभावशाली हो गई है।
आप ध्यान देंगे तो इस कविता में आपको और भी अनेक विशेष बातें दिखाई देंगी।

(क) इस कविता को एक बार फिर से पढ़िए और अपने-अपने समूह में मिलकर इस कविता की विशेषताओं की सूची बनाइए, जैसे इस कविता की पंक्तियों को 2-4,2-4 के क्रम में बाँटा गया है आदि।
उत्तर :
छात्र स्वयं करें।

(ख) अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तर :
छात्र स्वयं करें।

मिलान

स्तंभ 1 और स्तंभ 2 में कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। मिलते-जुलते भाव वाली पंक्तियों को रेखा खींचकर जोड़िए।

Jalate Chalo Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 7 4

स्तंभ 1 स्तंभ 2
1. कभी तो तिमिर का किनारा मिलेगा। (i) विश्व की भलाई का ध्यान रखे बिना प्रगति करने से कोई लाभ नहीं होगा।
2. जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर। (ii) विश्व में सुख-शांति क्यों कम होती जा रही है?
3. मगर विश्व पर आज क्यों दिवस ही में घिरी आ रही है अमावस निशा-सी। (iii) विश्व की समस्याओं से एक न एक दिन छुटकारा अवश्य मिलेगा।
4. बिना स्नेह विद्युत-दिये जल रहे जो बुझाओ इन्हें, यों न पथ मिल सकेगा। (iv) दूसरों के सुख-चैन के लिए प्रयास करते रहिए।

उत्तर :

स्तंभ 1 स्तंभ 2
1. कभी तो तिमिर का किनारा मिलेगा। (iii) विश्व की समस्याओं से एक न एक दिन छुटकारा अवश्य मिलेगा।
2. जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर। (iv) दूसरों के सुख-चैन के लिए प्रयास करते रहिए।
3. मगर विश्व पर आज क्यों दिवस ही में घिरी आ रही है अमावस निशा-सी। (ii) विश्व में सुख-शांति क्यों कम होती जा रही है?
4. बिना स्नेह विद्युत-दिये जल रहे जो बुझाओ इन्हें, यों न पथ मिल सकेगा। (i) विश्व की भलाई का ध्यान रखे बिना प्रगति करने से कोई लाभ नहीं होगा।

अनुमान या कल्पना से

अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए

(क) “दिये और तूफ़ान की यह कहानी
चली आ रही और चलती रहेगी”
दीपक और तूफ़ान की यह कौन-सी कहानी हो सकती है, जो सदा
से चली आ रही है?
उत्तर :
दीपक और तूफान की कहानी एक प्रतीकात्मक संघर्ष को दर्शाती है। दीपक की लौ अंधेरे को मिटाने की कोशिश करती है और तृफ़ान उसे बुझाने की कोशिश करता है। यह संघर्ष दर्शाता है कि सृजन और नाश, प्रकाश और अंधकार, सकारात्मकता और नकारात्मकता के बीच निरंतर टकराव चलता रहता है।
यहाँ दीपक से तात्पय ज्ञान, स्नेह और आशा से है। यह अज्ञानरूपी अंधकार को दूर करता है और प्रकाश फैलाता है तथा तूफान से तात्पर्य अस्थिरता, विपरीतता और अड़चनों से है।

(ख) “जली जो प्रथम बार लौ दीप की
स्वर्ण-सी जल रही और जलती रहेगी”
दीपक की यह सोने जैसी लौ क्या हो सकती है, जो अनगिनत
सालों से जल रही है?
उत्तर :
यह लौ ज्ञान, सत्य, प्रेम, सेह और मानवीय गरिमा का प्रतीक हो सकती है, जो सदियों से मानव समाज को मार्गदर्शन और प्रेरणा देती आई है।

शब्दों के रूप

“कि जिससे अमावस बने पूर्णिमा-सी”
‘अमावस’ का अर्थ है-अमावस्या’। इन दोनों शब्दों का अर्थ तो समान है, लेकिन इनके लिखने-बोलने में थोड़ा-सा अंतर है। ऐसे ही कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। इनसे मिलते-जुलते दूसरे शब्द कविता से खोजकर लिखिए। ऐसे ही कुछ्ड अन्य शब्द आपस में चर्चा करके खोजिए और लिखिए।
Jalate Chalo Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 7 5
उत्तर :

  • दीया – दीप
  • उजेला – प्रकाश
  • अनगिन – अनगिनत
  • तिमिर – अंधकार
  • निशां – रात
  • स्वर्ण – सोना

अर्थ की बात

(क) “जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर”
इस पंक्ति में ‘चलो’ के स्थान पर ‘रहो’ शब्द रखकर पढ़िए। इस शब्द के बदलने से पंक्ति के अर्थ में क्या अंतर आ रहा है? अपने समूह में चर्चा कीजिए।
उत्तर :
पंक्ति में ‘चलो’ शब्द के स्थान पर ‘रहो’ शब्द का उपयोग करने से अर्थ में सूक्ष्म अंतर आ जाता है
“जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर” में ‘चल. शब्द गतिशीलता और निरंतरता का भाव दर्शाता है। यह शब्द इस बात पर जोर देता है कि हमें निरंतर और सक्रिय रूप से स्नेह और प्रेम से भरे हुए दिये जलाते रहना चाहिए, ताकि अंधकार का सामना किया जा सके।

“जलाते रहो ये दिये स्नेह भर-भर”‘ में ‘रहो’ शब्द स्थायित्व और निरंतरता का भाव उत्पन्न करता है, लेकिन इसमें वह गतिशीलता नहीं है, जो ‘चलो’ शब्द में है। यहा भी निरंतरता को दर्शाता है, लेकिन इसमें सक्रियता की भावना थोड़ी कम हो जाती है।

अंतर-“चलो’ शब्द कविता में एक गतिशील और क्रियात्मक दृष्टिकोण को दर्शाता है, जबकि ‘रहो’ शब्द से स्थायित्व का भाव अधिक स्पष्ट होता है। ‘चलो’ शब्द कविता को अधिक प्रेरक और जोशीला बनाता है, जबकि ‘रहो’ शब्द इसे थोड़ा शांत और स्थिर बना देता है।

(ख) कविता में प्रत्येक शब्द का अपना विशेष महत्त्व होता है। यदि वे शब्द बदल दिए जाएँ तो कविता का अर्थ भी बदल सकता है और उसकी सुंदरता में भी अंतर आ सकता है।
नीचे कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। पंक्तियों के सामने लगभग समान अर्थों वाले कुछ शब्द दिए गए हैं। आप उनमें से वह शब्द चुनिए, जो उस पंक्ति में सबसे उपयुक्त रहेगा।

1. बहाते चलो _________ तुम वह निरंतर (नैया, नाव, नौका) कभी तो तिमिर का मिलेगा। (तट, तीर, किनारा)
2. रहेगा _________ पर दीया एक भी यदि (धरा, धरती, भूमि) कभी तो निशा को मिलेगा। (प्रातः, सुबह, सवेरा)
3. जला दीप पहला तुम्हीं ने _________ की (अंधकार, तिमिर, अँधेरे) चुनौती _________ बार स्वीकार की थी। (प्रथम, अव्वल, पहली)
उत्तर :
1. नाव, किनारा
2. धरा, सवेरा
3. तिमिर, प्रथम

प्रतीक

(क) “कभी तो निशा को सवेरा मिलेगा”
निशा का अर्थ है-रात।
सवेरा का अर्थ है-सुबह।
आपने अनुभव किया होगा कि कविता में इन दोनों शब्दों का प्रयोग ‘रात’ और ‘सुबह’ के लिए नह्हीं किया गया है। अपने समूह में चर्चा करके पता लगाइए कि ‘निशा’ और ‘सवेरा’ का इस कविता में क्या-क्या अर्थ हो सकता है?
(संकेत निशा से जुड़ा है- ‘अँधेरा’ और सवेरे से जुड़ा है-उजाला’)
उत्तर :
निशा (रात) अँधेरा, अमावस, तिमिर, शिला, तुफ़ान, बुझना। निशा का अर्थ यहाँ केवल रात नहीं है, बल्कि का जीवन में आने वाले अंधकार, कठिनाइयों, निराशा और दुख का प्रतीक है। यह उन चुर्नौतियों और संघषों का प्रतिनिधित्व करता है, जिनका सामना व्यक्ति या समाज करता है। निशा वह अवस्था है, जब सब कुछ अनिश्चित और धुँधला होता है अर्थात् जब आगे का मार्ग स्पष्ट नहीं होता। सवेरा (सुबह) पूर्णिमा, दिवस, नाव, किनारा, ज्योति, उजेला, लौ, स्वर्ण, जलना। सवेरा का अर्थ केवल सुबह या दिन की शुरुआत नहीं है, बल्कि यहत आशा, सकारात्मकता, नए अवसर और उज्ज्वल भविष्य का प्रतीक है। सवेरा उस समय को दर्शाता है, जब अंधकार का अंत होता है और प्रकाश का उदय होता है। यह परिकर्तन पुनर्ज्ञ्म और नई ऊर्जां का प्रतीक है।

(ख) कविता में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में मिलकर इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें उपयुक्त स्थान पर लिखिए।
Jalate Chalo Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 7 6
उत्तर :
सवेरा-

  • दिये
  • पूर्णिमा
  • दिन
  • ज्योति
  • उजेला
  • लौ
  • स्वर्ण
  • जलना
  • किनारा
  • नाव

निशा –

  • अँधेरा
  • अमावस
  • तिमिर
  • तुफ़ान
  • बुझना
  • शिला

(ग) अपने समूह में मिलकर ‘निशा’ और ‘सवेरा’ के लिए कुछ और शब्द सोचिए और लिखिए।
(संकेत-नीचे दिए गए चित्र देखिए और इन पर विचार कीजिए।)
Jalate Chalo Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 7 7
उत्तर :
छात्र स्वयं करें।

पंक्ति से पंक्ति

“जला दीप पहला तुम्हीं ने तिमिर की
चुनौती प्रथम बार स्वीकार की थी”
कविता की इस पंक्ति को वाक्य के रूप में इस प्रकार लिख सकते हैं “तुम्हीं ने पहला दीप जला तिमिर की चुनौती प्रथम बार स्वीकार की थी।” अब नीचे दी गई पंक्तियों को इसी प्रकार वाक्यों के रूप में लिखिए

1. बहाते चलो नाव तुम वह निरंतर।
उत्तर :
तुम निरंतर वह नाव बहाते चलो।

2. जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर।
उत्तर :
तुम ये दिये स्नेह भर-भर जलाते चलो।

3. बुझाओ इन्हें, यों न पथ मिल सकेगा।
उत्तर :
इन्हें बुझाओ, अन्यथा पथ नहीं मिल सकेगा।

4. मगर विश्व पर आज क्यों दिवस ही में घिरी आ रही है अमावस निशा-सी।
उत्तर :
मगर आज़ दिन के समय भी क्यों विश्व पर अमावस्या जैसी रात छाई हुई है।

सा/सी/से का प्रयोग

“घिरी आ रही है अमावस निशा-सी
स्वर्ण-सी जल रही और जलती रहेगी”

इन पंक्तियों में कुछ शब्दों के नीचे रेखा खींची है। इनमें ‘सी’ शब्द पर ध्यान दीजिए। यहाँ ‘सी’ शब्द समानता दिखाने के लिए प्रयोग किया गया है। ‘सा/ सी / से’ का प्रयोग जब समानता दिखाने के लिए किया जाता है, तो इनसे पहले योजक चिह्ह (-) का प्रयोग किया जाता है।
अब आप भी विभिन्न शब्दों के साथ ‘सा/सी/से’ का प्रेयोग करते हुए अपनी कल्पना से पाँच वाक्य अपनी लेखन-पुस्तिका में लिखिए।
उत्तर :

  1. सूरज की किरणें सोने-सी चमकीली है।
  2. वह बच्चा चाँद-सा प्यारा है।
  3. पानी का रंग नीला-सा लग रहा है।
  4. उसकी मुस्कान फूलों-सी खिली हुई है।
  5. यह कहानी किताबो-सी दिलचस्प है।

पाठ से आगे

आपकी बात

(क) “रहेगा धरा पर दीया एक भी यदि
कभी तो निशा को सवेरा मिलेगा”

यदि प्रत्येक व्यक्ति अपना कर्त्तव्य समझ ले और दूसरों की भलाई के लिए कार्य करे तो पूरी दुनिया सुंदर बन जाएगी। आप भी दूसरों के लिए प्रतिदिन बहुत-से अच्छे कार्य करते होंगे। अपने उन कार्यों के बारे में बताइए।
उत्तर :
जब प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्त्तव्य को समझे और दूसरों की भलाई के लिए कार्य करे, तो दुनिया में सकारात्मक बदलाव आ सकता है। मैं प्रतिदिन दूसरों के लिए कई अच्छे कार्य करता हैं; जैसे-

सहायता करना जब भी कोई दोस्त या परिवार का सदस्य किसी समस्या में होता है, तो मैं उसकी सहायता करता हूँ।
समय देना समाज के आयोजनों या ज्ञरूरतमंद लोगों के लिए समय निकालकर काम करता हूँ।
प्रेरित करना मैं लोगों को उनके लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रेरित करता हूँ और उनका हौसला बढ़ाता हैं।
स्वयंसेवी कार्य समय-समय पर सामाजिक कायों में हिस्सा लेता हूँ।

(ख) इस कविता में निराश न होने, चुनौतियों का सामना करने और सबके सुख के लिए कार्य करने के लिए प्रेरित किया गया है। यदि आपको अपने किसी मित्र को निराश न होने के लिए प्रेरित करना हो, तो आप क्या करेंगे? क्या कहेंगे? अपने समूह में बताइए।
उत्तर :
यदि मुझे अपने किसी मित्र को निराश न होने के लिए प्रेरित करना हो, तो मैं निम्नलिखित बातें कहूँगा
प्रेरणादायक बातें “याद् रखो कि हर मुश्किल के बाद ही सफलता मिलती है। तुमने अब तक जो मेहनत की है, वह बेकार नहीं जाएगी।”
सकारात्मक दृष्टिकोण “हर समस्या का समाधान होता है। हमें बस धैर्य और मेहनत से काम लेना होता है।”
समर्थन का वादा ‘मैं तुम्हारे साथ हूँ। हमें मिलकर इस मुश्किल को पार करना होगा।”

(ग) क्या आपको कभी किसी ने कोई कार्य करने के लिए प्रेरित किया है? कब? कैसे? उस घटना के बारे में बताइए।
उत्तर :
हाँ, मुझे याद है कि कभी मेरे शिक्षक ने मुझे कठिनाई में कार्य करने के लिए प्रेरित किया था।
जब मैंने एक महत्वपूर्ण परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, तो मैं बहुत निराश हो गया था। मेरी इस स्थिति को देखकर मेरे शिक्षक ने मुझसे बात की और कहा, “तुम्हे इस असफलता से निराश होने की आवश्यकता नहीं है। यह एक चुनौती है जो तुम्हें और मजबूत बनाएगी। तुम्हारे पास प्रतिभा है, बस तुम्हें मेहनत और धैर्य से काम लेना होगा।” इस प्रोत्साहन के बाद मैंने अपनी पढ़ाई को लेकर और मेहनत करनी शुरू कर दी, जिससे मैने अगली परीक्षा में अच्छा परिणाम प्राप्त किया।

अमावस्या और पूर्णिमा

(क) “भले शक्ति विज्ञान में है निहित वह
कि जिससे अमावस बने पूर्णिमा-सी”
आप अमावस्या और पूर्णिमा के बारे में पहले ही पढ़ चुके हैं। क्या आप जानते हैं कि अमावस्या और पूर्णिमा के होने का क्या कारण है?
आप आकाश में रात को चंद्रमा अवश्य देखते होंगे। क्या चंद्रमा प्रतिदिन एक-सा दिखाई देता है? नहीं। चंद्रमा घटता-बढ़ता दिखाई देता है। आइए जानते हैं कि ऐसा कैसे होता है? आप जानते ही हैं कि चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है, जबकि पृथ्वी सूर्य की करती है। आप यह भी जानते हैं कि चंद्रमा का अपना कोई प्रकाश नहीं होता। वह सूर्य के प्रकाश से ही चमकता है, लेकिन पृथ्वी के कारण के कुछ प्रकाश को चंद्रमा तक जाने में रुकावट आ जाती है। इससे पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है, जो प्रतिदिन घटती-बढ़ती रहती है। सूरज का जो प्रकाश बिना रुकावट चंद्रमा तक पहुँच जाता है, उसी से चंद्रमा चमकदार दिखता है। इसी छाया और उजले भाग की आकृति में आने वाले परिवर्तन को चंद्रमा की कला कहते हैं।

चंद्रमा की कला धीरे-धीरे बढ़ती रहती है और पूर्णिमा की रात को चंद्रमा पूरा दिखने लगता है। इसके बाद कला धीरे-धीरे घटती रहती है और अमावस्या वाली रात चाँद दिखाई नहीं देता। चंद्रमा की कलाओं के घटने के दिनों को ‘कृष्ण पक्ष’ कहते हैं। ‘कृष्ण’ शब्द का एक अर्थ काला भी है। इसी प्रकार चंद्रमा की कलाओं के बढ़ने के दिनों को ‘शुक्ल पक्ष’ कहते हैं। ‘शुक्ल’ शब्द का एक अर्थ ‘उजला’ भी है।

Jalate Chalo Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 7 8
उत्तर
छात्र स्वयं करें।

(ख) अब नीचे दिए गए चित्र में अमावस्या, पूर्णिमा, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को पहचानिए और ये नाम उपयुक्त स्थानों पर लिखिए। (यदि पहचानने में कठिनाई हो तो आप अपने शिक्षक, परिजनों या इंटरनेट की सहायता भी ले सकते हैं।)
Jalate Chalo Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 7 9
उत्तर :
छात्र स्वयं करें।

तिथिपत्र

आपने तिथिपत्र (कैलेंडर) अवश्य देखा होगा। उसमें साल के सभी महीनों की तिथियों की जानकारी दी जाती है।
नीचे तिथिपत्र के एक महीने का पृष्ठ दिया गया है। इसे ध्यान से देखिए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

Jalate Chalo Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 7 10

(क) दिए गए महीने में कुल कितने दिन हैं?
उत्तर :
दिए गए महीने में कुल 31 दिन हैं।

(ख) पूर्णिमा और अमावस्या किस दिनांक और वार को पड़ रही है?
उत्तर :
पूर्णिमा 6 जनवरी 2023, शुक्रवार को और अमावस्या 21 जनवरी, 2023 शनिवार को पड़ रही है।

(ग) कृष्ण पक्ष की सप्तमी और शुक्ल पक्ष की सप्तमी में कितने दिनों का अंतर है?
उत्तर :
कुष्ण पक्ष की सप्तमी 14 जनवरी, 2023 शनिवार को है और शुक्ल पक्ष की सप्तमी 28 जनवरी, 2023 शनिवार को है। इन दोनों में 14 दिनों का अंतर है।

(घ) इस महीने में कृष्ण पक्ष में कुल कितने दिन हैं?
उत्तर :
इस महीने में कृष्ण पक्ष में कुल 15 दिन हैं (7 जनवरी, 2023 से 21 जनवरी, 2023 तक)।

(ङ) ‘वसंत पंचमी’ की तिथि बताइए।
उत्तर :
‘वसंत पंचमी’ 26 जनवरी, 2023 गुरुवार को है।

Jalate Chalo Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 7 11

आज की पहेली

समय साक्षी है कि जलते हुए दीप
अनगिन तुम्हारे पवन ने बुझाए।
‘पवन’ शब्द का अर्थ है- हवा।
नीचे एक अक्षर-जाल दिया गया है। इसमें ‘पवन’ के लिए उपयोग किए जाने वाले अलग-अलग नाम या शब्द छिपे हैं। आपको उन्हें खोजकर उन पर घेरा बनाना है, जैसा एक हमने पहले से बना दिया है। देखते हैं, आप कितने सही नाम या शब्द खोज पाते हैं।
Jalate Chalo Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 7 12
उत्तर :
पवन, मारुत, वायु, बयार, समीर, अनिल।

जलाते चलो Class 6 Summary Explanation in Hindi

प्रस्तुत कविता ‘जलाते रहो’ द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी द्वारा रचित है। इसमें कवि ने प्रेम, स्नेह, आशा और संघर्ष के महत्त्व को बताया है। कवि कहते हैं कि भले ही विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली हो कि वह अमावस की रात को भी उज्ज्ञल बना सकता है, लेकिन संसार में फिर भी निराशा और अंधकार फैला हुआ है अर्थात् विज्ञान की शक्ति के बावजूद भी स्नेह और प्रेम के बिना अंधकार को मिटाना संभव नहीं है।

Jalate Chalo Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 7 1

यह अंधकार केवल स्नेह और प्रेम से भरे दीप जलाने से ही मिट सकता है। अंतत: हमें स्नेह और प्रेम के दियों को निरंतर जलाते रहना चाहिए, जिससे किसी दिन इस अंधकार का अंत हो और चारों ओर आशा तथा प्रेम-स्नेह से रोशन सवेरा हो सके।

काव्यांशों की विस्तृत व्याख्या

Jalate Chalo Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 7 2

काव्यांश 1

जलाते चलो ये दिये स्सेह भर-भर
कभी तो धरा का अँधेरा मिटेगा।
भले शक्ति विजान में है निहित वह
कि जिससे अमावस बने पूर्णिमा-सी,
मगर विश्व पर आज क्यों दिवस ही में
घिरी आ रही है अमावस निशा-सी।
बिना सेह विद्युत-दिये जल रहे जो
बुझाओ इन्हें, यों न पथ मिल सकेगा।।

शब्दार्य : दिये-दीपक, प्रकाश का स्रोत, स्नेह-र्रेम, प्यार, धरा-पृथ्वी, धरती, अँधेरा-अंधकार, शक्ति-ताकत, निहित-स्थित, अंतर्नेहित, अमावस-अमावस्या, पूर्णिमा-चंद्रमा की पूर्ण अवस्था वाली रात, विश्व-संसार, दुनिया, दिवस-दिन, घिरी-आच्छदित, ढकी हुई. निशा-रात्रि, रात , पथ-मार्ग।

संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मल्हार’ में संकलित ‘जलाते चलो’ कविता से ली गई है। इसके रचयिता ‘द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी’ हैं।

प्रसंग : प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने विज्ञान और स्नेह के बीच तुलना करते हुए स्नेह के महत्त्व को उजागर किया है।

व्याख्या : कवि कहते हैं कि हमें निरंतर प्रेम और स्नेह के दीप जलाते रहना चाहिए, क्योंकि प्रेम व स्नेहरूपी दीप से कभी तो धरती का अंधकार समाप्त होगा। कवि कह कि विज्ञान में इतनी शक्ति है कि वह अमावस को भी पूर्णिमा-सा उज्ज्जल बना सकता है, तो फिर यह आज का समाज दिन में भी अमावस की रात-सा अंधकारमय क्यों प्रतीत हो रहा है? इसका कारण यह है कि विज्ञान के विकास ने मानवीय मूल्यों, विशेष रूप से स्नेह और प्रेम को पीछे छोड़ दिया है। स्नेह से रहित विज्ञान की इस रोशनी में मार्ग दिखाने की क्षमता नहीं है। आजकल के लोग स्नेह, प्रेम एवं मानवीय मूल्यों को भूल चुके हैं और केवल विज्ञान की कृत्रिम रोशनी पर निर्भर हो गए हैं। इस कृन्रिम प्रकाश में स्नेह का अभाव है, जिससे मार्ग मिलना असंभव है। अत: कवि कहते हैं कि हमें स्नेह और प्रेम के दियों को जलाते रहना चाहिए, तभी हमें सही मार्ग मिल सकेगा और समाज में उजाला होगा।

प्रस्तुत काव्यांश में कवि बताना चाह रहे हैं कि केवल तकनीकी उन्नति से ही नहीं, बल्कि प्रेम और स्नेह से भी दुनिया को उज्ज्वल बनाना आवश्यक है।

विशेष

  1. यहाँ कवि ने प्रेम और स्नेह के दीप जलाने के महत्त्व को उजागर किया है।
  2. मानवीय मूल्यों का पुन: उपचार करने की बात कही है।
  3. अमावस अंधकार व पूर्णिमा-प्रकाश का म्तीक है।

काव्यांश 2

जला दीप पहला तुम्हीं ने विमिर की
चुनौती प्रथम बार स्वीकार की थी,
तिमिर की सरित पार करने तुम्हीं ने
बना दीप की नाव तैयार की थी।
बहाते चलो नाव तुम वह निरन्तर
कभी तो तिमिर का किनारा मिलेगा।

शब्दार्थ : तिमिर-अंधकार, चुनौती-ललकार, सरित-नदी, किनारा-मंज्ञिल, समाधान।

संदर्भ : पूर्ववत्।

प्रसंग : प्रस्तुत काव्यांश में कवि मानव को प्रेरित करते हुए निरंतर प्रयास करते रहने की प्रेरणा देता है, ताकि वह अंधकार से निकलकर प्रकाश की ओर बढ़ सके।

व्याख्या : प्रस्तुत काव्यांश में कवि मानव को संबोधित करते हुए कहते हैं कि सबसे पहले तुमने ही अंधकार को चुनौती देने का साहस किया था और इस चुनौती को स्वीकार करते हुए तुमने दीपक जलाया था। इस जलते दीपक के माध्यम से तुपने अंधकार की नदी (तिमिर की सतित) को पार करने की कोशिश की और उसके लिए दीपक की नाव तैयार की। कवि आगे प्रेरित न ने हैं कि इस नाव को निरंतर बहाते रहो अर्थात् संघर्ष करते रहो, क्योंकि किसी न किसी दिन अंधकार को किनारा जरूर मिलेगा अर्थात् अंधकार का अंत अवश्य होगा। इस प्रकार, कवि का संदेश है कि निरंतर संघर्ष और साहस से ही अंधकार का नाश संभव है। यहाँ दीपक को एक प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो अंधकार के खिलाफ़ लड़ाई में मार्गदर्शक की भूमिका निभाता है। इस प्रकार, कवि हमें आशावादी दृष्टिकोण अपनाने और संघर्षरत रहने की प्रेरणा देते हैं। दीपक ज्ञान और प्रकाश का प्रतीक है, जबकि नाव परिवर्तन और प्रगति का प्रतीक है। कवि ने इस काव्यांश के माध्यम से हमें प्रेरित क्रिया है कि हम भी अपने जीवन पें एक दीपक की तरह प्रकाशित होकर दूसरों को भी प्रकाश प्रदान करें।

विशेष :

  1. यहाँ कवि ने निरंतर प्रयासरत् रहने की मेरणा दी है।
  2. दीपक को प्रतीक रूप में दर्शाया गया है।

काव्यांश 3

युगों से तुम्हीं ने तिमिर की शिला पर
दिये अनगिनत है निरंतर जलाए,
समय साक्षी है कि जलते हुए दीप
अनगिन तुम्हारे पवन ने बुझाए।
मगर बुझ स्वयं ज्योति जो दे गए वे
उसी से तिमिर को उजेला मिलेगा।

शब्दार्थ : शिला-पत्धर (यहाँ कठिनाई या अवरोध के लिए कहा गया है), पवन-हवा, ज्योति-प्रकाश, उजेला-प्रकाश, रोशनी।

संदर्भ : पूर्ववत्।

प्रसंग : प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने मनुष्य द्वारा सदियों से अंधकार से लड़ने के लिए दीप जलाने के विषय में बताया हैं, लेकिन उन दीपों को कई बार हवाओं ने बुझा दिया। फिर भी जो ज्योति बुझककर भी अपनी चमक छोड़ गई, वही अंधकार को दूर करने में सफल होती है।

व्याख्या : कवि मनुष्य के संकल्प और कर्मठता की प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि युगों से तुमने अंधकार की कठोर शिला पर अनगिनत दीपक जलाए हैं। ये दीपक मनुष्य की कठिनाइयों को दूर करने के प्रयासों और संघर्षों का प्रतीक हैं। समय इस बात का साक्षी है कि कई बार जलते हुए दीपक अर्थात् संघर्षरत प्रयास, हवाओं (परिस्थितियों) द्वारा बुझा दिए गए हैं। इन संघर्षों में कई बार विफलताएँ मिली हैं, लेकिन फिर भी उन लौ ने, जो बुझने से पहले प्रकाश दे गई, अंधकार को दूर करने में अपना योगदान दिया है। चाहे कितनी भी बार दीपक बुझा हो, लेकिन उसकी जो आखिरी चमक है, वह अंघकार को मिटाने का काम करती ही है अर्थात् कभी-कभी मनुष्य अपने प्रयासों में सफल नहीं होता है, लेकिन उसके प्रयास हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देते है, हार मानने की नहीं। अतः जो व्यक्ति रुक जाता है या हार जाता है अथवा जो किसी कारणवश अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाता है उनके प्रयास भी निरंतर हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।

अत: संघर्षों और कठिनाइयों के बावजूद भी हमें अपने प्रयासों को जारी रखना चाहिए, क्योंकि हर एक छोटे से प्रयास का बड़ा महत्त्व होता है। अंधकार का सामना करने के लिए संघर्षरत रहना ही जीवन की सच्चाई है और अंतत: यह संघर्ष ही हमें सफलता की ओर ले जाता है।

विशेष :

  1. कवि ने आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा दी है।
  2. म्रयास करते रहने के महत्त्व को उजागर किया गया है।

काख्यांश 4

दिये और तूफ़ान की यह कहानी
चली आ रही और चलती रहेगी,
जी जो प्रथम बार लौ दीप की
स्वर्ण-सी जल रही और जलती रहेगी।
रहेगा धरा पर दिया एक भी
यदि कभी तो निशा को सवेरा मिलेगा।।

शब्दाथ : तूफान-औधी, बड़ी चुनौती, स्वर्ण-की-सोने के समान, उज्ज्वल, निशा-रात, अंधकार, सवेरा-सुबह, धरा-पृथ्वी, धरती।

संदर्भ : पूर्ववत्।

प्रसंग : प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने दिये और तूफ़ान के बीच के द्वंद्ध को चित्रित किया है। कवि ने यहाँ दिये और तूफान के प्रतीकों का उपयोग करके यह बताया है कि किस प्रकार एक दृढ व्यक्ति अपने संकल्प और प्रयासों से तमाम कठिनाइयों का सामना कर सकता है।

व्याख्या : कवि कहते हैं कि दीपक और तूफ़ान की कहानी सदियों से चली आ रही है और आगे भी चलती रहेगी। यह कहानी प्रतीकात्मक रूप से इस बात की और संकेत करती है कि जीवन में कठिनाइयाँ और विपरीत परिस्थितियाँ हमेशा आती रहेंगी, लेकिन यदि मनुष्य दृङता और साहस के साथ आशारूपी दीपक को जलाए रखता है, तो वह हर कठिनाई को पार कर सकता है। जिस प्रकार दीपक की लौ पहली बार जलने के बाद सोने जैसी चमक के साथ जलती रहती है, उसी प्रकार एक बार जब मनुष्य ने संघर्ष और सकारात्मकता का मार्ग अपनाया, तो वह जीवन की कठिनाइयों का सामना करते हुए उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ता रहेगा।

कवि आगे कहते हैं कि यदि संसार में एक भी व्यक्ति ऐसा है, जो प्रेम, स्नेह और सहृदयता का संचार करता रहे, तो इस धरती पर अंधकार (नकारात्मक भाव और निराशा) को समाप्त कर उजाले का (सकारात्मक भाव) आगमन होगा। यह व्यक्ति एक नई सुबह की शुरुआत करेगा, जहाँ प्रेम और सहिष्णुता का राज्य होगा। इस प्रकार, कवि मनुष्य को निरंतर आशावान बने रहने और कठिनाइयों का साह्हसपूर्वंक सामना करने की प्रेरणा देते हैं, क्योंकि बही जीवन का सार है।

विशेष :

  1. दृदृता व आशारुपी दीपक को जलाए रखने की बात की गई है।
  2. निराशा को समाप्त करके आशा का भाव जागृत करने को कहा गया है।
  3. दीपक की लौँ की तुलना सोने की चमक के समान की गई है।

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