CBSE Class 6 Hindi Unseen Passages अपठित गद्यांश
निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
सैंपल काव्यांश 1
(अतिलघु उत्तरीय प्रश्नों पर आधारित)
मैंने छूटपन में छिपकर पैसे बोए थे,
सोचा था, पैसे के प्यारे पेड़ उगेंगे,
रुपयों की कलदार मधुर फसलें खनकेंगी,
और फूल-फल कर, मैं मोटा सेठ बनूँगा।
पर बंजर धरती में एक न अंकुर फूटा,
बंध्या मिट्टी ने न एक भी पैसा उगला,
सपने जाने कहाँ मिटे, सब धूल हो गए।
मैं हताश हो, बाट जोहता रहा कई दिनों तक,
बाल कल्पना के अपलक पाँवड़े बिछाकर।
मैं अबोध था, मैंने गलत बीज बोए थे,
ममता को रौपा, तृष्णा को सींचा था।
प्रश्न 1.
कवि ने बचपन में पैसे क्यों बोए थे?
उत्तर :
कवि ने अबोध होने के कारण बचपन में पैसे बोए थे। वे सोचते थे कि अन्य पेड़ो के समान पैसों का भी पेड़ु उगेगा, जिसमें से रुपये रूपी फल निकलेंगे।
प्रश्न 2.
रुपये के पेड़ न उगने का दोष कवि ने किसे दिया?
उत्तर :
रुपये के पेड़ न उगने का दोष कवि ने बंजर धरती को दिया।
प्रश्न 3.
बालक ने धनी सेठ बनने की क्या कल्पना की थी?
उत्तर :
अबोध बालक ने कल्पना की थी कि उसने जो पैसे बीज की तरह बोए हैं, उसके पेड़े निकल आएँगे। कुछ पेड़ बडे होने पर उसमें रुपयों की फसल उगेगी। उन फलरूपी रुपयों को तोड़कर वह धनी सेठ बन जाएगा।
प्रश्न 4.
इस पद्यांश में कवि ने क्या शिक्षा दी है?
उत्तर :
इस पद्यांश में कवि ने शिक्षा दी है कि धन केवल परिश्रम से ही प्राप्त होता है।
प्रश्न 5.
इन शब्दों के दो-दो पर्यायवाची लिखिए-धरती, फूल
उत्तर :
धरती-धरा, वसुंधरा
फूल-पुष्प, कुसुम
प्रश्न 6.
पद्यांश में आए दो भाववाचक संज्ञा शब्द ढूँढकर लिखिए।
उत्तर :
छुटपन, ममता
सैंपल काव्यांश 2
(बहुविकल्पीय प्रश्नों पर आधारित)
भटक रहे थे प्यासे-प्यासे पंछी इधर-उधर बौराए
थक निठाल हो कर सुस्ताते पथिक किनारे पर मुरझाए
झुलसाने वाली गर्मीं से त्राण सभी पाते हैं प्राणी
तुरहि बजाओ थाल सजाओ आ पहुँची है वर्षा रानी
सोंधी-सोंधी उठी सुगंधी पवन हो गई ठंडी-ठंडी
उल्लसित तन-मन करती है नव ऋतु की मोहक सारंगी
मस्त पवन करती मनमानी रिम-झ़िम बरस रहा है पानी।
प्रश्न 1.
पंछी जल की तलाश में इधर-उधर क्यों भटक रहे हैं?
(क) वे प्यासे हैं
(ख) वे बहुत थके हुए हैं
(ग) भीषण गमीं के कारण
(घ) ये सभी
उत्तर :
(घ) ये सभी
प्रश्न 2.
कवि ने वर्षा ऋतु का स्वागत करने के लिए क्यों कहा है?
(क) लोग भीषण गर्मीं से परेशान चे
(ख) वर्षा ॠतु अच्छी होती है
(ग) लोग तुरही बजाना चाहते थे
(घ) पथिक विश्राम कर पाते हैं
उत्तर :
(क) लोग भीषण गर्मी से परेशान थे
प्रश्न 3.
वर्षा ऋतु में क्या परिवर्तन नहीं आया है?
(क) पवन शीतल हो गई
(ख) सोंधी-सोंधी सुगंध आने लगी
(ग) लोगों का तन-मन प्रसन्न हो गया
(घ) पथिक निढाल बैठा है
उत्तर :
(घ) पथिक निद्वाल बैठा है
प्रश्न 4.
इस पद्यांश में कवि ने किन ऋतुओं का वर्णन किया है
(क) वर्षा ऋतु, शरद् ऋतु
(ख) ग्रीष्म ततु, वर्षा ऋतु
(ग) वसंत ऋतु, ग्रीष्म ॠतु
(घ) ग्रीष्म ऋतु, शरद् ऋतु
उत्तर :
(ख) वर्षा अतु, प्रीष्म इतु
प्रश्न 5.
‘पवन’ शब्द का पर्यायवाची है
(क) सुगंध
(ख) समीर
(ग) मोहक
(घ) पथिक
उत्तर :
(ख) समीर
प्रश्न 6.
‘पथिक’ शब्द में प्रत्यय है
(क) एक
(ख) अक
(ग) इक
(घ) थिक
उत्तर :
(ग) इक
अभ्यास प्रश्न
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न :
काव्यांश 1
कोयल काली है पर
मीठी है इसकी बोली
इसने ही तो कुक-कृक कर
आमों में मिश्री घोली
कोयल-कोयल सच बतलाना
क्या संदेसा लाई हो
बहुत दिनों के बाद आज फिर
इस डाली पर आई हो
क्या गारी हो किसे बुलार्ता
बतला दो कोयल रानी
प्यासी धरती देख माँगती
हो क्या मेघों से पार्नी?
कोयल यह मिठास क्या तुमने
अपनी माँ से पाई है?
माँ ने ही क्या तुमको मीठी
बोली यह सिखलायी है?
डाल-डाल पर उड़ना गाना
जिसने तुम्हें सिखाया है
सबसे मीठे-मीठे बोलो
यह भी तुम्हें बताया है
बहुत भरी हो तुमने माँ की
बात संदा ही है मानी
इसीलिए तो तुम कहलाती
हो सब चिड़ियों की रारी।
प्रश्न 1.
कोयल की कूक से क्या होता है?
उत्तर :
कोयल की आवाज बहुत मधुर होती है, इसलिए कवयित्री कहती है कि कोयल की कूक से आम के फल में मिश्री घुल जाती है अर्थांत् आम मीठे हो जाते हैं।
प्रश्न 2.
कवयित्री कोयल से क्या पूछ रही है?
उत्तर :
कर्वयित्री कोयल से पूछती हैं कि उसे मीठी बोली, गाना गाना किसने सिखाया है? वह किसे बुलाती है और आज वह किसका संदेश लेकर आई है?
प्रश्न 3.
कोयल चिड़ियों की रानी क्यों कहलाती है?
उत्तर :
कोयल की बोली में मिठास होती है। उसने अपनी माँ की बातो का सदैव पालन किया है, इसीलिए वह चिड्रियों की रानी कहलाती है।
प्रश्न 4.
इस कविता का उचित शीर्षक लिखिए।
उत्तर :
इस कविता का उचित शीर्षक ‘कोयल’ है।
प्रश्न 5.
‘संदेसा’ शब्द का तत्सम शब्द क्या है?
उत्तर :
‘संदेसा’ शब्द का तत्सम शब्द ‘संदेश’ है।
प्रश्न 6.
‘प्यासी धरती’ में ‘प्यासी’ शब्द व्याकरणिक दृष्टि से क्या है?
उत्तर :
‘प्यासी धरती’ में ‘प्यासी’ शब्द विशेषण है।
काव्यांश 2
पेप्सी बोली-सुन! कोका कोला,
भारत का इंसान है बहुत भोला।
विदेश से में आई हैँ,
साथ में मौत को लाई हूँ।
लहर नहीं जहर हूँ मैं,
गुर्दों पर ढाती कहर हैँ मैं।
मेरी पीएच दो प्वॉइंट साव,
मुझमें गिरकर गल जाए दाँत।
जिक, आस्संनिक, लेड है मैं,
काटे आँतों को, वो ब्लेड हैं मैं।
हाँ, दूध मुझसे सस्ता है,
फिर पीकर मुझको क्यों मरता है।
540 करोड़ कमाती हूँ,
पर वह भी विदेश ले जाती है।
मैं पहुँची हूँ आज वहाँ पर,
पीने को नहीं पानी जहाँ पर।
छोड़ो नकल अब अकल से जीओ,
और जो कुछ पीना है सँभल के पीओ।
बच्चों को यह कविता सुनाओ,
स्वदेशी अपनाओ देश बचाओ।
प्रश्न 1.
पेप्सी भारत के निवासियों को भोला क्यों कहती है?
उत्तर :
पेप्सी, कोका कोला को बताती है, मैं विदेश से आई हैँ मैं बहुत हानिकारक हैं। भारत के निवासी बहुत भोले हैं और मेरे द्वारा होने वाली हानि को नहीं समझ पाते।
प्रश्न 2.
पेप्सी में कौन-कौन से हानिकारक तत्त्व होते हैं?
उत्तर :
पेप्सी में जिक, आर्संनिक तथा लेड़ जैसे हानिकारक तत्त्व होते हैं।
प्रश्न 3.
पेप्सी पीने से क्या नुकसान होते हैं?
उत्तर :
पेप्सी में जिक, आसंनिक तथा लेड होने के कारण दाँत गल जाते है, अँते कट जाती हैं।
प्रश्न 4.
इस कविता के माध्यम से कवि ने क्या संदेश दिया हैं?
उत्तर :
इस कविता के माध्यम से कवि स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने के लिए कहते हैं।
प्रश्न 5.
‘स्वदेशी’ शब्द का विलोम लिखिए।
उत्तर :
‘स्वदेशी’ का विलोम शब्द ‘विदेशी’ है।
प्रश्न 6.
‘दूध’ का तद्भव शब्द लिखिए।
उत्तर :
‘दूध’ का तद्भव शब्द ‘दुग्ध’ है।
काव्यांश 3
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़कर मत भागो तुम।
कुछ किये बिना ही जय-जयकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
प्रश्न 1.
नन्हीं चींटी किस प्रकार सफलता प्राप्त करती है?
उत्तर :
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर दीवार पर चढ़ती है, तो कई बार फिसलती है, लेकिन वह हार नहीं मानती। चढ़कर गिरना और गिरकर चढना उसका स्वभाव बन जाता है। अंत में निरंतर प्रयत्न करने पर वह दीवार पर चढ़ने में सफल हो जाती है।
प्रश्न 2.
कवि ने असफलता को चुनौती मानने की सलाह क्यों दी?
उत्तर :
असफलता को चुनौती के रूप में स्वीकार करने से उस प्रयत्न में कमी को देखकर सुधार किया जा सकता है, जिससे सफलता की प्राप्ति होगी।
प्रश्न 3.
मनुष्य को कब तक प्रयत्न करना चाहिए?
उत्तर :
मनुष्य को अपनी नीद्ध और चैन को छोड़कर निरंतर संघर्ष करते रहना चाहिए, जब तक उसे सफलता प्राप्त न हो जाए।
प्रश्न 4.
कविता का मुख्य भाव क्या है?
उत्तर :
कविता का मुख्य भाव सफलता प्राप्त न होने तक निरंतर प्रयत्न करते रहना है।
प्रश्न 5.
‘चींटी’ शब्द का बहुवचन लिखिए।
उत्तर :
‘चींटी’ शब्द का बहुवचन ‘चींटियाँ’ है।
प्रश्न 6.
उपर्युक्त काव्यांश में ‘आह्बान’ के लिए कौन-सा शब्द प्रयुक्त हुआ है?
उत्तर :
‘आध्वान’ के लिए चुनौती शब्द प्रयुक्त हुआ है।
काव्यांश 4
ज्यों निकलकर बादलों की गोद से
थ्था अभी एक बूँद कुछ आगे बढ़ी।
सोचने फिर-फिर यही जी में लगी,
आहा क्यों घर छोड़कर मैं यों कढ़ी?
देव!! मेरे भागय में क्या है बदा,
मैं बचूँगी या मिलनुगी धूल में?
या जलूँगी फिर अंगारे पर किसी,
चू पड़ँगी या कमल के फृल में?
बह गयी उस काल एक ऐसी हवा
वह समुंदर की ओर आई अनमनी।
एक सुंदर सीप का मुँह था खुला
वह उसी में जा पड़ी मोती बनी।
लोग यों ही हैं झिझकते, सोचते
जबकि उनको छेड़ना पड़ता है घर,
कितु घर का छोड़ना अक्सर उन्हें
बुँद लौं कुछ और ही देता है कर।
प्रश्न 1.
नन्हीं बूँदु कहाँ से उत्पन्न हुई है? वह अपने मन में क्या विचार कर रही है?
उत्तर :
वर्षा की नन्हीं बूँद बादलों से आई है। वह पृथ्वी पर आते समय अपने मन में विचार कर रही है कि अपना घर छोड़कर वह क्यों निकल आई है।
प्रश्न 2.
नन्हीं बूँद को क्या भय है?
उत्तर :
नन्हीं बूँद भयभीत है। वह सोच रही है कि पता नहीं उसके भाग्य में क्या है? वह कहाँ गिरेगी? घूल में मिल जाएगी, किसी अंगारे पर गिरेगी या कमल के फृल पर गिरेगी।
प्रश्न 3.
बूँद मोती किस प्रकार बन जाती है?
उत्तर :
यूंद समुद्र कें पास सुंदर सीप के मुँ हें जाकर मोती बन जाती है।
प्रश्न 4.
कविता का उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर :
कविता का उचित शीर्षक ‘एक बूँद’ है
प्रश्न 5.
‘कमल’ शब्द के दो पर्यायवाची लिखिए।
उत्तर :
‘कमल’ के पर्यायवाची शब्द्द जलज, पंकज हैं।
प्रश्न 6.
‘काल’ शब्द के दो अर्थ लिखिए।
उत्तर :
‘काल’ शब्द के दो अर्थ समय, गति हैं।
काव्यांश 5
तितर्ली तितली! कहां चली हो नंदन-वन की रानी सी।
वन-उपवन मे, गिरि कानन में फिरती हो दीवानी सी।
फृल-फूल पर, अटक-अटक कर करती कुछ मनमानी सी
पत्ती-पत्ती से कहती कुछ अप्नी प्रणय कहार्नी सी।
यह मर्ती, इतर्ना चंचलता किससे अलि! तुमने पाई?
कहाँ जा रही हो इस निर्जन मंदिर उषा में अलसाई?
सोते ही सोते मीटी-सी सुधि तुमको किसकी आई?
जो चल पड़ी जाग तुम झटपट लेते-लेते अँगड़ाई?
प्रश्न 1.
उपरोक्त काव्यांश किसके जीवन पर आधारित है?
उत्तर :
उपरोक्त काव्यांश तितली के जीवन पर आधारित है।
प्रश्न 2.
तितली पहाड़ों और जंगलों में किसकी तरह घूमती है?
उत्तर :
तितली पहाड़ों और जंगलों में दीवानी की तरह घूमती है।
प्रश्न 3.
तितली कहाँ और कैसे मनमानी-सी करती है?
उत्तर :
तितली फूलों पर अटक-अटक कर मनमानी-सी करती है।
प्रश्न 4.
कवि को कैसे पता चला कि तितली को किसी की याद आई?
उत्तर :
तितली सोकर उठते ही अँगडाई लेकर अचानक कहीं चल देती है। इसे देखकर कवि को ऐसा लगता है कि तितली को किसी की याद आई है।
प्रश्न 5.
‘कानन’ शब्द के दो पर्यायवाची शब्द बताइए।
उत्तर :
‘कानन’ के पर्यायवाची शब्द जंगल, वन हैं।
प्रश्न 6.
‘अलि’ के लिए कोई दो अनेकार्थी शब्द लिखिए।
उत्तर :
अलि-सखि, भौरा
बहुविकल्पीय प्रश्न :
काव्यांश 6
सुबह-सुबह जब वर्षा आए।
तब भीगने में मजा आ जाए।
मैं नाचूँगी, में खेलूगी,
पानी में कागज की नाव भी चलाऊँगी।
रिमझिम-रिमझिम पानी टप-टप,
पानी गिरा बादल से।
मां ने पकौड़े और समोसे बनाए,
खाने में कितना मजा आए।
गाड़ी निकालो और चलो सैर पर,
घूमेंगे और झूमेंगे।
सृखे पेड़ धुल गए है,
और चारों ओर फूल खिल गए हैं।
बिजली चमके तो डर लगे,
लेकिन जब गरजते बादल से पानी बरसे,
तब सबके चेहरों पर खुशहाली छा जाए।
लो! सब झूम उठे मस्ती में
काश! यह वर्षा रोज ही आए,
और सबको खुशियाँ दे जाए।
प्रश्न 1.
इस कविता में कवि ने किस ऋतु का वर्णन किया है?
(क) शरद् ॠतु
(ख) ग्रीष्म ऋतु
(ग) वर्षा ॠतु
(घ) वसंत ऋतु
उत्तर :
(ग) वर्षा ॠतु
प्रश्न 2.
वर्षा होने पर वातावरण में क्या परिवर्तन आ गया?
(क) सखें पेड धुल गए
(ख) चारों ओर फूल खिल गए
(ग) बिजली चमकने लगी
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर :
(घ) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 3.
सुबह-सुबह वर्था में लोग क्या करते हैं?
(क) वर्षा का आंद लेते हैं
(ख) वर्षा रुकने की प्रतीक्षा करते हैं
(ग) पेड़ो को घोते हैं
(घ) गरजते बादलो की आवाज सुनंत हैं
उत्तर :
(क) वर्षा का आनंद लेते हैं
प्रश्न 4.
लोग वर्षा का आनंद किस प्रकार लेने की कामना करते हैं?
(क) पकौड़े और समोसे खाकर
(ख) चेहरों पर प्रसन्नता लाकर
(ग) नाचकर, खेलकर, नाव चलाकर, घूमकर, पकौौड़े और समोसे खाकर
(घ) बिजली चमकने से न डरकर
उत्तर :
(ग) नाचकर, खेलकर, नाव चलाकर, घूमकर, पर्कौड़े और समोसे खाकर
प्रश्न 5.
‘बिजली’ शब्द का पर्यायवाची है
(क) कामिनी
(ख) दामिनी
(ग) रोशनी
(घ) प्रकाश
उत्तर :
(ख) दामिनी
प्रश्न 6.
‘खुरी’ शब्द व्याकरण की दृष्टि से क्या है?
(क) जातिवाचक संज्ञा
(ख) विशेषण
(ग) भाववाचक संज्ञा
(घ) क्रिया-भिशेशपण
उत्तर :
(ग) भाववाचक संज्ञा
काव्यांश 7
जन्म लेते हैं जगह में एक ही
एक ही पौधा उन्हें है पालता,
रात में उन पर चमकता चाँद भी
एक-ही सी चाँदनी है डालता।
मेघ उन पैर है बरसता एक-सा,
एक-सी उन पर हवाएँ हैं बही
पर सदा ही यह दिखाता है हमें,
ढंग उनके एक से होते नहीं।
छेदकर काँटा किसी की अँगुलियाँ,
फाड़ देता है किसी का वर-वसन
प्यार-डूली तितलियों का पर कतर
भौर का है भेद देता श्याम तन।
फूल लेकर तितलियों को गोद में
भौर को अपना अनूठा रस पिला,
निज सुगंधों और निराले रंग से
है सदा देता क्रली का जी खिला।
है खटकता एक सबकी आँख में
दूसरा है सोहता सुर-शीश पर,
किस तरह कुल की बड़ाई काम दे
जो किसी में हो बड़प्पन की कसर।
प्रश्न 1.
इस कविता में मुख्य रूप से पौधे के किस भाग की बात की गई है?
(क) काँटे की
(ख) डालों की
(ग) फूल और काँटों की
(घ) तने की
उत्तर :
(ग) फूल और काँटों की
प्रश्न 2.
फूल किसे रस पिलाता है?
(क) भौरों को
(ख) कलियों को
(ग) स्वयं को
(घ) चाँद को
उत्तर :
(क) भौरों को
प्रश्न 3.
काँटे में क्या अवगुण होता है?
(क) चुभता है
(ख) खटकता है
(ग) तितलियों के पर कतरता है
(घ) कठोर, निर्दयी और निर्भय होता है
उत्तर :
(घ) कठोर, निर्दयी और निर्भय होता है
प्रश्न 4.
प्रस्तुत कविता हमें क्या संदेश देती है?
(क) कांटे पौधों पर नहीं उगने चाहिए
(ख) ऊँचे कुल में जन्म लेने से कुछ नही होता
(ग) फूल और काटि समान होते हैं
(घ) फूल ईश्वर पर चढ़ाना चाहिए
उत्तर :
(ख) ऊँचे कुल में जन्म लेने से कुछ नहीं होता
प्रश्न 5.
‘आँख’ शब्द का पर्यायवाची है
(क) कर
(ख) शीश
(ग) वसन
(घ) नयन
उत्तर :
(घ) नयन
प्रश्न 6.
‘कुल’ शब्द का एक अर्थ योग है, दूसरा अर्थ है
(क) बड़प्पन
(ख) जोड़ना
(ग) वंश
(घ) ढंग
उत्तर :
(ग) वंश
काव्यांश 8
क्या कुटिल व्यंग्य! दीनता वेदना से अधीर,
आशा से जिनका नाम रात-दिन जपती है,
दिल्ली के वे देवता रोज कहते जाते,
‘कुछ और धरो धीरज, किस्मत अब छपती है।’
किस्मतें रोज छप रहीं, मगर जलधार कहाँ?
प्यासी हरियाली सूख रही है खेतों में,
निर्धन का धन पी रहे लोभ के प्रेत छिपे,
पानी विलीन होता जाता है रेतों में।
हिल रहा देश कुत्सा के जिन आघातों से,
वे नाद तुम्हें ही नहीं सुनाई पड़ते हैं?
निर्माणों के प्रहरियों! तुम्हें ही चोरों के काले
चेहरे क्या नहीं दिखाई पड़ते हैं?
तो होश करो, दिल्ली के देवो, होश करो,
सब दिन तो यह मोहिनी न चलने वाली है,
होती जाती हैं गर्म दिशाओं की साँसे,
मिट्टी फिर कोई आग उगलने वाली है।
प्रश्न 1.
गरीबों के प्रति कुटिल व्यंग्य क्या है?
(क) धीरज रखने का अनुरोध
(ख) गरीबों को भाग्य पलटने का आश्वासन देना
(ग) कुछ और काम करने का आम्रह
(घ) वेदना और अधीरता
उत्तर :
(ख) गरीबों को भाग्य पलटने का आश्वासन देना
प्रश्न 2.
‘दिल्ली के वे देवता’ कौन हैं?
(क) सरकारी कर्मच्नारी
(ख) शक्तिशाली शासक
(ग) बड़े व्यापारी
(घ) प्रभावशाली लोग
उत्तर :
(ख) शक्तिशाली शासक
प्रश्न 3.
निर्माण के प्रहरी अनदेखी करते हैं
(क) वैभवशाली लोगों की
(ख) दिल्ली के देवों की
(ग) हरे भरे खेतों की
(घ) चोरों और भुष्टाचरियों की करतूतों को
उत्तर :
(घ) चोरों और भ्रष्टाचारियों की करतूतों को
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य है?
(क) सिचाई के लिए लोगों को जरा-सा भी पानी नहीं मिल पाता
(ख) गरीबों तक सभी सुविधाएँ आसानी से पहुँच जाती हैं
(ग) शक्तिशाली लोभी वर्ग निर्धन व शोषित वर्ग के धन पर नजर लगाए रहते है
(घ) रेत में बिल्कुल भी खेती नहीं हो पाती
उत्तर :
(ग) शक्तिशाली लोभी वर्ग निर्धन व शोषित वर्ग के धन पर नजर लगाए रहते हैं
प्रश्न 5.
काव्यांश में ‘कुत्सा’ का क्या अर्थ है?
(क) बुरे व निदित कार्य
(ख) चुगली करना
(ग) कुटिल भावना रखना
(घ) ये सभी
उत्तर :
(क) बुरे व निंदित कार्य
प्रश्न 6.
कविता के माध्यम से कवि क्या चेतावनी दे रहा है?
(क) गरीबों का मजाक मत बनाओ
(ख) शक्तिशाली शासकों को होश में आने की
(ग) गरीबों का साथ दो
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) शक्तिशाली शासकों को होश में आने की
काव्यांश 9
वैरग्य छोड़ बाँहों की विभा सँभालो
चट्टानों की छाती से दूध निकालो।
है रुकी जहाँ भी धार शिलाएँ तोड़ो,
पीयूष चंद्रमाओं को पकड़ निचोड़ो
चढ़ तुंग शैल शिखरों पर सोम पियो रे।
योगियों नहीं, विजयी के सदृश जियो रे।
छोड़ो मत अपनी आन, सीस कट जाए,
मत शुको अनय पर, भले व्योम फट जाए
दो बार नहीं यमराज कंठ धरता है
‘मरता है जो, एक ही बार मरता है।
तुम स्वयं मरण के मुख पर चरण धरो रे।
जीना हो तो मरने से नहीं डरो रे।
स्वातंत्र्य जाति की लगन व्यक्ति की धुन है,
बाहरी वस्तु यह नहीं, भीतरी गुण है।
नत हुए बिना जो अशनि-घात सहती है,
स्वाधीन जगत् में वही जाति रहती है।
वीरत्व छोड़ पर का मत चरण गहो रे।
प्रश्न 1.
कवि भारतीय युवकों को ऐसा जीवन जीने को कहता है, जो
(क) कायरों जैसा न हो
(ख) योगियों जैसा नहीं, पराक्रमी वीरों जैसा हो
(ग) केवल बात करने वाले बुद्धिजीवी जैसा न हो
(घ) व्यर्थ में समय नष्ट न करता हो
उत्तर :
(ख) योगियों जैसा नहीं, पराक्रमी वीरों जैसा हो
प्रश्न 2.
कवि कहता है कि मनुष्य को उन परिस्थितियों में मृत्यु की चिंता नहीं करनी चाहिए, जब
(क) कोई युद्ध करने पर आमादा हो
(ख) कोई निरीह पशुओं पर अत्याचार कर रहा हो
(ग) कोई असामाजिक कार्य कर रहा हो
(घ) उसकी आन अर्थात् इजजञत दाँव पर लगी हो
उत्तर :
(घ) उसकी आन अर्थात् इज्ज़त दाँव पर लगी हो
प्रश्न 3.
कवि द्वारा इस कविता को लिखने का कारण हो सकता है
(क) देश को स्वाधीन कराने के लिए स्वर्यं का बलिदान करने से भी न चूकना
(ख) देश की समस्याओं से युवाओं को रूबरु कराना
(ग) महिलाओं की इज़जत बचाने के लिए गुहार लगाना
(घ) वृद्धों को समाज में उनका उचित स्थान दिलवाना
उत्तर :
(क) देश को स्वाधीन कराने के लिए स्वयं का बलिदान करने से भी न चूकना
प्रश्न 4.
संसार में कौन-सी जाति स्वाधीन रहती है?
(क) जो तलवारों का सामना करने पर भी हार नहीं मानती
(ख) जो वैराग्य ले लेती है
(ग) जो बुद्धि से काम लेती है
(घ) जो शक्तिशाली के समक्ष नत हो जाती है
उत्तर :
(क) जो तलवारों का सामना करने पर भी हार नहीं मानती
प्रश्न 5.
कविता के मूल भाव से संबंधित कथनों पर विचार कीजिए
1. हमें देश की उन्नति के लिए स्वयं का बलिदान करने से भी नहीं चूकना है।
2. हमें हर हाल में अपनी भारत माता को पराधीनता की बेड़ियों से मुक्त कराना है।
3. यह कविता स्वाधीनता की पृष्ठभूमि में लिखी गई कविता है।
उपरोक्त कथनों में कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(क) केवल 1
(ख) केवल 2
(ग) 2 और 3
(घ) 1 और 3
उत्तर :
(ग) 2 और 3
प्रश्न 6.
‘विजयी’ शब्द का अर्थ है
(क) विजय को छोइने वाला
(ख) हार को मानने वाला
(ग) विजय को प्राप्त करने वाला
(घ) पराधीन में रहने वाला
उत्तर :
(ग) विजय को प्राप्त करने वाला
काव्यांश 10
जब एक साथ मिलकर खेलते हैं,
एक-दूसरे के दु-ख-सुख झेलते हैं;
कभी रूठते हैं, मनाते हैं,
और फिर गले लगकर मुस्कुराते हैं
जब हम बतियाते हैं-एक हो जाते हैं
भाषा-भूषा हमें पास लाते हैं;
पर बिना शब्दों के भी जोड़ते हैं संगीत के स्वर
जिससे होंठ गुनगुनाते हैं, पाँव थिरक जाते हैं
हम तब भी एक होते हैं,
जब प्रकृति की गोद में होते हैं।
दीन-दुनिया से परे, चैन की नींद सोते हैं
और सुनहरे सपनों की दुनिया सँजोते हैं।
एक होने का यह भाव बड़ा अजीब है,
इसी, भाव में यीशु का यश, अल्लाह का ताबीज है।
गुरु की वाणी है, राम नाम का बीज है,
यह परंपरा और संस्कृति की चीज़ है।
प्रश्न 1.
संगीत के स्वर बजने पर क्या होता है?
(क) हमें पास लाते हैं
(ख) होंठ गुनगुनाते और पाँव थिरकते हैं
(ग) मन के दरवाज़े खुलते हैं
(घ) कर्तव्य के प्रति सजग होते हैं
उत्तर :
(ख) होंठ गुनगुनाते और पाँव थिरकते हैं
प्रश्न 2.
एक होने का भाव अजीब है, क्योंकि
(क) हम सभी धर्मों का अपमान करते हैं
(ख) हम सभी धमों का सम्मान करते है
(ग) हम किसी से ब्वात करना पसंद्र नहीं करते
(घ) हम दीन दुनिया से परे हैं
उत्तर :
(ख) हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं
प्रश्न 3.
सबके साथ एकता का भाव रखना हमारे लिए क्या है?
(क) परंपरा
(ख) संस्कृति
(ग) ‘क’ और ‘ख’ दोनो
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ग) ‘क’ और ‘ख’ दोनों
प्रश्न 4.
भूषा का अर्थ है
(क) वेशभूषा
(ख) चारा-भूसा
(ग) सजावट
(घ) शोभा
उत्तर :
(क) वेशभूषा
प्रश्न 5.
दिए गए कथनों पर विचार कीजिए
1. हम सब मुस्कुराते हुए एक-साथ सुख-दु:ख झेलते हैं।
2. हम सब मुस्कुराते हुए एक-दूसरे को गले लगाते हैं।
3. हम सब एक-दूसरे से डरते भी हैं।
उपरोक्त कथनों में कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(क) केवल 1
(ख) केवल 2
(ग) 1 और 2
(घ) 2 और 3
उत्तर :
(ग) 1 और 2
प्रश्न 6.
‘सुख’ शब्द का पर्यायवाची है
(क) आनंद
(ख) उत्साह
(ग) परित्याग
(घ) दु:ख
उत्तर :
(क) आनंद