NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra Chapter 11 खेलन में को काको गुसैयाँ, मुरली तऊ गुपालहिं भावति
Class 11 Hindi Chapter 11 Question Answer Antra खेलन में को काको गुसैयाँ, मुरली तऊ गुपालहिं भावति
प्रश्न 1.
खेलन में को काको गुसैयाँ’ पद में कृष्ण और सुदामा के बीच किस बात पर तकरार हुई?
उत्तर :
इस पद में भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा के बीच खेलने का वर्णन है। खेल में श्रीकृष्ण हार जाते हैं और सुदामा जी जीत जाते हैं। इस बात के कारण कृष्ण ईर्ष्या से कुढ़ने लगते हैं और दोनों में तकरार हो जाती है।
प्रश्न 2.
खेल में रूठने वाले साथी के साथ सब क्यों नहीं खेलना चाहते ?
उत्तर :
खेल में हार भी होती है जीत भी होती है। किसी न किसी को तो हारना ही पड़ता है। खेल का नियम यह है कि हार हो या जीत खेल को खेल की भावना से ही खेलना चाहिए। परन्तु जो जीत पर तो खुश होते हैं और हार जाने पर वे खेल ही छोड़ बैठते हैं। इसी प्रकार कृष्ण अपने साथियों को दाँव भी नहीं देना चाहते। यही कारण है कि खेल में रूठने वाले के साथ सभी खेलना नहीं चाहते।
प्रश्न 3.
खेल में कृष्ण के रूठने पर उनके साथियों ने उन्हें डॉँटते हुए क्या-क्या तर्क दिए ?
उत्तर :
कृष्ण के साधियों ने कृष्ण से कहा कि जाति में तुम हमसे बड़े नहीं हो। हम क्या तुम्हारे आश्रय में रहते हैं ? उन्होंने कहा कि तुम्हारे पास अधिक गाय हैं इसलिए तुम ज्यादा अधिकार जताते हो। रूठने वाले के साथ कौन खेलना पसन्द करेगा। इसलिए तुम वहीं रहो जहाँ तुम जैसे अन्य ग्वाले हैं।
प्रश्न 4.
कृष्ण ने नंद बाबा की दुहाई देकर दाँव क्यों दिया ?
उत्तर :
सुदामा और अन्य मित्रों से काफी कुछ सुनने के बाद कृष्ण की इच्छा खेलने की हो गई थी। कृष्ण हमेशा अपनी बात बड़ी रखते थे इसलिए उन्होंने स्वयं की इच्छा को प्रकट न करते हुए नंद की दुहाई देकर दाँव देना स्वीकार किया।
प्रश्न 5.
इस पद में बाल-मनोविज्ञान पर क्या प्रकाश पड़ता है ?
उत्तर :
बच्चों में खेल-खेल में अक्सर झगड़े हो जाते हैं परन्तु ये झगड़े क्षणिक होते हैं। जब दो बच्चों के बीच झगड़ा होता .है तो वे अपने परिवार की ताकत का भय दिखाते हैं बच्चे भी कहते हैं कि तू बड़ा क्यों बन रहा है। बच्चे छोटी-छोटी बातों पर लड़ने लगते हैं।
प्रश्न 6.
‘गिरिधर नार नचावति’ से सखी का क्या आशय है ?
उत्तर :
‘गिरिधर नार नचावति’ से सखी का आशय यह है कि मुरली कृष्ण को अपने दास की तरह रखती है जिस प्रकार स्वामी के सामने दास सिर झुकाकर खड़ा होता है उसी प्रकार श्रीकृष्ण मुरली बजाते समय सिर झुकाकर मुरली बजाते हैं, उनकी गरदन नीचे झुकी रहती है।
प्रश्न 7.
कृष्ण के अधरों की तुलना सेज से क्यों की गई है ?
उत्तर :
कृष्ण जब मुरली बजाते हैं तो मुरली उनके अधरों पर लेटी हुई होती है। श्रीकृष्ण अपनी अँगुलियों से ऐसा लगता है जैसे मुरली के पैर दबा रहे हों। कवि ने श्रीकृष्ण के अधरों को सेज इसलिए माना है क्योंकि उन पर मुरली लेटी रहती है।
प्रश्न 8.
पठित पदों के आधार पर सूरदास के काव्य की विशेषताएँ लिखिए ?
उत्तर :
सूरदास की भाषा ब्रज है उन्होंने साधारण बोलचाल एवं स्थानीय शब्दों का भी खुलकर प्रयोग किया है जैसे ठाढ़ौ, – कनौड़े आदि । इन पदों में सूर का काव्य-कौशल एवं वाक्चार्तुय दोनों ही देखने लायक हैं। उनकी भाषा मुहावरेदार है। उन्होंने इन पदों में ‘नाच नचावति’, ‘नार नवावति’, ‘एक पाइ ठाढ़ी’ आदि मुहावरों का प्रयोग किया है। सूर का शिल्प विधान उत्कृष्ट है। उनमें शब्द-चित्र उपस्थित करने एवं प्रसंगों की वास्तविक अनुभूति कराने की पूर्ण क्षमता है। सूर ने श्लेष, रूपक, स्वाभावोक्ति आदि अलंकारों का प्रयोग किया है। सूर के इन पदों में गेयता है ये किसी न किसी राग के अंतर्गत रचे गए हैं। इनके पदों में काव्य और संगीत का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। सूर का कला-पक्ष एवं भाव-पक्ष दोनों ही सराहनीय हैं। उन्होंने यहाँ कृष्ण के वात्सल्य एवं गोपियों के विरह का यथार्थ चित्रण किया है।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए-
(क) जाति-पाँति
(ख) सुनि री ……………….. नवावति ।
उत्तर :
(क) सन्दर्भ : प्रस्तुत पद सूरदास द्वारा रचित है। इस पद में कवि ने श्रीकृष्ण के सुदामा द्वारा खेल में हारने का वर्णन किया है। श्रीकृष्ण अपनी हार स्वीकार ही नहीं करते वे उल्टे सुदामा पर ही क्रोध दिखाने लगते हैं। सुदामा एवं अन्य ग्वाले बड़े युक्ति-युक्त तरीके से श्रीकृष्ग को खेल के लिए तैयार करते हैं।
व्याख्या : सुदामा जी श्रीकृष्ण से कहते हैं कि तुम किसलिए बड़े बनते हो जाति में तो तुम हमसे बड़े हो नहीं। हम क्या तुम्हारे आश्रय में रहते हैं जो तुम इतनी ऐंठ दिखाते हो। तुम इसलिए अपना ज्यादा अधिकार जताते हो क्योंकि तुम्हारे पास अधिक गाएँ हैं।
(ख) सन्दर्भ : प्रस्तुत पद सूरदास द्वारा रचित है। इस पद में गोपियों द्वारा श्रीकृष्ण की मुरली के प्रति सौतिया डाह का भाव दिखाया है।
व्याख्या : एक सखी दूसरी सखी से कह रही है-हे सखी! सुन, मुरली नन्द के लाल श्रीकृष्ण को अनेक प्रकार से नचाती रहती है फिर भी वह श्रीकृष्ण के मन को बहुत अच्छी लगती है। वह उनको एक पाँच पर खड़े रहने को बाध्य करती है एवं उन पर यह अपना अत्यधिक अधिकार जताती है। उनके कोमल शरीर से अपनी मनमानी करवाती है। जब ये उसे (बाँसुरी) ब्जाते हैं तो उनकी कमर टेढ़ी हो जाती है। श्रीकृष्ण मुरली के सर्वथा अधीन हैं अर्थात् श्रीकृष्ण उसके बहुत एहसानमंद हैं। गोवर्धन पर्वत को धारण करने वाले श्रीकृष्ण को उसने अधीन कर रखा है और यह मुरली रूपी नारी उनकी गर्दन झुकवा देती है अर्थात् जब कृष्ण मुरली बजाते हैं तो उनकी गर्दन झुक जाती है।
योग्यता-विस्तार –
1. खेल में हारकर भी हार न मानने वाले साथी के साथ आप क्या करेंगे ? अपने अनुभव कक्षा में सुनाइए।
2. पुस्तक में संकलित ‘मुरली तऊ गुपालहिं भावति’ पद में गोपियों का मुरली के प्रति ईर्ष्या-भाव व्यक्त हुआ है। गोपियाँ और किस-किस के प्रति ईर्ष्या-भाव रखती थीं, कुछ नाम गिनाइए।
उत्तर :
छात्र स्वयं करें।
Class 11 Hindi NCERT Book Solutions Antra Chapter 11 खेलन में को काको गुसैयाँ, मुरली तऊ गुपालहिं भावति
प्रश्न 1.
श्रीकृष्ण के साथ खेल में किसकी जीत हुई।
उत्तर :
श्रीकृष्ण के साथ खेल में सुदामा की जीत हुई।
प्रश्न 2.
खेल में अपनी हार कौन स्वीकार नहीं करता ?
उत्तर :
खेल में श्रीकृष्ण अपनी हार स्वीकार नहीं करते।
प्रश्न 3.
सुदामा यह क्यों कहते हैं कि जाति-पाँति में तुम हमसे बड़े नहीं हो ?
उत्तर :
सुदामा यह इसलिए कहते हैं क्योंकि वह ब्राह्मण परिवार से हैं जब कि श्रीकृष्ण जी ग्वाले थे।
प्रश्न 4.
गोपियाँ मुरली पर क्यों कुपित हैं ?
उत्तर :
श्रीकृष्ण मुरली बजाने में इतने मग्न हो जाते हैं कि उन्हें गोपियों का ध्यान ही नहीं रहता। गोपियाँ इसी कारण मुरली को अपनी सौत मानती हैं। वे समझती हैं कि मुरली ने श्रीकृष्ण को अपने वश में कर रखा है। वह श्रीकृष्ण को हमारे विरुद्ध कर रही है और अपना अधिकार जताने के लिए श्रीकृष्ण से विभिन्न प्रकार की क्रियाएँ करवा कर हमें जलाती है। इसीलिए गोपियाँ मुरली पर कुपित हैं।
प्रश्न 5.
गोपिका के अनुसार मुरली श्रीकृष्ण पर किस-किस तरह शासन करती है ?
उत्तर :
गोपिका के अनुसार मुरली श्रीकृष्ण पर निम्नलिखित तरह से शासन करती है : मुरली ने श्रीकृष्ण को अपने वश में कर रखा है, वह कृष्ण को एक पैर पर खड़ा रखती है, उनके कोमल शरीर से अपनी आज्ञाओं का पालन करवाती है वह उनकी कमर टेढ़ी करवा देती है, गर्दन झुकवा देती है, उनके होठों की शय्या पर लेटकर अपने पैर दबवाती है।
प्रश्न 6.
क्या देखकर गोपिका का विश्वास है कि मुरली उनकी शिकायत कृष्ण से किया करती है ?
उत्तर :
कृष्ण के मुरली बजाते समय मुरली उनके होठों के पास रहती है, उनकी भृकुटि टेढ़ी हो जाती है, आँखें लाल हो जाती हैं और नथुने फूल जाते हैं। श्रीकृष्ण की इस स्थिति को देखकर गोपिका को लगता है कि मुरली उनकी शिकायत कृष्ण से करके हम पर क्रोध करवाती है।
प्रश्न 7.
“मुरली तऊ गुपालहिं भावति”-पद के द्वारा मानव हृदय के पारखी सूर ने किस मुख्य भाव को मार्मिक अभिव्यक्ति दी है ?
(क) यौवन सुलभ अनुराग भावना को
(ख) सौतिया डाह को
(ग) नारी सुलभ मान को
(घ) क्रोध और क्षोभ को
(ख) सौतिया डाह को।
प्रश्न 8.
हार जाने पर भी कृष्ण के क्रोध करने का क्या कारण था ?
उत्तर :
हार जाने पर भी कृष्ग के क्रोध का कारण यह था कि सुदामा उनसे अपना दाँव माँग रहे थे। श्रीकृष्ण दाँव देने के लिए तैयार नहीं थे इसलिए कृष्ण क्रोधित हो रहे थे।
प्रश्न 9.
‘मुरली तऊ गुपालहिं भावति’ पद में एक सखी दूसरी सखी से क्या कहती है ?
उत्तर :
गोपियाँ मुरली के प्रति सौतिया डाह का भाव रखती हैं। श्रीकृष्ण को मुरली के प्रेम में वशीभूत देखकर सखी कहती हैं कि मुरली का श्रीकृष्ण के प्रति व्यवहार अच्छा नहीं है। वह उन्हें एक पाँव पर खड़ा रखती है। उन पर अपना अत्यधिक अधिकार जताती है। वह उनसे अनेक प्रकार की आज्ञाओं का पालन करवाती है। बाँसुरी बजाते समय उनकी कमर भी टेढ़ी हो जाती है। वह उनकी गर्दन भी झुकवाती है। वह उनके होंठों की शय्या पर वास करके अपने पाँव दबवाती है। इतना ही नहीं, मुरली बजाते समय श्रीकृष्ग की भौहें टेढ़ी हो जाती हैं, नथुने फूल जाते हैं। इस प्रकार वह हम पर गुस्सा करवाती है। मुरली ने उनको अपने वश में कर रखा है।
प्रश्न 10.
कृष्ण को ‘सुजान कनीज़े’ क्यों कहा गया है ?
उत्तर :
कनौड़े का अर्थ है दास क्योंकि मुरली का कृष्ण पर इतना असर है कि बह जैसे चाहती है वैसे ही कृष्ण को नचाती है, जिस प्रकार स्वामी अपने दास से जैसे चाहे काम लेता है। उसी प्रकार कृष्ण भी पूरी तरह से मुरली के अधीन हैं इसलिए कृष्ण को ‘सुजान कनौड़े’ कहा गया है।
प्रश्न 11.
बाँसुरी बजाते हुए कृष्ण की छवि किस प्रकार की हो जाती है ?
उत्तर :
श्रीकृष्ण मुरली बजाते समय एक पाँव पर खड़े होते हैं, उनकी कमर टेढ़ी हो जाती है और गर्दन झुक जाती है। भृकुटि टेढ़ी हो जाती है, नथुने फूल जाते हैं। हाथ की अँगुलियाँ बाँसुरी के छिद्रों पर उठती-गिरती हैं अर्थात् उनकी स्थिति त्रिभंगी हो जाती है।