CBSE Class 6 Hindi रचना पत्र-लेखन
पत्र-लेखन का अर्थ
पत्र-लेखन एक महत्त्वपूर्ण कला है। अपने विचारों एवं भावों की अभिव्यक्ति के लिए पत्र-लेखन का प्रयोग किया जाता है। पत्र-लेखन की अपनी विशेष शैली होती है।
पत्र के अंग
पत्र को जिस क्रम में लिखा जाता है, वे पत्र के अंग कहलाते हैं। सामान्यत: किसी भी पत्र में निम्नलिखित अंग होते हैं
1. शीर्षक या प्रारंभ पत्र में सर्वप्रथम शीर्षक के रूप में पत्र लिखने वाले का नाम व पता लिखा जाता है, उसके बाद पत्र लिखने की तिथि का उल्लेख किया जाता है। परीक्षा में पूछ्छे गए औपचारिक व अनौपचारिक पत्र के नाम का उल्लेख न होने पर परीक्षा भवन लिखा जाता है। यह सब पत्र में बाएँ और सबसे ऊपर लिखा जाता है। तत्पश्चात् जिसे पत्र भेजना है, उसका नाम व पता लिखा जाता है।
2. विषय औपचारिक पत्रों के अंतर्गत विषय का उल्लेख सीमित शब्दों में स्पष्ट रूप से किया जाता है, जबकि अनौपचारिक पत्रों में इसका उल्लेख नहीं होता।
3. संबोधन पत्र में संबोधन का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। औपचारिक पत्र के अंतर्गत मान्यवर, महोदय आदि सूचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है तथा अनौपचारिक पत्र के अंतर्गत पूजनीय, सेहमयी, प्रिय आदि सूचक-शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
4. अभिवादन पत्र में संबोधन के अनुरूप ही अभिवादन हेतु शब्दों का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रयोग अनौपचारिक पत्रों में बड़ों के लिए प्रणाम, नमस्कार, सादर चरण-स्पर्श तथा छोटों के लिए आशीर्वाद, शुभाशीष, चिरंजीव रहो आदि शब्द-सूचक का प्रयोग किया जाता है। यद्यपि औपचारिक पत्रों में इसका प्रयोग नहीं होता।
5. विषय-वस्तु विषय-वस्तु पत्र लेखन का महत्त्वपूर्ण अंग है। इसे पत्र का मुख्य भाग भी कहते हैं। इस भाग में पत्र से संबंधित भावों व विचारों को प्रकट किया जाता है।
6. समाप्ति अथवा अंत पत्र के अंत में समाप्ति हेतु औपचारिक पत्र में धन्यवाद लिखते हुए भवदीय, प्रार्थी, आज्ञाकारी शब्द-सूचक का प्रयोग किया जाता है तथा अनौपचारिक पत्र में प्यारा, स्नेहाकांक्षी, हितैषी, शुभाकांक्षी आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
पत्र लिखते समय ध्यान रखने योम्य बातें
- पत्र का विषय स्पष्ट होना चाहिए तथा पत्र में क्रमबद्धता का विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
- पत्र इतना संक्षिप्त नहीं होना चाहिए कि मुख्य बातें ही छूटी हुई सी लगें।
- पॠ्न-लेखन में पुनरुक्ति तथा अनावश्यक वर्णन से बचना चाहिए।
- पत्र में प्रयुक्त वाक्यों की परस्पर संबद्धता होनी चाहिए, जिससे भावों को स्पष्ट रूप से समझा जा सके।
- पत्र की समाप्ति इस प्रकार होनी चाहिए कि पत्र का संदेश स्पष्ट हो सके।
- पत्र की भाषा सरल, स्पष्ट, आदर-सूचक व शुद्ध होनी चाहिए।
पत्र के प्रकार
सामान्यतया पत्रों को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है
- औपचारिक पत्र
- अनौपचारिक पत्र
औपचारिक पत्र
अधिकारियों, कर्मचारियों तथा संस्था प्रमुख, पुस्तक विक्रेता, संपादक आदि को लिखे जाने वाले पत्र औपचारिक पत्र कहलाते हैं। इनसे हमारा व्यक्तिगत परिचय नहीं होता है। इन पत्रों में सूचना देने का भाव छिपा होता है। औपचारिक पत्रों के अंतर्गत निम्नलिखित पत्र आते हैं
(क) प्रार्थना-पत्र/आवेदन पत्र
(ख) शिकायती-पत्र
(ग) व्यावसायिक-पत्र
(घ) कार्यालयी-पत्र .
(ङ) संपादक के नाम पत्र
औपचारिक पत्र का प्रारूप
प्रश्न दो दिन के अवकाश के संबंध में प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए।
अभ्यास प्रश्न
प्रार्थना-पत्र
पत्र
1. छात्रों के लिए अधिक खेल-सामग्री उपलब्य कराने का अनुरोध करते हुए विद्यालय के प्रधानाचार्य को प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 20 अप्रैल, 20XX
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय,
सिविल लाइन्स,
दिल्ली।
विषय अधिक खेल-सामग्री उपलय्ध कराने हेतु।
महोदय,
विनम्र निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय की कक्षा छठी ‘अ’ का छात्र हूँ। हमारे विद्यालय में खेल का मैदान तो काफी बड़ा है, कितु खेल-सामग्री छात्रों के अनुपात में अत्यंत कम है। खेल के पीरियड (समय) में छात्र खेल नहीं पाते। हमारे विद्यालय में काफी समय से खेल का कोई भी नया सामान नहीं खरीदा गया है, विद्यार्थियों को टूटे-फूटे सामान से ही खेलना पड़ता है। यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है।
अत: आपसे अनुरोध है कि विद्यालय में अधिक खेल-सामग्री उपलब्ध कराने की कृपा करें, जिससे छात्र पदाई के साथ-साथ खेल में जीतकर विद्यालय का नाम ऊँचा करें।
संन्यमाद।
आपका आजाकारी शिष्य,
क. ख. ग.
छठी ‘अ’ अनुक्रमांक 15
2. विद्यालय में पुन: प्रवेश के लिए प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 5 अगस्त, 20XX
सेवा में,
प्रधानाचार्या महोदया,
नवीन भारती उच्चतम माध्यमिक विद्यालय,
हर्ष विहार,
दिल्ली।
विषय विद्यालय में पुन: प्रवेश के संबंध में।
महोदया,
सविनय निवेदन यह है कि मैं इस विद्यालय की छठी कक्षा की छात्रा हूँ। लगभग बीस दिन पहले मेरे दादाजी की मृत्यु गाँव में हो गई। यह खबर सुनते ही हमारे परिवार को अचानक गाँव जाना पड़ा। इस बात की सूचना मैं अपनी कक्षा अध्यापिका को न दे सकी। मेरे लगातार कई दिन तक विद्यालय में अनुपस्थित रहने के कारण उन्होंने (कक्षा अध्यापिका) मेरा नाम काट दिया है। अब में इस गलती के लिए क्षमा माँगते हुए अपना नाम विद्यालय में पुन: लिखवाने के लिए निवेदन करती हैँ।
आपसे विनम्र प्रार्थना है कि मेरी स्थिति पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए मेरा नाम दोबारा अपने विद्यालय में लिखने की कृपा करें। मैं सदैव आपकी आभारी रहूँगी।
सधन्यवाद।
आपकी आज़ाकारिणी शिष्या,
क. ख. ग.
छठी ‘अ’ अनुक्रमांक 2
3. सेक्शन बदलने के लिए प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 4 सितंबर, 20 XX
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक वाल विद्यालय,
ईस्ट पंजाबी बाग,
दिल्ली।
विषय संकशन चदलवाने के सेंज्र सा
महोदय,
विनम्र निवेदन यह है कि में इस विद्यालय की छठी कक्षा का छात्र हूँ। इस महीने के आरंभ में मुझे टायफाइड हो गया था। इस कारण मुझे दस दिन अस्पताल में भर्तीं रहना पड़ा। उसके बाद भी मैं दस दिन और विद्यालय न आ सका। इससे मेरी पढ़ाई छूट गई और मेरा कार्य अधूरा रह गया। मेरा भाई इसी विद्यालय की छठी ‘ब’ में पढ़ता है। यदि मेरा सेक्शन बदल दिया जाए तो उसकी सहायता से में अपना काम आसानी से पूरा कर सकता हैं।
आपसे प्रार्थना है कि मेरा सेक्शन छठी ‘अ’ से बदलकर छठी ‘ब’ करने की कृपा करें।
सधन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
क. ख. ग.,
छठी ‘अ’ अनुक्रमांक 22
4. प्रधानाचार्य को छात्रवृत्ति के लिए आवेदन-पत्र लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 10 सितंबर, 20 XX
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,
दिल्ली।
विषय छात्रवृत्ति होतु आवेदन-पत्र।
श्रीमान,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में छठी कक्षा की छात्रा हूँ। मैं परीका में सदैव अच्छे अंकों से पास होती हूँ तथा पढ़ाई के साथ-साथ स्कूल में होने वाले अन्य कार्यक्रमों में भी रुचि लेती हूँ। खेलकूद में भी मुझे अब तक कई पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। विद्यालय के सभी अध्यापक मेरे आचरण से पूरी तरह संतुष्ट हैं। इस वर्ष मेरे घर की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है। मेरे पिताजी नौकरी से सेवानिवृत्त हो गए हैं। मेरी पद़ाई दो माह पहले प्रारंभ हो गई है, परंतु अभी तक मैं अपनी पाठ्यपुस्तकें भी नहीं खरीद पाई हूँ।
मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि मुझे छात्रवृत्ति देने की कृपा करें। मैं आपकी सदैव आभारी रहूँगी।
सधन्यवाद।
आपकी आजाकारी शिष्या,
क. ख. ग.
छटी ‘अ’ अनुक्रमांक 9
शिकायती पत्र
5. पेयजल संकट के निवारण हेतु जल निगम अधिकारी को पत्र लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 10 मार्च, 20XX
सेवा में,
जल निगम अधिकारी,
दिल्ली जल बोर्ड संस्थान,
16 राजपुर रोड,
दिल्ली।
विषय पेयजल संकट के निवारण के संबंध में।
महोदय,
निवेदन यह है कि मैं सी-सी कॉलोनी का निवासी हूँ। हमारे मोहल्ले में पिछले पंद्रह-बीस दिनों से पानी बहुत कम आ रहा है। यहाँ सुबह-शाम एक-दो घंटे के लिए ही पानी आता है। पानी का दबाव इतना कम होता है कि ऊपर की मंजिलों पर वह नहीं चढ़ पाता है। इसके अतिरिक्त जितनी देर के लिए पानी आता है, वह पानी गंदा होता है, जिसमें बदबू आती है। इस पानी को पीने से हैजा, अपच जैसी बीमारियाँ फैल रही हैं।
अत: मेरी आपसे प्रार्थना है कि पानी की गुणवत्ता में सुधार करते हुए पानी की आपूर्ति को नियमित एवं सुचारु करने की कृपा करें।
सधन्यवाद।
भवदीय,
क. ख. ग.
6. स्वास्थ्य अधिकारी को मोहल्ले में नियमित सफाई न होने की शिकायत करते हुए पत्र लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन, दिल्ली।
दिनांक 25 अगस्त, 20 XX
सेवा में,
स्वास्थ्य अधिकारी महोदय, उत्तरी दिल्ली नगर निगम, दिल्ली।
विघय मोहल्ले की मफाईं व्ययस्था के संबंध में।
महोदय,
मैं आपका ध्यान अपने मोहल्ले इंदिरा विकास कॉलोनी की सफाई की बदहाल स्थिति की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। हमारे मोहल्ले में नियुक्त सफाईकमी सप्ताह में एक या दो दिन ही सफाई करते हैं और वे कूड़े का ठेर लगाकर चले जाते हैं। इस ढेर पर कुते मल-मूत्र त्यागते हैं और गायें इसे इधर-उधर बिखरा जाती हैं। इसके अतिरिक्त नालियों की सफाई न होने से उनमें बदबू मारने लगी है, जिससे यहाँ रहना कठिन हो गया है। नियमित सफाई न होने के कारण यहाँ रहने वाले निवासी बीमार हो रहे हैं।
अत: मेरी आपसे प्रार्थना है कि आप स्वयं इस मामले में आवश्यक कदम उठाते हुए सफाई व्यवस्था को सुचारु करवाने की कृपा करें। धन्यवाद।
भवदीय,
क. ख. ग.
कार्यालयी पत्र
7. साइकिल खोने की सूचना देते हुए थानाध्यक्ष को पत्र लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 10 जुलाई, 20 XX
सेवा में,
थानाध्यक्ष महोदय,
करोलबाग,
दिल्ली।
विषय माइकिल खोंने के संबंध में।
महोदय,
निवेदन यह, है कि मैं कल शाम कुछ पुस्तकें और स्टेशनरी का सामान लेने के लिए टैंक रोड़ गया था। किताबों की दुकान पर भीड़ होने के कारण मुझे दुकान पर बीस-पच्चीस मिनट लग गए। मैंने दुकान के सामने दीवार के पास अपनी साइकिल खड़ी की थी, परंतु कुछ देर बाद वह वहाँ से गायब हो गई।
मैंने आस-पास के दुकानदारों और कुछ लोगों से पूछताछ की, पर कुछ पता न चला। मैंने हीरो कंपनी के रेंजर मॉडल की इस साइकिल को 27 मार्च, 20XX को खरीदा था।
मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि इस साइकिल के खोने की सूचना दर्ज करते हुए इसे खोजने में मेरी मदद करने की कृपा करें।
सधन्यवाद।
भवदीय
क. ख. ग.
8. डाकिए की डाक बाँटने हेतु अनियमितता की शिकायत करते हुए क्षेत्र के मुख्य पोस्टमास्टर को पत्र लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन
दिल्ली।
दिनांक 8 नवंबर, 20 XX
सेवा में,
मुख्य पोस्टमास्टर,
प्रधान डाकघर,
सीमापुरी,
दिल्ली।
विषय डाकिए की डाक वाँटने हैतु अनियमिता की शिकायत हैतु।
महोदय,
मैं इस पत्र के माध्यम से आपका ध्यान अपने क्षेत्र सीमापुरी में नियुक्त डाकिए की कार्य शैली की ओर आकर्षित कराना चाहता हैँ। इस क्षेत्र में नियुक्त डाकिया चिट्ठियाँ बाँटने महीने में एक-दो दिन ही आता है और गली के बाहर खेल रहे बच्चों को डाक पकड़ा जाता है। बच्चे इसे खेलने की वस्तु समझकर इधर-उधर फेंक देते हैं। कई बार वह पत्र गलत पंते पर भी डाल देता है तथा कभी वह पत्रों को घर के बाहर ही फेंककर चला जाता है, जिससे हमारे पत्र हमें नहीं मिल पाते हैं। इससे हमें परेशानी का सामना करना पड़ता है।
अत: आपसे प्रार्थना है कि इस मामले में व्यक्तिगत रुचि लेकर डाक वितरण व्यवस्था सुचारू करने की कृपा करें।
धन्यवाद।
भवदीय
क. ख. ग.
व्यावसायिक पत्र
9. आपको कुछ पुस्तकों की आवश्यकता है। इस संदर्भ में पुस्तक विक्रेता को वीपीपी द्वारा पुस्तक भेजने के लिए पत्र लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 21 जुलाई, 20XX
सेवा में,
संचालक महोदय,
हिंदी बुक सेंटर,
आसफ अली रोड,
नई दिल्ली, 110002
विषय वीपीपी द्वारा पुस्तकें भेजने हेतु पत्रा महोदय, सविनय निवेदन है कि मैं राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय का छात्र हैँ। मुझे कुछ पुस्तकों की शीघ्र आवश्यकता है। अत: आपसे अनुरोध है कि उचित कमीशन काटकर वीपीपी द्वारा निम्ननिखित पुस्तकें शीघ्र भेजने की कृपा करें
1. हिंदी व्याकरण भाग-3 (एक प्रति)
2. हिंदी व्याकरण भाग-8 (एक प्रति)
3. साहित्य संगम सं. सुधाकर पांडेय (एक प्रति)
धन्यवाद।
भवदीय,
क. ख. ग.
संपादकीय पत्र
10. हिंसा प्रधान फिल्मों को देखकर बाल मन पर पड़ने वाले इनके दुष्प्रभाव का वर्णन करते हुए दैनिक समाचार-पत्र के संपादक को पत्र लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 25 जनवरी, 20XX
सेवा में,
संपादक महोदय,
नवभारत टाइम्स,
दिल्ली। महोदय,
मैं आपके दैनिक लोकप्रिय समाचार-पत्र के माध्यम से सरकार और समाज का ध्यान हिंसा प्रधान फिल्मों के पड़ने वाले दुष्यभाव की ओर दिलाना चाहती हैँ। आजकल दूरदर्शन के विभिन्न चैनलों पर हिंसा प्रधान फिल्मों को देखकर लगता है कि सरकार का इन पर कोई नियंत्रण नहीं रह गया है। आज समाज में लूटपाट एवं हिंसा की घटनाओं के पीछे ये फिल्मे ही हैं। इन फिल्मों से युवा मन जल्दी ही युराई की ओर आकर्षित होता है। इस प्रवृत्ति को रोकना अंत्यंत आवश्यक है।
मैं इस पत्र के माध्यम से सरकार के ‘सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय’ से अपील करती हूँ कि वह अपनी नीति में उपयुक्त सुधार करके हिंसा प्रधान फिल्मों पर रोक लगाए।
सधन्यवाद।
भवदीया,
क. ख. ग.
2. अनौपचारिक पत्र
सगे-संबंधियों, मित्रों, पारिवारिक संबंधियों तथा परिचित व्यक्तियों को लिखे गए पत्र अनौपचारिक पत्र कहलाते हैं। इन पत्रों में व्यक्ति से संबंधित सुख-दु:ख, हर्ष, उत्साह, आत्मीयता का भाव छिपा होता है, जिसकी अनुभूति पढ़ने और लिखने वाले दोनों को होती है।
अनौपचारिक पत्र का प्रारूप
प्रश्न भाई के विवाह में आमंत्रित करते हुए मित्र को निमंत्रण-पत्र लिखिए।
अभ्यास प्रश्न
1. अपने मित्र को पत्र लिखिए, जिसमें उसे स्वच्छ भारत अभियान से जुड़ने का आग्रह किया गया है।
उत्तर :
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 29 सितंबर, 20 XX
प्रिय मित्र,
सप्रेम नमस्ते।
आशा है कि तुम्हारी पढ़ाई ठीक चल रही होगी और तुम मन लगाकर परीक्षा की तैयारी में लगी होगी। तुम्हें यह जानकर खुशी होगी कि हमारे विद्यालय ने प्रधानमंत्री द्वारा चलाए गए ‘स्वच्छ भारत अभियान’ से जुइने का निश्चय किया है। विद्यालय के सभी छात्र अपने-अपने क्षेत्रों में स्वच्छता अभियान से जुड़ेंगे। वे प्रत्येक रविवार को स्थान-स्थान पर अपने अध्यापकों के मार्गदर्शन में समूह बनाकर स्वच्छता का कार्य करेंगे। मैं चाहती हूँ कि तुम भी अपने विद्यालय के सहपाठियों व अध्यापकों से इस विषय पर बातचीत करो तथा इस कार्य में सहयोगी बनने के लिए प्रेरित करो। यदि हम अपने आस-पास के स्थान को गंदगी से मुक्त रखेंगे तथा स्वच्छ बनाएँगे, तो यह बहुत महत्त्वपूर्ण कदम होगा।
मुझे पूरी आशा है कि तुम स्वच्छ भारत अभियान से जुड़कर भारत को स्वच्छ बनाने में पूरा सहयोग दोगी।
तुम्हारी अभिन्न मित्र
क. ख. ग.
2. मित्र को अन्मदिन की बधाई देते हुए पत्र लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 7 जुलाई, 20 XX
प्रिय मित्र,
सप्रेम नमस्ते।
कल शाम को तुम्हरा पत्र मिला। पढ़कर खुशी हुई कि तुम छात्रावास में सकुशल हो। मैं ईश्वर से यह कामना भी करता हू, कि तुम स्वस्थ रहो।
मित्र! मुझे सबसे अधिक खुशी यह जानकर हुई कि तुम्हारा जन्मदिन आगामी 20 जुलाई को है। मैं तुम्हें जन्मदिन की खूब सारी बधाइयाँ देता हूँ। मुझे तुम्हारा पिछला जन्मदिन आज भी याद है। उस समय हमने तुम्हारे दोस्तों के साथ मिलकर जो आनंद उठाया था, उसे में भूल न सका। इस बार भी हम सब तुम्हारा जन्मदिन खूब हषोल्लास से मनाएँगे।
मेरी ओर से एक बार फिर बेर सारी बधाइयाँ एवं शुभकामनाएँ स्वीकार करो।
शेष मिलने पर,
तुम्हारा मित्र,
क. ख. ग.
3. भाई को परीक्षा में मिली सफलता पर बधाई देते हुए पत्र लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक 25 अक्टूबर, 20 XX
प्रिय मित्र,
सप्रेम नमस्ते।
अभी-अभी समाचार मिला कि तुम परीक्षा में 99.9 प्रतिशत अंकों के साथ पूरे विद्यालय में प्रथम आए हो। यह जानकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हुई। यह सब तुम्हारी लगन एवं कड़ी मेहनत का ही फल है। तुमने माताजी व पिताजी के साथ-साथ पूरे परिवार का नाम रोशन कर दिया है।
घर में परिजनों व मित्रों के बधाई-संदेश आ रहे हैं। हम सभी लोगों को तुम्हारे ऊपर बड़ा गर्व है। ईश्वर करें, तुम भविष्य में भी इसी तरह से सफलताएँ प्राप्त करते रहो और परिवार का नाम रोशन करते रहो।
तुम्हारा भाई
क. ख. ग.
4. छात्रावास में रहते हुए पुस्तकें खरीदने व फीस जमा कराने हेतु रुपये मँगवाने के लिए पिताजी को पत्र लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 5 अप्रैल, 20 XX
पूज्य पिताजी
सादर चरण स्पर्श!
मैं यहाँ पर सकुशल हूँ और आशा करता हूँ कि घर पर आप सब भी सकुशल होंगे।
पिताजी! आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि मैंने छठी कक्षा में A+ ग्रेड प्राप्त किया है। कक्षाध्यापिका ने मेरा रिपोर्ट कार्ड देखकर मेरी पीठ थपथपाई। अब मुझे सातर्वी कक्षा के लिए छात्रावास की फीस जमा कराने के अतिरिक्त कुछ पुस्तकें भी खरीदनी हैं। इसके लिए मुझे तीन हजार रुपये की आवश्यकता है। इन्हें आप मनीऑर्डर द्वारा शीष्र भिजवा दीजिए, जिससे मैं समय पर पुस्तकें खरीद सकूँ व फीस जमा कर सकूँ।
पूज्य माताजी को प्रणाम तथा सौम्य को स्नेह।
शेष अगले पत्र में,
आपका प्रिय पुत्र
क. ख. ग.
5. अपने नए विद्यालय की विशेषताओं को बताते हुए माताजी को पत्र लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 20 अप्रैल, 20 XX
पूज्या माताजी,
सादर प्रणाम।
कल शाम आपका पत्र मिला। पत्र पढ़कर खुश़ी हुई। मैं भी यहाँ छात्रावास में सकुशल रहकर अपनी पढ़ाई कर रही हूँ।
माँ! जब आपने मेरा इस नए विद्यालय में दाखिला करवाया था, तब मन में अनेक शंकाएँ जन्म ले रही थीं, पर एक सप्ताह में ही उनका निवारण हो गया। यह विद्यालय हेरे-भरे पेड़ों के बीच विशाल मैदान में स्थित है। इसके कमरे बड़े-बड़े, साफ तथा हवादार हैं। यहाँ के शिक्षक परिश्रमी हैं, जो छात्रों को लगन एवं प्यार से पढ़ाते हैं। छात्रावास में मिलने वाला खाना पौष्टिक एवं ताजा होता है। छात्रावास में भी पढ़ाई का उत्तम वातावरण है। अब चिता की कोई बात नहीं है। पूज्य पिताजी को सादर चरण स्पर्श तथा छोटे भाई को स्नेह।
शेष अगले पत्र में,
आपकी प्रिय पुत्री
क. ख. ग.