CBSE Class 6 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन
अनुच्छेद का अर्थ
किसी विषय पर संक्षेप में अपने भाव-विचार व्यक्त करना अनुच्छेद-लेखन कहलाता है। अनुच्छेद में किसी एक विषय पर संक्षेप में मुख्य बिंदुओं पर चर्चा की जाती है। अनुच्छेद लेखन को निबंध का लघु रूप भी कहा जाता है, लेकिन निबंध और अनुच्छेद में अंतर होता है। निबंध में विषय के पक्ष-विपक्ष में तथा उसके विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत रूप से लिखा जाता है, कितु अनुच्छेद के विषय को विस्तृत रूप से न लिखकर प्राय: 80-100 शब्दों में मुख्य बिंदुओं का ही वर्णन किया जाता है।
अनुच्छेद-लेखन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
- अनुच्छेद लेखन के लिए दिए गए शीर्षक व संकेत बिंदुओं पर विधार कर लेना चाहिए।
- अनुछ्छेद के केंद्र-बिंदु को ध्यान में रखकर अनुच्छेद न अधिक बड़ा न अधिक छोटा होना चाहिए।
- संक्षेपीकरण के कारण अनुच्छेद अधूरा नहीं रह जाना चाहिए।
- विषय के किसी भी बिंदु की विस्तृत व्याख्या से बचना चाहिए।
- अनुच्छेद की भाषा सरल व प्रभावपूर्ण होनी चाहिए।
- पुनरुक्ति से बचने का हरसंभव प्रयास करना चाहिए।
- विषय-वस्तु से संबंधित विचारों को व्यवस्थित व क्रमबद्ध रूप में लिखना चाहिए।
- मुहावरे, लोकोक्तियों का प्रयोग अनुच्छेद को प्रभावशाली बनाते हैं।
- अनुच्छेद के अंत में विषय का निष्कर्ष पूरी तरह स्पष्ट हो जाना चाहिए।
अभ्यास प्रश्न
भारत का नया संसद भवन
संकेत बिंदु
- भवन का उद्घाटन
- संरचना
- सीटों की संख्या
- आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 28 मई, 2023 को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में नए संसद भवन का उद्धाटन किया है। दिल्ली में पुराने संसद भवन को अब लगभग 100 वर्ष पूरे हो गए थे। ऐसे में एक नए संसद भवन की कमी महसूस हो रही थी, जिसमें आज के युग की नव-तकनीकें मौजूद हों। फलस्वरूप 10 दिसंबर, 2020 को नरेंद्र मोदी द्वारा संसद के नए भवन की आधारशिला रखी गई।
नए संसद भवन का आकार वास्तुशिल्प संरचना के अनुसार त्रिकोणीय है। इसका निर्माण सेंट्रल विस्टा संरचनाओं की तर्ज पर किया गया है। इसमें लोकसभा, राज्यसभा, केंद्रीय लाउंज और संवैधानिक प्राधिकरणों के कार्यालय हैं। नई संसद में लोकसभा सीटों की संख्या 888 है। राज्यसभा में सदस्यों के बैठने की क्षमता को 280 से बढ़ाकर 384 की गई है अर्थात् संयुक्त सत्र के दौरान नए संसद भवन में 1,272 से ज्यादा सांसद बैठ सकेंगे। नए संसद भवन में रखा जाने वाले संगोल की कहानी वास्तव में भारत की आजादी और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से जुड़ी हुई है।
नए संसद भवन के निर्माण का टेंडर टाटा ग्रुप ने जीता था। नए संसदे भवन को ‘आत्मनिर्भर भारत की भावना’ का प्रतीक माना जाएगा।
बाल मजदूरी-एक सामाजिक अभिशाप
संकेत बिंदु
- काम करने की विवशता
- बचपन का छिन जाना
- कारण
- उपाय
आज भारत को जिन सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, उनमें बाल मजदूरी प्रमुख है। बाल मजदूरी छोटी उम्र में बच्चों द्वारा व्यावसायिक काम करने की विवशता है। बचपन मानव जीवन का स्वर्णिम काल होता है। इस काल में बच्चा खेल-कूदकर अपना मनोरंजन और शारीरिक विकास करता है। वह पढ़-लिखकर समाजोपयोगी नागरिक बनता है, परंतु बचपन में मजदूरी करने से उसका बचपन छिन जाता है और खेल-कूद तथा पढ़ाई-लिखाई के अवसर नष्ट हो जाते हैं। इससे बच्चा बन्धुआ मजदूर बनकर रह जाता है। वह एक मजदूर की जिंदगी जीने को अभिशप्त हो जाता है।
बाल मजदूरी का प्रमुख कारण निर्धनता है। इसके कारण न चाहते हुए भी माता-पिता अपने बच्चों को काम पर भेजने के लिए विवश होते हैं। इसके अतिरिक्त समाज के कुछ स्वार्थीं लोग बच्चों से लगभग मुफ्त में नौकरी करवाकर मोटा मुनाफा कमाते हैं। सरकार को बाल मजदूरी रोकने की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए।
आदित्य एल 1 सौर मिशन
संकेत बिंदु
- पहला सौर मिशन
- उद्देश्य
- कब लॉन्च किया गया
- क्रांतिकारी मिशन
आदित्य एल 1 एक कोरोनोग्राफी अंतरिक्ष यान है। यह सूर्य का अध्ययन करने वाला भारत का पहला सौर मिशन है। पहले इसका नाम आदित्य-1 था, जिसे बदलकर आदित्य एल 1 कर दिया गया। आदित्य एल 1 का प्राथमिक उद्देश्य विशेष रूप से सूर्य की बाहरी परत, पृथ्वी की जलवायु और सौर कोरोना गतिविधियों के प्रभाव का अध्ययन करना है।
आदित्य एल 1 मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है। इसे 2 सितंबर, 2023 को प्रात: 11 बजकर 50 मिनट पर PSLV-C57 रॉकेट द्वारा श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया है। इसे पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी की दूरी पर लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल 1) नामक स्थान के आस-पास एक प्रभा मंडल कक्षा में स्थापित किया गया। यह एल 1 अंतरिक्ष में एक स्थान है, जहाँ सूर्य और पृथ्वी जैसे दो खगोलीय पिंडों के गुरुत्वाकर्षण बल संतुलन में हैं। यह वहाँ रखी हुई वस्तु को दोनों खगोलीय पिंडों के संबंध में अपेक्षाकृत स्थिर रहने की अनुमति देता है। आदित्य एल 1,6 जनवरी, 2024 को सफलतापूर्वक पहुँच गया।
यह मिशन भारत के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण मिशन है, जो सूर्य की गतिशीलता और अंतरिक्ष मौसम की समझ में क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगा।
बच्चों के बस्ते का बढ़ता बोझ
संकेत बिंदु
- अधिक पुस्तकों का बोझ
- मानसिक विकास में रुकावट
- शिक्षा की प्रणाली में परिवर्तन लाना
शिक्षा में ज्यों-ज्यों निजी क्षेत्र का हस्तक्षेप बढ़ा है, त्यों-त्यों अच्छी हिक्षा देने के नाम पर प्राइवेट स्कूल पाट्यक्रम में पुस्तकें बढ़ाते ही जा रहे हैं, जिसका सीधा असर बच्चों के कंधों और उनके बस्तों पर पड़ रहा है। आज छोटे-छोटे बच्चों को उनके वजन के बराबर या उससे अधिक वजन वाला बस्ता लेकर स्कूल जाते हुए देखा जा सकता है। अब तो बच्चों का बस्ता पहुँचाने के लिए अभिभावकों को भी साथ जाना पड़ रहा है। माता-पिता की पसंद के अनुरूप भी अब ऐसे विद्यालय बनते जा रहे है, जहाँ खूब सारी किताबें मँगवाई जाती हैं। अधिकांश माता-पिता के लिए किताबों की अधिकता ही उनके लिए अच्छी शिक्षा की गारंटी देती है, जबकि इससे बच्चे का मानसिक विकास नहीं हो पाता है।
बच्चों को इतना गृहकार्य दिया जाने लगा है कि उन्हें पूरा कराने के लिए या तो ट्यूटर की जरूरत पड़ने लगी है या माता-पिता उन्हें खुद पढ़ाने के लिए विवश हैं। बच्चों की शिक्षा का माध्यम सिर्फ पुस्तकीय ज्ञान न होकर व्यावहारिक एवं रचनात्मक होना चाहिए। अतः विद्यालयी शिक्षा की प्रक्रिया में परिवर्तन लाकर बच्चों के बस्तों के बढ़ते बोझ को कम करके पाठ्यक्रम में बदलाव लाने की आवश्यकता है।
बढ़ती आबादी, घटते वन
संकेत बिंदु
- जनसंख्या का बढ़ना व संसाधनों का घटना
- देश के विकास में बाधा
- वनों की अँधाधुँध कटाई
- नियंत्रण की आवश्यकता
भारत की जनसंख्या में जिस तीव्रता के साथ वृद्धि हो रही है, उतने ही तीव्रता से संसाधन भी घटते जा रहे हैं। तीव्रता से बढ़ती आबादी के कारण देश को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इससे एक ओर देश का विकास बाधित हो रहा है, तो दूसरी ओर प्राकृतिक संसाधनों पर भी इसका बुरा असर दिखाई देने लगा है। जनसंख्या की बढ़ती जरूरतें पूरी करने के लिए वनों की अँधाधुँध कटाई की जा रही है।
वनों की इस कटाई से लोगों की आवास समस्या तो हल हो रही है, परंतु अप्रत्यक्ष रूप से अनेक समस्याएँ पैदा हो रही हैं। इससे वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, तो हरियाली में भी कमी होती जा रही है। वन्यजीवों की अनेक प्रजातियाँ विलुप्त होने की कगार पर पहुँच चुकी हैं। धरती का तापमान बढ़ रहा है और ओजोन परत प्रभावित हो, रही है। मानवता को बचाएं रखने के लिए वनों की कटाई और जनसंख्या वृद्धि दोनों पर नियंत्रण करने की आवश्यकता है। तभी पृथ्वी पर जीवन सुचारु रूप से चल पाएगा।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुंद्धिमत्ता)
संकेत बिंदु
- कंप्यूटर पर निर्भरता
- मानव बुद्धि की नकल
- उपयोग
- संभावित खतरे
आधुनिक समय में हमारा जीवन काफी हद तक कंप्यूटर पर निर्भर हो गया है। कंप्यूटर के बिना जीवन के बारे में सोचना लगभग असंभव है, इसलिए कंप्यूटर को इंटेलिजेंस बनाना बहुत जरूरी है ताकि हमारा जीवन सरल हो सके। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंप्यूटर का सिद्धांत और विकास है, जो मानव बुद्धि की नकल है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता विभिन्न क्षेत्रो; जैसे-चिकित्सा में रोगी के रोग का पता लगाने में, शिक्षा में छात्रों को नवीन तकनीक द्वारा पढ़ाने, वित्तीय क्षेत्र में डाटा का विश्लेषण करके निवेशकों के लिए निवेश का उचित सुझाव देना, धोखाधड़ी को पहचानना, कृषि जगत में पौधों की देख-रेख, मौसम की स्थिति, तापमान आदि में उपयोगी है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता कंप्यूटर और रोबोटिक्स की दुनिया में क्रांति जैसा है, परंतु इससे संभावित खतरे भी हैं। यदि मशीनें स्वयं निर्णय लेने लगेंगी और उस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो यह मानव सभ्यता के लिए खतरा है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता दुनिया का भविष्य बनाने के लिए पूर्ण रूप से तैयार है। यह मानव जाति के इतिहास में एक बड़ी क्रांति लाएगा।
मीठी वाणी की महता
संकेत बिंदु
- वाणी का महत्त्व
- मीठी वाणी का प्रभाव
- मीठी व कड़वी वाणी में अंतर
कवि रहीम ने कहा है कि
“कागा काको लेत है, कोयल कांको देय!
मीठे वचन सुनाय के जग अपनो करि लेय!”
अर्थात् न कौआ किंसी का कुछ लेता है और न कोयल किसी को कुछ देती है। एक ओर कौए को भगाया जाता है, तो दूसरी ओर कोयल अपनी वाणी से लोगों को अपना बना लेती है। इससे वाणी की महत्ता अपने आप सिद्ध हो जाती है। इसी प्रकार व्यावहारिक जीवन में भी हम कुछ लोगों की बातें मुग्ध होकर सुनते हैं, जबकि कुछ लोगों का कर्कश स्वर सुनकर हम अपने कान बंद कर लेना चाहते हैं।
मीठी वाणी अपने प्रभाव से शत्रु को भी मित्र बना लेती है। इससे सुनने वाले को सुख मिलता है। मधुर वाणी औषधि के समान होती है, जिससे सुनने वाले के दिल को शांति, शीतलता और संतुष्टि मिलती है। यह रेगिस्तान में मरुद्यान की भाँति होती है, जहाँ बैठकर शांति पाने की इच्छा होती है। कहा गया है कि कड़वी वाणी तलवार की भाँति ऐसी चोट पहुँचाती है, जिसे समय का मरहम भी नहीं भर पाता है। अत: हमें सदैव मधुर वाणी ही बोलनी चाहिए।
परिश्रम का महत्त्व
संकेत बिंदु
- सफलता का साधन
- मनुष्य का कर्त्तव्य
- परिश्रम न करने से हानि
- उन्नति का मूल मंत्र
‘उधमेन हि सिध्यंति कार्याणि न मनोरथै:’! इस श्लोक की पंक्ति का भाव यह है कि परिश्रम से ही काम सिद्ध होते हैं, मन में सोचने मात्र से नहीं। सच भी है कि इस संसार में मनोवांछित सफलता पाने का सबसे अच्छा और महत्त्वपूर्ण साधन परिश्रम ही है। परिश्रम करना मनुष्य का कर्त्तव्य है और यही उसके हाथ में है। बिना परिश्रम के फल की कामना करना दिवास्वप्न देखने जैसा है। मनुष्य को स्वभावत: परिश्रमशील होना चाहिए। परिश्रम करने से व्यक्ति का शरीर फुर्तीला और चुस्त रहता है। इसके अभाव में व्यक्ति आलसी हो जाता है।
इससे वह विनाश की ओर उन्मुख हो जाता है। यह संसार परिश्रमी लोगों के कारण ही सुंदर बना हुआ है। यदि मजदूर श्रम से जी चुराने लगे, तो धरती पर खंडहर-ही-खंडहर नजर आते। यदि सूर्य समय पर न उदय हो, तो प्राणियों की दशा का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है। इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं कि परिश्रम मनुष्य की उन्नति का मूल है। परिश्रम के द्वारा वह अपना भाग्य बनाता है। अत: हमें परिश्रम से जी नहीं चुराना चाहिए।
कंप्यूटर आज की आवश्यकता
संकेत बिंदु
- विज्ञान की देन
- प्रयोग
- संचार के क्षेत्र में क्रांति
विज्ञान ने मानव जीवन को सुखी बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ी है। इसकी खोजों से मनुष्य को ऐसे आश्चर्यजनक साधन मिले हैं, जिनकी कभी वह कल्पना भी नहीं करता था। कंप्यूटर ऐसा ही बहुपयोगी साधन है, जो विधि रूपों में मनुष्य के लिए लाभदायी सिद्ध हुआ है।
आज कंप्यूटर का प्रयोग हर कार्यालय, यहाँ तक कि हर घर में किसी-न-किसी रूप में होने लगा है। यह गणितीय गणनाएँ करने में बहुत कुशल है। इस कारण विभिन्न प्रकार के बिल बनाना, उन्हें जमा कराना अब बाएँ हाथ का काम बन चुका है। अब घंटो लाइन में लगकर समय गँवाने की जरूरत नहीं रही। अब फाइलों के खोने और दीमको द्वारा चाटे जाने का भय समाप्त हो गया है। इसके कारण पुस्तकों की गुणवत्ता में जबरदस्त वृद्धि हुई है।
संचार के क्षेत्र में कंप्यूटर ने अद्भुत क्रांति ला दी है। आज कंप्यूटर मनोरंजन का प्रमुख साधन बन गया है। आप इस पर फिल्में देखकर मनपसंद गाने सुनकर अपना मनोरंजन कर सकते हैं। कंप्यूटर ने दुनिया के लिए ज्ञान का दरवाजा खोल दिया है, जिससे घर बैठे ज्ञानार्जन किया जा सकता है।
जैसी संगति बैठिए तैसोई फल दीन
संकेत बिंदु
- सामाजिक प्राणी
- समाज व आस-पास का प्रभाव
- परिणाम
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह सभी कार्य स्वयं नहीं कर सकता। उसे दूसरों की सहायता लेनी ही पड़ती है।
समाज में रहने के कारण कभी उसे अच्छे लोगों का साथ मिलता है और कभी बुरे लोगों का। यदि मनुष्य अच्छे लोगों के साथ उठेगा-बैठेगा तो उस पर प्रभाव भी अच्छा पड्रेगा। बुरे लोगों के साथ रहने का बुरा प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। बुरे व्यक्ति स्वयं अपनी हानि करते हैं और समाज को भी हानि पहुँचाते हैं। इसका परिणाम भी उन्हें भुगतना पड़ता है।
अत: मनुष्य को चाहिए कि वह अच्छी संगति में बैठे, जिससे उसे धच्छा फल प्राप्त हो।