रहीम के दोहे NCERT Class 6 Hindi Chapter 5 Extra Questions and Answers

रहीम के दोहे NCERT Class 6 Hindi Chapter 5 Extra Question Answer

Class 6 Hindi Chapter 5 Extra Questions रहीम के दोहे अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
प्रेमरूपी धागे को टूटने से बचाने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर :
प्रेमरूपी धागे को टूटने से बचाने के लिए हमें धैर्य और समझदारी से काम लेना चाहिए।

प्रश्न 2.
रहीम जी के अनुसार, संपत्ति का सही उपयोग कब होता है?
उत्तर :
संपच्ति का सही उपयोग तब होता है, जब हम उसे दूसरों के भले के लिए भी संचित करे, न कि केवल अपने स्वार्थ के लिए।

प्रश्न 3.
‘तरुवर फल नहिं खात हैं।’ पंक्ति से क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति से यह शिक्षा मिलती है कि हमें नि:स्वार्थ भाव से दूसरों की भलाई के लिए काम करना चाहिए, जैसे पेड़ स्वयं अपने फल नहीं खाते।

प्रश्न 4.
‘लिपति कसौटी जे कसे’ में विपत्ति किसकी कसौटी मानी गई है?
उत्तर :
रहीमदास के अनुसार, विपत्ति सच्चे मित्र की कसौटी मानी गई है। केवल वही मित्र सच्चा होता है, जो विपत्ति में साथ देता है।

प्रश्न 5.
रहीमदास ने थोड़े समय की विपत्ति को अच्छा क्यों बताया है?
उत्तर :
रहीमदास ने थोड़े समय की विपत्ति को अच्छा इसलिए बताया है, क्योंकि थोड़े समय की विपत्ति से व्यक्ति यह जान पाता है कि कौन उसका सच्चा मित्र है और कौन नहीं, जिससे जीवन में सही निर्णय लेने में सहायता मिलती है।

प्रश्न 6.
रहीम जी के अनुसार, रिश्तों को कैसे सँजोकर रखना चाहिए?
उत्तर :
रहीम जी के अनुसार, रिश्तों को संयम, समझदारी और प्रेम से सँजोकर रखना चाहिए, ताकि उनमें कभी खटास न आए।

प्रश्न 7.
दोहे में रहीमदास ने पानी के कितने अर्थ बताए हैं?
उत्तर :
दोहे में रहीमदास ने पानी के तीन अर्थ बताए हैं- चमक, सम्मान और जल।

प्रश्न 8.
विपत्ति हमारे रिश्तों के लिए क्या है?
उत्तर :
विपत्ति हमारे रिश्तों के लिए असली पहचान का साधन है।

Class 6 Hindi Chapter 5 Extra Question Answer रहीम के दोहे लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
रहीमदास्स ने सुई और तलवार का उदाहरण देकर क्या समझाने की कोशिश की है?
उत्तर :
रहीमदास ने सुई और तलवार का उदाहरण देकर यह समझाने की कोशिश की है कि प्रत्येक वस्तु का अपना कार्य और महत्त्व होता है। जहाँ सुई चीजों को जोड़ने का कार्य करती है, वहाँ तलवार चीजों को काटने का कार्य करती है। दोनों का कार्य अलग-अलग है, इसलिए दोनों महत्वपूर्ण हैं। अतः हमें किसी भी वस्तु को उसके आकार के आधार पर कमतर नहीं समझना चाहिए तथा उसका अनादर नहीं करना चाहिए।

प्रश्न 2.
रहीमदास के अनुसार, सज्जन लोग अपनी संपत्ति का उपयोग कैसे करते हैं?
उत्तर :
रहीम दास के अनुसार, सज्जन लोग अपनी संपत्ति को केवल अपने लिए नहीं रखते, बल्कि दूसरों के कल्याण के लिए संचित करते हैं; जैसे-पेड़ अपने फल स्वयं नहीं खाते और तालाब अपना पानी स्वयं नहीं पीते, वैसे ही सज्जन लोग निस्वार्थ होकर अपनी संपत्ति का उपयोग दूसरों की भलाई के लिए करते हैं।

प्रश्न 3.
रहीम दास के अनुसार, प्रेम रूपी धागा तोड़ने पर क्या होता है?
उत्तर :
रहीम दास के अनुसार, प्रेम रूपी नाजुक धागा तोड़ने पर उसे फिर से जोड़ना मुश्किल होता है और यदि जोड़ भी दिया जाए तो उसमें गाँठ पड़ जाती है अर्थात् रिश्तों में खटास आ जाती है। रिश्तों में पहले जैसी सहजता और मधुरता नहीं रहती है। इसलिए प्रेम और संबंधों को सँजोकर रखना चाहिए और धैर्य से काम लेना चाहिए।

प्रश्न 4.
‘पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून।’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि जैसे मोती की चमक पानी (चमक) के बिना बेकार हो जाती है और आटा भी बिना पानी (जल) के खाने के योग्य नहीं होता है, वैसे ही पानी (सम्मान) रहित मनुष्य का जीवन भी व्यर्थ है। अतः मनुष्य को अपना सम्मान बचाकर रखना चाहिए।

प्रश्न 5.
रहीमदास के अनुसार, सच्चे मित्रों की पहचान कब होती है?
उत्तर :
रहीमदास के अनुसार, सच्चे मित्रों की पहचान विपत्ति के समय होती है। जब व्यक्ति धन-संपत्ति से संपन्न होता है, तो कई लोग उसके मित्र और संबंधी बनने का दावा करते हैं, लेकिन कठिन समय में ही सच्चे मित्र की पहचान होती है। विपत्ति की कसौटी पर खरा उतरने वाला मित्र ही सच्चा और विश्वसनीय होता है।

प्रश्न 6.
‘रहिमन बिपदाहू भली, जो थोरे दिन होय’ का भावार्थ स्पष्ट कीजिए
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति में रहीमदास कह रहे हैं कि थोड़े समय के लिए आने वाली विपत्चि भी अच्छी होती है। इसका कारण यह है कि कठिन समय में हम अपने सच्चे मित्रों और हितैषियों की पहचान कर पाते हैं। विपत्ति के समय व्यक्ति को यह समझ में आता है कि कौन वास्तव में उसका साथ देता है और कौन केवल दिखावा करता है।

प्रश्न 7.
‘कहि रहीम संपत्ति सगे, बनत बहुत बहु रीत’ में रहीम संपत्ति और संबंधों के बीच के जटिल संबंध को कैसे स्पष्ट करते हैं?
उत्तर :
‘कहि रहीम संपत्ति सगे’ में रहीम संपत्ति और संबंधों कें जटिल संबंध को इस प्रकार स्पष्ट करते हैं कि जब व्यक्ति के पास संप्यत्ति होती है, तब उसके आस-पास कई लोग अपने स्वार्थों के कारण मित्र और संबंधी बनने का दिखावा करते है, लेकिन जब वही व्यक्ति विपत्ति में होता है, तब इन संबंधों की वास्तविकता सामने आती है और सच्चे मित्रों की पहचान होती है।

प्रश्न 8.
“तरुवर फल नहिं खात हैं, सरवर पियहिं न पान” पंक्ति का भावार्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति में रहीम कहते हैं कि जिस प्रकार पेड़ अपने फल स्वयं नहीं खाते और तालाब अपने पानी का सेवन स्वयं नहीं करते, उसी प्रकार विवेकशील और उदार व्यक्ति अपनी संपत्ति और संसाधनों का उपयोग केवल अपने लिए नहीं करते।
वे दूसरों के कल्याण के लिए अपनी संपत्ति का संचय और उपयोग करते हैं। यह पंक्ति नि:स्वार्थ सेवा, त्याग और उदारता की महत्ता को दर्शाती है, जिसमें व्यक्ति दूसरों के हित में अपना जीवन समर्पित करता है। इससे यह संदेश मिलता है कि सच्ची संपत्ति वही है, जिसका उपयोग दूसरों की भलाई के लिए किया जाए।

Class 6 Hindi Chapter 5 Extra Questions रहीम के दोहे दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान’। इस पंक्ति के माध्यम से रहीम क्या सीख देना चाहते हैं?
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से रहीमदास यह सीख देना चाहते हैं कि सज्जन व्यक्ति अपनी संपत्ति का संचय केक्ल अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं करते, वल्कि वे उसे दूसरों के हित और कल्याण के लिए भी उपयोग करते हैं। रहीम के अनुसार, संपत्ति का सही अर्थ तभी है जब उसका उपयोग समाज और दूसरों के लाभ के लिए किया जाए। इस प्रकार, यह पंक्षित्त नि:स्वार्थ और परोपकार का महत्त्व उजागर करती है, जिससे व्यक्ति का जीवन सार्थक और सच्चे अर्थों में पूर्ण हो सकता है।

प्रश्न 2.
रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि। जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तलवारि।। रहीमदास के इस दोहे से हमें क्या शिक्षा मिलती है? विस्तार से समझाइए।
उत्तर :
रहीमदास के इस दोहे से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जीवन में किसी भी वस्तु या व्यक्ति को उसके बाहरी आकार, मूल्य या महत्त्व के आधार पर कम नहीं समझना चाहिए। छोटी वस्तुओं का भी जीवन में उतना ही महत्त्व होता है, जितना बड़ी वस्तुओं का। उदाहरण के लिए, जहाँ सुई की आवश्यकता हो वहाँ तलवार काम नहीं कर सकती अर्थांत् जहाँ सुई वस्तुओं को सिलकर जोड़ने का काम करती है, वहाँ तलवार वस्तुओं को काटकर अलग करने का काम करती है। इस दोहे से हम सीखते हैं कि हमें प्रत्येक वस्तु का सम्मान करना चाहिए और उनकी विशेष भूमिका को समझना चाहिए। प्रत्येक वस्तु और व्यक्ति का जीवन में अपना नेष स्थान और महत्त्व है और हमें किसी को भी छोटा नहीं आकना चाहिए़ं।

प्रश्न 3.
रहीमदास के दोहे में प्रेम और रिश्तों को सँजोकर रखने की बात कही गई है। इस संदर्भ में आपके विचार में हमें रिश्तों को सँभालने के लिए कौन-सी बातें ध्यान में रखनी चाहिए?
उत्तर :
रहीमदास के इस दोहे में प्रेम और रिश्तों को सँजोकर रखने के लिए धैर्य, समझदारी और संयम जैसे गुणों को अपनाने की बात कही गई है। हमें किसी भी क्षणिक आवेश में आकर अपने संबधों को तोड़ने से बचना चाहिए, क्योंकि एक बार टूटे हुए संबंधों को फिर से जोड़ना बहुंत मुश्किल होता है। यदि संबंध टूट जाएँ, तो उनमें गाँठ पड़ जाती है, जो यह दर्शाती है कि पहले जैसी मधुरता और सहजता वापस नहीं आ सकती। इसलिए हमें अपने रिश्तों में सहनशीलता, परस्पर समझ और संवाद को बनाए रखना चाहिए, ताकि वे सुदृद और स्थिर बने रहें।

प्रश्न 4.
रहीमदास ने पानी के कितने अर्थ बताए हैं और यह जीवन के विभिन्न पहलुओं को किस प्रकार प्रभावित करता है?
उत्तर :
रहीमदास जी ने पानी के तीन प्रमुख अर्थ बताए हैं-चमक, सम्मान और जल। चमक के बिना मोती बेकार है, चमक के बिना उसकी गुणवत्ता समाप्त हो जाती है। सम्मान के बिना मनुष्य का जीवन निरर्थक है, इससे उसकी सामाजिक पहचान प्रभावित होती है। जल के बिना आटा उपयोगी नहीं रहता, जिससे भोजन तैयार नहीं हो सकता। इन अर्थों के माध्यम से, रहीमदास जी ने यह स्पष्ट किया है कि पानी जीवन के विभिन्न पहलुओं के लिए अत्यंत आवश्यक है और इसके बिना इन पहलुओं की उपयोगिता और महत्त्व समाप्त हो जाते हैं।

प्रश्न 5.
“हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय ॥” पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय’ पंक्ति में रहीम जी यह संदेश देते हैं कि इस संसार में प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में हितकारी और अहितकारी लोगों का ज्ञान समय के साथ हो जाता है। जब व्यक्ति कठिनाइयों का सामना करता है, तो उसके वास्तविक मित्र और शत्रु प्रकट हो जाते हैं। सुख के समय जो लोग मित्रता का दिखावा करते हैं, वे विपत्ति में साथ नहीं देते, जबकि सच्चे मित्र प्रत्येक परिस्थिति में साथ रहते हैं।

प्रश्न 6.
“रहिमन जिन्बा बावरी, कहि गइ सरग पताल। आपु तो कहि भीतर रही, जूती खात कपाल ॥” उपर्युक्त दोहे के अनुसार, जीभ के बिना सोचे-समझे बोलने के क्या परिणाम हो सकते हैं?
उत्तर :
प्रस्तुत दोहे के अनुसार, जीभ के बिना सोचे-समझे बोलने से व्यक्ति की समस्याएँ और परेशानियाँ बढ़ सकती हैं। जिह्धा बिना विचार किए उल्टी-सीधी बातें कह देती है और फिर स्वयं तो अंदर चली जाती है, परंतु उसकी कही बातों का परिणाम सिर को भुगतना पड़ता है, जिसे जूतों की मार खानी पड़ती है अर्थात् उसे कठिनाइयों और आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए जीभ को नियंत्रण में रखना और सोच-समझकर बोलना अत्यंत आवश्यक है।

Class 6 Hindi Extra Question Answer