NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra Chapter 18 हस्तक्षेप
Class 11 Hindi Chapter 18 Question Answer Antra हस्तक्षेप
प्रश्न 1.
मगध के माध्यम से ‘हस्तक्षेप’ कविता किस व्यवस्था की ओर इशारा कर रही है?
उत्तर :
मगध के माध्यम से ‘हस्तक्षेप’ कविता में ऐसे तंत्र की ओर इशारा कर रही है जहाँ किसी को किसी भी प्रकार का विरोध करने या अपनी बात कहने का अधिकार नहीं है। विरोध करने वालों को यहाँ राजद्रोही माना जाता है।
प्रश्न 2.
व्यवस्था को ‘निरंकुश’ प्रवृत्ति से बचाए रखने के लिए उसमें ‘हस्तक्षेप’ जरूरी है-कविता को दृष्टि में रखते हुए अपना मत दीजिए।
उत्तर :
व्यवस्था को ‘निरंकुश’ प्रवृत्ति से बचाए रखने के लिए उसमें ‘हस्तक्षेप’ जरुरी है। यदि कोई भी व्यवस्था में हस्तक्षेप नहीं करेगा तो उसकी निरंकुशता बढ़ती चली जाएगी। लोगों पर अत्याचार होने लगेंगे। जनता को अपनी बात कहने का अधिकार नहीं रहेगा। निरंकुश शासक जनता को अपने इशारों पर नचाएगा। अराजकता बढ़ती चली जाएगी। उन्नति के सभी मार्ग बंद हो जाएंगे। खुशहली समाप्त हो जाएगी। समाज में भय व्याप्त हो जाएगा। इसलिए व्यवस्था में हस्तक्षेप आवश्यक है। हस्तक्षेप होता रहेगा तो निरंकुशता धीरे-धीरे कम हो जाएगी।
प्रश्न 3.
मगध निवासी किसी भी प्रकार की शासन व्यवस्था में हस्तक्षेप करने से क्यों कतराते हैं?
उत्तर :
मगध निवासी हस्तक्षेप करने से इसलिए कतराते हैं क्योंकि वहाँ ‘हस्तक्षेप’ करने का चलन नहीं है। व्यवस्था में हस्तक्षेप करने वाले को वहौँ राजद्रोही समझा जाता है। वे सोचते हैं कि यदि वे हस्तक्षेप करेंगे तो शासन तंत्र उन्हें चैन से जीने नहीं देगा। उनको भय लगा रहता है कि वे अकेले रह जायेंगे कोई उनका साथ भी नहीं देगा।
प्रश्न 4.
‘मगध अब कहने को मगध है, रहने को नहीं’- के आधार पर मगध की स्थिति का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तर :
प्रस्तुत कविता में मगध एक ऐसे राष्ट्र का प्रतीक है जहाँ कोई भी शासन व्यवस्था में हस्तक्षेप नहीं करता। वहाँ कोई बोलना तो दूर छींकता तक भी नहीं कहीं मगध की शांति भंग न हो जाए क्योंकि मगध रहेगा तो शांति रहेगी। कोई चीख चिल्लाकर भी अपनी बात कहने का साहस नहीं करता क्योंकि चीखने से मगध की व्यवस्था भंग हो जाएगी। मगध जैसे राष्ट्र में यदि व्यवस्था भंग हो गई तो लोग क्या कहेंगे। कुछ लोग तो अब यह भी कहने लगे हैं कि मगध केवल कहने को ही मगध है रहने के लिए नहीं। मगध में यदि कोई गलत कार्य कर रहा है तो कोई उसे इसलिए नहीं टोकता कभी यहाँ टोकने का रिवाज न बन जाए।
प्रश्न 5.
मुर्दे का हस्तक्षेप क्या प्रश्न खड़ा करता है? प्रश्न की सार्थकता को कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए। उत्तर :
मुर्दे का हस्तक्षेप यह प्रश्न खड़ा करता है कि मनुष्य क्यों मरता है? इस कविता में सबसे बड़ा प्रश्न हस्तक्षेप करने का ही है। लोग अपने ऊपर तरह-तरह के अत्याचार होने देते हैं परन्तु वे उफ तक नहीं कसते। आखिर में मुर्द के प्रश्न से यह बात प्रकट होती है कि जब एक प्राणहीन व्यक्ति हस्तक्षेप करने की हिम्मत जुटा सकता है तो आप क्या मर गए जो व्यवस्था के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोलते। भला तुम मनुष्य होकर हस्तक्षेप से कैसे बच सकते हो। यदि तुम सब कुछ सहते जाओगे तो फिर तुमसे तो अच्छा मुर्दा है कम से कम वह प्रश्न तो कर रहा है।
प्रश्न 6.
मगध को बनाए रखना है, तो मगध में शांति रहनी ही चाहिए’-भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
मगध यहाँ पर एक ऐसी शासन व्यवस्था का प्रतीक है जो बिल्कुल निरंकुश है। यहाँ चाहे किसी पर कितने ही अत्याचार क्यों न होते रहें परन्तु वे शासन तंत्र को नाराज करने का साहस नहीं कर सकते। उनमें विरोध करने की शक्ति नहीं है। ऐसे शासन तंत्र में तभी तक शांति रह सकती है जब तक कोई हस्तक्षेप करने का साहस नहीं करता। मगध को बना रखने के लिए लोगों की आजादी पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाकर ही शांति स्थापित की जा सकती है। यदि लोग मुखर हो गए तो मगध की शांति भंग हो जाएगी।
प्रश्न 7.
‘हस्तक्षेप’ कविता सत्ता की क्रूरता और उसके कारण पैदा होने बाले प्रतिरोध की कविता है-स्पष्ट कीजिए। उत्तर :
‘हस्तक्षेप’ कविता में ऐसे राष्ट्र का चित्रण है जहाँ शासन तंत्र की निरंकुशता के कारण कोई भी शासन के खिलाफ बोलना नहीं चाहता। लोग भी एक प्रकार के डर व सदमे में जी रहे हैं, कोई भी आगे बढ़कर अपनी प्रतिक्रिया नहीं देता। शासन तंत्र इतना निरंकुश है कि वह किसी को छींकने भी नहीं देता कहीं लोग आपस में संगठित न हो जाएं।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित लाक्षणिक प्रयोगों को स्पष्ट कीजिए-
(क) कोई छींकता तक नहीं
(ख) कोई चीखता तक नहीं
(ग) कोई टोकता तक नहीं
उत्तर :
(क) कोई छींकता तक नहीं अर्थात् किसी पर कुछ भी अत्याचार होते रहें वह विरोध में एक शब्द भी नहीं बोलता।
(ख) ‘कोई चीखता तक नहीं’ अर्थात् किसी का कितना भी शोषण क्यों न किया जाए, कितना ही प्रताड़ित क्यों न किया जाए। मार खाकर भी रो नहीं सकता सहायता के लिए चीख पुकार नहीं कर सकता क्योंकि चीखेगा तो उसकी चीख को भी दबा दिया जाएगा।
(ग) ‘कोई टोकता नहीं’ अर्थात् कोई कितने ही अनैतिक कार्य करता रहे, प्रजा का शोषण करता रहे, परन्तु किसी तरह का कोई हस्तक्षेप नहीं करते क्योंकि हस्तक्षेप करने से शासन तंत्र के नाराज होने का भय है।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित पद्यांशों की सन्दर्भ सहित व्याख्या कीजिए-
(क) मगध को बनाए रखना है, तो ………. मगध है, तो शान्ति है ?
(ख) मगध में व्यवस्था रहनी ही चाहिए ……… क्या कहेंगे लोग ?
(ग) जब कोई नहीं करता ……… मनुष्य क्यों मरता है ?
संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियाँ श्रीकांत वर्मा द्वारा रचित ‘हस्तक्षेप’ कविता से ली गई हैं। कवि ने यहाँ बताया है कि एक निरंकुश राष्ट्र की निरंकुशता तभी तक कायम रही है जब तक वहाँ कोई हस्तक्षेप नहीं करता।
उत्तर :
(क) व्याख्या : कवि कहता है कि निरंकुश शासन प्रणाली वाले राष्ट्र में कोई भी व्यक्ति शासन के कार्य में तनिक भी हस्तक्षेप नहीं करता क्योंकि हस्तक्षेप करना उनके लिए धृष्टता के समान है। ऐसा करने से उस निरंकुश राष्ट्र की शांति भंग होने का खतरा है। उनका छोटा-सा हस्तक्षेप भी शासन के प्रति विद्रोह माना जाएगा। शांति बनाए रखने के लिए कोई वहाँ छींकता भी नहीं अर्थात् हल्का-सा भी विरोध नहीं करता क्योंकि वहाँ शांति तभी तक है जब तक वहाँ कोई मुँह नहीं खोलता।
संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियाँ श्रीकांत वर्मा द्वारा रचित ‘हस्तक्षेप’ कविता से ली गई हैं। कवि ने यहाँ बताया है कि एक निरंकुश राष्ट्र की निरंकुशता तभी तक कायम रही है जब तक वहाँ कोई हस्तक्षेप नहीं करता।
(ख) व्याख्या : कवि कहता है कि निरंकुश शासन व्यवस्था में किसी के ऊपर कितना भी अत्याचार क्यों न हो वह चीख-पुकार भी नहीं कर सकता क्योंकि ऐसा करना शासन के विरुद्ध समझा जाएगा। इससे वहाँ की व्यवस्था भंग होने का खतरा हो जाएगा। कारण एक व्यक्ति बोलना शुरू करता है तो उसके साथ और भी लग जाते हैं इसलिए किसी को बोलने का अवसर ही नहीं दिया जाता । यदि ऐसे राष्ट्र में व्यवस्था नहीं रही तो फिर व्यवस्था कहाँ रहेगी? लोग क्या कहेंगे ? लोग तो दबी जुबान में यह भी कहते हैं कि मगध अब कहने को ही मगध है रहने को नहीं अर्थात् अब यहाँ भी दबी जुबान ने विरोध शुरु कर दिया है।
संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियाँ श्रीकांत वर्मा द्वारा रचित ‘हस्तक्षेप’ कविता से ली गई हैं। कवि ने यहाँ बताया है कि एक निरंकुश राष्ट्र की निरंकुशता तभी तक कायम रही है जब तक वहाँ कोई हस्तक्षेप नहीं करता।
(ग) व्याख्या : कवि का मानना है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए हस्तक्षेप बहुत जरूरी है। एक मुर्दा भी नगर के बीच से गुजरता हुआ हस्तक्षेप करता है कि मनुष्य क्यों मरता है? कवि का मानना है कि एक कमजोर-से-कमजोर व्यक्ति भी जब हस्तक्षेप कर सकता है तो फिर जिन्दा लोग हस्तक्षेप के बिना कैसे रह सकते हैं अर्थात् वे भी हस्तक्षेप अवश्यक करें। हस्तक्षेप करना है भी बहुत आवश्यक अन्यथा निरंकुशता बढ़ती ही चली जाएगी।
योग्यता-विस्तार –
1. ‘एक बार शुरू होने पर
कहीं नहीं रुकता हस्तक्षेप’
इस पंक्ति को केन्द्र में रखकर परिचर्चा आयोजित करें।
2. ‘व्यक्तित्व के विकास में प्रश्न की भूमिका’ विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर ”
छात्र स्वयं करें।
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प्रश्न 1.
अन्त में सभी मनुष्यों के बावजूद मुर्दा ही क्यों हस्तक्षेप करता है ?
उत्तर :
क्योंकि मुर्दा तो आखिर मुर्दा है। उसको किसी का क्या डर। वह तो पहले ही मर चुका। यदि वह हस्तक्षेप करेगा तो उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। वह डर, भय से परे है।
प्रश्न 2.
‘तुम कितना भी कतराओ बच नहीं सकते हस्तक्षेप से’- इन पंक्तियों के सन्दर्भ में बताएँ कि क्या सामाजिक दायित्व और कर्त्तव्य से विमुख व्यक्ति का स्वतंत्र अस्तित्व सुरक्षित रह पाएगा ?
उत्तर :
यदि हमें स्वतंत्र रहना है और अपने अस्तित्व को कायम रखना है तो हस्तक्षेप तो करना ही पड़ेगा। बिना हस्तक्षेप किए स्वतंत्रता कायम नहीं रह सकती। निरंकुशता दिन-प्रतिदिन बढ़ती चली जाएगी। हम अपने सामाजिक दायित्वों एवं कर्त्तव्यों का निर्वाह भी नहीं कर पाएँगे।
प्रश्न 3.
मगध में व्यवस्था क्यों और किसलिए रहनी चाहिए ?
उत्तर :
मगध में व्यवस्था इसलिए रहनी चाहिए ताकि वह निरंकुश होकर लोगों पर शासन कर सके। मगध की व्यवस्था से तात्पर्य ऐसी शासन प्रणाली से है जहौँ कोई कुछ भी बोलने का अधिकार न रखता हो।
प्रश्न 4.
मगध के लोगों में किस तरह का डर समाया हुआ है ?
उत्तर :
मगध के लोगों में यह डर समाया हुआ है कि कहीं टोकने से यहाँ टोकने का रिवाज न बन जाए। फिर लोग बात-बात पर टोकने लगेंगे। कोई इनको रोक नहीं पाएगा। टोकने वालों की संख्या दिनों दिन बढ़ती चली जाएगी और मगध का तंत्र ध्वस्त हो जायेगा।
प्रश्न 5.
मगध के बहाने ‘हस्तक्षेप’ कविता किस व्यवस्था की ओर संकेत कर रही है ?
उत्तर :
मगध के बहाने ‘हस्तक्षेप’ कविता ऐसे तंत्र का वर्णन कर रही है जहाँ किसी को किसी भी प्रकार के विरोध का न तो अधिकार ही है और न ही जहाँ विरोध की गुँजाइश है।
प्रश्न 6.
छींक, चीख और टोक व्यवस्था बनाए रखने में बाधक कैसे हैं ?
उत्तर :
यदि कोई छींकता, चीखता है या टोकता है तो एक व्यक्ति की देखा-देखी अन्य व्यक्ति भी इस प्रकार के हस्तक्षेप करने शुरु कर देंगे। ऐसा करने से विरोध के स्वर को बल मिलता चला जाएगा। इसका सबसे बड़ा नुकसान निरंकुश शासन को यह होगा कि वहाँ की व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो जाएगी।
प्रश्न 7.
मुर्दा के हस्तक्षेप करने से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
‘मुर्दा’ के हस्तक्षेप करने से तात्पर्य यह है कि जब एक मुर्दा अर्थात् एक ऐसा व्यक्ति जिसकी गणना कहीं भी नहीं होती, जो शक्तिहीन है जब वह हस्तक्षेप कर सकता है तो अन्य मनुष्य हस्तक्षेप क्यों नहीं कर सकते। जनतंत्र को चलाना है तो हस्तक्षेप करना ही पड़ेगा।
प्रश्न 8.
‘मगध है तो शान्ति है’-इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
मगध यहाँ निरंकुश शासन व्यवस्था का प्रतीक है। निरंकुश शासन व्यवस्था तभी तक कायम रहती है जब तक वहाँ कोई विरोध का स्वर ऊँचा न करे। वहाँ की शान्ति तभी तक रहती है जब तक वहाँ किसी को हस्तक्षेप करने का अवसर न दिया जाए।
प्रश्न 9.
‘मनुष्य क्यों मरता है ? पंक्ति में निहित व्यंग्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
जिस मनुष्य पर अत्याचार होता है और वह उसको सहता रहता है तथा जो अपने मान-सम्मान की रक्षा भी नहीं कर पाता वह मरे हुए के समान ही होता है।