Class 6 Hindi Malhar Chapter 4 Haar Ki Jeet Question Answer हार की जीत
हार की जीत Question Answer Class 6
कक्षा 6 हिंदी पाठ 4 हार की जीत कहानी के प्रश्न उत्तर – Haar Ki Jeet Class 6 Question Answer
पाठ से
मेरी समझझ से
आइए, अब हम ‘हार की जीत’ कहानी को थोड़ा और निकटता से समझ लेते हैं।
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (*) बनाइए।
(i) सुल्तान के छीने जाने का बाबा भारती पर क्या प्रभाव हुआ?
- बाबा भारती के मन से चोरी का डर समाप्त हो गया।
- बाबा भारती ने गरीबों की सहायता करना बंद कर दिया।
- बाबा भारती ने द्वार बंद करना छोड़ दिया। (*)
- बाबा भारती असावधान हो गए।
(ii) “बाबा भारती भी मनुष्य ही थे।” इस कथन के समर्थन में लेखक ने कौन-सा तर्क दिया है?
- बाबा भारती ने डाकू को घमंड से घोड़ा दिखाया।
- बाबा भारती घोड़े की प्रशंसा दूसरों से सुनने के लिए व्याकुल थे। (*)
- बाबा भारती को घोड़े से अत्यधिक लगाव`और मोह था।
- बाबा भारती हर पल घोड़े की रखवाली करते रहते थे।
(ii) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि औपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर :
पाठ के अनुसार, जब सुल्तान को खड्गसिंह ने चुरा लिया तो बाबा भारती ने द्वार बंद करना और पहरा देना छोड़ दिया, क्योंकि रात के अँधेरे में खड्गसिंह जब सुल्तान को वापस लौटाने आया तब फाटक खुला पड़ा था। किसी समय बाबा भारती स्वयं लाठी लेकर वहाँ पहरा देते थे, परंतु अब उन्हें किसी चोरी या डकैती का भय न था।
दूसरा “बाबा भारती भी मनुष्य ही थे।” इस कथन के समर्थन में लेखक ने तर्क दिया है कि बाबा भारती भी एक साधारण व्यक्ति की तरह अपनी प्रिय वस्तु की प्रशंसा दूसरों से सुनने के लिए उत्सुक रहते थे। जब खड्गसिंह ने सुल्तान की प्रशंसा की, तो बाबा भारती उसे दिखाने के लिए तुरंत तैयार हो गए, जो उनके मानवीय स्वभाव को दर्शाता है।
शीर्षक
(क) आपने अभी जो कहानी पढ़ी है, इसका नाम सुदर्शन जी ने ‘हार की जीत’ रखा है। अपने समूह में चर्चा करके लिखिए कि उन्होंने इस कहानी को यह नाम क्यों दिया होगा? अपने उत्तर का कारण भी लिखिए।
उत्तर :
सुदर्शन ने इस कहानी का नाम ‘हार की जीत’ इसलिए रखा होगा, क्योंकि यह कहानी दर्शाती है कि भले ही बाबा भारती को प्रतीत होता है कि उन्होंने अपने प्रिय घोड़े सुल्तान को खो दिया है, लेकिन अंततः उन्होने खड्गसिंह के दिल में पश्चाताप और बदलाव लाकर अपने नैतिक मूल्यों और विश्वास की जीत हासिल की है। बाबा भारती ने अपने घोड़े की चोरी के बावजूद भी अपने सिद्धांतों और विश्वास को नहीं छोड़ा और यही नैतिकता की जीत है।
(ख) यदि आपको इस कहानी को कोई अन्य नाम देना हो तो आप क्या नाम देंगे? आपने यह नाम क्यों सोचा, यह भी बताइए।
उत्तर :
मैं इस कहानी का अन्य नाम ‘विश्वास की जीत’ देना चाहूँगी। यह नाम इसलिए उपयुक्त है, क्योंकि कहानी का मुख्य संदेश यह है कि बाबा भारती ने कठिन समय में भी अपने प्रियतम घोड़े को छोड़कर विश्वास को अधिक महत्त्व दिया। उसी उच्च विचार के कारण अंत में उन्हें उनका घोड़ा वापस मिल गया।
(ग) बाबा भारती ने डाकू खर्गसिंह से कौन-सा वचन लिया?
उत्तर :
बाबा भारती ने डाकू खड्गासिंह से यह वचन लिया कि वह इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करे। बाबा भारती को इस बात का डर था कि यदि लोगों को इस घटना का पता चला तो वे किसी गरीब पर विश्वास नहीं करेंगे। अंत: खड्गसिंह से इस घटना को गुप्त रखने की विनती की।
पंक्तियों पर चर्चा
कहानी में से चुनकर कुछ वाक्य नीचे दिए गए हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार लिखिए।
“भगवत-भजन से जो समय बचता, वह घोड़े को अर्पण हो जाता।”
उत्तर :
बाबा भारती के जीवन में दो प्रमुख प्रार्थमिकताएँ थी-पहली भगवान की भक्ति और दूसरी उनके प्रिय घोडे सुल्तान की देखभाल करना। भगवान की पूजा करने के बाद जो समय बचता था, उसे वह अपने प्रिय घोड़े की सेवा में लगाते थे। प्रस्तुत वाक्य बाबा भारती के घोड़े के प्रति गहरे प्रेम और उसकी देखभाल के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
“बाबा ने घोड़ा दिखाया घमंड से, खड्गसिंह ने घोड़ा देखा आश्चर्य से।”
उत्तर :
बाबा भारती को अपने घोड़े सुल्तान पर बहुत गर्व था इसलिए उन्होंने घोड़े को खड्गासित्र को घमंड के साथ दिखाया था, क्योंकि उसका घोड़ा बहुत सुंदर और अद्वितीय था। वहीं खड्गसिंह ने घोड़े को आश्चर्य से इसलिए देखा, क्योंकि उसने ऐसा सुंदर और अद्भुत घोड़ा पहले कभी नहीं देखा था।
यह वाक्य दोनों पात्रों की भावनाओं और दृष्टिकोण को दर्शाता है-एक ओर गर्व और घमंड का भाव है तथा दूसरी ओर आश्चर्य और लालसा का भाव है।
“वह डाकू था और जो वस्तु उसे पसंद आ जाए उस पर अपना अधिकार समझता था।”
उत्तर :
प्रस्तुत वाक्य खड्गसिह के स्वभाव को दर्शाता है। खड्गसिंह एक डाकू था, वह जो चीज पसंद कर लेता, उस पर अपना अधिकार जमाने में हिचकिचाता नहीं था। वह प्रत्येक उस वस्तु को अपना मानता था, जो उसे आकर्षित करती थी, चाहे वह वस्तु किसी और की ही क्यों न हो। यह स्वभाव उसकी लालच और क्रुतता को दर्शाता है।
“बाबा भारती ने निकट जाकर उसकी ओर ऐसी आँखों से देखा जैसे बकरा कसाई की ओर देखता है और कहा, यह घोड़ा तुम्हारा हो चुका है।”
उत्तर प्रस्तुत वाक्य बाबा भारती के गहरे दु:ख और निराशा के भाव को व्यक्त करता है। जब खड्गयंसं ने बाबा भारती से धोखे से घोड़ा छीन लिया, तो बाबा भारती ने उसे इस प्रकार देखा जैसे बकरा कसाई को देखता है।
यह दृष्टि भय, असहाय और निराशा से भरी थी, लेकिन बाबा भारती ने घोड़े को लेकर कोई प्रतिरोध नहीं किया, वल्कि यह मान लिया कि अब घोड़ा खइगसिह का हो चुका है। यह उनके त्याग और विवशता के भाव को दर्शाता है।
“‘उनके पाँव अस्तबल की ओर मुड़े, परंतु फाटक पर पहुँचकर उनको अपनी भूल प्रतीत हुई।”
उत्तर :
प्रस्तुत वाक्य बाबा भारती की मानसिक स्थिति को दर्शाता है। घोड़ा खो जाने के बाद, बाबा भारती पुन: उस अस्तबल की ओर गए जहाँ घोड़ा रखा गया था, लेकिन फाटक पर पहुँचकर उनको अपनी भूल का एहसास हुआ कि अब वहाँ घोड़ा नहीं होगा, क्योकि घोड़ा तो डाकू खड्गसिह ले गया था। यह उसकी गहरी निराशा और ख़ालीपन के भाव को दर्शाता है।
सोच-विचार के लिए
कहानी को एक बार फिर से पढ़िए और निम्नलिखित पंक्ति के विषय में पता लगाकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।
“दोनों के आँसुओं का उस भूमि की मिट्टी पर परस्पर मेल हो गया।”
(क) किस-किस के आँसुओं का मेल हो गया था?
उत्तर :
बाबा भारती और खइएगसिह के आँसुओं का मेल हो गया था। खड्गसिह ने जब बाबा भारती के ल्याग और उनके विश्वास के कारण पश्चाताप में घोड़ा वापस कर दिया, तब उसकी आँखों से आँसू बह निकले।
वहीं, जब बाबा भारती ने सुबह अस्तबल में जाकर अपने घोड़े को वापस पाया, तो उनकी आँखों से भी आँसू बह निकले और उसी जगह पर गिरे जहाँ खड्रसंह के आँसू गिरे थे। अतः दोनों के आस्त, उसी भूमि की मिद्टी पर परस्पर मिल गए।
(ख) दोनों के आँसुओं में क्या अंतर था?
उत्तर :
दोनों के आँसू अलग-अलग भावनाओं से उत्पन्न हुए थे
खड्गसिंह के औसू खड्गसिह, जो एक डाकू था और जिसने छल से बाबा भारती का घोड़ा छीन लिया था। वह बाबा के विश्वास और उनके द्वारा किए गए त्याग से गहरे रूप से प्रभावित हुआ। उसने यह एहसास किया कि उसने एक निद्धोष और धर्मपरायण व्यक्ति को धोखा दिया है, उसके दिल में पश्चाताप उत्पन्न हो गया और इसी भावना से प्रेरित होकर उसने घोड़ा वापस लौटा दिया। अत: उसके आँसू पश्चाताप, अपराधबोध और आत्मग्लानि के थे।
बाबा भारती के आसू बाबा भारती को यह उम्मीद नहीं थी कि खड्गसिह घोड़ा वापस करेगा, लेकिन जब उन्होंने सुबह अस्तबल में घोड़े को पाया, तो उनकी खुशी और आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। घोड़े को वापस पाने की खुशी और दुनिया में विश्वास की पुर्नस्थापना की भावना से प्रेरित होकर उनके आँसू बह निकले। अत: बाबा भारती के आँसू खुर्शी और संतोष के थे। इस प्रकार, खइगसिंह के आँसू पश्चाताप और आत्म-परिवर्तन के थे, जर्बकि बाबा भारती के औसू खुशी और संतोष के थे।
दिनचर्या
(क) कहानी पढ़कर आप बाबा भारती के जीवन के विषय में बहुत कुछ जान चुके हैं। अब आप कहानी के आधार पर बाबा भारती की दिनचर्या लिखिए। वे सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक क्या-क्या करते होंगे, लिखिए। इस काम में आप थोड़ा-बहुत अपनी ढंग कल्पना का सहारा भी ले सकते हैं।
उत्तर :
बाबा भारती की दिनचर्यां बाबा भारती एक साधु थे, जिन्होंने सांसारिक जीवन से विरक्त होकर एक मंदिर में निवास कर लिया था। उनका जीवन सादगी, भक्ति और अपने प्रिय घोडे़ सुल्तान की देखभाल में व्यतीत होता था। उनकी दिनचर्या कुछ इस प्रकार हो सकती है
- प्रातःकाल बाबा भारती उठते, स्नान करते और भगवान की प्रार्थना में लीन हो जाते होंगे।
- इसके बाद, वे अपने घोड़े सुल्तान की देखभाल करते होंगे, उसे घास-डालते और उसके साथ समय बिताते होंगे।
- फिर बाबा भारती मंदिर के कार्यों में लग जाते होंगे, मंदिर की साफ़-सफ़ाई करते होंगे और भक्तों को आशीर्वाद देते होंगे।
- दोपहर में बाबा भारती साधारण भोजन करके थोड़ी देर विश्राम करते होंगे।
- विश्राम के बाद, वे फिर से सुल्तान की देखभाल करते होंगे।
- संध्या के समय वे फिर से भगवान की आराधना करके मंदिर में दीप जलाकर सुल्तान के साथ आठ-दस मील चक्कर लगाकर आते होंगे।
- वापस आकर बाबा भारती सुल्तान को आराम करने के लिए अस्तबल में बाँधकर भगवान का स्मरण करते हुए विश्राम करते होंगे।
(ख) अब आप अपनी दिनचर्या भी लिखिए।
उत्तर :
छात्र स्वयं करें।
कहानी की रचना
(क) इस कहानी की कौन-कौन सी बातें आपको पसंद आई? आपस में चर्चा कीजिए।
उत्तर :
इस कहानी में निम्न बातें पसंद आई
- मानवीयता व स्याग भावना ‘हार की जीत’ कहानी में मानवीयता, त्याग और विश्वास के महत्त्व को बहुत सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया गया है। बाबा भारती के चरित्र के माध्यम से यह दिखाया गया है कि किस प्रकार एक साधारण व्यक्ति अपनी सच्चाई और विश्वास से क्रूर व्यक्ति को भी बदल सकता है।
- बाबा भारती की उदारता और सरलता बाबा भारती की गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करना उनकी महानता को दर्शाता है।
- खड्गसिंह का पश्चाताप खड्गसिंह जैसे निर्दयी डाकू का हृय परिवर्तन देखकर बहुत अच्छा लगा। यह हृदय परिवर्तन यह दर्शता है कि दुनिया में सच्चे प्रेम और त्याग से बड़े से बड़ा अपराधी भी बदल सकता है।
- संवेदनशीलता बाबा भारती का अपने घोडे सुल्तान से प्रेम और खड्गसिह की उनकी भावनाओं को समझकर घोड़ा वापस कर देना, ये सब बातें बहुत ही संवेदनशील तरीके से प्रस्तुत की गई हैं।
- कहानी का अंत कहानी का अंत बहुत ही प्रभावशाली है, जहाँ दोनों के आँसू एक ही भूमि पर मिलते हैं। यह दृश्य मानवीयता की शक्ति को बहुत अच्छे छंग से दर्शाता है।
(ख) कोई भी कहानी पाठक को तभी पसंद आती है, जब उसे अच्छी तरह लिखा गया हो। लेखक कहानी को अच्छी तरह लिखने के लिए अनेक बातों का ध्यान रखते हैं; जैसे-शब्द, वाक्य, संवाद आदि। इस कहानी में आए संवादों के विषय में अपने विचार लिखें।
उत्तर :
कहानी में संवादों प्रयोग बहुत ही प्रभावी ढंग से किया गया है।
- संवदों की सजीवता कहानी के संवाद बहुत सजीवे और स्वाभाविक हैं। बाबा भारती और खड्गसिह के बीच हुए संवादों से दोनों के चरित्र की गहराई का पता चलता है।
- संवेदनाओं की अभिव्यक्ति बावा भारती के संवाद् उनके भीतर के भावों और उनकी संवेदनशीलता को अच्छे सें प्रकट करते हैं। ‘लोगों का विश्वास न उठ जाए’ जैसी बाते यह दिखाती हैं कि वे दूसरों की भलाई के लिए अपने सुखों का बलिदान करने के लिए भी तैयार हैं।
- खड्गसिंह के संवाद खड्गसिंह के संवादों में शुरुआत में घमंड और अंत में पश्चाताप का मिश्रण देखा जा सकता है। यह बदलाव कहानी को और भी अधिक प्रभावशाली बनाता है।
- संवादों की सादगी संवादों की भाषा सरल और स्पष्ट है, जिससे कहानी का संदेश आसानी से समझ में आता है। कोई भी संवाद कहानी की गति को धीमा नहीं करता, बल्कि उसे आगे बढ़ाने में मदद करता है।
- अत: हम कह सकते हैं कि संवादों ने कहानी को जीवंत और प्रभावी बनाया है, जो इसे पाठकों के लिए अधिक रुचिकर और प्रेरणादायक बनाता है।
मुहावरे कहानी से
(क) कहानी में से चुनकर कुछ मुहावरे दिए गए हैं- लट्ट् होना, हृदय पर साँप लोटना, फूले न समाना, मुँह मोड़ लेना, मुख खिल जाना, न्योछावर कर देना। कहानी में इन्हें खोजकर इनका प्रयोग समझिए।
उत्तर :
- लट्टू होना किसी वस्तु पर बहुत अधिक मुग्ध या मोहित हो जाना। प्रयोग बाबा भारती अपनी घोड़े सुल्तान की चाल पर लट्ट् थे।
- हुदय पर साँप लोटना ईर्ष्या या जलन महसूस करना। प्रयोग जब खड्गासिह ने घोडे की चाल देखी, तो उसके हदय पर साँप लोट गया।
- फूले न समाना अत्यधिक प्रसनता महसूस करना। प्रयोग बाबा भारती अपने घोडे सुल्तान को देखकर फूले न समाते थे।
- मुँह मोड़ लेना किसी चीज़ या व्यक्ति से संबंध तोड लेना या ध्यान हटाना। प्रयोग बाबा भारती ने सुल्तान से मुँह मोड़ लिया।
- मुख खिल जाना प्रसन्नता से चेहरे पर मुस्कान आ जाना। प्रयोग बाबा भारती का मुख सुल्तान को देखकर खिल गया।
- न्योछावर कर देना किसी चीज़ या वस्तु को व्यक्ति के लिए समर्षित कर देना।
प्रयोग बाबा भारती अपने समय का अधिकांश हिस्सा सुल्तान पर न्योछावर कर देते थे।
(ख) अब इनका प्रयोग करते हुए अपने मन से नए वाक्य बनाइए।
उत्तर :
- लट्टू होना मेरी छोटी बहन नई गुड़िया देखकर उस पर लट्टू हो गई और उसे छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी।
- हृदय पर साँप लोटना जब उसने अपनी दोस्त को नई गाड़ी के साथ देखा, तो उसके हृदय पर साँप लोट गया।
- फूले न समाना बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंक मिलने पर मैं फूले नहीं समा रहा था।
- पुँह मोड़ लेना रमन के दोस्त ने जब उसकी मदद नहीं की, तो उसने उससे मुँह मोड़ लिया।
- मुख खिल जाना जैसे ही बारिश की बूँदे गिरीं, बच्चों का मुख खिल गया।
- न्योछावर कर देना माता-पिता अपने बच्चों की खुरी के लिए सब कुछ न्योछावर कर देते हैं।
कैसे-कैसे पात्र
इस कहानी में तीन मुख्य पात्र हैं-बाबा भारती, डाकू खड्गसिंह और सुल्तान घोड़ा। इनके गुणों को बताने वाले शब्दों से दिए गए शब्द-चित्रों को पूरा कीजिए
आपने जो शब्द लिखे हैं, वे किसी की विशेषता, गुण और प्रकृति के बारे में बताने के लिए उपयोग में लाए जाते हैं। ऐसे शब्दों को विशेषण कहते हैं।
उत्तर :
बाबा भारती दयालु, धार्मिक, त्यागी, संवेदनशील, करुणामय, ईमानदार
डाकू खड्रासिंहु बाहुबली, क्रूर, चालाक, निर्दयी, पश्चातापी, बलशाली, चालाक या धूर्त
सुल्तान घोड़ा सुंदर, बलवान, तेज, आकर्षक, वफादार, मनमोहक चाल
पाठ से आगे
सुल्तान की कहानी
मान लीजिए, यह कहानी सुल्तान सुना रहा है। तब कहानी कैसे आगे बढ़ती? स्वयं को सुल्तान के स्थान पर रखकर कहानी बनाइए।
(संकेत आप कहानी को इस प्रकार बढ़ा सकते है–मेरा नाम सुल्तान है। मैं एक घोड़ा हूँ …………..)
उत्तर :
मेरा नाम सुल्तान है। मैं एक घोड़ा हूँ, लेकिन मैं साधारण घोडों से अलग हूँ। मेरी चाल, मेरा सौंदर्य और मेरी वफादारी ने मुझे खास बना दिया है। मेरे स्वामी बाबा भारती मुझसे बहुत प्रेम करते हैं। वे मेरी बहुत अच्छे से देखभाल करते हैं, मुझे बहुत प्यार से चारा डालते हैं और मुझे लेकर घूमने भी जाते हैं। मुझे भी अपने स्वामी के साथ समय बिताना बहुत अच्छा लगता है। वहु मेरे लिए न केवल मालिक हैं, बल्कि मेरे सबसे अच्छे दोस्त भी हैं।
एक दिन, खड्गसिंह नाम का एक डाकू मेरे पास आया। वह मुझे देखकर आश्चर्यच्चकित हो गया और उसने मेरे मालिक से कहा कि वह मुझे उनके पास नहीं रहने देगा। बाबा भारती तब बहुत चितित हो गए थे। मुझे एहसास हुआ कि कुछ बुरा होने वाला है, लेकिन बाबा ने मुझे हमेशा सुरक्षित महसूस कराया। कुछ दिनों बाद, खड्गासिह फिर से मेरे सामने आया, लेकिन इस बार वह बदला हुआ था। उसने बाबा से मदद माँगी। बाबा जो हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहते हैं, उन्होंने उसे मेरी पीठ पर बिठा दिया।
खड्गसित्ह ने मेरे स्वामी को धोखा दिया और मुझे लेकर भाग गया। मैं बहुत चिंतित हो गया, क्योंकि मैं अपने स्वामी को छोड़कर नहीं जाना चाहता था। मैंने रास्ते भर हिनहिनाने की कोशिश की, लेकिन वह डाकू बहुत तेज़ था। जब हम बहुत दूर पहुँच गए, तो उसने मुझे रोक दिया। वह मुझसे खुश था, लेकिन मैं उदास था। मुझे अपने स्वामी की चिता हो रही थी। मैं जानता था कि बाबा भारती बहुत दु:खी होंगे। उसी रात, वह डाकू सोते हुए अचानक उठ खड़ा हुआ और उसने मुझे वापस बाबा के पास ले जाने का फैसला किया। उसकी आँखों में पश्चाताप के आँसू थे। जब अस्तबल में बाबा ने मुझे देखा, उनकी आँखों से आँसू बहने लगे।
मैंने भी ख़ुश़ी के औसू बहाए। वह पल मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण था। बाबा ने मुझे गले लगाया और उस क्षण, मैंने महसूस किया कि सच्चा प्यार और वफादारी ही सब कुछ है। बाबा और मैंने फिर से एकसाथ समय बिताया और मैंने ठान लिया कि मैं हमेशा उनके साथ रहूँगा, उनकी सेवा करूँगा।
मन के भाव
(क) कहानी में से चुकर कुछ शब्द नीचे दिए हैं। बताइए, कहानी में कौन, कब, ऐसा अनुभव कर रहा था
- चकित
- अधीर
- डर
- प्रसन्नता
- करुणा
- निराशा
उत्तर :
- चकित जब खड्गसिंह ने सुल्तान घोड़े को पहली बार देखा, तो वह उसकी सुंदरता और चाल देखकर चकित हो गया।
- अधीर खड्गसिंह घोड़े की चाल देखने के लिए अधीर हो गया था और उसने बाबा भारती से घोड़े को चलाने की इच्छा जताई।
- डर जब खहगसंत्र ने कहा कि वह सुल्तान घोड़ा बाया भारती के पास नही रहने देगा, तब बाबा भारती डर गए थे।
- प्रसन्नता जब बाया भारती ने घोड़े को वापस पाया और उसे अपने पास देखा, तो वह प्रसन्नता से रो पड़े।
- करुणा खड्गसिहु ने घोड़ा लौटाते समय बाबा भारती के प्रति करुणा का अनुभव किया और उन्हें घोड़ा वापस कर दिया।
- निराशा जब बाबा भारती को लगा कि उनका घोड़ा चोरी हो गया है, तब उन्हें घोर निराशा का अनुभव हुआ।
(ख) आप उपर्युक्त भावों को कब-कब अनुभव करते हैं? लिखिए।
(संकेत जैसे गली में किसी कुत्ते को देखकर डर या प्रसन्नता या करुणा अदि का अनुभव करना)
उत्तर :
- चकित जब मैं किसी नई और अद्भुत चीज़ को पहली बार देखता हैँ, तो मैं चकित हो जाता हुँ; जैसे-आकाश में इंद्रधनुष।
- अधीर मैं अपने जन्मदिन के दिन उपहारों को खोलने के लिए अधीर हो जाता हूँ।
- डर गली में जाते अचानक, यदि कोई कुत्ता मेरे निकट आ जाए, तो मुझे डर लगता है।
- प्रसन्नता जब मुझे परीक्षा में अच्छे अंक मिलते हैं या मैं किसी दोस्त से लंबे समय के बाद मिलता हैँ, तो मुझे प्रसन्नता होती है।
- करुणा जब मैं किसी बेसहारा जानवर या व्यक्ति को देखता हूँ जिसे मदद की ज़रूरत है, तो मुझे करुणा का अनुभव होता है।
- निराशा जब मैं पूरी कोशिश के बावजूद भी कोई खेल या प्रतियोगिता हार जाता हैँ, तो मुझे निराशा होती है।
हार की जीत Class 6 Summary Explanation in Hindi
प्रस्तुत पाठ ‘हार की जीत’ लेख्डक ‘सुदर्शन’ द्वारा रचित है। लेखक ने प्रत्तुत कहानी में यह बताने का प्रयास किया है कि सच्ची मानवता की भावना, पवित्र विचार, त्याग और विश्वास की शक्ति से कठोर-से-कठोर हुदय के मनुष्य को भी बदला जा सकता है। कहानी में बाबा भारती, जो अपने घोड़े सुल्तान से अत्यधिक प्रेम करते थे, उस इलाके के डाकू खड्गयसिंह के धोखे का शिकार हो जाते हैं।
खड्गसिंह अपाहिज का रूप धारण करके, बाबा से उनका घोड़ा छीन लेता है, तब बाबा भारती, खड्गसिंह से केवल एक ही प्रार्थना करते हैं कि वह इस घटना को किसी से न कहे, ताकि लोगों का गरीबों पर से विश्वास न उठे। यह बात खड्गसिंह के दिल को छू जाती है। बाबा भारती के इस अद्वितीय त्याग और मानवता की भाबना से प्रभावित होकर खड्गसिंह घोड़े को वापस लौटा देता है।
बाबा भारती का त्यागमय जीवन
बाबा भारती का अपने घोड़े से बहुत लगाव था। उन्हें अपने घोड़े को देखकर वैसा ही आनंद आता था, जैसा माँ को अपने बेटे और किसान को अपने लहलहाते खेत को देखकर आता है।
बाबा भारती एक साधु और सज्जन व्यक्ति थे। वे अपना रुपया, माल, असबाब, जमीन आदि सब कुछ त्यागकर गाँव के बाहर एक मंदिर में भगवत भजन करते हुए जीवन व्यतीत करते थे।
बाबा भारती और सुल्तान का संबंध
बाबा भारती का घोड़ा सुल्तान बहुत सुंदर और बलवान था। उसके जैसा घोड़ा पूरे क्षेत्र में नहीं था। बाबा भारती उसे अपने हाथों से दाना खिलाते, उसकी देखभाल करके प्रसन्न होते थे। वे सुल्तान के साथ हर संध्या जब तक आठ-दस मील चक्कर न काट लें, तब तक उनके मन को सुकून नहीं मिलता था। बाबा भारती के जीवन में सुल्तान का विशेष स्थान था।
खड्गसिंह की सुल्तान पर नज़र
सुल्तान की सुंदरता और उसकी चाल की ख्याति दूर-दूर तक फैल चुकी थी। खड्गसिह उस क्षेत्र का प्रसिद्ध डाकू था। वह एक दिन दोपहर को सुल्तान को देखने के लिए बाबा भारती के पास पहुँचता है। खड्गसिह घोड़े की सुंदरता को देखकर आश्चर्यचकित हो जाता है और घोड़े की चाल देखने कि इच्छा प्रकट करता है।
बाबा भारती सुल्तान की प्रशंसा सुनने को अधीर हो उठते हैं और घोड़े को खोलकर बाहर ले आते हैं। खड्गसिह घोड़े की अद्वितीय सुंदरता और उसकी चाल को देखकर मोहित हो जाता है। खड्गासिंह बाबा भारती से कहता है कि अब वह यह घोड़ा उनके पास नहीं रहने देगा।
बाबा भारती का डर और सुल्तान की चोरी
खड्गसिंह की धमकी के बाद बाबा भारती बेहद डर जाते हैं और वह सुल्तान की रात-रातभर रखवाली करनी शुरू कर देते हैं। बाबा भारती को हर समय यह डर लगने लगा कि खड्गसिह कभी भी आकर उनका प्रिय घोड़ा चुरा लेगा। कई महीने बीत जाते हैं, लेकिन डाकू खड्गसिह नहीं आता है।
एक दिन शाम को जब बाबा भारती अपने प्रिय घोड़े सुल्तान पर सवार होकर घूमने निकलते हैं, तभी रास्ते में अचानक एक अपाहिज उनसे मदद माँगता है।
अपाहिज की दयनीय हालत को देखकर बाबा भारती का हद्य पिघल जाता है और वे उसे घोड़े पर बिठा देते हैं, तभी सहसा उन्हें एक झटका-सा लगता है और घोड़े की लगाम हाथ से छूट्र जाती है। वह अपाहिज वास्तव में खड्गसिंह था, जो बाबा भारती के विश्वास का लाभ उठाकर सुल्तान को लेकर भाग जाता है। बाबा भारती के विश्वास को इस धोखे से गहरा आघात पहुँचता है और वे हताश हो जाते हैं।
बाबा भारती की प्रार्थना
खड्गसिंह जब सुल्तान को भगाकर ले जा रहा था, तो बाबा खड्गसिंह को जोर से रुकने के लिए कहते हैं। खड्गसिंह घोड़ा रोक लेता है और कहता है कि बाबाजी, मैं यह घोड़ा अब नहीं दूँगा।
बाबा भारती उससे कहते हैं कि यह घोड़ा अब तुम्हारा हो चुका है। मैं इसे वापस नहीं लूँगा, लेकिन मेरी केवल एक ही प्रार्थना है कि तुम इस घटना को किसी के सामने प्रकट मत करना। खड्गसिंह इसका कारण पूछता है, तो बाबा भारती इसका उत्तर देते हुए कहते हैं कि यदि लोगों को इस घटना का पता चल गया, तो वे किसी गरीब पर विश्वास नहीं करेंगे। खड्गसिंह बाबा की महानता, उच्च व पवित्र विचार से बहुत प्रभावित होता है।
खड्गसिंह का पश्चाताप और सुल्तान की वापसी
बाबा भारती के कथन से खड्गासिह के मन में पश्चाताप होता है और रात के अँधेरे में बाबा भारती के मंदिर चुपचाप पहुँचकर चुपचाप सुल्तान को अस्तबल में बाँध देता है। बाबा भारती सुल्तान की हिनहिनाहट सुनकर आश्र्य और प्रसन्नता से दौड़ पड़ते हैं। अपने घोड़े को वापस पाकर बाबा भारती भावुक हो उठे और आँसुओं के साथ उसे गले से लगा लिया। उन्होंने महसूस किया कि अब कोई गरीबों की मदद से पीछे नहीं हटेगा। थोद़ी देर के बाद जब वह अस्तबल से बाहर निकले तो उनकी आँखों से अँसू बह रहे थे। ये आँसू उसी भूमि पर ठीक उसी जगह गिर रहे थे, जहाँ बाहर निकलने के बाद खइएगसिह खड़ा होकर रोया था। दोनों के आँसुओं का उस भूमि की मिद्टी पर परस्पर मेल हो गया।
शब्दार्थ
शब्द – अर्थ
- अर्पण – देना, दान देना, भेंट करना
- असबाब – आवश्यक सामग्री, चीज, मुसाफिर के साथ का सामान
- घृणा – नफरत
- विचित्र – अजीब, अनोखा
- अंकित – चिह्बित
- अधीरता – धैर्यरहित, उतावला, दृदृतारहित
- बाहुबल – बहुत ताकतवर
- बेरहमी – सखत्ती, निर्दयता
- मिथ्या – भूठ, असत्य, बनावटी
- स्वप्न – सपना
- प्रतिक्षण – प्रत्येक क्षण
- कराह – आह, दर्द की आवाज
- विस्मय – अचंभा, आश्चर्य
- अस्तबल – अश्वशाला, तबेला
- पश्चाताप – गलत कार्य के लिए खेद
- पहर – समय, तीन घंटे का समय