Class 11 Hindi Antra Chapter 2 Question Answer दोपहर का भोजन

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra Chapter 2 दोपहर का भोजन

Class 11 Hindi Chapter 2 Question Answer Antra दोपहर का भोजन

प्रश्न 1.
सिद्धेश्वरी ने अपने बड़े बेटे रामचंद्र से मँझले बेटे मोहन के बारे में झूट क्यों बोला ?
उत्तर :
रामचंद्र अपनी नौकरी के सिलसिले में हताश निराश होकर घर लौटा था। उसके चेहरे और हाव-भाव से लगता था कि वह बहुत दुःखी है। गरीबी के कारण उनके घर की हालत जर्जर थी। सिद्धेश्वरी सच बोलकर रामचंद्र का फल्ले से ही दु:खी दिल और अधिक नहीं दुखाना चाहती थी, इसलिए सिद्धेश्वरी ने कहा कि वह तो किसी लड़के के यहाँ पढ़ने गया है।

प्रश्न 2.
कहानी के सबसे जीवंतपात्र के चरित्र की दृढ़ता का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर :
दोपहर का भोजन कहानी की सबसे जीवंत पात्र सिद्धेश्वरी है। वह अत्यंत अभाव में अपने परिवार की गाड़ी को खींच रही है। परिवार की आर्थिक स्थिति जर्जर है फिर भी वह परिवार को जोड़ने का पूरा प्रयास करती है। वह एक आदर्श भारतीय नारी है। वह परिवार को एक रखने के लिए झूठ का सहारा भी लेती है। वह नहीं चाहती कि परिवार के किसी भी सदस्य को किसी प्रकार का मानसिक कष्ट पहुँचे । सिद्धेश्वरी सहिष्णुता की भावना से परिपूर्ण है। वह सारे कष्ट स्वयं सहकर दूसरों को सुख पहुँचाना चाहती है। वह घर के किसी भी सदस्य के सामने अभावों का रोना नहीं रोती। उसमें अपार धैर्य है। वह कभी विचलित नहीं होती। वह आधी जली रोटी खाकर और पानी पीकर ही अपने मन को संतोष दे लेती है।

प्रश्न 3.
कहानी के उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे गरीबी की विवशता झाँक रही है ?
उत्तर :
दोपहर का भोजन कहानी एक परिवार की गरीबी को लेकर ही है। कहानी के प्रारंभ में ही इस परिवार की गरीबी की झलक मिल जाती है। जब सिद्धेश्वरी के छोटे पुत्र प्रमोद का वर्णन आता है। प्रमोद की उम्र छह वर्ष है। वह घर के ओसारे में अध-टूटे खटोले पर पड़ा हुआ है। उसके शरीर पर कपड़ा भी नहीं है, भूख और अभाव की छाया उस पर स्पष्ट झलकती है जिसके कारण उसके गले व छाती की हहियाँ साफ दिखाई देती हैं। उसके हाथ पैर बासी ककड़ियों की तरह सूखे तथा बेजान हैं। भोजन के समय उनकी गरीबी की पूरी झलक मिल जाती है उनके घर में पेट भरने लायक आटा दाल नहीं है। अभाव की झलक उन सबके चेहरों पर स्पष्ट देखी जा सकती है। सबको खाना खिलाकर सिद्धेश्वरी अपने पति की झूठी थाली लेकर बैठती है। सारी दाल उंडेल लेने पर भी कटोरा नहीं भरता। सबको थोड़ा-थोड़ा खिलाकर केवल एक जली हुई रोटी बचती है जिसमें से आधी व स्वयं खाती है तथा आधी अपने छः वर्षीय पुत्र के लिए छोड़ देती है। उनके आँगन की अलगनी पर एक गंदी-सी साड़ी टंगी हुई है, जिसमें कई पैबंद लगे हुए हैं।

प्रश्न 4.
सिद्धेश्वरी का एक दूसरे सदस्य के विषय में झूठ बोलना परिवार को जोड़ने का अनथक प्रयास था’-इस संबंध में आप अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
सिद्धेश्वरी परिवार के एक दूसरे सदस्य के विषय में झूठ बोलकर परिवार को जोड़ने का प्रयास करती है। उसका यह प्रयास उचित भी है। वह नहीं चाहती कि पहले से ही अभाव ग्रस्त, गरीबी की मार झेल रहा परिवार, परिवार के किसी सदस्य के कारण मानसिक कष्ट भोगे। यदि वह झूठ न बोलकर प्रत्येक सदस्य के बारे में एक दूसरे को सच-सच बताती तो परिवार में कलेश बढ़ता और सभी के हृदय दुःखी होते। इससे गरीबी के साथ संघर्ष कर रहे सभी सदस्यों की शक्ति लड़ाई झगड़ों में लग जाती। झूठ बोलकर उसने कोई पाप नहीं किया। जिस झूठ से परिवार की शांति भंग होने से बच जाए उस झूठ को बोलने में कोई बुराई नहीं है।

प्रश्न 5.
‘अमरकांत आम बोल-चाल की ऐसी भाषा का प्रयोग करते हैं जिससे कहानी की संवेदना पूरी तरह उभरकर आती है।’ कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए ?
उत्तर :
अमरकांत की इस कहानी में मानवीय संवेदना पूरी तरह उभरकर आई है। लेखक ने घर की ग़ीबी को बहुत बारीकी से उभारा है। इसमें आम बोलचाल की भाषा है। कहानी में जगह-जगह संवेदना उभरकर आई है। ‘दोपहर का भोजन’ कहानी की कुछ विशेषताएँ इस प्रकार हैं :
सरलता एवं सजीवता : उनकी कहानी की भाषा एकदम सरल व सजीव है। मुंशी जी के परिवार का सजीव चित्रण इस कहानी में हुआ है। घर के अन्दर मक्खियाँ भिनभिना रही हैं। छोटे बेटे का कुछ पता नहीं कहाँ है। घर में खाने को केवल दो रोटी हैं।
प्रभावोत्पादकता : अमरकांत जी की शेली का विशेष गुण है प्रभावोत्पादकता। मुंशी जी और सिद्धेश्वरी का संवाद बहुत ही प्रभावशाली है। बातों ही बातों में घर की पूरी स्थिति बयान हो जाती है।
चित्रोपमता : उनकी शैली का यह गुण विशेष महत्त रखता है। एक उदाहरण देखिए-
सारा घर मक्खियों से भनभन कर रहा था। आँगन की अलगनी पर एक गन्दी साड़ी टँगी थी, जिसमें कई पैबंद लगे हुए थे। दोनों बड़े लड़कों का कहीं पता नहीं था। बाहर की कोठरी में मुंशी जी औंधे मुँह होकर निश्चितता के साथ सो रहे थे, जैसे डेढ़ महीने पूर्व मकान-किराया-नियन्त्रण विभाग की कलर्की से उनकी छँटनी न हुई हो और शाम को उनको काम की तलाश में कहीं जाना न हो!…
अमरकांत की भाषा सरल सहज एवं भावानुकूल है। संस्कृतनिष्ठ खड़ी बोली के साध-साथ तद्भव एवं देशज शब्दों का खूब प्रयोग हुआ है। लेखक ने कहानी का पूरा कथानक केवल दोपहर के भोजन पर समेट दिया है। इस कहानी का शीर्षक भी प्रभावशाली है।

प्रश्न 6.
रामचन्द, मोहन और मुन्शी जी खाते समय रोटी न लेने के लिए जो बहाने करते हैं उनमें कैसी बेवसी है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
रामचन्द्र मोहन या मुन्शी जी की भूख दो-दो रोटी से शान्त होने वाली नहीं थी। परन्तु वे जानते थे कि घर में रोटी इससे अधिक हैं नहीं इसलिए वे भूखे रह जाने के बाद भी तृप्त हो जाने का अभिनय करते हैं जैसे की उन्होंने बहुत अधिक खा लिया हो। वे शायद सिद्धेश्वरी को ऐसा करके कह रहे थे कि रोटी हैं कहाँ? तुम कहाँ से रोटी दोगी? अधिक खाकर बीमार होना, नमकीन व अन्न से जी का ऊबना निर्धनता के ऊपर व्यंग्य है।

प्रश्न 7.
मुन्शी जी तथा सिद्देश्ररी की असम्बद्ध बातें कहानी से कैसे संबंद्ध हैं ? लिखिए।
उत्तर :
मुन्शी जी अपनी ही दुनिया में खोए हुए हैं। वे सिद्धेश्वरी की बातों का सीधे-सीधे जवाब नहीं देते। सिद्धेश्वरी जो प्रश्न करती है, मुन्शी जी उन प्रश्नों के उत्तर देकर सिद्धेश्वरी को दुःखी नहीं करना चाहते। मुन्शी जी कभी किसी की लड़की की शादी की बात करते हैं कभी मक्खियों की बात करते हैं। वे जानते हैं कि बातों का सिलसिला प्रारम्भ होने पर दिल की सारी बातें कहने पर मज़बूर होना पड़ेगा। वह न तो स्वयं ंुःखी होना चाहते हैं न सिद्धेश्वरी को दुःखी करना चाहते हैं इसलिए असम्बद्ध बातें कहकर प्रसंग को बदल देना चाहते हैं। यदि सूखे और बीमारी की बाते करेंगे तो दुःख के अलावा और कुछ मिलने वाला नहीं।

सिद्धेश्ररी का यह कहना कि बारिश नहीं होगी इसके पीछे जो भाव है बारिश नहीं होगी तो अन्न नहीं होगा। ‘घर में मक्खियों का होना’ कहानी से जुड़ा है। हताशा और निराशा के कारण घर की सफाई भी ठीक से नहीं होती। फूफा की बीमारी, गंगाशरण की लड़की की शादी दोनों बातों का कहानी से संबंध है। बीमार व्यक्ति को देखने के लिए जाने के लिए भी पैसा चाहिए जो घर में नहीं है। गंगा शरण की लड़की की शादी तय हो गई तो उसके लिए भी कन्यादान तो देना ही पड़ेगा।

प्रश्न 8.
‘दोपहर का भोजन’ शीर्षक किन दृष्टियों से पूर्णतया सार्थक है?
उत्तर :
अमरकांत की कहानी ‘दोपहर का भोजन’ शीर्षक की दृष्टि से सफल रचना है। इस कहानी का सम्पूर्ण कथानक दोपहर के भोजन पर सिमटा है। सिद्धेश्री ने दोपहर का भोजन तैयार कर लिया है। सबसे पहले उसका बड़ा बेटा रामचंद्र भोजन करने के लिए आता है, उसके बाद छोटा बेटा मोहन व फिर मुंशी जी भोजन के लिए आते हैं। इस कहानी के पूरे संवाद दोपहर के भोजन पर ही केन्द्रित हैं। पात्रों की सभी वार्ताएँ दोपहर का भोजन करते हुए ही होती हैं। अतः कह सकते हैं कि ‘दोपहर का भोजन’ शीर्षक सार्थक एवं सटीक है।

प्रश्न 9.
‘आपके अनुसार सिद्देश्वर के झूठ सौ सत्यों से भारी कैसे हैं ? अपने शब्दों में उत्तर दीजिए।
उत्तर :
सिद्वेश्वरी जो झूठ बोलती है वह अपने किसी गुनाह को छिपाने के लिए नहीं बल्कि ऐसा करके वह परिवार को एकजूट रखना चाहती है। वह नहीं चाहती की गरीबी की मार झेल रहा उसका परिवार और दुःखों व कलेशों की मार भी झेले। यदि वह सच बोलती तो इससे उसके परिवार का अहित ही होता जबकि झूठ बोलने से किसी की कोई हानि नहीं हुई। उसके झूठ बोलने से परिवार के सदस्यों का आपस में विश्वास बढ़ा है। उनके हृदयों में एक दूसरे के प्रति प्रेम की भावना बलवती हुई है। सिद्धेश्नरी के झूठ सौ सत्यों पर भी भारी पड़े हैं।

प्रश्न 10.
आशय स्पष्ट कीजिए :
(क) वह मतवाले की तरह उठी और गगरे से लोटा भर पानी लेकर गट-गट चढ़ा गई।
(ख) यह कहकर उसने मंझले लड़के की ओर इस तरह देखा, जैसे उसने कोई चोरी की हो।
(ग) मुन्शी जी ने चने के दाने की ओर इस दिलचस्पी से दृष्टिपात किया जैसे उनसे बातचीत करने वाले हों।
उत्तर :
(क) सिद्धेश्वरी बहुत भूखी थी और उसको प्यास भी लग रही थी। वह यह सोचकर लोटा भर पानी पीती है शायद इससे उसकी भूख मिट जाए परन्तु क्या पानी पीने मात्र से भूख मिटती है।
(ख) सिद्धेश्वरी का मंझला लड़का अपनी उम्र के कारण थोड़ा मुँहफट था। सिद्धेश्वरी जो कुछ बोल रही थी वह सब कुछ समझता था। सिद्धेश्वरी को डर था कि कहीं यह आगे से कुछ बोल न दे।
(ग) मुन्शी जी चने के दानों की ओर एकटक इसलिए देखने लगे जिससे सिद्धेश्वरी को लगे कि उसने उसकी बात नहीं सुनी। सिद्धेश्वरी की बात को अनसुना करने के लिए वह इस प्रकार का अभिनय कर रहे थे जैसे वह सिद्धेश्वरी से नहीं किसी और से बात कर रहे हों।

योग्यता-विस्तार –

प्रश्न 1.
अपने आस-पास मौजूद समान परिस्थितियों वाले किसी विवश व्यक्ति अथवा विवशतापूर्ण घटना का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तर :
हमारे गाँव में एक ऐसा परिवार रहता है जो गरीबी की मार झेल रहा है परन्तु वे अपनी गरीबी का अहसास किसी को नहीं होने देते। वे अद्भुत धैर्य का परिचय देते हैं। उनके घर में चाहे खाने को रोटी न हो तो भी वे घर से इस प्रकार निकलते हैं जैसे ये पूर्णतया तृप्त हो गए हों।

प्रश्न 2.
“भूख और गरीबी में प्रायः धैर्य और संयम नहीं टिक पाते हैं, इसके आलोक में सिद्धेश्वरी के चरित्र पर कक्षा में चर्चा करें।
उत्तर :
सिद्धेश्वरी बहुत ही धैर्यवान, घर को एकजुट रखने वाली कुशल गृहिणी है। वह भूख और गरीबी में भी धैर्य का परिचय देती है। वह परिवार में किसी भी प्रकार की हताशा या निराशा को प्रवेश नहीं करने देती। वह चाहती है कि जो भी कष्ट मिलना है उसको मिले, उसके परिवार को किसी भी तरह की कोई तकलीफ न हो। सिद्धेश्वरी बहुत ही धैर्यवान, कुशल, समझदार और घर को एकजुट रखने वाली गृहिणी है। सिद्धेश्वरी में संयम होने के साथ-साथ वाक्चातुर्य भी है। वह अपने परिवार के सारे दुःख दर्द स्वयं वहन करना चाहती है। वह नहीं चाहती कि परिवार के किसी एक सदस्य के कारण किसी दूसरे सदस्य को कोई कष्ट पहुँचे। इस कारण ही वह एक दूसरे की बात नहीं बताती। वह उनके गुणों का बढ़ा-चढ़ा कर वर्णन करती है। सिद्धेश्वरी भूख और गरीबी में भी अपने परिवार को बिखरने नहीं देती। सिद्धेश्वरी एक आदर्श भारतीय नारी है।

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प्रश्न 1.
सिद्देश्वरी का छोटा लड़का प्रमोद कैसा था ?
उत्तर :
सिद्धेश्वरी का छोटा लड़का प्रमोद बीमार था। उसकी उम्र लगभग छह साल थी। उसके गले तथा छाती की हडियाँ साफ दिखाई देती थीं। उसके हाथ-पैर बासी ककड़ियों की तरह सूखे तथा बेजान पड़े थे और उसका पेट हैंडिया की तरह फूला हुआ था। उसका मुँह खुला हुआ था और उस पर अनगिनत मक्खियाँ उड़ रही थीं।

प्रश्न 2.
सिद्देश्वरी ने अपने पुत्र रामचन्द्र से मोहन के बारे में झूट क्यों बोला ?
उत्तर :
सिद्धेश्वरी को पता था कि मोहन कहीं पढ़ने नहीं गया है फिर भी उसने रामचन्द्र के पूछने पर कह दिया कि वह किसी लड़के के घर पढ़ने गया है। सिद्धेश्वरी नहीं चाहती थी कि उसके बड़े बेटे को मोहन के बारे में सुनकर किसी प्रकार का दुःख पहुँचे। इसलिए सिद्धेश्वरी ने.झूठ बोला।

प्रश्न 3.
सिद्वेश्वरी भय और आतंक से रामचन्द्र की ओर क्यों निहार रही थी ?
उत्तर :
रामचन्द्र नौकरी की तलाश में गया था परन्तु अभी तक कोई बात नहीं बनी थी। उसकी चाल और निराशा इन भागों को पहले ही प्रकट कर चुकी थी। सिद्धेश्वरी डर रही थी कि यदि वह रामचन्द्र से कोई ऐसा प्रश्न करेगी तो शायद उसको और स्वयं सिद्धेश्वरी को भी दु:ख पहुँचे क्योंकि चेहरे को देखकर किसी सकारात्मक उत्तर की आशा तो थी नहीं।

प्रश्न 4.
सिद्धेश्वरी मुन्शी चन्द्रिका प्रसाद से खुलकर बात करने से क्यों उरती थी ?
उत्तर :
सिद्धेश्वरी को अपने पति से बात करने पर शायद जो उत्तर मिलता वह उनको प्रसन्नता देने की बजाय निराश करने वाला ही हो। अनपेक्षित उत्तर की आशंका के कारण सिद्धेश्वरी अपने पति चन्द्रिका प्रसाद से बात करने से डरती थी। बात करने से शायद चन्द्रिका प्रसाद के हुदय को भी दु:ख होता।

प्रश्न 5.
सिद्धेश्वरी सभी से एक दूसरे के बारे में घूट बोलती रही, उसने ऐसा क्यों किया? क्या बह उचित था ?
उत्तर :
सिद्धेश्वरी सभी से एक दूसरे के बारे में झूठ बोलती रही। ऐसा करके वह अपने परिवार को दुःखों का कम से कम एहसास होने देने चाहती थी। यदि वह सच बोलती तो भूख और गरीबी की मार झेल रहा परिवार मानसिक कलेश भी झेलने के लिए बाध्य होता और इससे परिवार में कलह भी बढ़ सकती थी। सिद्धेश्री का ऐसा करना उचित था। ऐसा झूठ बोलकर उसने कोई पाप नहीं किया। जिस झूठ से परिवार की शान्ति कायम रह सके उस झूठ को बोलने में शायद कोई बुराई नहीं है।

प्रश्न 6.
रामचन्द्र खाने की ओर दार्शनिक की भाँति क्यों देख रहा था ?
उत्तर :
रामचन्द्र को खूब भूख लगी थी परन्तु थाली में कुल दो रोटियाँ थीं। उन्हीं दो रोटियों को खाकर भूख को शान्त करना था। रामचन्द्र अपने घर की स्थिति से पूरी तरह वाकिफ़ था। इसलिए वह रोटियों की ओर देखते हुए विचार-मग्न हो गया था। उसको देखकर ऐसा लगता था जैसे कोई दार्शनिक खाने की ओर देख रहा है।

प्रश्न 7.
सिद्धेश्वरी रोटी लेने के लिए रामचन्द्र, मोहन और मुन्शी जी से जो इसरार करती है, उसके मर्म का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
सिद्धेश्वरी को पता है कि घर में कुल छह रोटी हैं और खाने वाले चार, फिर भी वह चाहती है कि परिवार के किसी सदस्य को यह अहसास न हो कि घर में और रोटी नहीं हैं। जिस तरह से वह रामचन्द्र, मोहन और मुन्शी जी से रोटी लेने की जिद करती है लगता है सिद्धेश्वरी के कहने में जिद कम वेदना अधिक दिखाई दे रही है। वह अपने पति को रोटी देते समय बड़े लड़के की कसम देती हुई कहती है कि एक रोटी और ले लो ऐसा कहते समय मानो उसकी जिद नहीं बेदना उभर कर सामने आ रही है। सिद्धेश्वरी जब मोहन को गिड़गिड़ाजे हुए कहती है ‘नहीं, बेटा मेरी कसम, थोड़ी ही ले लो। तुम्हारे भैया ने एक रोटी ली थी।’ ऐसा लगता है जैसे यह कहते हुए सिद्धेश्री का मर्म आहत हो रहा हो और वह बलपूर्वक अपने हृदय की करुणा को हृदय में ही दबाए हो।

प्रश्न 8.
सिद्धेश्री और मुन्शी के संवादों को विवरण के रूप में लिखिए।
उत्तर :
सिद्धेश्वरी मुन्शी जी के लिए खाना परोसती है। मुन्शी जी बड़े लड़के के बारे में पूछते हैं। सिद्धेश्वरी बताती है कि बड़ा लड़का तुम्हें देवता के समान बताता है। सिद्धेश्वरी रामचन्द्र की तारीफ पर तारीफ किए जाती है मुन्शी जी दाल लगे हाथ चाटते हुए अपने तीनों बच्चों की तारीफ करते हैं। सिद्धेश्वरी मुन्शी जी से कुछ पूछना चाहती है परन्तु पूछ नहीं पाती। सिद्धेश्री मुन्शी जी से पूछती है कि इस वर्ष बारिश नहीं होगी मुन्शी जी कहते हैं मक्खियाँ बहुत हो गई हैं सिद्धेश्वरी ने कहा, ‘फूफा जी बीमार हैं, तो मुन्शी जी बोले गंगाशरण की लड़की का रिश्ता तय हो गया। लड़का एम०ए० पास है। सिद्धेश्वरी ने बड़े लड़के की कसम देते हुए एक रोटी और लेने को कहा। मुन्शी जी रोटी के साथ गुड़ की भी फरमाइस करते हैं।

प्रश्न 9.
मुन्शी जी ने पत्नी की ओर अपराधी भाव से क्यों देखा ?
उत्तर :
मुन्शी जी जानते थं कि घर में खाने को बहुत ही कम है। मुन्शी जी समझ रहे थे कि शायद घर की इस स्थिति के लिए वह ही जिम्मेदार हैं। सिद्धेश्वरी ने एक रोटी और लेने की कसम दी थी। वह जानता था कि यह रोटी सिद्धेश्वरी के हिस्से की है। उस रोटी को खाने में उसे अपराध बोध हो रहा था। इसलिए उसने अपने पली की ओर एक अपराधी की तरह देखा था।

प्रश्न 10.
कहानी के प्रारम्भ में सिद्धेश्वरी की मनःस्थितियों का वर्णन अपने शब्दों में लिखिए ?
उत्तर :
सिद्धेश्वरी के मन में अपनी पारिवारिक स्थिति को लेकर अन्तर्द्वन्द चल रहा था। एक ओर उसका बीमार लड़का नंग धड़ंग लेटा हुआ था जो आर्थिक विवशता की कहानी कह रहा था। उसका पुत्र और पति काम की तलाश में गए हुए थे जो अभी तक नहीं आए थे उनको लेकर भी सिद्धेश्वरी परेशान सी दिखाई दे रही थी। घर में जो कुछ थोड़ा-बहुत खाने के लिए था वह अपने पति एवं पुत्रों को खिलाए बिना कैसे खा सकती थी। भूखे पेट पानी पीने के कारण वह अधमरी-सी हो गई थी। वह बार-बार राह में आने जाने वालों को देखती थी। जब उसका पुत्र रामचन्द्र आंता है तो वह भी चौकी पर ही निढाल होकर बैठ जाता है उसको देखकर सिद्धेश्वरी का मन और व्याकुल हो जाता है।

प्रश्न 11.
सिद्धेश्री ने रामचन्द्र के छोटे भाई मोहन के बारे में क्या-क्या झूट बोले ?
उत्तर :
जब खाना खाते समय रामचन्द्र ने अपनी माँ सिद्धेश्वरी से पूछा कि मोहन कहाँ है तो सिद्धेश्वरी ने बताया कि वह किसी लड़के के यहाँ पढ़ने गया है आता ही होगा जबकि उसका कहीं कोई अता पता नहीं था। सिद्धेश्री ने मोहन से भी कहा कि तुम्हारा भाई तुम्हारी बहुत तारीफ कर रहा था कह रहा था कि मोहन पढ़ने में बहुत तेज है वह चौबीसों घण्टे पढ़ने में ही लगा रहता है। सिद्धेश्वरी ने चन्द्रिका प्रसाद से भी कहा कि मोहन कह रहा था कि भैया की शहर में बड़ी इज्जत होती है, पढ़ने-लिखने वालों में बड़ा आदर होता है।

प्रश्न 12.
“उसने पहला ग्रास मुँह में रखा और तब न मालूम कहाँ से उसकी आँखों से टपटप आँसू चूने लगे।” इस कथन के आधार पर सिद्धेश्वरी की व्यथा समझाइए ?
उत्तर :
सिद्धेश्वरी का परिवार बहुत ही गरीबी में दिन काट रहा था। एक ओर उसका बीमार लड़का खटोले पर पड़ा था। उसने भी कुछ नहीं खाया था। वह सभी को दिलासा देती रही परन्तु उसको दिलासा कौन दे ? ले दे कर एक जली हुई रोटी बची थी उस रोटी में से भी आधी वह अपने बीमार लड़के प्रमोद के लिए रख रही थी। उसका मन उद्विग्न था कि इस घर को किस प्रकार चलाया जाएगा ? कब तक मैं झूठ बोलकर एक दूसरे को ढाँढस बँधाती रहूँगी। उसके पति की नौकरी छूट चुकी थी बड़े लड़के के कामकाज का भी कोई ठिकाना नहीं था। छोटा लड़का मोहन भी इधर-उधर ज्यादा घूमता था। वह अकेली ही सबके दुःख दर्द को अपनी छाती पर सह रही थी। वह अपने दुर्भाग्य पर एकान्त में औसू बहाने के अतिरिक्त और क्या कर सकती थी ?

प्रश्न 13.
कहानी के अन्तिम अनुछ्छेद “सारा घर मक्खियों से ………कहीं जाना न हो” के आधार पर इस कहानी की मूल संवेदना को प्रकट कीजिए।
उत्तर :
इस कहानी की मूल संवेदना गरीबी है। गरीबी के कारण ही घर की ऐसी हालत है कि घर के लोग फटे कपड़े पहनने के लिए बाध्य हैं। दोनों लड़कों का कुछ पता नहीं कहाँ हैं। चन्द्रिका प्रसाद नौकरी छूट जाने के बाद भी निश्चित होकर सो रहे हैं। नौकरी छूटने के बाद वेतनभोगी परिवार की, जिसमें बच्चों का भी गुजारा करना है क्या दशा होती है यहाँ उनकी गरीबी का यथार्थ चित्रण हो रहा है।

11th Class Hindi Book Antra Questions and Answers