Class 11 Hindi Antra Chapter 9 Question Answer भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra Chapter 9 भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?

Class 11 Hindi Chapter 9 Question Answer Antra भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?

प्रश्न 1.
पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि ‘इस अभागे देश में जो कुछ हो जाए वही बहुत कुछ है’ क्यों कहा गया है?
उत्तर :
हमारे देश में लोग अकर्मण्य हो गए हैं कोई कुछ करना ही नहीं चाहता। सब एक दूसरे का मुँह ताकते रहते हैं ऐसे में यदि कोई आकर कुछ करे तो वह बहुत कुछ है। भारतवर्ष वालों को कौन उनकी शक्ति याद दिलाए। उनका तो सिद्धांत है ‘अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम, दास मलूका कह गए सबके दाता राम।

प्रश्न 2.
‘जहाँ रॉबर्ट साहब बहादुर जैसे कलेक्टर हों, वहाँ क्यों न समाज हो। वाक्य में लेखक ने किस प्रकार के समाज की कल्पना की है?
उत्तर :
लेखक ने ज्ञानवान और परिश्रमी समाज की कल्पना की है जो अपने परिश्रम एवं लग्न के बल पर समाज को उन्नति की राह दिखाए। जब मार्ग दर्शक और उसके सहायक परिश्रमी होंगे तो समाज अवश्य ही उन्नति करेगा। जिस प्रकार बादशाह अकबर के जमाने में उसके मंत्रीगण भी योग्य थे इसलिए हमारा समाज खुशहाल था।

प्रश्न 3.
जिस प्रकार ट्रेन बिना इंजन के नहीं चल सकती ठीक उसी प्रकार ‘हिन्दुस्तानी लोगों को कोई चलाने वाला हो’ से लेखक ने अपने देश की खराबियों के मूल कारण खोजने के लिए क्यों कहा है?
उत्तर :
लेखक ने अपने देश की खराबियों के मूल कारण खोजने के लिए इसलिए कहा है क्योंकि खराबियों का मूल कारण जाने बिना बीमारी का इलाज कैसे संभव है। यदि मूल कारण का पता नहीं चलेगा तो खराबी कुछ होगी और हम इलाज किसी और चीज का करते रहेंगे। हिन्दुस्तानी लोग तभी आगे बढ़ते है जब कोई उन्हें प्रेरित करने वाला हो परन्तु इनको प्रेरित करने वालों को तो फुर्सत ही नहीं।

प्रश्न 4.
देश की सब प्रकार से उन्नति हो इसके लिए लेखक ने जो उपाय बताए उनमें से किन्हीं चार का उदाहरण सहित उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
लेखक ने देश की उन्नति के लिए निम्नलिखित उपाय सुझाए-

  1. जनसंख्या नियंत्रण में रखना।
  2. परिश्रम करना।
  3. त्याग की भावना ।
  4. अपनी शक्ति को पहचानना।
  5. धर्म की उन्नति करना।
  6. शिक्षा का उचित प्रबंध।
  7. बाल विवाह पर रोक एवं विधवा विवाह।
  8. जाति-पॉंति भेदभाव को भुलाना।
  9. अच्छा साहित्य
  10. प्रेम ब भाईचारे में वृद्धि।

1. जनसंख्या पर नियंत्रण होने से हमारे देश की प्रति व्यक्ति की औसंत आय में वृद्धि होगी। परिवार में बच्चों का पालन-पोषण सुचारू रूप से हो सकेगा।
2. सभी व्यक्ति आलस्य छोड़कर यदि परिश्रम करेंगे तो उन्नति के रास्ते खुलते चले जायेंगे। पशिचमी देश और जापान इसका उदाहरण हैं। ये लोग अपने परिश्रम के बल पर ही आज विकसित राष्ट्र बन गए हैं।
3. धर्म भी उन्नति में सहायक है। धर्म को राजनीति से जोड़ना फायदेमंद रहेगा क्योंकि हमने जिन-जिन बातों को धर्म से जोड़ा है वे कार्य हम सुगमता से कर लेते हैं। जैसे मेले व दीपावली जैसे या अन्य व्रत त्यैहार।
4. जाति-पाँति का भेद-भाव देश की उन्नति में सबसे बड़ा बाधक है जब तक हम इस भेद-भाव को दूर करेंगे तो उन्नति का मार्ग स्वतः ही खुलता चला जाएगा ।

प्रश्न 5.
लेखक जनता से मत-मतांतर छोड़कर आपसी प्रेम बढ़ाने का आग्रह क्रें करता है?
उत्तर :
जब लोग मत-मतांतर छोड़ेंगे तो आपसी प्रेम बढ़ेगा, आपसी प्रेम बढ़ेगा तो हमारी पूरी शक्ति देश की उन्नति में लगेगी। यदि परस्पर विद्वेष की भावना पनपती है तो हमारी सारी शक्ति लड़ाई-झगड़ों में लग जाती है हम देश की उन्नति या अपनी उन्नति के बारे में सोच ही नहीं पाते। आपस के लड़ाई-झगड़े समाज का सबसे ज्यादा अहित करते हैं इसलिए उन्नति के लिए सबसे जरूरी है परस्पर मत-मतांतर को भुलाकर प्यार व सौहार्द्र बढ़ाना।

प्रश्न 6.
आज देश की आर्थिक स्थिति के संबंध में निम्नलिखित वाक्य को एक अनुच्छेद में स्पष्ट कीजिएजैसे हजार धार होकर गंगा समुद्र में मिलती है, बैसे ही तुम्हारी लक्ष्मी हजार तरह से इंग्लैंड, फरासीस, जर्मनी, अमेरिका को जाती है।
उत्तर :
भारत कच्चा माल उत्पादक देशों की श्रेणी में अग्रणी देश है। भारत में उस समय कोई भी उद्योग धंधे नहीं थे। ब्रिटिश कंपनी व अन्य कंपनियाँ हमारे परिश्रम की पूँजी को भारत से खरीद कर अपने देश ले जाते थे। फिर उनसे विभिन्न वस्तुएँ बनाकर हमारे लिए भेज देते थे। हमारे परिश्रम का एक-एक पैसा बाहर पहुँच जाता था। हमारे परिश्रम के बल पर पाश्चात्य देश उन्नति कर रहे थे। हमारे पास अपना कहने को कुछ भी नहीं था। हम कपड़ा तक विदेशी कंपनियों से खरीदकर पहनते थे। हमारे यहाँ सुई तक भी न बनती थी। हमारे उपयोग की छोटी-से-छोटी वस्तु बाहर की बनी होती थी। हमारी उन्नति न होने का यह सबसे बड़ा कारण था। जैसे हजार घाट होकर भी गंगा समुद्र में मिलती है। इसी प्रकार हमारे पास हजार साधन होने पर भी हमारी सम्पत्ति मुल्क के बाहर जा रही थी।

प्रश्न 7.
(क) पाठ के आधार पर निम्नलिखित का कारण स्पष्ट कीजिए-

  • बलिया का मेला और स्नान
  • एकादशी व्रत
  • गंगा जी का पानी पहले सिर पर चढ़ाना
  • दीवाली मनाना
  • होली मनाना

(ख) उक्त संदर्भ में क्यों कहा गया है कि ‘यही तिहवार ही तुम्हारी मानो म्युनिसिपालिटी है ?
उत्तर :
(क) बलिया का मेला और स्नान-बलिया के मेले और स्नान के प्रचलन के पीछे यह कारण रहा है कि जो लोग साल भर आपस में नहीं मिल सकते, कम से कम इस बहाने एक जगह एकत्र होकर आपस में मिलकर एक दूसरे के सुख-दुःख की जान सके और गृहस्थी की चीज़ें खरीदकर ले जा सके जो आपके गाँव में नहीं मिलती।

  • एकादशी व्रत शरीर की शुद्धि के लिए रखा जाता है। व्रत रखने से शरीर में जमे अवांछित तत्त्व नष्ट हो जाते हैं जिससे शरीर शुद्ध व नीरोग हो जाता है।
  • गंगा जी का पानी पहले सिर पर इसलिए चढ़ाया जाता है जिससे तलवे से गरमी सिर में चढ़कर विकार उत्पन्न न कर सके।
  • दीवाली के बहाने सालभर में एक बार घर की सफाई अच्छी तरह से हो जाती है।
  • होली भी इसलिए मनाते हैं कि वसंत की बिगड़ी हवा स्थान-स्थान पर अग्नि जलने से स्वच्छ हो जाए।

(ख) जिस प्रकार म्युनिसिपैलिटी के जिम्मे शहर की सफाई रहती है इसी प्रकार विभिन्न त्यौहारों के कारण हमार घरों व शरीर की सफाई हो जाती है। इससे हमारा शरीर व घर शुद्ध हो जाते हैं।

प्रश्न 8.
आपके विचार से देश की उन्नति किस प्रकार संभव है? कोई चार उदाहरण तर्क सहित दीजिए।
उत्तर :
देश की उन्नति के लिए निम्न बाते आवश्यक है-
(क) जनसंख्या पर नियंत्रण-हमारे देश की जनसंख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। हमारे देश में प्रतिवर्ष आस्ट्रेलिया की कुल आबादी जितनी जन संख्या बढ़ जाती है। हमारे सारे संसाधन जनसंख्या की भंट चढ़ जाते हैं। हमारी सारी शक्ति पेट भरने में ही खर्च हो जाती है।
(ख) आतंकवाद का खात्मा-देश की उन्नति के लिए आतंकवाद को जड़ से खत्म करना पड़ेगा। हमारे बजट का एक बड़ा भाग आतंकवाद की भेंट चढ़ जाता है।
(ग) भ्रष्टाचार पर रोक-भारतीय राजनीति इतनी भ्रष्ट हो चुकी है कि हमारे राजनेता राजनीति को कामधेनु समझते हैं। वे देश की उन्नति में लगने वाले धन को डकार जाते हैं और देखते ही देखते अरब पति हो जाते हैं। हमारे विभिन्न योजनाओं पर खर्च होने वाला पैसा एक रुपये में से सोलह पैसे भी आम जनता तक नहीं पहुँचता।
(घ) शिक्षा का समुचित प्रबंध-हमें अपनी शिक्षा को रोजगार परक बनाना होगा। शिक्षा का स्वरूप ऐसा हो जो हमे अपने पैरों पर खड़े होने में सहायता कर सके।

प्रश्न 9.
भाषण की किन्हीं चार विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। उदाहरण देकर सिद्ध कीजिए कि पाठ ‘भारत वर्ध की उन्नति कैसे हो सकती है? एक भाषण है ?
उत्तर :
भाषण की विशेषताएँ इस प्रकार हैं :

  1. इसमें श्रोता जनता होती है।
  2. केवल वक्ता ही बोलता है।
  3. भाषण में किसी समस्या को उठाया जाता है।
  4. भाषण में जनता को बाँधे रखने की शक्ति होती है।

‘भारत वर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है’ एक भाषण है क्योंकि लेखक ने यहाँ एक जनसभा को संबोधित किया जो एक मेले के अवसर पर बलिया में एकत्र हुई थी। लेखक ने देश की उन्नति के उपाय सुझाए तथा उन्होंने उनके उदाहरण देकर भीड़ को बाँधे रखा तथा उन्होंने आम लोगों से जुड़ी समस्याओं को एक मंच पर उठाया ।”

प्रश्न 10.
‘अपने देश में अपनी भाषा में उन्नति करो’ से लेखक का क्या तात्पर्य है ? वर्तमान संदर्भों में इसकी प्रासंगिता पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर :
‘अपने देश में अपनी भाषा में उन्नति करो’ से लेखक का तात्पर्य है कि जितने साधन हमारे पास उपलब्ध हैं हमें उन्हीं के सहारे अपनी तथा अपने देश की उन्नति करनी चाहिए दूसरों के सहारे यदि हम उन्नति करने का स्वप्न देखेंगे तो कभी भी उन्नति नहीं कर पायेंगे । दूसरा तो हमसे अधिक-से-अधिक लाभ उठाने का प्रयत्न करेगा। एक फैक्ट्री में काम करने वाला मजदूर सदा मजदूर ही रहता है उसकी कमाई पर मालिक मौज करता है। इसलिए हमें अपने सीमित साधनों का ठीक तरह से उपयोग करते हुए उन्नति करनी चाहिए। दूसरों के ऊपर निर्भर रहकर तो हम अपने लिए सुई का उत्पादन भी नहीं कर सकते। भारत को परमाणु सहायता नहीं मिली तो उसने अपने साधन तलाश लिए अपने बलबूते पर ही उन्नति करनी चाहिए वह ज्यादा फलदायी होती है।

प्रश्न 11.
पाठ में कई वर्ष पुरानी हिन्दी भाषा का प्रयोग है इसलिए चाहें, फैलाबैं, सकैगा आदि शब्दों का प्रयोग हुआ है जो आज की हिन्दी में चाहे, फैलाएँ, सकेगा, आदि लिखे जाते हैं।
निम्नलिखित शब्दों को आज की हिन्दी में लिखिए मिहनत, छिन-प्रतिछिन, तिहवार
इसी प्रकार पाठ से अन्य दस शब्द छाँटकर लिखिए।
उत्तर :

  • मिहनत – मेहनत
  • छिन-प्रतिछिन – क्षण-प्रतिक्षण
  • तिह्वार – त्यौहार

अन्य शब्द-प्रान, कमती, बढ़गा, रक्खो, बतलावैंगे, पुकरवाओगे खोवैं, फैलावैं, कहै, बढै, सकैगा, समझैं, छौड़ें आदि।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) राजे-महाराजों को अपनी पूजा, भोजन, झूूी गप से छुट्टी नहीं।
(ख) सबके जी में यही है कि पाला हमीं पहले छू लें।
(ग) हमको पेट के धंधे के मारे छुट्दी ही नहीं रहती बाबा, हम क्या उन्नति करें।
(घ) यह तो वही मसल हुई कि एक बेफ़िकरे मँगनी का कपड़ा पहिनकर महफिल में गए।
उत्तर :
(क) आशय : लेखक के कहने का आशय यह है कि अब तो राजे-महाराजे बचे हैं उनमें देश का नेतृत्व करने की योग्यता नहीं है क्योंकि वे व्यक्तिगत सुख और आराम का जीवन बिताने में ही विश्वास रखते हैं।
(ख) आशय : सभी देश एक दूसरे से अधिक उन्नति करना चाहते हैं। हर देश का यही प्रयास है कि वह ही सबसे पहले उन्नति के शिखर को छू ले ।
(ग) आशय : जो आलसी किस्म के लोग होते हैं उनका एक ही लक्ष्य होता है-बस किसी तरह उनका पेट भर जाए वे उससे अधिक की नहीं सोचते। पेट भरने के लिए रोटी भी कोई और लाकर दे दे।
(घ) आशय : लेखक के कहने का आशय यह है कि हमारे देश में उत्पादन कुछ नहीं होता हमारी आवश्यकता की सभी चीजें दूसरे देशों से आती हैं। अपना है ही क्या ?

प्रश्न 13. निम्नलिखित गयांशों की व्याख्या कीजिए-
(क) है। सास के अनुमोदन से एकांत रात में सूने रंगमहल में जाकर भी बहुत दिन से जिस प्रान से प्यारे परदेसी पति से मिलकर छाती ठंडी करने की इच्छा थी, उसका लाज से मुँह भी न देखे और बोले भी न, तो उसका अभाग्य ही है। वह तो कल फिर परदेस चला जाएगा।
(ख) दरिद्र कुटुंबी की तरह ………. वही दशा हिंदुस्तान की है।
(ग) वास्तविक धर्म तो …………. शोधे और बदले जा सकते हैं।
उत्तर- प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘भारतेन्दु हरिश्चन्द्र’ द्वारा रचित निबंध ‘भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है’ से लिया गया है। यहाँ लेखक ने अवसर का लाभ उठाने की बात कही है। अवसर निकल जाने पर यदि होश आया तो फिर कोई लाभ नहीं होगा।
ब्याख्या-लेखक कहना चाहता है कि अभी भारत में अंग्रेजों का राज्य है। इस समय वैज्ञानिक उन्नति हो रही है। हमें भी अंग्रेजों से प्राप्त इस ज्ञान का लाभ उठाना चाहिए। यदि हम अवसर का लाभ नहीं उठा पाए तो फिर पश्चाताप करना पड़ेगा। यदि हम अवसर का लाभ नहीं उठा पाए तो यह हमारा बहुत बड़ा दुर्भाग्य होगा।
(ख) उत्तर के लिए ब्याख्या ‘ 3 ‘ देखें।
(ग) उत्तर के लिए व्याख्या ‘ 5 ‘ देखें।

योग्यता-विस्तार – 

प्रश्न 1.
देश की उन्नति के लिए भारतेन्दु जी ने जो आह्वान किया उसे विस्तार से लिखिए।
उत्तर :
देश की उन्नति के लिए भारतेन्दु जी ने अकर्मण्यता तथा गप्पें हाँकने वालों को फटकार लगाई है तथा रूढ़ियों को छोड़कर वैज्ञानिक उपलब्धियों के अवसरों का भरपूर लाभ उठाने की बात कही है। उन्होंने दूसरों पर आश्रित रहने की प्रवृत्ति को त्यागने की भी प्रेरणा दी है। लेखक में समाज ने फैली धार्मिक तथा सामाजिक कुरीतियों तथा रूढ़ मान्यताओं का त्याग करने की बात भी कही है। सभी धर्मों के बीच समन्वय स्थापित करके ही भारत की उन्नति हो सकती है। उन्होंने देशहित में आने वाली बाधाओं को बलपूर्वक दूर करने का भी आह्वान किया है। लेखक ने तकनीकी विकास तथा उत्पादन बढ़ाने पर बल दिया है। अपने दम पर विकास की बात सोचोगे तभी विकास हो सकता है। उन्होंने कहा कि देश को उन्नतिशील बनाने के लिए हमें अपने लड़के-लड़कियों की शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए।

प्रश्न 2.
पंक्ति पूरी कीजिए, अर्थ लिखिए और इन्हें जिन कवियों-शायरों ने लिखा है, कहा है, उनका नाम लिखिए-
(क) अजगर करै न चाकरी, पंछी करे न काम …………..
(ख) अबकी चढ़ी कमान, को जाने फिर कब चढ़ै …………..
(ग) शौक तिफ्ली से मुझे गुल की जो दीदार का था …………..
उत्तर :
(क) अजगर करै न चाकरी, पंछी करे न काम।
दास मलूका कहि गए, सबके दाता राम ।
यह दोहा मलूकदास का है उन्होंने इस दोहे में आलसी व्यक्तियों पर व्यंग्य किया है। आलसी लोग कहते हैं कि अजगर किसी की नौकरी नहीं करता। पक्षी कोई काम नहीं करता। सबका पालन-पोषण करने वाला भगवान होता है। आलसी व्यक्तियों को तो बस काम न करने का बहाना चाहिए।
(ख) अबकी चढ़ी कमान, को जानै फिर कब चढ़े।
जिनि चुक्के चौहान, इक्के मारथ इक्क सर ॥
ये पंक्तियाँ चंदरबरदाई की हैं। इन पंक्तियों में कहा गया है कि अवसर बार-बार नहीं आता। है पृथ्वीराज चौहान! आज तुम्हें जो अवसर मिला है यह फिर नहीं मिलेगा इसलिए मौका मत चूको। निशाना साधो और शत्रु का सिर धड़ से अलग कर दो।
(ग) शौक तिफ्ली से मुझे गुल की जो दीदार का था।
न किया हमने गुलिस्ताँ का सबक याद कभी ॥
ये पंक्तियाँ मीरहसन की हैं। कवि कहता है कि हमको तो बचपन से ही गुल (लड़कियों को) देखने का शौक था परन्तु हमने कभी गुलिस्ताँ (परिवार या देश) के बारे में नहीं सोचा।

प्रश्न 3.
भारतेन्दु उर्दू में किस उपनाम से कविताएँ लिखते थे ? उनकी कुछ उर्दू कविताएँ हूँढ़कर लिखें।
उत्तर :
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 4.
पृथ्वीराज चौहान की कथा अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर :
छात्र स्वयं करें।

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प्रश्न 1.
‘भारत वर्ष की उन्नति केसे हो सकती है ? पाठ का मूल सन्देश क्या है ?
उत्तर :
इस पाठ का मूल सन्देश यह है कि हमें परिश्रम से न घबराते हुए समय का सदुपयोग एवं उचित अवसरों का लाभ उठाना सीखना चाहिए।

प्रश्न 2.
‘परदेशी बस्तु और परदेशी भाषा का भरोसा मत रखो’ से लेखक का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
लेखक के कहने का तात्पर्य भारतीयों को आत्मनिर्भरता की ओर प्रेरित करने से है। जब तक हम दूसरे देश से आयातित वस्तुओं पर निर्भर रहेंगे तब तक हम अपने देश में उन वस्तुओं का उत्पादन नहीं कर सकते। उन्नति अपनी भाषा के बिना नहीं हो सकती क्योंकि विचारों का आदान-प्रदान तथा आपसी व्यवहार स्वदेशी भाषा में ही ठीक तरह से हो सकता है।

प्रश्न 3.
सिद्ध कीजिए कि देश की उन्नति में समय के सदुपयोग का बहुत बड़ा योगदान है ?
उत्तर :
समय अमूल्य धन होता है। हर क्षण का अपना महत्त्व होता है। यदि किसान समय पर फसल न बोए तो अन्न कैसे पैदा होगा। यदि अन्न पैदा नहीं होगा तो देश की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा जाएगी। यदि हम समय पर अपने कार्यालयों में जाकर काम नहीं करेंगे या मजदूर समय पर कारखाने में नहीं जाएगा तो उत्तादन कैसे होगा। एक क्षण की चूक में ही आदमी पिठड़ जाता है। समय का एक-एक क्षण बहुमूल्य है। समय की तुलना कभी धन से नहीं की जा सकती नष्ट हुआ धन पुनः आ जाता है परन्तु समय नहीं आता।

प्रश्न 4.
“उसने एक हाथ से अपना पेट भरा, दूसरे हाथ से उन्नति की राह के काँटों को साफ किया”-इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
लेखक का कहना है कि अंग्रेज सदा से ही समृद्ध नहीं थे आज जो इनकी समृद्धि दिखाई दे रही है यह इनके परिश्रम का फल है। इन्होंने बहुत परिश्रम किया है। अपने लिए रोजगार जुटाने के साथ-साथ उन्नति की राह में आने वाली बाधाओं को भी इन्होंने दूर किया है।

प्रश्न 5.
लेखक ने देश की उन्नति न होने के क्या-क्या प्रमुख कारण बताइए हैं ?
उत्तर :
लेखक ने उन्नति न होने के कारणों में सबसे बड़ा कारण तो आलस्य और अकर्मण्यता को ही बताया है। इसके अलावा समाज में फैली धर्माधता एवं कुरीतियाँ भी उन्नति के मार्ग में बहुत बड़ी बाधाएँ हैं। हमारे देश में धर्म गुरुओं ने धार्मिक एवं सामाजिक मूल्यों का इस प्रकार तालमेल बैठाया है कि लोग वैज्ञानिक उपलब्धियों की केवल बुराई ही करते हैं।

प्रश्न 6.
हमें क्या करना चाहिए जिससे हमारे देश की उन्नति हो सके ?
उत्तर :
लेखक का कहना है सबसे पहले तो हमें अपने आलस्य और अकर्मण्यता को छोड़ना होगा। हगें धार्मिक अंधविश्वासों से दूर रहना होगा। हम उन्हीं वातों को अपनाएंगे जो तर्क की कसौटी पर हमें देश की उन्नति में सहायक लगें। लड़कों एवं लड़कियों की पढ़ाई लिखाई पर अधिक ध्यान देना होगा। हमें सभी धार्मिक मतभेदों को भुलाकर समन्वय स्थापित करना होगा अन्यथा हमारी शक्ति आपसी कलह में ही नष्ट होती रहेगी।

प्रश्न 7.
हमारे देश में धन की कमी क्यों है ?
उत्तर :
यदि हम अपने देश की मूल समस्या की ओर ध्यान देंगे तो पाएंगे कि बेतहाशा बढ़ती हुई हमारी जनसंख्या हमारी उन्नति में सबसे बड़ी बाधा है इससे हमारे देश में पैसे की कभी निरन्तर बढ़ रही है। देश की उन्नति के लिए धन का होना बहुत आवश्यक है।

प्रश्न 8.
हिन्दुस्तानी लोगों की रेल की गाड़ी से तुलना क्यों की गई है ?
उत्तर :
लेखक ने हिन्दुस्तानी लोगों की तुलना रेल की गाड़ी से इसलिए की है क्योंकि गाड़ी बिना इंजन के नहीं चल सकती इसी प्रकार हिन्दुस्तानी भी बिना किसी नेतृत्व के नहीं चलते। उनमें योग्यता है परन्तु हनुमान के बल की तरह उनको याद दिलाना पड़ता है कि तुम्हारे अन्दर सामर्थ्य है तुम कुछ भी कर सकते हो।

प्रश्न 9.
कवि ने अपनी खराबियों के मूल कारण खोजने के लिए क्यों कहा है ?
उत्तर :
खराबियों का मूल कारण खोजे बिना देश की उन्नति नहीं हो सकती। ये बुराइयाँ कभी धर्म की आड़ लेकर आ जाती हैं, कभी देश की चाल की तो कभी सुख की आड़ लेकर । जब तक हम अपनी खराबियों के मूल कारण को नहीं खोजेंगे तब तक हम इन खराबियों को दूर नहीं कर पाएंगे।

प्रश्न 10.
देश का रुपया और बुद्धि बढ़े, इसके लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर :
देश का रुपया और बुद्धि बढ़े इसके लिए आलस्य छोड़कर परिश्रम करने के लिए तैयार रहना होगा। उन्नति की दौड़ में शामिल होना होगा। किसी राजा महाराजा के मुँह की ओर नहीं ताकना होगा और न ही किसी पंडित से सफलता का मंत्र पूछना होगा। बस एक ही रास्ता है कमर कसकर आलस्य छोड़कर परिश्रम करने के लिए तैयार रहना ।

प्रश्न 11.
ऐसी कौन सी बातें हैं जो समाज विरुद्ध मानी जाती हैं, किन्तु धर्मशास्त्रों में उनका विधान है ?
उत्तर :
ऐसी बहुत सी बातें हैं जो समाज विरुद्ध मानी जाती हैं किन्तु धर्म शास्त्रों में जिनका विधान है जैसे जहाज का सफर, विधवा-विवाह आदि ।

प्रश्न 12.
देश की सब प्रकार से उन्नति हो इसके लिए लेखक ने क्या उपाय बताए हैं ?
उत्तर :
देश की उन्नति के लिए लेखक ने निम्नलिखित उपाय बताए हैं-

  1. परिश्रम से न घबराते हुए समय का सदुपयोग करना सीखना एवं उचित अवसरों का लाभ उठाना ।
  2. रूढ़ियों को त्यागकर अपनी कमजोरियों को पहचानना।
  3. अंधविश्वासों के चक्कर में न पड़कर तर्क-वितर्क से बात की सच्चाई जानना।
  4. विदेशी भाषा का मोह-त्यागकर भाषा की उन्नति करना।
  5. सभी धर्मावलंबियों को मिलजुल कर समन्वय के साथ आगे बढ़ना।
  6. धर्म, निजी स्वार्थों और सुखों को आड़े न आने देना।
  7. राजे-रजवाड़ों की ओर मुँह न ताकना।
  8. शिक्षा की उचित व्यवस्था करना।

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