Class 11 Hindi Antra Chapter 14 Question Answer संध्या के बाद

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra Chapter 14 संध्या के बाद

Class 11 Hindi Chapter 14 Question Answer Antra संध्या के बाद

प्रश्न 1.
संध्या के समय प्रकृति में क्या-क्या परिवर्तन होते हैं?
उत्तर :
संध्या के समय सूर्य धीरे-धीरे अस्ताचल की ओर जाता है। साँझ की लाली सिमटना शुरू हो जाती है। सूर्य की लालिमा के कारण वृक्षों के पत्ते ताम्र जैसे वर्ण के लगते है। पर्वतों से सैकड़ों मुख वाले झरने झरते हुए मन मोहक लगते हैं। झरनों के जल पर सूर्य की लालिमा पड़ने के कारण वे झरने सोने जैसी आभा वाले लगते हैं। सूर्य के छिपने का दृश्य तो पूरी तरह से मन को हरने वाला होता है। सूर्य की किरणें नदी के जल पर पड़ने से सूर्य गोल नहीं बल्कि उसका प्रतिबिम्ब प्रकाश स्तम्भ की तरह लगता है। वह स्तम्भ मानो सरिता में धँसता हुआ-सा प्रतीत हो रहा है। सूर्य क्षितिज पर धीरे-धीरे ओझल होता जाता है। दूर-दूर तक फैली हुई टेढ़ी-मेढ़ी गंगा का जल ऐसा लग रहा था जैसे साँप ने अपनी केंचुली डाल दी हो।

प्रश्न 2.
पंत जी ने नदी तट का जो वर्णन किया है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
नदी तट की रेत धूप-छाँह के रंग की अर्थात् श्याम और सफेद लग रही है। इस रेती पर हवा चलने के कारण सर्प की आकृति जैसे चिह्न अंकित हो गए हैं अर्थात् हवा चलने से नदी की रेत पर जो निशान पड़े हैं वे साँप की तरह टेढ़े-मेढ़े हैं। नदी के नीले जल में छोटी-छोटी लहों उठ रही हैं। उन लहरों से नदी का जल मथा जा रहा है। ऊपर आकाश में स्थित सफेद बादलों की छाया के कारण नदी का जल पीले रंग का लग रहा है। अब वह सोने जैसे रंग का नहीं रहा उसमें कुछ सफेद रंग मिल गया है। नदी किनारे स्नान ध्यान करती हुई श्वेत वस्त्र धारण किए वृद्धाएँ जिनमें अनेक विधवाएँ हैं ऐसी लग रही हैं जैसे नदी तट पर बहुत सारे बगुले ध्यानमग्न खड़े हों।

प्रश्न 3.
शाम होते ही कौन-कौन घर की ओर लौट पड़ते हैं?
उत्तर :
शाम होते ही किसान, मवेशी, व्यापारी आदि घर की ओर लौटने लगते हैं।

प्रश्न 4.
संध्या के दृश्य में किस-किस ने अपने स्वर भर दिए हैं?
उत्तर :
संध्या के समय नदी की लहरों, झरनों, शंख की ध्वनि, मंदिर में घण्टों की मधुर ध्वनि, सोन खगों की आकाश में उड़ती कलरव करती पंक्तियों ने संध्या के दृश्य में अपने स्वर भर दिए हैं।

प्रश्न 5.
बस्ती के छोटे से गाँव के अवसाद को किन-किन उपकरणों द्वारा अभिव्यक्त किया गया है?
उत्तर :
बस्ती के छोटे से गाँव में मिट्टी के तेल से जलने वाली डिबरी धुआँ अधिक देती है उसका प्रकाश बहुत ही कम होता है। ऐसा लगता है जैसे यह जलकर धुएँ के रूप में अपने मन के अवसाद (दु:ख) को बाहर निकाल रही है। आँखों के आगे ढिबरी के धुएँ से जाला सा बन जाता है। छोटी-सी बस्ती में लोग इकट्टा होकर अपने मन के दु:ख दर्द आपस में बाँटकर हल्का करते हैं।

प्रश्न 6.
लाला के मन में उठने वाली दुविधा को अपने शब्दों में लिखिए?
उत्तर :
लाला अपनी दुकान पर बैठा हुआ है। उसका मन दुविधाग्रस्त है। वह सोचता है कि इतना कुछ करने के बाद भी वह अपना परिवार ठीक तरह से पाल नहीं सकता। वह अपने परिवार के लिए धन नहीं जुटा पाता। वह भी शहरी बनिये की तरह एक बड़ा सेठ क्यों नहीं बन सका। उसके जीवन की उन्नति के द्वार किसने रोक दिए। उसके जीवन में दु:ख ही दु:ख क्यों हैं। लाला जी अपनी कल्पनाओं में खोए हुए थे कि तभी उसकी दुकान पर एक बुढ़िया आटा लेने आती है। लाला जी के सात्विक विचार धरे रह जाते हैं। वह उसको आटा कम तोलकर देता है। लाला जी के विचार अच्छे थे परन्तु गरीबी उससे ये सब पाप करा रही थी।

प्रश्न 7.
सामाजिक समानता की छवि की कल्पना किस प्रकार अभिव्यक्त हुई है?
उत्तर :
सामाजिक समानता की कल्पना करते हुए कवि कहता है कि क्या कुछ ऐसा नहीं हो सकता कि सभी लोग सामूहिक रूप से मिलकर अपनी उन्नति का प्रयास करें तथा जीवन में सुखों का उपभोग भी आपस में मिलकर ही करें। उन्नति मिल-जुलकर ही हो सकती है। धन का वितरण गुणों एवं कमों के आधार पर होना चाहिए। धन का अधिकारी पूरा समाज हो न कि कोई व्यक्ति विशेष। धन का विकेन्द्रीकरण होना जरूरी है।

प्रश्न 8.
‘कर्म और गुण के समान ……………. हो वितरण’ पंक्ति के माध्यम से कवि कैसे समाज की ओर संकेत कर रहा है ?
उत्तर :
कवि यहाँ एक ऐसे समाज की ओर संकेत करता है जहाँ कमाने वाला खाए, कर्म और गुण के अनुसार ही उसका फल मिले। जहाँ किसी का शोषण न हो और जहाँ किसी के परिश्रम का फल दूसरा व्यक्ति न ले जाए। जहाँ परिश्रमी व्यक्ति को उसके परिश्रम की पूरी कीमत मिले।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित काव्य पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
तट पर बगुलों-सी वृद्दाएँ
विधवाएँ जप ध्यान में मगन,
मंबर धारा में बहता
जिनका अदृश्य, गति अंतर रोदन !
उत्तर :
काव्य सौन्दर्य : वृद्धाओं का नदी तट पर ध्यानावस्था का भावपूर्ण चित्रण है। उनका अदृश्य रुदन करुणा को जन्म दे रहा है। इन के मन में कहीं न कहीं ऐसा दुखख छिपा है जिसे ये प्रकट नहीं कर सकतीं। भावाभिव्यक्ति उत्तम है। संस्कृत निष्ड खड़ी बोली का सुन्दर प्रयोग किया है। ‘तट पर बगुलों सी वृद्दाएँ’ में उपमा अलंकार है। इन पंक्तियों में करुण रस है। चित्रात्मक शैली है।

प्रश्न 10.
आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) ताम्रपर्ण, पीपल से शतमुख ज्ररते चंचल स्वर्णिम निर्जर!
(ख) दीप शिखा-सा ज्वलित कलश, नभ में उउकर करता नीराजन!
(ग) सोन खगों की पाँति
आर्द्र ध्वनि से नीरव नभ करती मुखरित
(घ) मन से कढ़ अवसाद भ्रांति आँखों के आगे बुनती जाला!
(ङ) क्षीण ज्योति ने चुपके ज्यों गोपन मन को दे दी भाषा!
(च) बिना आय के क्लांति बन रही उनके जीवन की परिभाषा!
(छ) व्यक्ति नहीं, जग की परिपाटी दोषी जन के दुःख क्लेश की।
उत्तर :
(क) आशय : सूर्यास्त के समय जब झरते हुए झरनों पर सूर्य की लालिमा पड़ती है तो वे झरने सुनहरे रंग के लगते हैं मानो ये तांबे के पत्ते हों या पीपल के नए-नए पत्ते हों।
(ख) आशय : मंदिर का कलश सूर्यास्त के समय सूर्य की रोशनी से आलोकित ऐसा लगता है, मानो वह मंदिर का कलश नहीं बल्कि दीपक की बाती जल रही हो। मंदिर का कलश भी सुनहरा होता है और दीप-शिखा का वर्ण भी सुनहरा होता है। मंदिर के कलश को देखकर कवि कल्पना करता है जैसे यह नभ के उपर उठकर आरती कर रहा हो।
(ग) आशय : आकाश में उड़ते हुए सोन खगों की पंक्तियाँ ऐसी लगती हैं जैसे ये पक्षियों की पंक्तियाँ नहीं बल्कि अंधकार की रेखाएँ हैं। उड़ते समय बे कलरव कर रहे हैं। उनके कलरव से आकाश मुखरित हो रहा है। ऐसा लगता है मानो आकाश ही कुछ बोल रहा है।
(घ) आशय : कवि बस्ती के कच्चे घर में जब मिट्टी के तेल की डिबरी को जलते देखता है तो उसे ऐसा लगता है जैसे यह जलती हुई धुआँ देती हुई डिबरी अपने मन के अवसाद (दुःख दर्द आदि) निकालकर अपने हृदय से बाहर कर देना चाहती हो। आँखों के आगे धुआँ देती डिबरी से जाला-सा बन जाता है।(ङ) आशय : बस्ती के लोगों के हुदय का मूक क्रंदन दीपक की मद्धिम रोशनी में जैसे मुखरित हो उठा हो। दीपक की क्षीण रोशनी ने जैसे उन लोगों को भी अपने विचार व्यक्त करने की हिम्मत दे दी है जो अपने मन की बात को मन में ही रखते हैं। बहुत से लोग आँख मिलाकर रोशनी में अपने दिल की बात खुलकर नहीं कह पाते परन्तु वे अँधेरे में अपनी बात कह जाते हैं।
(च) आशय : लाला जी अपनी गरीबी के बारे में सोचते हैं कि बिना अच्छी आय के उनका जीवन हतोत्साहित करने वाला ही रह गया है। उनको अपना जीवन अर्थहीन लगने लगा है।
(छ) आशय : कवि कहता है कि अभावग्रस्त व्यक्ति अनैतिक कार्यों एवं पापों की ओर प्रवृत्त होने लगता है। यह व्यक्ति ही नहीं पूरी दुनिया का रिवाज है दुःखी जनों के सभी दुःख और क्लेशों का कारण गरीबी है।

योग्यता-विस्तार – 

प्रश्न 1.
ग्राम जीवन से संबंधित कविताओं का संकलन कीजिए।
उत्तर :
छात्रा अपने पुस्तकालय से इस प्रकार की कविताओं का संकलन करें।

प्रश्न 2.
कविता में निम्नलिखित उपमान किसके लिए आए हैं ?
(क) ज्योति स्तम्भ-सा – ………………………………..
(ख) केंचुल-सा – ………………………………..
(ग) दीपशिखा-सा – ………………………………..
(घ) बगुलों-सी – ………………………………..
(ङ) स्वर्णचूर्ण-सी – ………………………………..
(च) सनन तीर-सा – ………………………………..
उत्तर :
(क) सूर्य
(ख) गंगाजल
(ग) कलश
(घ) वृद्धाएँ
(ङ) गोरज
(च) स्वर

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प्रश्न 1.
कवि ने पहले अनुच्छेद में साँझ का वर्णन किस तरह किया है ?
उत्तर :
सूर्यास्त के समय वृक्षों की चोटियों पर सूर्य की लालिमा दिखाई देती है। झरनों का जल ताम्रवर्णी लगता है। सूर्य ऐसा लगता है जैसे सरिता में कोई प्रकाश स्तम्भ धैसा जा रहा है। गंगा का जल साँप की केंचुल जैसा चितकबरा-सा लगता है।

प्रश्न 2.
गंगा का जल चितकबरा क्यों लगता है ?
उत्तर :
बहते हुए जल में पानी के बुलबुले उठ रहे हैं। उन बुलबुलों पर जब छिपते सूर्य की लालिमा पड़ती है तो वह चितकबरा दिखाई देता है।

प्रश्न 3.
मन्दिरों में शंख घण्टे कब बजने लगते हैं ?
उत्तर :
मन्दिर में सूर्यास्त के समय शंख और घण्टे बजने लगते हैं।

प्रश्न 4.
सियार की हुआँ-ुआँ करने से कवि को क्या आभास होता है ?
उत्तर :
कवि को आभास होता है कि ये सियार हुआँ-ुआँ करके दुःखी रात्रि को अपना स्वर दे रहे हैं जिससे रात्रि मुखरित होता है।

प्रश्न 5.
विधवाओं का अन्तर रोदन से कवि का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
विधवाओं के अन्तर रोदन से कवि का तात्पर्य उनके आन्तरिक दुःखों से है। उनके मन को उनके वर्तमान जीवन की विडम्बनाएँ व्यथित करती हैं वे अपना दु:ख किसी से कह भी नहीं पातीं क्योंकि उनका जीवन साथी उनको पहले ही छोड़कर जा चुका है।

प्रश्न 6.
संध्या के समय किस-किस के घर लौटने का वर्णन इस कविता में किया गया है ?
उत्तर :
संध्या के समय किसानों, गायों, व्यापारियों आदि के घर लौटने का वर्णन किया गया है।

प्रश्न 7.
खेत, बाग, गृह, तरु इत्यादि निष्प्रभ विषाद में क्यों डूबे हुए हैं।
उत्तर :
सूर्यास्त होने पर धीरे-धीरे अंधेरा छाने लगा है इसलिए खेत, बाग, गृह, तरु और तट निष्र्रभ विषाद में डूबे हुए हैं क्योंकि अंधेरा दु:ख का प्रतीक है। जो उनको भी व्यथित कर गया।

प्रश्न 8.
गोपन मन को भाषा देने से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर :
कवि यहाँ कहना चाहता है कि दीपक की रोशनी इतनी कम है जिसमें कुछ स्पष्ट दिखाई नहीं दे रहा। इस अंधकार के कारण वह व्यक्ति भी निडर होकर अपने मन की बात कह देता है जो किसी के सामने कुछ नहीं कह सकता। गोपन मन भी अपने भावों को व्यक्त करने का साहस कर रहा है।

प्रश्न 9.
कर्म और गुण की भाँति कवि सम्पूर्ण आय-ब्यय का समान वितरण क्यों चाहता है ?
उत्तर :
कवि कर्म और गुण की भाँति समान वितरण इसलिए चाहता है जिससे प्रत्येक व्यक्ति को उसके परिश्रम का फल मिल सके। समाज में समानता हो। किसी का भी किसी के द्वारा शोषण न हो।

प्रश्न 10.
संध्या के समय सौ मुखों वाला किसे कहा गया है और क्यों ?
उत्तर :
कवि ने सौ मुखों वाला झरने को कहा है क्योंकि झरने में अनेक छोटी-छोटी धाराएँ निकलती हैं। थोड़ा-थोड़ा जल मिलकर एक बड़े झरने का निर्माण करता है।

प्रश्न 11.
वृद्धाओं को कवि ने बगुलों सा क्यों कहा है ?
उत्तर :
बगुलों का रंग सफेद होता है। बगुले अक्सर किसी नदी या सरोवर के किनारे ध्यान मग्न खड़े रहते हैं। नदी में स्नान ध्यान करती हुई वृद्धाओं में अधिकतर विधवाएँ हैं। विधवा स्त्री सफेद साड़ी पहनती है। वे सभी वृद्धाएँ जप-तप में लगी हैं। इन समानताओं के कारण कवि ने वृद्धाओं को बगुले जैसा कहा है।

प्रश्न 12.
सोन खगों की पंक्ति कवि को कैसी लग रही है ?
उत्तर :
कवि को सोन खगों की पंक्ति अँधकार की काली रेखा जैसी लग रही है। ऐसा लग रहा है जैसे सोन खगों की पंक्ति पंखों की गति को चित्रित कर रही है। उनके कलरव से आकाश मुखरित हो उठा है।

प्रश्न 13.
‘पीला जल रजत जलद से बिंबित’ से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर :
संध्या के समय सूर्य की लाली नदी के नीले जल में पड़ रही है। लहरें उठने पर जल मथित होता है तो उसमें सफेद झाग उत्पन्न होते हैं। आकाश में बादल सफेद हैं। सूर्य की लालिमा और सफेद बादलों की प्रतिच्छाया दोनों के मिलन से जल में पीलापन दृष्टिगोचर हो रहा है। कवि के कहने का यही आशय है।

प्रश्न 14.
सिकता, सलिल, समीर किसके स्नेह-सूत्र में बँधे हुए हैं?
उत्तर :
सिकता, सलिल और समीर ये तीनों उज्ज्यलता के स्नेह पाश में बँधे हुए हैं।

प्रश्न 15.
निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
(क) तट पर बगुलों-सी वृद्धाएँ
विधवाएँ जप ध्यान में मगन,
मंथर धारा में बहता
जिनका अदृश्य, गति अन्तर-रोदन!
उत्तर :
काव्य-सौंदर्य : वृद्धाओं का नदी तट पर ध्यानावस्था का भावपूर्ण चित्रण है। उनका अदृश्य रुदन करुणा को जन्म दे रहा है। भावाभिव्यक्ति उत्तम है।
संस्कृत निष्ठ खड़ी बोली का सुन्दर प्रयोग है ‘तट पर बगुलों-सी वृद्धाएँ’ पंक्ति में उपमा अलंकार है। चित्रात्मक शैली है। करुण रस है।

प्रश्न 16.
आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) घुआँ अधिक देती है …………….. आगे बुनती जाला !
(ख) कँप-कँप उठते …………… दे दी हो भाषा!
(ग) घुसे घरौंदों ……………. सबमें सामूहिक जीवन ?
उत्तर :
आशय : टिन की ढिबरी जो मिट्टी के तेल से जलती है उसका प्रकाश कम होता है वह धुऑं अधिक देती है। ऐसा लगता है मानो वह अपने मन के दुःखों को धुएँ के रूप में व्यक्त कर रही है। कवि इसके माध्यम से छोटी-सी बस्ती के लोगों में व्याप्त दुःखों को अभिव्यक्त करना चाहता है।
(ख) आशय : दीपक की कँपकँपाती लौ की तरह ही समाज के गरीब जनों की निराशा एवं दुःख भी धीरे-धीरे व्यक्त होते हैं। अँधेरे में व्यक्ति अपने मन के दुःखों को थोड़ा खुलकर कह सकता है। जिस मन में कोई विचार नहीं उठते क्षीण ज्योति में वे भी अपने विचारों को अभिव्यक्त कर सकते हैं।
(ग) आशय : अपने कच्चे मिट्टी के घरों में घुसे लोग ऐसे समाज की कल्पना करते हैं जहौं सभी लोग सामूहिक रूप में अपनी उन्नति करें। सामूहिक रूप से कार्य करेंगे तो सभी का जीवन सुधर जाएगा।

11th Class Hindi Book Antra Questions and Answers