Class 6 Hindi Malhar Chapter 12 Hind Mahasagar Me Chota-Sa Hindustan Question Answer हिंद महासागर में छोटा-सा हिंदुस्तान
हिंद महासागर में छोटा-सा हिंदुस्तान Question Answer Class 6
कक्षा 6 हिंदी पाठ 12 हिंद महासागर में छोटा-सा हिंदुस्तान यात्रा वृतांत के प्रश्न उत्तर – Hind Mahasagar Me Chota-Sa Hindustan Class 6 Question Answer
पाठ से
आइए, अब हम इस पाठ को थोड़ा और निकटता से समझ लेते हैं। आगे दी गई गतिविधियाँ इस कार्य में आपकी सहायता करेंगी। आइए इन गतिविधियों को पूरा करते हैं।
मेरी समझ से
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (*) बनाइए
(i) हिरण समूह में क्यों खड़े थे?
- भागने पर उन्हें सिंह के आक्रमण का डर था। (*)
- वे भाग चुके हिरणों के लौटने की प्रतीक्षा में थे।
- वे बीच में खड़े असावधान जिराफ की रक्षा कर रहे थे।
- सिंह उनसे उदासीन थे अत: उन्हें कोई खतरा नहीं था।
(ii) मॉरिशस छोटे पैमाने पर भारतवर्ष ही है। कैसे?
- गन्ने की खेती अधिकतर भारतीयों द्वारा की जाती है।
- अधिकतर जनसंख्या भारत से जाने वालों की है।
- सभी भारतवासी परी तालाब पर एकत्रित होते हैं।
- भारत की बहुत-सी विशेषताएँ वहाँ दिखाई देती हैं। (*)
(ख) अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए और कारण बताइए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर :
हिरण समूह में इसलिए खड़े थे, क्योकि उन्हें यहु अहसास हो गया था कि उन पर सिंहों की नजजर पड़ चुकी है। उनके अंदर की सहज प्रवृत्ति उन्हें बता रही थी कि खतरा किसी भी तरफ़ भागने में हो सकता है। सिंह सामान्यत: शिकार करते समय दुंड का नहीं, बल्कि उस जानवर का शिकार करते हैं, जो भागते हुए झुंड से पिछ्छड जाता है। इसलिए हिरणों ने भागने के बजाय एक गोल (समूह) में खड़े रहना ही सुरक्षित समझा!
मॉरिशस को छोटे पैमाने पर भारतवर्ष इसलिए कहा गया है, क्योंकि इस द्वीप में भारतीय संस्कृति, भाषा और परंपराएँ गहराई से रची-बसी है। यहाँ 67 % जनसंख्या भारतीय मूल की है और उनमें से $53 \%$ लोग हिंदू धर्म के अनुयायी हैं। मॉरिशस की राजधानी पोर्टलुई की गलियों के नाम भारतीय शहरों; जैसे-कलकत्ता, मद्रास, हैदराबाद और बम्बई के नाम पर रखे गए है। यहाँ के मोहल्लों के नाम भी भारतीय शहरों और धार्मिक स्थलों पर आधारित हैं; जैसे-काशी, बनारस, गोकुल और ब्रह्यस्थान।
पंक्तियों पर चर्चा
पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।
“भारत में बैठे-बैठे हम यह नहीं समझ पाते कि भारतीय संस्कृति कितनी प्राणवती और चिरायु है, किंतु, मॉरिशस जाकर हम अपनी संस्कृति की प्राणवत्ता का ज्ञान आसानी से प्राप्त कर लेते हैं।”
उत्तर :
लेखक ने प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से यह व्यक्त किया है कि भारतीय संस्कृति की महत्ता और उसकी चिरंजीवता को, केवल भारत में रहते हुए समझना मुश्किल हो सकता है। भारत की विविधता और सांस्कृतिक धरोहर यहाँ के लोगों के लिए एक सामान्य बात हो सकती हैं, क्योंकि वे इन्हें अपने दैनिक जीवन में सहज रूप में जीते है, लेकिन जब यही व्यक्ति किसी अन्य देश, विशेषकर माँरिशस जैसे स्थान पर जाता है, जहाँ भारतीय मूल के लोग अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संजोए हुए हैं, तो उसे भारतीय संस्कृति की गहराई और उसकी अद्वितीयता का वास्तविक अनुभव होता है।
मॉरिशस में भारतीय मूल के लोग अपने धर्म, परंपराओं और रीति-रिवाज़ों को बहुत ही समर्पण और गर्व भाव के साथ जीते हैं, जिससे वहाँ की संस्कृति भारतीय संस्कृति का एक जीवंत प्रतीक बन जाती है। ऐसे में लेखक को एहसास होता है कि भारतीय संस्कृति सिर्फ एक जीवंत धरोहर नहीं है, बल्कि एक ऐसी प्राणवती शक्ति है, जो समय और स्थान से परे है, जो किसी भी परिस्थिति में अपनी पहचान बनाए रखती है। मॉरिशस में भारतीयों के इस समर्पण को देखकर लेखक भारतीय संस्कृति की ताकत को नई दृष्टि से समझ पाता है।
सोच-विचार के लिए
इस यात्रा-वृत्तांत को एक बार फिर से पढ़िए और निम्नलिखित के बारे में पता लगाकर अपनी लेखन-पुस्तिका में लिखिए
(क) “नैरोबी का नेशनल पार्क चिड़ियाघर नहीं है।”
नेशनल पार्क और चिड़ियाघर में क्या अंतर है?
उत्तर :
“नैरोबी का नेशनल पार्क चिड़ियाघर नहीं है।” इस पंक्ति से लेखक यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि नैरोबी का नेशनल पार्क एक प्राकृतिक और खुला वन क्षेत्र है न कि एक सीमित और संरक्षित चिड़ियाघर। चिड़ियाघरों में जानवरों को पिंजरों में या बाड़ों में रखा जाता है, जहाँ पर्यंटक आसानी से उन्हे देख सकते हैं।
नेशनल पार्क एक बड़ा, स्रुला प्राकृतिक क्षेत्र होता है, जहाँ जानवर स्वतंत्र रूप से उनके प्रकृतिक आवास में रहते हैं। इसमें मानव हस्तक्षेप कम होता है, जबकि चिडियाघर में जानवरों को सीमित बाड़ो
प्रश्न 1.
या पिजरों में रखा जाता है, जहाँ वे नियंत्रित और संरक्षित वातावरण में रहते हैं और पर्यटक उन्हें नज़दीक से देख सकते हैं।
(ख) “हम लोग पेड़-पौधे और खरपात से भी बदतर समझे गए।” वे कौन थे, जिन्होंने लेखक और अन्य लोगों को पेड़-पौधों और खरपात से भी बदतर समझ लिया था? उन्होंने ऐसा क्यों समझ लिया था?
उत्तर :
लेखक और अन्य लोगों को पेड़-पौधों और खरपात से भी बद्तर समझने वाले शेर थे। नैरोबी के नेशनल पार्क में शेर आराम कर रहे थे और उन्होंने वहाँ खड़ी मोटरों और उनके अंदर बैंठे लोगों की ओर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया। उन्होंने यह इसलिए किया, क्योंकि शेरों के लिए वहाँ मौजूद लोग या मोटरें उनकी दुनिया का हिस्सा नहीं थे। शेरों को इंसानों की उपस्थिति से कोई फर्क नहीं पड़ा और उन्होंने मानो इंसानों को तुच्छ समझते हुए उन्हें पूरी तरह अनदेखा कर दिया।
(ग) “मॉरिशस की असली ताकत भारतीय लोग ही हैं।” पाठ में इस कथन के समर्थन में कौन-सा तर्क दिया गया है?
उत्तर :
“मोरिशस की असली ताकत भारतीय लोग ही है।” इस कथन के समर्थन में यह तर्क दिया गया है कि मॉरिशस में ऊख (गन्ने) की खेती और चौनी के उद्योग को जो सफलता मिली है, वह भारतीयों के कारण ही संभव हो पाई है। यदि भारतीय वंश के लोग मॉरिशस में नहीं गए होते तो ऊख की खेती असंभव हो जाती और चीनी के कारखानों का विकास नहीं हो पाता। इस एकार भारतीयों ने मॉंरिशस के कृषि और उद्योग को अपनी मेहनत और समर्पण से समृद्ध बनाया है।
(घ) “उस द्वीप को उन्होंने छोटा-सा हिंदुस्तान बना डाला।” भारत से गए लोगों ने मॉरिशस को हिंदुस्तान जैसा कैसे बना दिया है?
उत्तर :
भारत से गए लोगों ने मॉरिशस को हिंदुस्तान जैसा इस प्रकार बना दिया कि उन्होंने वहाँ अपनी भारतीय संस्कृति, धर्म और परंपराओं को बनाए रखा। उन्होने अत्याचार और प्रलोभनों को सहकर भी अपना धर्म नहीं छोड़ा और मांरिशस के प्रत्येक गाँव में शिवालय और मंदिर बनाए। उन्होंने वहाँ भारतीय पर्व-त्योहारों को भी प्रचलित किया, जैसे शिवरात्रि, जिसमें वे भक्ति-भाव से परी-तालाब पर जल भरने जाते हैं। मॉरिशस में हिंदी, भोजपुरी और भारतीय रीवि-रिवाज़ों को अपनाकर उन्होंने मॉरिशस को एक छोटा-सा हिंदुस्तान बऩा दिया।
मिलकर करें मिलान
पाठ में से कुछ शब्द चुनकर स्तंभ 1 में दिए गए हैं। उनसे संबंधित वाक्य स्तंभ 2 में दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और रेखा खींचकर शब्दों का मिलान उपयुक्त वाक्यों से कीजिए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट, पुस्तकालय या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।
स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
1. अफ्रीका | (i) यह अफ्रीका महाद्वीप के एक देश ‘केन्या’ की राजधानी है। |
2. नैरोबी | (ii) यह श्रीराम के जीवन पर आधारित अमर ग्रंथ ‘रामचरितमानस’ लिखने वाले कवि का नाम है। |
3. रक्तचाप | (iii) यह एशिया के बाद दुनिया का सबसे बड़ा महाद्वीप है। |
4. बी.ओ.ए.सी. | (iv) यह रक्त-वाहिनियों अर्थात् नसों में बहते रक्त द्वारा उनकी दीवारों पर डाले गए दबाव का नाम है। |
5. भूमध्य रेखा | (v) यह दो भाषाओं के मिलने से बनी नई भाषा का नाम है। |
6. देशांतर रेखा | (vi) यह ‘ब्रिटिश ओवरसीज एयरवेज कॉरपोरेशन’ नाम का छोटा रूप है। यह एक बहुत पुरानी विदेशी विमान कंपनी थी। |
7. तुलसीदास | (vii) यह पृथ्वी के चारों ओर एक काल्पनिक वृत्त है, जो पृथ्वी को दो भागों में बाँटता है- उत्तरी भाग और दक्षिणी भाग। |
8. क्रेयोल | (viii) यह बाँस का एक मजबूत डंडा होता है, जिसे काँवर या बहुंगी भी कहा जाता है, जिसके दोनों सिरों पर बँधी हुई दो टोकरियों या छीकों में यात्री गंगाजल या अन्य वस्तुएँ भरकर ले जाते हैं। |
9. काँवर | (ix) ये ग्लोब पर उत्तर से दक्षिण की ओर खींची जाने वाली काल्पनिक रेखाएँ हैं। ये उत्तरी ध्रुव को दक्षिणी ध्रुव से मिलाती हैं। |
उत्तर :
स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
1. अफ्रीका | (iii) यह एशिया के बाद दुनिया का सबसे बड़ा महाद्वीप है। |
2. नैरोबी | (ii) यह श्रीराम के जीवन पर आधारित अमर ग्रंथ ‘रामचरितमानस’ लिखने वाले कवि का नाम है। |
3. रक्तचाप | (iv) यह रक्त-वाहिनियों अर्थात् नसों में बहते रक्त द्वारा उनकी दीवारों पर डाले गए दबाव का नाम है। |
4. बी.ओ.ए.सी. | (vi) यह ‘ब्रिटिश ओवरसीज एयरवेज कॉरपोरेशन’ नाम का छोटा रूप है। यह एक बहुत पुरानी विदेशी विमान कंपनी थी। |
5. भूमध्य रेखा | (vii) यह पृथ्वी के चारों ओर एक काल्पनिक वृत्त है, जो पृथ्वी को दो भागों में बाँटता है- उत्तरी भाग और दक्षिणी भाग। |
6. देशांतर रेखा | (ix) ये ग्लोब पर उत्तर से दक्षिण की ओर खींची जाने वाली काल्पनिक रेखाएँ हैं। ये उत्तरी ध्रुव को दक्षिणी ध्रुव से मिलाती हैं। |
7. तुलसीदास | (ii) यह श्रीराम के जीवन पर आधारित अमर ग्रंथ ‘रामचरितमानस’ लिखने वाले कवि का नाम है। |
8. क्रेयोल | (v) यह दो भाषाओं के मिलने से बनी नई भाषा का नाम है। |
9. काँवर | (viii) यह बाँस का एक मजबूत डंडा होता है, जिसे काँवर या बहुंगी भी कहा जाता है, जिसके दोनों सिरों पर बँधी हुई दो टोकरियों या छीकों में यात्री गंगाजल या अन्य वस्तुएँ भरकर ले जाते हैं। |
यात्रा-वृत्तांत की रचना
“इतने में कोई मील-भर की दूरी पर हिरनों का एक झुंड दिखाई पड़ा। अब दो जवान सिंह उठे और दो ओर को चल दिए। एक तो थोड़ा-सा आगे बढ़कर एक जगह बैठ गया, लेकिन दूसरा घास के बीच छिपता हुआ मोर्चे पर आगे बढ़ने लगा।”
इन वाक्यों को पढ़कर ऐसा लगता है मानो हम लेखक की आँखों से स्वयं वह दृश्य देख रहे हैं। मानो हम स्वयं भी उस स्थान की यात्रा कर रहे हैं, जहाँ का वर्णन लेखक ने किया है। यह इस यात्रा-वृत्तांत की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता है। यदि आप इस यात्रा-वृत्तांत को थोड़ा और ध्यान से पढ़ेंगे, तो आपको और भी बहुत-सी विशेषताएँ पता चलेंगी।
इस पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और इसकी रचना पर ध्यान दीजिए। आपको जो विशेष बातें दिखाई दें उन्हें आपस में साझा कीजिए और लिख लीजिए। जैसे लेखक ने बताया है कि वह एक स्थान से दूसरे स्थान तक कैसे और कब पहुँचा।
उत्तर :
लेखक ने अपने यात्रा-वृत्तांत में एक जीवंत और चित्रात्मक वर्णन प्रस्तुत किया है, जो पाठकों को घटनाओं और स्थलों का अनुभव कराता है। पहले, उन्होंने दिल्ली से 15 जुलाई को, मुंबई से 16 जुलाई को और नैरोबी से 17 जुलाई को मॉरिशस की यात्रा की योजना बनाई। नैंगोबी में एक रात और दो दिन ठहरने का अवसर मिलने पर लेखक ने वहाँ के नेशनल पार्क मे ध्रमण किया।
नेशनल पार्क की विशेषता बताते हुए, लेखक ने यहा स्पष्ट किया कि यह एक चिडियाघर नहीं है, बल्कि एक विशाल जंगल है, जिसमें घास अधिक और पेड़ कम हैं। लेखक ने वन्य जीवन का विवरण देते हुए बताया कि सिहों ने पर्यटकों की गाड़ियों को, उनके आस-पास के वातावरण को नज़रअंदाज़ किया।
हिरनों के झुंड की ओर संकेत करते हुए, लेखक ने दो जवान सिंहों की गतिविधियों का जीवंत चित्रण किया, जिन्होंने शिकार के लिए घातक तैयारी की थी। इस विवरण से पाठक स्वयं को उस स्थान पर उपस्थित महसूस करता है।
लेखक ने यात्रा की शुरुआत में स्थलों की विशेषताओं और वन्य जीवन की गतिविधियों का सजीव चित्रण करते हुए पाठकों को अपनी यात्रा के दौरान हुए अनुभवों को साझा किया है। उनके वर्णन की गहराई और विस्तार पाठकों को यात्रा का स्वयं अनुभव कराने में सहायता करती है, जैसे वे स्वय ही यात्रा कर रहे हों।
अनुमान या कल्पना से
अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए
(क) “मॉरिशस वह देश है, जहाँ बनारस भी है, गोकुल भी है और ब्रह्मस्थान भी।” मॉरिशस में लोगों ने गली-मोहल्लों के नाम इस तरह के क्यों रखे होंगे?
उत्तर :
मॉरिशस में गली-मोहल्लों के नाम; जैसे-बनारस, गोकुल और ब्रह्मस्थान रखना भारतीय समुदाय की सांस्कृतिक और धार्मिक जड़ों को दर्शाता है। जब भारतीय अपने पूर्वजों की मातृभूमि से मांरिशस जैसे दूरस्थ द्वीप पर गए, तो उन्होंने अपनी पहचान और संस्कृति को वहाँ भी बनाए रख्बा। इस प्रकार, ये नाम पॉरिशस में भारतीय संस्कृति की गहरी जड़ों को प्रतिबिबित करते हैं और वहाँ के हिंदू समुदाय की धार्मिक आस्थाओं और सांस्कृतिक परंपराओं की पहचान को प्रकट करते हैं। इन नामों को रखने से भारतीय समुदाय ने अपने पारंपरिक धार्मिक स्थलों और सांस्कृतिक धरोहरों की महत्ता को बनाए रखने का प्रयास किया।
बनारस, गोकुल और ब्रह्यस्थान जैसे नाम न केवल उनकी धार्मिक आस्थाओं को व्यक्त करते हैं, बस्कि उनके पूर्वजों की सांस्कृतिक धरोहर को भी सम्मानित करते हैं। इस प्रकार, माँरिशस में इन नामों का ‘उपयोग सांस्कृतिक एकता और पहुचन को मजबूती प्रदान करता है, जो भारतीयों की सांस्कृतिक स्थिरता और उनके नए देश में अपनी सांस्कृतिक पहचान यनाए रखने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
(ख) “कोई सात-आठ सिंह लेटे या सोए हुए थे और उन्हें घेरकर आठ-दस मोटरें खड़ी थीं।” आपने पढ़ा कि केन्या का राष्ट्रीय पार्क पर्यटकों से भरा रहता है। पर्यटक जंगली जानवरों को घेरे रहते हैं। क्या इसका उन पशुओं पर कोई प्रभाव पड़ता होगा? अपने उत्तर के कारण भी बताइए। (संकेत- राष्ट्रीय पार्क के बंदरों, सिंहों का व्यवहार भी बदल गया है।)
उत्तर :
राष्ट्रीय पारों में पर्यटकों की भारी उपस्थिति और जानवरों को घेरे रखने से उनके व्यवहार पर प्रभाब पड़ सकता है। मोटरगाड़ियो और पर्यटकों के जानवरों के करीब आ जाने से जानवरों में तनाव और विचलन उत्पन्न होता होगा और इस प्रकार के निरंतर संपर्क से जानवरों में अजीब या असामान्य व्यवहार विकसित हो सकता है, जैसे कि बंदर और लंगूर पर्यटकों से भोजन प्राप्त करने के लिए आक्रामक होते हैं।
इसके अतिरिक्त, जानवरों की प्राकृतिक आदतें प्रभावित होती होंगी, जिससे वे पर्यंकों की उपस्थिति को सामान्य मान लेते होंगे और अपने स्वाभाविक शिकार या भोजन की आदतों में बदलाव करते होंगे। इस प्रकार, पर्यटको की उपस्थिति के बावजूद, प्रकृतिक आवासों में जानवरों की भलाई और उनके व्यवहार को न्यूनतम प्रभावित करने के लिए उचित दिशा-निदेंश और नियम बनाए जाने आवश्यक है।
(ग) “हिरनों का एक झुंड दिध्याई पड़ा, जिनके बीच एक जिराफ बिल्कुल बेवकूफ की तरह खड़ा था।” सिंहों के आस-पास होने के बाद भी जिराफ क्यों खड़ा रहा होगा?
उत्तर :
सिंहों के आम़-गास होने के बावजूद जिराफ का झुंड के बीच खड़ा रहना उसकी प्राकृतिक सुरक्षा रणनीति को दर्शाता है। जिराफ अपनी ऊँचाई और लंबी गर्दन के कारण झुंड के भीतर भी अपनी निगरानी क्षमता को बनाए रख सकते है। जब सिंहों ने हिरनों के झुंड की ओर ध्यान देना शुरु किया, तो जिराफ ने अपने आस-पास की स्थिति का आकलन करने की कोशिश की होगी और यह जानने का प्रयास किया होगा कि वह स्वयं कितना सुरक्षित है। जिराफ का स्थिर रहना संभवत: उसकी सुरक्षा की रणनीति का हिस्सा रहा होगा, जिससे वह अपनी ऊँचाई का लाभ उठाकर आस-पास की स्थिति पर निगरानी रख सके। इसके अतिरिक्त जिराफ के लिए सिहों का अस्थायी ध्यान और शिकार का केंद्र हिरनों पर केंद्रित होने से उसे अस्थायी सुरक्षा का एहसास हुआ होगा।
(घ) “मॉरोशस के मध्य में एक झील है, जिसका संबंध हिंदुओं ने परियों से बिठा दिया है और उस झील का नाम अब परी-तालाब हो गया है।” उस झील का नाम ‘परी-तालाब’ क्यों पड़ा होगा?
उत्तर :
मॉरिशस के मध्य में स्थित झील का नाम ‘परी-तालाब’ हिंदु, समुदाय की धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं से संबंधित है। भारतीय संस्कृति में झीलों और जलाशयों को अकसर पवित्र माना जाता है और इन्हे दिव्य या धार्मिक कथाओं से जोड़ा जाता है। जब भारतीयों ने मॉरिशस में अपने धर्म और संस्कृति को बनाए रखा, तो उन्होने इस झोल को भी अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक बना दिया। ‘परी-तालाब’ नाम इस बात को दर्शाता है कि हिंदू समुदाय ने झील को परियों के निवास स्थान या उनके साथ जोड़कर देखा, जिससे झील को धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व प्रदान किया। यह नाम झील की पवित्रता और धार्मिक विशेषताओं को दर्शाता है, जो हिंदू समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर को सम्मानित करता है।
(ङ) आपको यहा जानकर आश्चर्य होगा कि लगभग 50 साल पहले ‘परी-तालाब’ का नाम बदलकर ‘गंगा-तालाब’ कर दिया गया है। मॉरिशस के लोगों ने यह नाम क्यों रखा होगा?
उत्तर :
मॉंरिशस के लोगों द्वारा ‘परी-तालाब’ का नाम बदलकर ‘गंगा-तालाब’ रखे जाने का निर्णय भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के अनुरूप हो सकता है। गंगा नदी भारतीय संस्कृति में अन्यधिक पवित्र मानी जाती है और उसे देवी के रूप में पूजा जाता है। इस प्रकार, ‘गंगा-तालाब’ नाम देकर झील को भारतीय धार्मिकता और पवित्रता से जोंग गया, जो हिंदू समुदाय के लिए एक महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक प्रतीक है।
नाम बदलने के इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि मॉरिशस के हिंदू समुदाय ने अपनी सांस्कृतिक पहचान और धार्मिक आस्थाओं को बनाए रखने की कोशिश की। ‘गंगा-तालाब’ नाम झील की धार्मिक महत्ता को बढ़ाता है और स्थानीय लोगों के धार्मिक आदश। के प्रति उनकी श्रद्धा को दर्शांता है। यह नाम भारतीय संस्कृति की गहरी जड़ों और धार्मिक मान्यताओं को सम्मानित करने का एक तरीका है।
शब्दों की बात
नीचे शब्दों से जुड़ी कुछ गतिविधियाँ दी गई हैं। इन्हें करने के लिए आप शब्दकोश, पुस्तकालय, अपने शिक्षकों और साधियों की सहायता भी ले सकते हैं।
संज्ञा के स्थान पर –
(क) हिरनों ने ताड़ लिया कि उन पर सिंहों की नजजर पड़ रही है। अतएव वे चरना भूलकर चौकन्ने हो उठे।
इन पंक्तियों में रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए। इन वाक्यों में ये शब्द किनके लि पयोग किए गए हैं? ये शब्द ‘हिरनों’ के लिए उपयोग में लाए गए हैं। आप जानते ही हैं कि ‘हिर’ यहाँ एक संज्ञा शब्द है, जो शब्द संज्ञा शब्दों के स्थान पर उपयोग में लाए जाते हैं, उन्हें ‘सर्वनाम’ कहते हैं।
अब नीचे दिए गए वाक्यों में सर्वनाम शब्दों को पहचानिए और उनके नीचे रेखा खींचिए
(i) “हाँ, बच्चे हाफ पैंट पहन सकते हैं, लेकिन गाँधी टोपी उस दिन उन्हें भी पहननी पड़ती है।”
(ii) “भारतीयों ने अत्याचार तो सहे, लेकिन प्रलोभनों को ठुकरा दिया। वे अपने धर्म पर डटे रहे और जिस द्वीप में भगवान ने उन्हें भेज दिया था, उस द्वीप को उन्होंने छोटा-सा हिंदुस्तान बना डाला।”
उत्तर :
(i) “हाँ, बच्चे हाफ पैट पहन सकते हैं, लेकिन गाँधी टोपी उस दिन उन्हें भी पह्नननी पड़ती है।”
(ii) “भारतीयों ने अत्याचार तो सहे, लेकिन प्रलोभनों को ठुकरा दिया। वे अपने धर्म पर डटे रहे और जिस द्वीप में भगवान ने उन्हें भेज दिया था, उस द्वीप को उन्होंने छोटा-सा हिंदुस्तान बना डाला।”
(ख) ऊपर दिए गए दोनों वाक्यों को सर्वनाम की जगह संज्ञा शब्द लगाकर लिखिए।
उत्तर :
(i) “हाँ, बच्चे हाफ पैंट पहन सकते हैं, लेकिन गाँधी टोपी उस दिन बच्चों को भी पहननी पड़ती है।”
(ii) भारतीयों ने अत्याचार तो सहे, लेकिन प्रलोभनों को ठुकरा दिया। भारतीय अपने धर्म पर डटे रहे और जिस द्वीप में भगवान ने भारतीयों को भेज दिया था, उस द्वीप को भारतीयों ने छोटा-सा हिंदुस्तान बना डाला।”
पाठ से आगे
आपकी बात
(क) “वहाँ जो कुछ देखा, वह जन्मभर कभी नहीं भूलेगा।” क्या आपने कभी ऐसा कुछ देखा, सुना या पढ़ा है, जिसके बारे में आपको लगता है कि आप उसे कभी नहीं भूल सकेंगे? उसके बारे में अपने समूह में बताइए।
उत्तर :
हाँ, मैंने ऐसा अनुभव किया है, जिसे में कभी नहीं भूलूँगा। एक बार मैं अपने परिवार के साथ जंगल सफारी पर गया था। वहाँ हमने बाघ को बहुत करीब से देखा वह बाच धीरे-धीरे हममारी जीप के पास से गुज़र रहा था। वह बहुत बड़ा और ताकतवर लग रहा था और उसकी आँखें चमक थी। उस समय, सब कुछ बहुत शांत था और हम सबने साँसे रोक रखी थी, ताकि बाघ को हमारा आभास न हो जाए। यह नज़ारा देखकर मैं बहुत रोमांचित हो गया और मुझे थोड़ा डर भी लग रहा था। वह पल इतना खास था कि में उसे जीवनभर नहीं भूल सकता।
(ख) “हमें अफ्रीका के शेरों से मुलाकात कर लेनी चाहिए।” ‘मुलाकात’ शब्द का अर्थ है ‘मिलना’। लेकिन यहाँ ‘मुलाकात’ शब्द का भाव है- शेरों को पास से देखना। इसके लिए ‘अपनी आँखों से देखना’, ‘सजीव देखना’ ‘भेंट करना’ आदि शब्दों का प्रयोग भी किया जाल है। अपनी बात को और अधिक सुंदर और अनोखा रूप देने के लिए शब्दों के इस प्रकार के प्रयोग किए जाते हैं। आपने अब तक किन-किन पशु-पक्षियों से ‘मुलाकात’ की है? वह मुलाकात कहाँ हुई थी? बताइए।
उत्तर :
मैंने अब तक कई पशु-पक्षियों से ‘मुलाकात’ की है और ये मुलाकातें मेरे लिए बहुत खास है। एक बार मै अपने परिवार के साथ चिड़ियाघर गया था, जहाँ मैने बाघ, शेर और हाथी को सजीव देखा। शेर को इतने करीब से देखकर मैं रोमांचित हो गया था, क्योंकि वह बहुत ही ताकतवर और डरावने दिखाई दे रहे थे। बाघ भी अपनी खूलसूरत धारियों और शान से चलता हुआ बहुत शानदार लग रहा था।
इसके अतिरिक्त, मैं एक बार पक्षी विहार भी गया था, जहाँ मैंने अलग-अलग प्रजातियों के रंग-बिरंगे तोते, मोर और बगुलों को अपनी आँखों से देखा था मोर का नाचना और तोते का बात करना मुझे बहुत अच्छा लगा। ये सभी मुलाकातें चिड़ियाघर और पक्षी विहार में हुडं, इन पलों को मैं कभी नहीं भूल सकता। ये मुलाकातें मुझे प्रकृति के करीब ले आईं और मैने इन जानवरों और पक्षियों के बारे में बहुत कुछ सीखा।
(ग) “यह ऐसी सफलता की बात है, जिस पर सभी भारतीयों को गर्व होना चाहिए।” आपको किन-किन बातों पर गर्व होता है? बताइए। (संकेत- ये बातें आपके बारे में हो सकती हैं, आपके परिवार के बारे में हो सकती हैं और किसी अन्य व्यक्ति, वस्तु, स्थान, प्राणी आदि के बारे में भी हो सकती हैं।)
उत्तर :
मुझे कई बातों पर गर्व होता है; जैसे-
सबसे पहले, मुझे अपने परिवार पर गर्व है। मेरे माता-पिता मुझे हमेशा सही रास्ता दिखाते हैं और मेरी पढ़ाईं में मेरी सहायता करते हैं। वे बहुत मेहनती और दयालु है, मैं उनकी इन बातों पर गर्व महसूस करता हूँ।
मुझे अपने स्कूल पर भी गर्व है। मेरे स्कूल में अच्छे शिक्षक है, जो हमें नई-नईं बातें सिखाते हैं। वहाँ का वातावरण बहुत अच्छा है और मुझे वहाँ पढ़ाई करना बहुत पसंद है।
इसके अतिरिक्त, मुझे अपने देश भारत पर भी गर्व है। हमारे देश की संस्कृति, त्योहार और विविधता बहुत खास है। हम हर तरह के त्योहार मनाते हैं और हर राज्य की अपनी अलग भाषा, भोजन और परंपराएँ हैं। यह सब मिलकर भारत को बहुत खास बनाते हैं और मुझे इस पर गर्व होता है।
अंत में, मुझे अपनी मेहनत पर गर्व होता है। जब मैं कोई काम अच्छे से करता हैँ, जैसे पढ़ाई में अच्छे अंक लाना या किसी खेल में जीतना, तो मुझे खुशी और गर्व दोनों महसूस होते है। ये सभी बातें मेंरे लिए गर्व का कारण बनती हैं।
कक्षा और घर की भाषाएँ
“प्रायः सभी भारतीय भोजपुरी बोलते अथवा उसे समझ लेते हैं। यहाँ तक कि भारतीयों के पड़ोस में रहने वाले चीनी भी भोजपुरी बखूबी बोल लेते हैं।”
भारत एक बहुभाषी देश है। भारत में लगभग सभी व्यक्ति एक से अधिक भाषाएँ बोल या समझ लेते हैं। आप कौन-कौन सी भाषाएँ बोल-समझ लेते हैं? आपके मित्र कौन-कौन सी भाषाएँ बोल-समझ लेते हैं? इसके बारे में यहाँ दी गई तालिका को पूरा कीजिए
(संकेत इस तालिका को पूरा करने के लिए आपको अपने मित्रों और परिजनों से पूछताछ करनी होगी। पहले भाषाओं के नाम लिखने हैं, बाद में उन नामों को गिनकर उनकी कुल संख्या लिखनी है।
उत्तर :
प्रशंसा या सराहना विभिन्न प्रकार से
“यह द्वीप हिंद महासागर का मोती है, भारत-समुद्र का सबसे खूबसूरत सितारा है।”
इस पाठ में लेखक ने मॉरिशस की सराहना में यह वाक्य लिखा है। सराहना करने के लिए ‘दिनकर’ ने द्वीप की तुलना मोती और तारे से की है।
किसी की सराहना अनेक प्रकार से की जा सकती है। आप आगे दी गई तालिका को पूरा कीजिए। पहले नाम लिखिए, फिर इनकी प्रशंसा में एक-एक वाक्य लिखिए। शर्त यह है कि प्रत्येक बार अलग तरह से प्रशंसा करनी है
सराहना की तालिका
उत्तर :
सराहना की तालिका
चित्रात्मक सूचना (इंफोग्राफिक्स)
नीचे दिए गए चित्र को देखिए। इसमें चित्रों के साथ-साथ बहुत कम शब्दों में कुछ जानकारी दी गई है। इसे ‘चिश्रात्मक सूचना’ कहते हैं।
(क) इस ‘चित्रात्मक सूचना’ के आधार पर मॉरिशस के बारे में एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर :
मॉरीशस में भारतीय आगमन दिवस 2 नवंबर, 1834 को मनाया जाता है, जब एटलस नामक जहाज भारतीय मजदूरों को लेकर द्वीप पर पहुँचा था। इन मजदूरों को ब्रिटिश शासकों द्वारा गन्ने के खेतों में काम करने के लिए लाया गया था। आज मॉरीशस की आवादी का लगभग 68 % हिस्सा भारतीय मूल के लोगों का है। इनमें से अधिकांश बिहार से थे, लेकिन, तमिल, तेलुगू और मराठी समुदाय के लोग भी यहाँ बड़ी संख्या गें रहते हैं। भारतीय संस्कृति का मॉरीशस के संगीत, फिल्म और राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ा है। देश के पहले प्रधानमंत्री सर सीवसागुर रामगुलाम भारतीय मूल के थे।
(ख) अपनी पसंद के किसी विषय पर इसी प्रकार की ‘चित्रात्मक सूचना’ की रचना कीजिए, जैसे-आपका विद्यालय, कोई विशेष दिवस, आपके जीवन की कोई विशेष घटना आदि। (संकेत – यह कार्य आप अपने समूह में मिलकर कर सकते हैं। इसके लिए आप किसी कागज़ पर चित्र चिपका सकते हैं और सूचना को कलात्मक रूप से कम शब्दों में लिख सकते हैं। चित्र बनाए भी जा सकते हैं। आप यह कार्य कंप्यूटर या मोबाइल फोन की सहायता से भी कर सकते हैं।)
उत्तर :
छात्र स्वयं करें।
पत्र
यहाँ ‘दिनकर’ का लिखा एक पत्र दिया जा रहा है। इसे पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर लिखिए। पत्र पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर अपने समूह में मिलकर खोजिए –
नई दिल्ली।
8-7-67
मान्यवर चतुर्वेदी जी,
आपका कृपा-पत्र मिला। मेश स्वास्थ्य इधर बहुत गिर गया है और संयम के बावजूद तेज़ी से सुधर नहीं रहा है। मेरा चित्त अभी भी दबा हुआ है। ऐसी अवस्था में मैंने दो सप्ताह के लिए मॉरिशस जाना स्वीकार कर लिया है। 15 जुलाई को प्रस्थान करना है। लौटना शायद 5 अगस्त तक हो।
आपके आशीर्वाद की कायना करता हूँ।
आपका दिनकर
सफ़दरजंग लेन,
नई दिल्ली
(क) पत्र किसने लिखा है?
उत्तर :
पत्र रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ने लिखा है।
(ख) पत्र किसे लिखा गया है?
उत्तर :
पत्र चतुवेदी जी को लिखा गया है।
(ग) पत्र किस तिथि को लिखा गया है?
उत्तर :
पत्र 8 जुलाई, 1967 (8-7-67) को लिखा गया है।
(घ) पत्र किस स्थान से लिखा गया है?
उत्तर :
पत्र नई दिल्ली से लिखा गया है।
(ङ) पत्र पाने वाले के नाम से पहले किस शब्द का प्रयोग किया गया है?
उत्तर :
पत्र पाने वाले के नाम से पहले ‘मान्यवर’ शब्द का प्रयोग किया गया है।
(च) पत्र-लेखक ने अपने नाम से पहले अपने लिए क्या शब्द लिखा है?
उत्तर :
पत्र-लेखक ने अपने नाम से पहले ‘आपका’ शब्द लिखा है।
उलझन सुलझाओ
(क) “जहाज़ नैरोबी से चार बजे शाम को उड़ा और पाँच घंटों की निरंतर उड़ान के बाद जब वह मॉरिशस पहुँचा, तब वहाँ रात के लगभग दस बज रहे थे।”
जहाज़ नैरोबी से शाम 4 बजे उड़ा तो उसे 5 घंटों की उड़ान के बाद रात 9 बजे मॉरिशस पहुँचना चाहिए था, लेकिन वह पहुँचा लगभग दस बजे। क्यों?
आप इसका कारण पता करने के लिए अपने शिक्षकों या इंटरनेट की सहायता ले सकते हैं।
उत्तर :
जहाज़ नैरोबी से शाम 4 बजे उड़ा और 5 घंटों की निरंतर उड़ान के बाद रात 10 बजे मॉरिशस पहुँचा, जबकि उसे 9 बजे पहुँच जाना चाहिए था। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि मॉरशस और नैरोबी के बीच समय का अंतर है।
नैरोबी (केन्या) पूर्वां अफ्रीका समय (EAT) क्षेत्र में है, जबकि मॉरिशस समय (MUT) क्षेत्र में है। मॉरिशस का समय नैरोबी के समय से एक घंटा आगे है। इसलिए, जब विमान नैंरोबी में शाम 4 बजे उड़ा, तो मॉरिशस में उस समय शाम के 5 बज रहे थे। इसी वजह से विमान मॉरिशस में 5 घंटों की उड़ान के बाद रात 10 बजे पहुँचा।
(ख) नीचे दो घड़ियों के चित्र दिए गए हैं। एक घड़ी भारत के समय को दिखा रही है। दूसरी घड़ी दिखा रही है कि उसी समय मॉरिशस में कितने घंटे और मिनट हुए हैं।
इन घड़ियों के अनुसार नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
भारत में क्या समय हुआ है?
उत्तर :
भारत में 5:20 बजे हैं।
मॉरिशस में क्या समय हुआ है?
उत्तर :
मॉरिशस में 3:50 बजे है।
मॉरिशस और भारत के समय में कितने घंटे और मिनट का अंतर है?
उत्तर :
मॉंशिस और भारत के समय में 1 घंटे और 30 मिनट का अंतर है।
सूर्योदय भारत में पहले होगा या मॉरिशस में?
उत्तर :
सूर्योंदय भारत में पहले होगा।
जिस समय भारत में दोपहर के 12 बजे होंगे, उस समय मॉरिशस की घड़ियाँ कितना समय दिखा रही होंगी?
उत्तर :
जिस समय भारत में दोपहर के 12 बजे होंगे, उस समय मॉरिशस की घड़ियाँ सुबह के 10:30 बजे दिखा रही होंगी।
आज की पहेली
आज हम आपके लिए एक अनोखी पहेली लाए हैं। यहाँ एक वाक्य दिया गया है। आपको पता करना है कि इसका क्या अर्थ है?
येला मालथ येला घौलश।
उत्तर :
मेरा भारत मेरा गौरव।
हिंद महासागर में छोटा-सा हिंदुस्तान Class 6 Summary Explanation in Hindi
‘हिंद महासागर में छोटा-सा हिंदुस्तान’ राष्ट्रवादी कवि ‘रामधारी सिंह दिनकर’ द्वारा रचित एक प्रसिद्ध यात्रा-वृत्तांत है। इस यात्रा-वृत्तांत में मॉरिशस की यात्रा के दौरान नैरोबी (केन्या) और मॉरिशस के हुदयस्पर्शीं अनुभवों व घटनाओं का वर्णन किया गया है। मॉंरिशस हैंद महासागर का एक खबलसूरत हिस्सा है।
दिनकर जी की यात्रा दिल्ली से 15 जुलाई को, मुंबई से 16 जुलाई को और नैरोबी (केन्या) से 17 जुलाई को मॉरिशस के लिए प्रारंभ होती है। नैरोबी में नेशनल पार्क के श्रमण के दौरान अफ्रीकी शेरों व सिंहों के व्यवहार का वर्णन करते हुए लेखक अपनी यात्रा आरंभ करते हैं। मॉंरिशस को एक छोटा-सा हिंदुस्तान मानते हुए वहाँ की भारतीय संस्कृति एवं भाषा का अनूठा प्रभाव इस पाठ में दिखाई देता है।
नैरोबी का नेशनल पार्क
नैरोबी का नेशनल पार्क चिड़ियाघर नहीं है, बल्कि शहर से बाहर एक बहुत बड़ा जंगल है, जिसमें घास अधिक, पेड़ बहुत कम है। जंगल में सर्वत्र अच्छी सड़कें बिछी़ी हुई हैं और पर्यंकों की गाड़ी उन पर दौड़ती रहती है। लेखंक की गाड़ी दस-बीस मील चलने के पश्चात् उन्हें वहाँ सिंह आराम करते दिखाई देते हैं, परंतु सिंहों द्वारा मनुष्य को देखकर किसी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जाती।
मनुष्यों को नजरअंदाज करने का यह रवैया लेखक को आश्चर्यंचकित कर देता है तथा उसका रक्तचाप अधिक हो जाता है। यह अनुभव अभ्रीका के वन्यजीवन व सिंहों की स्वतंत्रता को स्पष्ट दर्शाता है कि किस प्रकार वह स्वतंत्र व प्रभुत्वशाली है।
मॉरिशस की भौगोलिक स्थिति
नैरोबी से मॉरिशस की उड़ान भरने के बाद लेखक मॉरिशस की भौगोलिक स्थिति का वर्णन करते हुए कहता है-नैरोबी से मॉरिशस तक हम बी. ओ. ए. सी. के जहाज़ से उड़े तथा वहाँ रात के लगभग दस बजे पहुँचे। वहाँ अंधेरा था, पानी सरस रहा था, उसके पश्चात् भी लेखक के स्वागत में बहुत-से लोग मौजूद थे।
मॉरिशस द्वीप भूमध्य रेखा से कोई बीस डिर्री दक्षिण और देशांतर रेखा 60 के बिल्कुल पास, किंतु उससे पश्चिम में बसा हुआ है। इसकी लंबाई 29 मील और चौड़ाई 30 मील थी। इस द्वीप का क्षेत्र 720 वर्गमूल आँका गया। इस द्वीप को हिंद महासागर का मोती कहा जाता है। यह भारत-समुंद्र का सबसे खूबसूरत सितारा भी है।
मॉरिशस की भाषाएँ और भारतीय संस्कृति
माँरिशस की राजभाषा अंग्रेजी, कितु संस्कृति की भाषा फ्रेंच है, जबकि जनता क्रेयोल भाषा का अधिकतम प्रयोग करती है। क्रेयोल का फ्रेंच से वही संबंध है, जो संबंध भोजपुरी का हिंदी से है। मॉरिशस की दूसरी जनभाषा भोजपुरी को माना जाता है, जबकि क्रेयोल प्रथम जनभाषा है। मॉरिशस के हिंदुओं में से अधिकांश बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग हैं, इसीलिए हिंदी का मॉरिशस में व्यापक प्रसार-प्रचूर है। यही मिश्रण भाषा के समृद्ध विकास और भारतीय संस्कृति की शक्ति को दर्शाता है।
मॉरिशस और खेती
मॉरिशस एक कृषि-प्रधान द्वीप है। चीनी यहाँ का एकमात्र तथा प्रमुख उद्योग है। मॉरिशस में ऊख की खेती और उसके व्यवसाय को जो सफलता भारतीयों के कारण मिली है वह अन्यत्र मिल पाना संभव नहीं थी। यदि भारतीय वंशज इस द्वीप पर नहीं आए होते, तो ऊख की खेती असंभव हो जाती और चीनी के कारखाने नहीं बढ़ पाते। इस खेती व चीनी उद्योग से मॉरिशस की अर्थव्यवस्था अधिक सुदृद और विकसित हुई।
भारतीय संस्कृति की चिरंतनता और धार्मिकता
भारतीय संस्कृति कितनी प्राणवती और चिरायु है यह समझना आसान नहीं, परंतु मॉरिशस की इस यात्रा से लेखक ने भारतीय संस्कृति की प्राणवत्ता का ज्ञान आसानी से प्राप्त कर लिया। लेखक भारतीय संस्कृति की चिरंतनता की सराहना करते हैं। मॉरिशस के मंदिरों और शिवालयों की स्वच्छता, रख-रखाव और सुंदरता लेखक को अत्यधिक प्रभावित करती है। भारतीयों ने अत्याचार सहे, किंतु प्रलोभनों को ठुकरा दिया। वे अपने धर्म पर अडिग रहे और जिस द्वीप में वह आ बसे थे, उसे ही उन्होंने एक छोटा-सा हिंदुस्तान बना दिया। भारतीय संस्कृति की यह स्थिति हम सभी भारतीयों के लिए गर्व का विषय बन गई।
मॉरिशस और भारतीय पर्व
लेखक द्वारा मॉरिशस में भारतीय पर्वों की स्थिति का वर्णन किया गया है। लेखक बताते हैं कि मॉरिशस के प्रत्येक प्रमुख ग्राम में शिवालय होता है। मॉरिशस के प्रत्येक प्रमुख ग्राम में हिंदू तुलसीकृत रामायण (रामचरितमानस) का पाठ करते हैं अथवा ढोलक और झॉँझ पर उसका गायन करते हैं।
भारत के पर्व-त्योहार मॉरिशस में भी प्रचलित है, किंतु वर्ष का सर्वश्रेष्ठ धार्मिक पर्व शिवरात्रि है। शिवरात्रि के समय सभी मॉरिशस हिंदू श्वेत वस्त्र धारण करके कंधों पर काँवर लिए जुलूस बाँधकर परी-तालाब पर आते हैं। परी तालाब से जल भरकर अपने-अपने गाँव के शिवालय लौट जाते हैं।
शब्दार्थ
शब्द – अर्थ
- रवाना – भेजा गया
- सर्षत्र – सभी जगह
- पर्यटकों – दूसरे देर्शों में घूमने फिरने वाला
- दृष्टिपात – अवलोकन, सरसरी निगाह से देखना
- तुच्छातितुच्छ – एकदम गया गुजरा, अत्यंत निकृष्ट
- ताइ – अनुमान लगाना
- मोचें – गढ के अंदर रहकर शत्रु से लडने वाली सेना
- चौकन्ने – हैरान हो जाना
- ठिठके – आशंका, संकोच, भय
- रक्तचाप – खून का दबाव
- प्रलोभनों – लोभ, लालच
- सुरम्य – अत्यंत मनोरम
- शिवालय – शिव का मंदिर
- कृत्य – कर्म, काम
- वयस्क – एक पूर्ण विकसित्त व्यक्ति
- आकर्षण – खिंचाव