Gol Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 2

Class 6 Hindi Malhar Chapter 2 Gol Question Answer गोल

गोल Question Answer Class 6

कक्षा 6 हिंदी पाठ 2 गोल पाठ के प्रश्न उत्तर – Gol Class 6 Question Answer

पाठ से

मेरी समझ से

(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (*) बनाइए
(i) “दोस्त, खेल में इतना गुस्सा अच्छा नहीं। मैंने तो अपना बदला ले ही लिया है। अगर तुम मुझे हॉकी नहीं मारते तो शायद मैं तुम्हें दो ही गोल से हराता।” मेजर ध्यानचंद की इस बात से उनके बारे में क्या पता चलता है?

  • वे अत्यंत क्रोधी थे।
  • वे अच्छे हंग से बदला लेते थे।
  • उन्हें हॉकी से मारने पर वे अधिक गोल करते थे।
  • वे जानते थे कि खेल को सही भावना से खेलना चाहिए। (*)

(ii) लोगों ने मेजर ध्यानचंद को ‘हॉकी का जादूगर’ कहना क्यों शुरु कर दिया?

  • उनके हॉकी खेलने के विशेष कौशल के कारण (*)
  • उनकी हॉकी स्टिक की अनोखी विशेषताओं के कारण
  • हॉकी के लिए उनके विशेष लगाव के कारण
  • उनकी खेल भावना के कारण

(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर :
मैंने उपर्युक्त दोनों उत्तर को चुना, क्योंकि विकल्प ‘वे जानते थे कि खेल को सही भावना से खेलना चाहिए। यह सही विर्कल्प इसलिए है, क्योंकि मेजर ध्यानचंद को जब विरोधी टीम के सदस्य ने हॉकी स्टिक से मारा तो उन्होंने हिंसा न दिखाते हुए इस घटना को खेल भावना से देखा और मैदान में वापस आकर छः गोल करके अपने खेल कौशल से विरोधी टीम को हराया। यह उनके अनुशासन और खेल भावना को दर्शाता है।

मेजर ध्यानचंद के हॉकी खेलने के विशेष कौशल के कारण लोगों ने मेजर ध्यानचंद को ‘हॉकी का जादूगर’ कहृना शुरू कर दिया। लेखक ने बताया कि वर्ष 1936 में बर्लिन ओलंपिक में लोग लेखक के हॉकी खेलने के ढंग से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने तमे हॉकी का जादूगर’ कहना शुरु कर दिया।

मिलकर करें मिलान

पाठ में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थों या संदर्भों से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।

शब्द अर्थ या संदर्भ
1. लांस नायक 1. स्वतंत्रता से पहले सूबेदार भारतीय सैन्य अधिकारियों का दूसरा सबसे बड़ा पद था।
2. बर्लिन ओलंपिक 2. भारतीय सेना का एक पद (रैंक) है।
3. पंजाब रेजिमेंट 3. सैनिकों के रहने का क्षेत्र।
4. सैंपर्स एंड माइनर्स टीम 4. वर्ष 1936 में जर्मनी के बर्लिन शहर में आयोजित ओलंपिक खेल प्रतियोगिता, जिसमें 49 देशों ने भाग लिया था।
5. सूबेदार 5. स्वतंत्रता से पहले अंग्रेजों की भारतीय सेना का एक दल।
6. छावनी 6. अंग्रेजों के समय का एक हॉकी दल।

उत्तर :

शब्द अर्थ या संदर्भ
1. लांस नायक 2. भारतीय सेना का एक पद (रैंक) है।
2. बर्लिन ओलंपिक 4. वर्ष 1936 में जर्मनी के बर्लिन शहर में आयोजित ओलंपिक खेल प्रतियोगिता, जिसमें 49 देशों ने भाग लिया था।
3. पंजाब रेजिमेंट 5. स्वतंत्रता से पहले अंग्रेजों की भारतीय सेना का एक दल।
4. सैंपर्स एंड माइनर्स टीम 6. अंग्रेजों के समय का एक हॉकी दल।
5. सूबेदार 1. स्वतंत्रता से पहले सूबेदार भारतीय सैन्य अधिकारियों का दूसरा सबसे बड़ा पद था।
6. छावनी 3. सैनिकों के रहने का क्षेत्र।

पंक्तियों पर चर्चा

पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियों नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार कक्षा में अपने समूह में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।
(क) “बुरा काम करने वाला व्यक्ति प्रत्येक समय इस बात से डरता रहता है कि उसके साथ भी बुराई की जाएगी।”
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति का अर्थ है कि जो लोग गलत या अनुचित कार्य करते हैं, वे हमेशा इस भय में रहते हैं कि उनके साथ भी वैसा ही गलत होगा। उन्हें अपने अंतर्मन में किए गए गलत कार्य या व्यवहार की ग्लानि का अहसास होता है। ठीक वैसे ही जैसे जब ‘सैपर्स एंड माइनर्स टीम’ के खिलाड़ी.ने ध्यानचंद पर हॉंकी स्टिक से वार किया और जब थोड़ी देर बाद ध्यानचंद सिर पर पट्टी बाँधकर फिर से खेलने आ गए, तो वह खिलाड़ी मन ही मन डरने लगा। अत: उपर्युक्त पंक्ति हमें यह सिखाती है कि हमें अच्छे कर्म करने चाहिए और दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए, जैसा हम अपने साथ चाहते हैं।

(ख) ‘मेरी तो हमेशा यह कोशिश रहती कि मैं गेंद को गोल के पास ले जाकर अपने किसी साथी खिलाड़ी को दे दूँ, ताकि उसे गोल करने का श्रेय मिल जाए। अपनी इसी खेल भावना के कारण मैंने दुनिया के खेल प्रेमियों का दिल जीत लिया।”
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्तियों से स्पष्ट होता है कि लेखक, मेजर ध्यानचंद, अपनी टीम की सफलता को व्यक्तिगत सफलता से अधिक महत्त्वपूर्ण मानते थे। उनका उद्देश्य टीम के लिए योगदान देना और साथियों को प्रोत्साहित करना था। यह खेल भावना का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जहाँ व्यक्तिगत उपलब्धियों की तुलना में टीम की सफलता को प्राथमिकता दी जाती है। इस आत्मविचार और सहयोग की भावना ने उन्हें विश्व स्तर पर प्रशंसा दिलाई और ‘हॉकी का जादूगर’ का खितांब दिया।

यह पंक्ति यह भी दर्शाती है कि सच्ची खेल भावना में न केवल व्यक्तिगत उत्कृष्टता होती है, बल्कि दूसरों को सफल बनाने की इच्छा भी शामिल होती है।

सोच-विचार के लिए

संस्मरण को एक बार फिर से पढ़िए और निम्नलिखित के बारे में पता लगाकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए

(क) ध्यानचंद की सफलता का क्या रहस्य था?
उत्तर :
ध्यानचंद की सफलता का रहस्य उनकी कड़ी मेहनत, लगन और खेल के प्रति गहरी प्रतिबद्धता थी। उन्होने सफलता का मूल मंत्र लगन, साधना और खेल भावना को बताया। उन्होंने निरंतर अभ्यास किया और खेल में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए अपनी खेल की तकनीकों को निखारा। वे हमेशा टीम की सफलता को प्राथमिकता देते थे और अपनी व्यक्तिगत उपलक्चियों के बजाय टीम के प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित करते थे। उनकी ईमानदारी, समर्पण और उत्कृष्ट खेल कौशल ने उन्हें ‘हॉकी का जादूगर’ बनाया और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय ख्याति दिलाई।

(ख) किन बातों से ऐसा लगता है कि ध्यानचंद स्वयं से पहले दूसरों को रखते थे?
उत्तर :
ध्यानचंद अकसर गेंद को गोल के पास ले जाकर अपने साथियों को पास करते थे, जिससे वे गोल कर सकें और उन्हें इसका श्रेय मिल सके। यह खेल भावना इस बात का प्रमाण है कि वे स्वयं से पहले दूसरों को रखते थे। उनकी यह सोच थी कि टीम की सफलता व्यक्तिगत सफलता से अधिक महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने खेल भावना के महत्त्व को समझा और उसे अपने जीवन और खेल में अपनाया। यह गुण उनकी महानता और उनकी टीम के प्रति समर्पण को दर्शाता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वे अपनी टीम की भलाई को अपनी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा से ऊपर रखते थे।

संस्मरण की रचना

“उन दिनों में मैं पंजाब रेजिमेंट की ओर से खेला करता था।”
इस वाक्य को पढ़कर ऐसा लगता है मानो लेखक आपसे यानी पाठक से अपनी यादों को साझा कर रहा है। ध्यान देंगे तो इस पाठ में ऐसी और भी अनेक विशेष बातें आपको दिखाई देंगी। इस पाठ को एक बार फिर से पढ़िए।

(क) अपने-अपने समूह में मिलकर इस संस्मस्ण की विशेषताओं की सूची बनाइए।
उत्तर :
संस्मरण की विशेषताओं की सूची निम्न प्रकार है
व्यक्तिगत और आत्मकथात्मक शैली लेखक अपने जीवन की वास्तविक घटनाओं और अनुभवों को आत्मकथात्मक शैली में साझा करता है, जो पाठक को लेखक के जीवन के विशेष पलों को समझने में मदद करता है।
समय और स्थान का उल्लेख लेखक विशेष घटनाओं के समय और स्थान का उल्लेख करता है; जैसे-“वर्ष 1933 की बात है।”
भावनात्मक और आत्मविश्लेषणात्मक दृष्टिकोण लेखेक अपने अनुभवों से उत्पन्न भावनाओं और आत्म-चिंतन को प्रकट करता है;
जैसे-गुस्सा, शर्मिदगी या गर्।। उदाहरण:, “बुरा काम करने वाला व्यक्ति प्रत्येक समय इस बात से डरता रहता है कि उसके साथ भी बुराई की जाएगी।”
प्रेरणात्मक और नैतिक संदेश संस्मरण में लेखक अपने अनुभवों से सीखें गए जीवन के पाठ और नैतिक संदेशों को साझा करता है, जो पाठक को प्रेरित कर सकते हैं। उदाहरण:, “लगन, साधना और खेल भावना ही सफलता के सबसे बड़े मंत्र है।”
सजीव विवरण घटनाओं और अनुभवों का विस्तृत और सजीव वर्णन होता है, जैसे कि खेल के दौरान की घटनाएँ, चोट लगने का अनुभव और खेल की परिस्थितियाँ।
विनम्रता और आत्म-संयम लेखक अपने गुणों और सफलताओं के बावजूद विनम्रता बनाए रखता है, जैसे कि अपनी टीम के साथियों को गोल का श्रेय देना।

(ख) अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तर :
छात्र स्वयं करें।

शब्दों के जोड़े, विभिन्न प्रकार के

(क) “जैस-जैसे मेरे खेल में निखार आता गया, वैसे-वैसे मुझे तरक्की भी मिलती गई।”
इस वाक्य में ‘जैसे-जैसे’ और ‘बैसे-वैसे’ शब्दों के जोड़े हैं जिनमें एक ही शब्द दो बार उपयोग में लाया गया है। ऐसे जोड़ों को ‘शब्द-युग्म’ कहते हैं। शब्द-युग्म में दो शब्दों के बीच में छोटी-सी रेखा लगाई जाती है, जिसे योजक चिह्न कहते हैं। योजक यानी जोड़ने वाला। आप भी ऐसे पाँच शब्द-युग्म लिखिए।
उत्तर :

  • धीरे-धीरे “वह धीरे-धीरे चल रहा था।”
  • रोज़-रोज़ “रोज़-रोज़ वही कहानी सुनने में मजा नही आता।”
  • एक-एक “उसने एक-एक करके सभी सवालों का जवाब दिया।”
  • बार-बार “वह बार-बार मुझसे वही सवाल पूछ्धता है।”
  • कभी-कभी “कभी-कभी उसे देर से घर आना पड़ता है।”

(ख) “खेल के मैदान में धक्का-मुक्की और नोंक-झोंक की घटनाएँ होती रहती हैं।”
इस वाक्य में भी आपको दो शब्द-युग्म दिखाई दे रहे हैं, लेकिन इन शब्द-युग्मों के दोनों शब्द भिन्न-भिन्न हैं, एक जैसे नहीं हैं। आप भी ऐसे पाँच शब्द-युग्म लिखिए, जिनमें दोनों शब्द भिन्न-भिन्न हों।
उत्तर :

  • जीना-मरना “जीना-मरना तो भगवान के हाथ में है।”
  • आगे-पीछे “वह अपने मालिक के आगे-पीछे धूमता रहता है।”
  • रात-दिन ‘वह रात-दिन मेहनत करता है।”
  • लड़ाई-झगड़ा “उनके बीच हमेशा लड़ाई-झगड़ा होता रहता है।”
  • हँसना-रोना “हँसना-रोना तो जीवन का हिस्सा है।”

(ग) “हार या जीत मेरी नहीं, बल्कि पूरे देश की है।”
“आज मैं जहाँ भी जाता हूँ बच्चे व बूढ़े मुझे घेर लेते हैं।”
इन वाक्यों में जिन शब्दों के नीचे रेखा खिची है, उन्हें ध्यान से पढ़िए। हम इन शब्दों को योजक की सहायता से भी लिख सकते हैं; जैसे-हार-जीत, बच्चे-बूढ़े आदि। आप नीचे दिए गए शब्दों को योजक की सहायता से लिखिए

  • अच्छा या बुरा
  • अमीर और गरीब
  • गुरु और शिष्य
  • छोटा या बड़ा
  • उत्तर और दक्षिण
  • अमृत या विष

उत्तर :

  • अच्छा या बुरा → अच्छा-बुरा
  • छोटा या बड़ा → छोटा-बड़ा
  • अमीर और गरीब → अमीर-गरीब
  • उत्तर और दक्षिण → उत्तर-दक्षिण
  • गुरु और शिष्य → गुरु-शिष्य
  • अमृत या विष → अमृत-विष

बात पर बल देना

“मैंने तो अपना बदला ले ही लिया है।”
“मैंने तो अपना बदला ले लिया है।”
इन दोनों वाक्यों में क्या अंतर है? ध्यान दीजिए और बताइए। सही पहचाना ! दूसरे वाक्य में एक शब्द कम है। उस एक शब्द के न होने से वाक्य के अर्थ में भी थोड़ा अंतर आ गया है।
हम अपनी बात पर बल देने के लिए कुछ विशेष शब्दों का प्रयोग करते हैं; जैसे-‘ही’, भी’, तो’ आदि। पाठ में से इन शब्दों वाले वाक्यों को चुनकर लिखिए। ध्यान दीजिए कि यदि उन वाक्यों में ये शब्द न होते तो उनके अर्थ पर इसका क्या प्रभाव पड़ता।
उत्तर :
(i) “अगर तुम मुझ़् हॉकी नहीं मारते तो शायद् मैं तुम्हें दो ही गोल से हराता।”
“अगर तुम मुझे हॉकी नहीं मारते, श्रयद मैं तुम्हें दो गोल से हराता।”
(ii) “हर किसी को यही कहता कि लगन, साधना और खेल भावना ही सफलता के सबसे बडे मंत्र हैं।”
“हर किसी को यही कहता कि लगन, साधना और खेल भावना सफलता के सबसे बड़े मंत्र है।”
(iii) “इसका यह मतलब नहीं कि सारे गोल मैं ही करता था।” “इसका यह मतलब नहीं कि सारे गोल मैं करता था।”
(iv) “सच मानो, बुरा काम करने वाला आदमी हर समय इस बात से डरता रहता है कि उसके साथ भी बुराई की जाएगी।”
“सच मानो, बुरा काम करने वाला आदमी हर समय इस बात से डरता रहता है कि उसके साथ बुराई की जाएगी।”
(v) “मेरी तो हमेशा यह कोशिश रहती कि मैं गेंद को गोल के पास ले जाकर अपने किसी साधी खिलाड़ी को दे दूँ, तोंकि उसे गोल करने का श्रेय मिल जाए।”
“मेरी हमेशा यह कोशिश रहती कि मैं गेंद को गोल के पास ले जाकर अपरे किसी साथी खिलाड़ी को दे दूँ, ताकि उसे गोल करने का श्रेय मिल जाए।”

पाठ से आगे

आपकी बात

(क) ध्यानचंद के स्थान पर आप होते तो क्या आप बदला लेते? यदि हाँ, तो बताइए कि आप बदला किस प्रकार लेते?
उत्तर :
यदि में मेजर ध्यानचंद के स्थान पर होता, तो मैं भी उनकी तरह ही खेल की भावना को प्राथमिकता देता और अहिंसा को अपनाता, क्योंकि खेल में हिंसा या क्रोध करने से खेल की भावनाएँ आहत होती हैं, इसलिए मैं बदला लेने के लिए हिंसा या क्रोध का सहारा बिल्कुल भी नहीं लेता, बल्कि ध्यानचंद की तरह अपने खेल के प्रदर्शन को उन्नत करता और प्रतिद्धंद्री को यह सबक सिखाने का प्रयास करता कि खेल को हमेशा खेल की भावना से ही खेलना चाहिए।

(ख) आपको कौन-से खेल और कौन-से खिलाड़ी सबसे अधिक अच्छे लगते हैं? क्यों?
उत्तर :
मुझे हॉकी खेल सबसे अधिक पसंद है, क्योकि यह खेल तेज गति, तकनीकी कौशल और टीमवर्क का अद्वितीय मिश्रण है। हॉंकी में खिलाड़ियों का अनुशासन और मैदान पर रणनीति देखने लायक होती है। खिलाड़ियों में ध्यानचंद मेरे पसंदीदा खिलाड़ी हैं। उनकी खेल भावना, अनुशासन और खद्वितीय कौशल ने उन्हें ‘हॉकी का जादूगर’ का खिताब दिलाया। ध्यानचंद का खेल के प्रति समर्पण और अपनी टीम को जीत दिलाने की इच्छा प्रेरणादायक है। उन्होने हमेशा यह सिद्ध किया है कि खेल में सफलता, लगन, साधना और खेल भावना से ही संभव है।

समाचार-पत्र से

(क) क्या आप समाचार-पत्र पढ़ते हैं? समाचार-पत्रों में प्रतिदिन खेल के समाचारों का एक पृष्ठ प्रकाशित होता है। अपने घर या पुस्तकालय से पिछले सप्ताह के समाचार-पत्रों को देखिए। अपनी पसंद का एक खेल-समाचार अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए। उत्तर छात्र स्वरूं करें।
(ख) मान लीजिए कि आप एक खेल संवाददाता हैं और किसी खेल का आँखों देखा प्रसारण कर रहे हैं। अपने समूह के साथ मिलकर कक्षा में उस खेल का आँखों देखा हाल प्रस्तुत कीजिए।
(संकेत इस कार्य में आप आकाशवाणी या दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले खेल-प्रसारणों की कमेंटरी की शैली का उपयोग कर सकते हैं। बारी-बारी से प्रत्येक समूह कक्षा में सामने डेस्क या कुर्सियों पर बैठ जाएगा और पाँच मिनट के लिए किसी खेल के सजीव प्रसारण की कमेंटरी का अभिनय करेगा।)
उत्तर :
छात्र स्वयं करें।

डायरी का प्रारभ

कुछ लोग प्रतिदिन थोड़ी-थोड़ी बातें किसी स्थान पर लिख लेते हैं। जो वे सोचते हैं या जो उनके साथ उस दिन हुआ या जो उन्होंने देखा, उसे ईमानदारी से लिख लेते हैं या टाइप कर लेते हैं। इसे डायरी लिखना कहते हैं।

क्या आप भी अपने मन की बातों और विचारों को लिखना चाहते हैं? यदि हाँ, तो आज से ही प्रारंभ कर दीजिए
आप जहाँ लिखेंगे, वह माध्यम चुन लीजिए। आप किसी लेखन-पुस्तिका में या ऑनलाइन मंचों पर लिख सकते हैं।
आप प्रतिदिन कुछ दिनों में एक बार या जब कुछ लिखने का मन करे तब लिख सकते हैं।
शब्दों या वाक्यों की कोई सीमा नहीं है, चाहे दो वाक्य हों या दो पृष्ठ। आप जो मन में आए उसे उचित और शालीन शब्दों में लिख सकते हैं।
उत्तर :
छात्र स्वयं करें।

आज की पहेली

यहाँ एक रोचक पहेली दी गई है। इसमें आपको तीन खिलाड़ी दिखाई दे रहे हैं। आपको पता लगाना है कि कौन-से खिलाड़ी द्वारा गोल किया जाएगा।
Gol Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 2 1
उत्तर :
छात्र स्वयं करें।

गोल Class 6 Summary Explanation in Hindi

प्रस्तुत पाठ ‘गोल’ हॉंकी के महान खिलाड़ी ‘मेजर ध्यानचंद’ की आत्मकथा है, जिसमें उनका खेल के प्रति प्यार और समर्पण का भाव दिखाई देता है। प्रस्तुत पाठ में मेजा ध्यानचंद ने अपने खेल जीवन की कुछ घटनाओं और अनुभवों को साझ़ा करते हुए खेल की भावना, संयम और धैर्य का महत्व्व बताया है। उन्होने बताया कि खेलते समय परिस्थिति कैसी भी हो, हमेशा खेल को सही भावना से खेलना चाहिए।

Gol Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 2 2

मेजर ध्यानचंद का मानना था कि खेल में हार या जीत व्यक्तिगत नहीं होती, बल्कि पूरे देश की होती है। उनकी आत्मकथा सभी के लिए बहुत ही प्रेरणादायक रही है।

लेखक पर विरोधी पक्ष द्वारा प्रहार

खेल के मैदान में धक्का-युक्की और नोंक-झोंक की घटनाएँ सामान्यतया होती रहती हैं। वर्ष 1933 की एक घटना ऐसी ही है, जिसमें लेखक पंजाब रेजिमेंट की ओर से ख्लेलते हुए ‘सैपर्स एंड माइनर्स’ टीम के खिलाफ मुकाबला कर रहे थे। खेल के दौरान एक खिलाड़ी ने गुस्से में आकर उनके सिर पर हॉकी स्टिक से बार कर दिया, जिससे उन्हें चोट लग गई। थोड़ी देर बाद, पट्टी बाँधकर लेखक ने मैदान में वापसी की ओर लगातार छः गोल कर दिए।

Gol Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 2 3

खेल के बाद उन्होंने उस खिलाड़ी से कहा कि उन्होंने बदला ले लिया है, इस बात से वह खिलाड़ीं अत्यंत शमिंदा हुआ। लेखक ने इस घटना से सीख दी कि बुरा काम करने वाला व्यक्ति हमेशा बदला लेने की बात से डरता है।

खेल भावना और सफलता का मंत्र

लेखक के अनुसार, गुस्से में किए गए कार्यों से खेल भावना को नुकसान पहुँचता है। इसलिए खेल को सही और खेल की भावना से ही खेलना चाहिए। लेखक जहाँ भी जाते हैं, बच्चे और बूद़े उनसे उनकी सफलता का राज पूछते हैं। वे बताते हैं कि उनके पास कोई विशेष गुरु-मंत्र नहीं है। बल्कि उनकी सफलता का मूलमंत्र लगन, साधना और खेल भावना में हैं। निहित है।

सूबेदार द्वारा प्रोत्साहित करना

लेखक का जन्म वर्ष 1904 में प्रयाग में एक साधारण परिवार में हुआ था। बान में उनका परिवार झाँसी आकर बस गया। 16 साल की उम्र में उन्द्ध” इस्ट्ट ब्राह्यण रेजिमेंट’ में एक साधारण सिपाही के रूप में भर्ती होकर अपने हॉकी करियर की शुरुआत की। उनकी रेजिमेंट का हॉकी में बड़ा नाम था, लेकिन शुरुआत में लेखक की खेल में “रुचि नहीं थी। सूबेदार मेजर तिवारी के प्रोत्साहन से उन्होने हॉकी खेलना शुरू किया और धीरे-धीरे एक उत्कृष्ट खिलाड़ी बने।

बर्लिन ओलंपिक और ‘हॉकी का जादूगर’ का खिताब

वर्ष 1936 में लेखक को बर्लिन ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम का कप्तान बनाया गया। वहाँ उन्होंने अपने खेलने के ढंग से दर्शकों को इतना प्रभावित किया कि उन्हें ‘हॉकी का जादूगर’ कहा जाने लगा। उनकी हमेशा यह कोशिश रहती थी कि वे गेंद को गोल के पास ले जाकर अपने किसी साथी खिलाड़ी को दें, जिससे उसे गोल करने का श्रेय मिल सके। अपनी इन्हीं विशेषताओं व स्वभाव के कारण लेखक ने दुनिया के खेल प्रेमियों का दिल जीत लिया था। बर्लिन ओलंपिक में भारतीय टीम ने स्वर्ण पदक जीता! लेखक ने हमेशा यह ध्यान रखा कि हार या जीत लेखक की नहीं, बल्कि पूरे देश की है।

शब्दार्थ

शब्द – हिंदी अर्थ :

  • नोंक-झोंक – हल्की-फुल्की बहस या वाद-विवाद
  • मकाबला – प्रतियोगिता, सामना
  • गुस्सा – क्रोध, रोष
  • बादल – घावं पर बाँधा जाने वाला कपड़ा
  • पत्ना – प्रतिशोध, प्रतिकार
  • शर्मिदा – लज्जित, अपमानित
  • सफलता – उपलब्धि, विजय
  • राज – रहस्य, गुप्त बात
  • गुरु-मंत्र – गूद़ शिक्षा
  • लगन – मनोयोग, एकाग्रता
  • साधना – अभ्यास
  • भावना – मंशा, विचार
  • साधारण – सामान्य, सामान्य स्तर का
  • नौसिखिया – नए खिलाड़ी, प्रारंभिक स्तर का व्यक्ति
  • तरक्की – उन्नति, पदोन्सफलतानति
  • कप्तान – टीम का प्रमुख, नेता
  • श्रेय – कीर्तिकर
  • छावनी – सेना का शिविर कैंप
  • रेजिमेंट – सेना का विशेष दल
  • सूबेदार मेजर – सेना में एक ऊँचा पद
  • हॉकी का जादूगर – हॉकी का महान खिलाड़ी
  • देश – राष्ट्र, मातृभूमि
  • अभ्यास – किसी कला या कौशल को निखारने के लिए बार-बार किया गया कार्य
  • श्रेणी – स्तर, वर्गीकरण
  • समारोह – उत्सव, कार्यक्रम
  • प्रतिबद्ध – किसी कार्य या उद्देश्य के प्रति समर्पित और वचनबद्ध होना
  • उपलब्धि – प्राप्ति
  • प्रतियोगिता – मुकाबला, प्रतिस्पर्धा
  • सफलता – विजय

Malhar Class 6 Book Solutions