Class 11 Hindi Antra Chapter 1 Question Answer ईदगाह

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra Chapter 1 ईदगाह

Class 11 Hindi Chapter 1 Question Answer Antra ईदगाह

प्रश्न 1.
‘ईदगाह कहानी के उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनमें ईद के अवसर पर ग्रामीण परिवेश का उल्लास प्रकट होता है?
उत्तर :
ईद के अवसर पर ईदगाह जाने के लिए सभी लोग नए-नए वस्त्र पहनते हैं। बच्चे खेलते-कूदते मौज मस्ती करते हुए ईद के मेले में जाते हैं। वहाँ तरंह-तरह की दुकानें सजी होती है। कहीं मिठाइयों की दुकानें हैं तो कहीं खेल खिलौनों की। इस मेले में खेल तमाशे भी खूब होते हैं। गाँव से सभी लोग समूह में इकटे होकर चलते हैं। बच्चों के चेहरे पर अपार प्रसन्नता झलकती रहती है। सभी बच्चे एक दूसरे के साथ छेडखानी करते हुए मेले में पहुँच जाते हैं। घर-घर में सेवैयाँ पकाई जाती हैं जिनके घर दूध नहीं होता वह दूसरों के यहाँ. से ले लेते हैं।

प्रश्न 2.
‘उसके अंदर प्रकाश है, बाहर आशा। विपत्ति अपना सारा दल बल लेकर आए हामिद की आनंद भरी चितवन उसका विध्वंस कर देगी।’-इस कथन के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि आशा का प्रकाश मनुष्य को विपरीत परिस्थितियों में भी निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है ?
उत्तर :
अमीना घर में कुछ न होने के कारण रो रही थी कि ईद कैसे मनेगी परन्तु हामिद को इन बातों की क्या चिंता उसे तो यह पता था कि उसके पिता बाहर गए हैं पैसा कमाने के लिए और माता भी अल्लाह के पास गई हैं ढेर सारी नेमतें लाने के लिए। हामिद के मन में किसी भी प्रकार की निराशा नहीं थी वह पूरी तरह आश्वस्त था। विपत्ति भला उस बालक का क्या बिगाड़ेगी, जिसको पता ही नहीं कि विपत्ति किस चीज़ का नाम है। हामिद ईद के दिन इतना प्रसन्न था कि यदि विपत्ति उसके पास आती भी तो वह उसका विनाश कर देता। हामिद की आशा उसको शक्ति प्रदान कर रही थी उसको देखकर ऐसा नहीं लगता था कि यह एक अनाथ बालक है। मनुष्य के मन में यदि आशा है तो वह उसके बल पर आगे बढ़ने की शक्ति संजो ही लेता है।

प्रश्न 3.
उन्हें क्या खबर थी कि चौधरी आज आँखें बदल ले तो यह सारी ईद मुर्रम हो जाए। इस कयन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
आशयः बच्चे दुनियादारी से बेखबर होते हैं। पैसा कहाँ से आता है ? किस प्रकार आता है ? उनको इससे कोई सरोकार नहीं। यदि चौधरी उधार न दे तो ईद कैसे मनेगी ? बच्चों को क्या पता कि बिना उधार मिले ईद की खुशियों की जगह मुहर्रम जैसा दुःखद माहौल हो जाएगा। उन बेचारों को दुनियादारी की इतनी खबर कहाँ है।

प्रश्न 4.
‘मानो श्रातृत्व का एक सूत्र इन समस्त आत्माओं को एक लड़ी में पिरोए हुए है।’ इस कथन के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि ‘धर्म तोड़ता नहीं जोड़ता है।’
उत्तर :
धर्म वही है जो परस्पर भाई चारा और सहयोग स्थापित करे। जो बातें आपस में नफरत की भावना फैलाती हैं तथा लोगों को लड़ाती हैं वे कभी धर्म नहीं कहला सकतीं। धर्म तो वही है जो लोगों को जोड़ने का कार्य करे। धर्म किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं देखता। भेदभाव मनुष्य अपने स्वार्थों के कारण पैदा करते हैं। धर्म अमीर-गरीब छोटे-बड़े संभी को जोड़ता है। धर्म हमें त्याग सिखाता है, धर्म प्यार फैलाता है नफरत नहीं। धर्म के मामले में कोई भी दीवार आड़े नहीं आती। सच पूछिए तो आदमी-आदमी के बीच जो धर्म के ठेकेदारों ने दीवार खड़ी कर रखी है वे वास्तव में धार्मिक नहीं बल्कि अधर्मी लोग हैं।

प्रश्न 5.
ईदगाह कहानी का औचित्य सिद्ध कीजिए। क्या इस कहानी को कोई अन्य शीर्षक दिया जा सकता है?
उत्तर :
‘ईदगाह’ कहानी की पूरी विषय वस्तु ईद के त्यौहार एवं ईद के मेले को लेकर है। शुरू से आखिर तक इस कहानी के तार ईद से ही जुड़े हैं। छोटे-छोटे बच्चे ईद के मेले में जाते हैं व वहाँ से मिठाइयाँ व खिलौने खरीदकर लाते हैं इसलिए इस कहानी का यह शीर्षक उचित ही है। इस कहानी के अन्य शीर्षक भी हो सकते हैं। यह कहानी हामिद को केन्द्र में रखकर लिखी गई है। हामिद चार वर्ष का अबोध बालक है। इस कहानी का शीर्षक ‘हामिद’ भी हो सकता है। इसके अतिरिक्त इस कहानी में हामिद को अनाथ दिखाया गया है। पता नहीं उस बच्चे के भाग्य में क्या है इसलिए इस कहानी का शीर्षक ‘नियति’ अथवा ‘अपना-अपना भाग्य’ भी हो सकता है। इस कहानी में ‘हामिद’ किसी भी बालक से कुछ नहीं लेता वह अपने ऊपर नियंत्रण रखता है उसका मन किसी भी चीज़ को देखकर नहीं ललचाता।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित गदांशों की सप्रसंग ब्याख्या कीजिए-
(क) कई बार यही क्रिया होती है ………. आत्माओं को एक लड़ी में पिरोए हुए है।
(ख) बुढ़िया का क्रोध ……… स्वाद से भरा हुआ।
उत्तर :
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश ‘मुंशी प्रेमचंद’ द्वारा रचित कहानी ईदगाह से लिया गया है। लेखक ने यहाँ ईदगाह के मैदान में नमाज अता कर रहे नमाजियों का सुन्दर चित्रण किया है।

ब्याख्या : लेखक कहता है कि ईदगाह में जब मौलवी द्वारा ईद की नमाज़ पढ़ाई जा रही थी तो वहाँ की संचालन व्यवस्था देखने लायक थी। नमाज़ियों के लाखों सिर एक साथ खुदा की इबादत के लिए नीचे झुक जाते थे फिर एक क्षण में ही सभी खड़े हो जाते थे। नमाज़ियों की ये क्रियाएँ स्वचालित-सी लग रही थीं। वे कभी एक साथ झुकते थे कभी एक साथ घुटनों के बल बैठ जाते थे। इस क्रिया की बार-बार पुनरावृत्ति होती रही। इनको देखकर ऐसा लगता था जैसे बिजली के लाखों बल्ब एक साथ जल-बुझ रहे हों। यही क्रम काफी देह तक चलता रहा। यह दृश्य मन को अभिभूत कर देने वाला था। इनकी सामूहिक क्रियाएँ हुदय को आनन्द प्रदान करने वाली थीं। भाईचारे का यह अनोखा दृश्य था जिसको देखकर आत्मा आनंदित ही उठी। ऐसा लगता था जैसे – भ्रातृत्व का एक सूत्र इन सभी आत्माओं को एक लड़ी में पिरोए हो।

(ख) प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश कथा सम्राट ‘मुंशी प्रेमचंद’ द्वारा रचित कहानी ‘ईंदगाह’ से अवतरित है। यहाँ उस घटना का उल्लेख है जब हामिद मेले से चिमटा लाकर अपनी बूढ़ी दादी को दिखाता है। दादी चिमटा देखकर हामिद पर क्रोधित होती है।

व्याख्या : हामिद अमीना से कहता है कि मैं चिमटा इसलिए लाया हूँ कि रोटी सेकते समय तुम्हारी अँगुलियाँ तवे से जल जाती थीं। अमीना ने अपराधी भाव से खड़े हामिद के मुँह से जब यह सुना तो उसका क्रोध स्नेह में बदल गया। यह स्नेह ऐसा नहीं था जिसको शब्दों में वर्णित किया जा सके। इस स्नेह को केवल अनुभव किया जा सकता था। इसमें कोई चतुराई नहीं थी यह स्वाभाविक स्नेह था। यह ऐसा स्नेह था जिसमें रस भी था और स्वाद भी। यह ऐसा ठोस स्नेह था जिसको व्यक्त करने के लिए शब्दों की आवश्यकता नहीं पड़ती, यह एक बूढ़ी दादी माँ का मूक स्नेह था। अमीना अपने मन में सोच रही थी कि इस नन्ही-सी जान में कितना त्याग, कितना सद्भाव और कितनी समझदारी है। जब दूसरे बच्चे खिलौने और मिठाइयाँ खरीद रहे होंगे तो इसने अपने आपको कैसे रोका होगा ? कितनी सहनशक्ति है इस छोटे-से बच्चे में ? वहाँ मेले में जाकर भी यह इस बूढ़ी दादी को नहीं भूला। अमीना का मन गद्गद् हो गया। उसके मुख से शब्द ऩहीं फूट रहे थे उसकी आँखें भर आई थीं।

प्रश्न 7.
हामिद ने चिमटे की उपयोगिता को सिद्ध करते हुए क्या-क्या तर्क दिए ?
उत्तर :
हामिद ने अपने चिमटे की उपयोगिता बताते हुए कहा कि अभी मैं इसको कंधे पर रखता हूँ तो यह बंदूक बन जाएगा। हाथ में लेने पर यह फकीरों का चिमटा हो जाता है जिससे मंजीरे का काम लिया जा सकता है। मेरा चिमटा बहादुर है यह आग में, पानी में, आँधी में तूफान में बराबर डटा रह सकता है। उसका चिमटा अजेय है, घातक है अगर शेर भी आ जाए तो यह रुस्तमे-हिंद लपककर शेर की गरदन पर सवार हो जाएगा और उसकी आँखें निकाल लेगा। मोहसिन ने जब यह तर्क दिया कि तुम्हारे चिमटे का मुँह रोज आग में जलेगा तो उसने कहा आग में कूदने का काम तो रुस्तमे-हिंद ही कर सकता है, तुम्हारे वकील और भिश्ती और सिपाही थोड़े ही कर सकते हैं। हामिद के इस तर्क से सभी बच्चे आश्चर्य चकित हो गए। उन सब ने मान लिया कि हामिद का चिमटा रुस्तमे हिन्द है।

प्रश्न 8.
गाँव से शहर जाने वाले रास्ते के मध्य पड़ने वाले स्थलों का ऐसा वर्णन प्रेमचंद ने किया है मानों आँखों के सामने चित्र उपस्थित हो रहा हो। अपने घर और विद्यालय के मध्य पड़ने वाले स्थानों का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तर :
हमारे गाँव में शहर की ओर जाते समय एक नदी पड़ती है, नदी के पार आम और अमरूद के बाग हैं। उन बागों में फलों की कोई न कोई फसल रहती ही है। आम की फसल के बाद अमरूद आ जाते हैं। अमरूद के बाद आलू-बुखारे और आडू की फसल आ जाती है। लड़के उन बागों से फल चुराने में अपनी बहादुरी समझते हैं अक्सर विद्यालय जाने वाले लड़के। वे रखवाले की नज़र बचाकर काम कर जाते हैं। थोड़ा आगे चलने के बाद खेल का मैदान आता है, उस मैदान में लड़के अक्सर क्रिकेट खेलते रहते हैं, वे जोर-जोर की आवाज़ करके चिल्लाते रहते हैं। थोड़ा आगे चलने के बाद एक विद्यालय है। यह विद्यालय चारों ओर बड़े-बड़े वृक्षों से घिरा हुआ है। इस विद्यालय में आम, अमरूद, नीम, कटहल आदि के पेड़ भी हैं। विद्यालय के साथ ही सिंचाई के लिए पानी की बड़ी नाली बहती रहती है जो नहर से निकल कर आगे खेतों को सींचती है। आम के वृक्षों पर कोयल मधुर आवाज में कूकती है। यहाँ मोर भी बहुत हैं जो इस पेड़ से उस पेड़ और घरों की मुंडेरों पर भी बैठे रहते हैं।

प्रश्न 9.
‘बच्चे हामिद ने बूढ़े हामिद का पार्ट खेला था। बुढ़िया अंमीना बालिका अमीना बन गई।’ इस कथन में ‘बूड़े हामिद’ और ‘बालिका अमीना’ से लेखक का क्या आशय है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
लेखक ‘हामिद को बूढ़ा’ व ‘अमीना को बालिका’ कहकर यह बताना चाहता है कि समझाने बुझाने का काम बड़े बू़ों का होता है। छोटी-छोटी बातें पर रोने-धोने का काम बच्चों का होता है। अमीना हामिद का त्याग और अपने प्रति उसका असीम प्यार देखकर फूट-फूटकर रोने लगी। अब हामिद उसको समझा रहा था ठीक एक बूढ़े की तरह कि दादी माँ रोओ मत। और अमीना थी कि छोटे-से बच्चे की तरह बिलख-बिलख कर रोए चली जा रही थी। दामन फैलाकर बह हामिद को दुआएँ देती जाती थी और आँसू की बड़ी-बड़ी बूँदें गिराती जाती थी।

प्रश्न 10.
‘दामन फैलाकर हामिद को दुआाएँ देती जाती थी और आँसू की बड़ी-बड़ी बूँदें गिराती जाती थी। हामिद इसका. रहस्य क्या समझता।’- लेखक के अनुसार हामिद अमीना की दुआओं और आँसुओं के रहस्य को समझ्न नहीं पाया ? कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
अमीना के रोने का कारण हामिद का अनाय होना था। अमीना को चिमटे वाली घटना के कारण अपना पुत्र और पुत्रवधू भी याद आ गए होंगे। उधर हामिद के कारण वह बहुत ही भावुक हो गई थी। हामिद तो स्वयं को दोषी मान रहा था कि मुझसे ही चिमटा खरीदने की गलती हुई और मेरे कारण ही दादी माँ रो रही है। जबकि उसके रोने का रहस्य तो कुछ और ही था। वह सोच रही थी कि इस बच्चे में कितना त्याग, सद्भाव और विवेक है। मेले में भी इसको अपनी बुढ़िया दादी की याद बनी रही। किसी चीज़ को देखकर इसका मन क्यों नहीं ललचाया ? इसने अपने को कैसे रोका होगा ? भला अमीना के रोने का रहस्य भोला-भाला बालक कैसे समझता!

प्रश्न 11.
हामिद के चरित्र की कोई तीन विशेषताएँ बताइए अथवा इस कहानी के किस पात्र ने आपको सर्वाधिक प्रभावित किया और क्यों ?
उत्तर :
इस कहानी में हामिद ही सबसे प्रभावशाली पात्र है। पूरी कहानी उसी के इर्द-गिर्द घूमती है। उसकी आयु केवल चार वर्ष है। उसके चेहरे से ही मासूमियत झलकती है। उसके चरित्र की विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
1. निर्भीक : हामिद निर्भीक है वह जब ईदगाह जाता है तो अपनी दादी को दिलासा देता हुआ कहता है-“तुम डरना नहीं अम्मा, मैं सबसे पहले आऊँगा।” बिल्कुल न डरना।
2. संयमी : हामिद बेहद संयमी बालक है। बाज़ार में जब वह मिठाइयों को देखता है तो वह उनको लेने के लिए उद्यत नहीं होता जबकि अन्य बच्चे मिठाइयाँ खा रहे थे। वह खिलौनों को देखकर भी उनकी ओर लालायित नहीं होता।
3. विवेकी एवं सहदयय : हामिद विवेकवान बालक है। उसकी जेब में केवल तीन पैसे हैं वह उन पैसों से अपने लिए कोई चीज़ नहीं खरीदता। उसको पता है कि उसकी बूढ़ी दादी की रोटी बनाते समय तवे पर अँगुलियाँ जल जाती हैं वह उसके लिए चिमटा खरीदता है। उसके हृदय में अपनी दादी के प्रति दया एवं करुणा का भाव है।
4. स्वाभिमानी : हामिद स्वाभिमानी है। उसकी उम्र चार वर्ष है। जब बच्चे खिलौने खरीदते हैं या मिठाई खाते हैं, वह किसी से कुछ नहीं लेता। उनके कहने पर भी वह लेने से मना कर देता है।

प्रश्न 12.
हामिद के अतिरिक्त इस कहानी के किस पात्र ने आपको सर्वाधिक प्रभावित किया और क्यों ?
उत्तर :
हामिद के अतिरिक्त इस कहानी का सर्वाधिक प्रभावी करने वाला पात्र है बूढ़ी अमीना 1 बूड़ी अमीना के दिल में न जाने कितने दुःख दफन हैं। उसके सामने ही उसका पुत्र व पुत्र वधू अल्लाह को प्यार हो गए परन्तु उसने हार नहीं मानी। बूढ़ी अमीना अपनी ममता की छाँह में अपने पौत्र हामिद का पालन करती है। वह हामिद को पूरा प्यार दुलार देती है। वह उसको यह महसूस नहीं होने देती कि वह अनाथ है। अमीना का चरित्र बहुत प्रभावशाली है।

प्रश्न 13.
बच्चों में लालच एवं एक-दूसरे से आगे निकल जाने की होड़ के साथ-साथ निश्छलता भी मौजूद होती है-कहानी से कोई दो प्रसंग चुनकर इस मत की पुष्टि कीजिए।
उत्तर :
बच्चों में एक दूसरे से आगे निकल जाने की होड़ तो रहती है परन्तु बच्चों के हृय एकदम निश्छल होते हैं। निम्न उदाहरणों के द्वारा इस मत की पुष्टि होती है :
जब उन बालकों के दो दल हो जाते हैं तो वे इस तरह बातें करते हैं-अगर कोई शेर आ जाए, तो मियाँ भिश्ती के छक्के छूट जाएँ। मियाँ सिपाही मिट्टी की बंदूक छोड़कर भागें। वकील साहब की नानी मर जाए, चोगे में मुँह छिपाकर ज़मीन पर लेट जाएँ। मगर यह चिमटा, यह बहादुर, यह रुस्तमे-हिंद लपककर शेर की गर्दन पर सवार हो जाएगा और उसकी आँखें निकाल लेगा।
मोहसिन ने एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाकर कहा-अच्छा, पानी तो नहीं भर सकता।
हामिद ने चिमटे को सीधा खड़ा करके कहा-भिश्ती को एक डाँट बताएगा, तो दौड़ा हुआ पानी लेकर उसके द्वार पर छिड़कने लगेगा।
मोहसिन परास्त हो गया; पर महमूद ने कुमक पहुँचाई-अगर बच्चा पकड़ा जाए तो अदालत में बैंधे-बैधे फिरंगे। तब तो वकील साहब के ही पैरों पड़ेंगे।
हामिद इस प्रबल तर्क का जवाब न दे सका। उसने पूछा- हमें पकड़ने कौन आएगा ?
नूरे ने अकड़कर कहा-यह सिपाही बंदूक वाला।
हामिद ने मुँह चिढ़ाकर कहा-ये बेचारे हम बहादुर रुस्तमे-हिंद को पकड़ेंगे। अच्छा लाओ, अभी ज़रा कुश्ती हो जाए। इसकी सूरत देखकर दूर से भागेंगे। पकड़ेंगे क्या बेचारे।
मोहसिन को एक नई चोट सूझ गई। तुम्हारे चिमटे का मुँह रोज आग में जलेगा।
उसने समझा था कि हामिद लाजवाब हो जाएगा; लेकिन यह बात न हुई। हामिद ने तुरन्त जवाब दिया-आग में बहादुर ही कूदते हैं जनाब, तुम्हारे ये वकील, सिपाही और भिश्ती घर में घुस कर बैठ जाएँगे। आग में कूदना वह काम है, जो रुस्तमे-हिंद ही कर सकता है। थोड़ी देर की बहस के बाद फिर सब बच्चे एक हो जाते हैं। संधि की शर्त तय होने लगी। मोहसिन ने कहा-ज़रा अपना चिमटा दो, हम भी देखें, तुम हमारा भिश्ती लेकर देखो। महमूद और नूरे ने भी अपने-अपने खिलौने पेश किए।
हामिद को इन शर्तों के मानने में कोई आपत्ति न थी। चिमटा बारी-बारी से सबके हाथ में गया; और उनके खिलौने बारी-बारी से हामिद के हाथ में आए। कितने खूबसूरत खिलौने हैं।
हामिद ने हारने वाले के आँसू पोंछे–ैंतुम्हें चिढ़ा रहा था, सच। यह लोहे का चिमटा भला इन खिलौनों की क्या बराबरी करेगा; मालूम होता है, अब बोले, अब बोले।
लेकिन मोहसिन की पार्टी को इस दिलासे से संतोष नहीं होता। चिमटे का सिक्का खूब बैठ गया है। चिपका हुआ टिकट अब पानी से नहीं छूट रहा है।

प्रश्न 14.
प्रेमचंद की भाषा बुत सजीव, मुहावरेदार और बोलचाल के निकट है। कहानी के आधार पर इस कथन की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
उत्तर :
प्रस्तुत कहानी बाल मनोविज्ञान की कहानी है। प्रेमचंद की भाषा में लगता है कि वे बाल मनोविज्ञान के बहुत बड़े पारखी थे। उन्होंने छोटे-छोटे लड़कों के मन के भावों को सुंदर शैली में अभिव्यक्त किया है। प्रेमचंद भाव एवं अनुभूतियों की भाँति भाषा के भी सम्राट थे। उनकी भाषा पात्रानुकूल भाषा है। उनकी भाषा कथ्य को प्रभावशाली ढंग से संप्रेषित करने वाली है। प्रेमचंद की भाषा बहुत ही सरल एवं सहज होती है। यही कारण है कि पाठक अपने को कहानी के साथ किसी ऩ किसी रूप में जुड़ा पाते हैं। उनकी भाषा मुहावरेदार होती है लिससे भाषा रोचक बन जाती है। ईदगाह कहानी में आए कुछ मुहावरे इस प्रकार हैं : सारी ईद मुहरम होना, कुबेर का धन भरा होना, अरमान निकालना, दिल कचोटना, बेड़ा पार लगाना, मुँह ताकना, छाती पीटना आदि।

प्रेमचंद की भाषा उर्दू के बहुत नजदीक है उसमें सरलता और सजीवता के साथ-साथ अलंकारिकता, चित्रोपमता और अभिनयात्मकता भी है। ईदगाह के संवाद बहुत ही रोचक हैं। संवाद के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं : दुकानदार ने हामिद की ओर देखते हुए कहा कि यह चिमटा तुम्हारे काम का नहीं है। ‘बिकाऊ है कि नहीं।’
‘बिकाऊ क्यों नहीं है। और यहाँ क्यों लादे लाए हैं ?’
‘तो बताते क्यों नहीं कै पैसे का है ?’
‘छह पैसे लगेंगे।’
इसी प्रकार चिमटा खरीदने पर हामिद के अपने साथियों के साथ संबाद बहुत ही रोचक एवं चुटीले हैं।

योग्यता-विस्तार –

प्रश्न 1.
प्रेमचंद की कहानियों का संग्रह ‘मानसरोबर’ के नाम से आठ भागों में प्रकाशित है। अपने पुस्तकालय से उसे लेकर पढ़िए।
प्रश्न 2.
इस कहानी में लोक प्रचलित मुहावरों की भरमार है, जैसे-नानी मरना, छक्के छूटना आदि। इसमें आए मुहावरों की एक सूची तैयार कीजिए।
उत्तर :
इस कहानी में आए मुहावरे इस प्रकार हैं-

  1. सारी ईद मुहर्रम होना
  2. कुबेर का धन भरा होना
  3. अरमान निकालना
  4. दिल कचोटना
  5. बेड़ा पार लगाना
  6. मुँह चुराना
  7. तीन कौड़ी के
  8. काम से जी चुराना
  9. तूफान में डटे रहना
  10. एड़ी चोटी का जोर लगाना
  11. मुँह ताकना
  12. मैदान मारना
  13. रंग जमाना
  14. आँसू पोंछना
  15. मुँह ताकना
  16. छाती पीटना
  17. गद्गयद् होना

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प्रश्न 1.
हामिद की दादी अमीना का दिल क्यों कचोट रहा था ?
उत्तर :
हामिद भी मेले में जाने को कहता था। भला यह नन्हीं-सी.जान तीन कोस नंगे पैर पैदल कैसे चलेगा। मैं साथ जाती तो इसे कुछ देर के लिए गोदी में तो उठा लेती। इसके पास तो जूते भी नहीं हैं। मैं चली गई तो यहाँ सेवैयां कौन पकाएगा ? ैैसे होते तो लौटते-लौटते सब सामान लाकर के चटपट बना लेती। यहाँ तो घंटों चीज़ें जमा करने में लगेंगे। माँगे ही का भरोसा ठहरा।

प्रश्न 2.
अमीना की गरीबी का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर :
अमीना बहुत ही गरीब है। उसके घर में कमाने वाला कोई नहीं है। उसका एक पोता है जिसकी आयु केवल चार-पाँच साल है। अमीना का पुत्र तथा पुत्रवधू दोनों ही अल्लाह को प्यारे हो चुके हैं। अमीना इस बुढ़पे में क्या करे। वह कपड़े सिलकर जैसे-तैसे अपना व हामिद का पेट भरती है। ईद के दिन भी उसके घर में कुछ नहीं है। हामिद के लिए नए कपड़े तो दूर की बात उसके पैर में जूते तक भी नहीं हैं।

प्रश्न 3.
मेले से बच्चों ने क्या-क्या खरीदा ?
उत्तर :
मेले से महमूद ने खाकी वर्दी और लाल पगड़ी वाला सिपाही खरीदा। मोहसिन को भिश्ती पसंद आया जिसकी कमर झुकी हुई थी। नूरे को वकील से प्रेम था इसलिए उसने काला चोगा, नीचे सफेद अचकन पहने हाथ में कानून का पोथा लिए वकील खरीदा। हामिद ने अपनी दादी के लिए चिमटा खरीदा।

प्रश्न 4.
हामिद ने मेले से कुछ और न लेकर चिमटा ही क्यों खरीदा ?
उत्तर :
हामिद की दृष्टि में चिमटा सबसे उपयुक्त था। वह रोज़ देखता था कि जब उसकी दादी रोटी बनाती है तो उसके हाथ जल जाते हैं। अब उसके हाथ नहीं जलेंगे इसलिए हामिद ने चिमटा ही खरीदा।

प्रश्न 5.
हामिद बच्चा था मिठाई और खिलौनों को देखकर उसका मन भी मचलता था परन्तु उसने मिठाई और खिलौने क्यों नहीं लिए।
उत्तर :
हामिद के पास केवल तीन पैसे थे। तीन पैसे में वह मिठाई और खिलौने कैसे खरीदता। वह तीन पैसे की कोई उपयोगी वस्तु खरीदना चाहता था। उसने चिमटा पसंद किया।

प्रश्न 6.
जब बच्चे मिठाइयाँ खरीद रहे बे तो हामिद क्या सोच रहा था ?
उत्तर :
हामिद सोच रहा था देखो सब कितने लालची हैं। इतनी मिठाइयाँ लीं मुझे किसी ने एक भी न दी। खाएँ मिठाइयाँ, आप मुँह सड़ेगा, फोड़े फुंसियाँ निकलेंगी, आप की जबान चटोरी हो जाएगी। तब घर के पैसे चुराएँगे और मार खाएंगे। किताब में झूठी बातें थोड़े ही लिखी हैं। मेरी जबान क्यों खराब होगी। अम्मा चिमटा देखते ही दौड़कर मेरे हाथ से ले लेगी और कहेगी-मेरा बच्चा अम्मा के लिए चिमटा लाया है। हजारों दुआएँ देगी। बड़ों की दुआएँ सीधे अल्लाह के दरबार में पहुँचती हैं।

प्रश्न 7.
हामिद और दुकानदार के बीच हुए संबाद को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
हामिद अपने साधियों के साथ चला जा रहा था एक लोहे की दुकान पर जाकर वह ठिठक गया-

  • दुकानदार – क्या देखते हो ? यहाँ तुम्हारे काम की कोई चीज़ नहीं है।
  • हामिद – यह चिमटा कितने का है ?
  • दुकानदार – चिमटा तुम्हारे काम का नहीं है।
  • हामिद – क्यों नहीं है ? क्या तुम्हें इसे बेचना नहीं है ?
  • दुकानदार – बेचने के लिए ही तो इतनी दूर से लाया हूँ।
  • हामिद – कितने पैसे का है ?
  • दुकानदार – छह पैसे का।
  • हामिद – कुछ कम नहीं करोगे ?
  • दुकानदार – पाँच पैसे से कम बिल्कुल भी नहीं।
  • हामिद – तीन पैसे ले लो।
  • दुकानदार – तीन पैसे में कहीं चिमटा आता है।
  • हामिद – मेरे पास केवल तीन ही पैसे हैं।
  • दुकानदार – अच्छा ले जा।
  • हामिद – आपका बहुत-बहुत शुक्रिया।

प्रश्न 8.
हामिद के हाथ में चिमटा देखकर अमीना को कैसा लगा ?
उत्तर :
जब अमीना ने हामिद के हाथ में चिमटा देखा तो वह चौंक गई। उसने हामिद से पूछा कि यह चिमटा तू कहाँ से लाया ? हामिद ने कहा कि मैंने मोल लिया है। अमीना ने छाती पीट ली कि यह कैसा नासमझ लड़का है। दोपहर हो गई न कुछ खाया न पिया। मेले से यह चिमटा खरीद लाया।

प्रश्न 9.
हामिद के यह कहने पर कि तुम्हारी अंगुलियाँ तवे से जल जाती थीं, इसलिए मैंने इसे लिया है। अमीना का मन गद्गयद क्यों हो गया ?
उत्तर :
हामिद की यह बात सुनकर अमीना का क्रोध स्नेह में बदल गया। यह स्नेह कोई ऐसा-वैसा स्नेह नहीं था। वह मूक स्नेह था, खूब ठोस रस और स्वाद से भरा हुआ। इसे वहाँ भी अपनी दादी की याद रही। क्या मिठाइयाँ देखकर इसका मन नहीं ललचाया। अमीना का मन हामिद के इस त्याग को देखकर गद्गद् हो गया।

प्रश्न 10.
हामिद ने बूड़े हामिद का पार्ट खेला था। अमीना बच्ची बन गई थी। यह सब किस प्रकार हुआ ?
उत्तर :
अमीना हामिद का त्याग और अपने प्रति उसका असीम प्यार देखकर फूट-फूटकर रोने लगी। अब हामिद उसको समझा रहा था ठीक एक बूढ़े की तरह कि दादी माँ रोओ मत। और अमीना थी कि छोटे-से बच्चे की तरह बिलख-बिलख कर रोए चली जा रही थी। दामन फैलाकर वह हामिद को दुआएँ देती जाती थी और आँसू की बड़ी-बड़ी बूँदें गिराती जाती थी।

प्रश्न 11.
इस कहानी की प्रमुख घटनाओं के आधार पर ‘ईदगाह’ कहानी का कोई और शीर्षक दिया जा सकता है ?
उत्तर :
इस कहानी के अन्य शीर्षक भी हो सकते हैं। यह कहानी हामिद को केन्द्र में रखकर लिखी गई है। हामिद चार वर्ष का अबोध बालक है। इस कहानी का शीर्षक ‘हामिद’ भी हो सकता है। इसके अतिरिक्त इस कहानी में हामिद को अनाथ दिखाया गया है। पता नहीं उस बच्चे के भाग्य में क्या है इसलिए इस कहानी का शीर्षक ‘नियति’ अथवा ‘अपना-अपना भाग्य’ भी हो सकता है। इस कहानी में ‘हामिद’ किसी भी बालक से कुछ नहीं लेता वह अपने ऊपर नियंत्रण रखता है उसका मन किसी भी चीज़ को देखकर नहीं ललचाता।

प्रश्न 12.
‘बुढ़िया अमीना बालिका अमीना बन गई’-ऐसा क्यों कहा गया है ?
उत्तर :
हामिद मेले से चिमटा खरीद कर लाया था। उसकी बूढ़ी दादी अमीना को दुःख हुआ कि मैंने इसे तीन पैसे इस लिए दिए थे ताकि यह मेले से कुछ लेकर खा सके। हामिद ने जब अपनी दादी को बताया कि रोटी बनाते समय तुम्हारी अँगुलियाँ जल जाती थीं अमीना यह सुनकर गद्गयद हो गई । उसने सोचा इस छोटी-सी उम्र में यह कितना समझदार हो गया। बच्चे मेले में जाकर खाते-पीते हैं लेकिन इसे मेले में भी मेरी ही याद रही। क्या इसका मन मिठाइयों को देखकर नहीं ललचाया। अमीना यह जानकर इतनी भावुक हो गई कि बच्चों की तरह फूट-फूट कर रोने लगी।

प्रश्न 13.
इस कहानी में बच्चों के मध्य दिलचस्प वार्तालाप दिया गया है। उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
जब रास्ते में बड़ी-बड़ी इमारतें आई तो वे बोले इनमें लड़के पढ़ते हैं। दूसरा बोला लड़के नहीं बड़े-बड़े आदमी पढ़ते हैं बड़ी-बड़ी मूछों वाले, पता नहीं इतने कहाँ रहे। शाम को साहब यहाँ खेलते हैं उनके साथ उनकी मेमें भी खेलती हैं।
आगे चलकर हलवाइयों की दुकानें आई तो उनको देखकर एक बोला इतनी मिठाइयों को कौन खाता होगा ? एक-एक दुकान पर मनों मिठाइयाँ रखी हैं। सुना है रात को इन दुकानों पर जिन्न आते हैं और पैसे देकर सारी मिठाई तुलवा ले जाते हैं। जिन्नों के पास पैसे कहाँ से आते हैं ? जिन्नों के पास पैसे की क्या कमी जिस खजाने में घुस जाएँ पैसा ही पैसा।

  • मोहसिन – अच्छा, अबकी ज़रूर देंगे हामिद, अल्ला कसम, ले जाव।
  • हामिद – रखे रहो। क्या मेंरे पास पैसे नहीं हैं ?
  • सम्मी – तीन ही पैसे तो हैं। तीन पैसे में क्या-क्या लोगे ?
  • महमूद – हमसे गुलाबजामुन ले जाव हामिद। मोहसिन बदमाश है।
  • हामिद – मिठाई कौन बड़ी नेमत है? किताब में इसकी कितनी बुराइयाँ लिखी हैं।
  • मोहसिन – लेकिन दिल में कह रहे होंगे कि मिले तो खा लें। अपने पैसे क्यों नहीं निकालते ?
  • महमूद – हम समझते हैं इसकी चालाकी। जब हमारे सारे पैसे खर्च हो जाएँगे, तो हमें ललचा ललचाकर खाएगा।

प्रश्न 14.
गाँव से शहर जाने वाले रास्ते के मध्य पड़ने वाले स्थलों का ऐसा वर्णन प्रेमचंद ने किया है मानों आँखों के सामने चित्र उपस्थित हो रहा हो। अपने घर और विद्यालय के मध्य पड़ने वाले स्थानों का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तर :
हमारे गाँव से शहर की ओर जाते समय एक नदी पड़ती है, नदी के पार आम और अमरूद के बाग हैं। उन बागों में फलों की कोई न कोई फसल रहती ही है। आम की फसल के बाद अमरूद आ जाते हैं। अमरूद के बाद आलू-बुखारे और आडू की फसल आ जाती है। लड़के उन बागों से फल चुराने में अपनी बहादुरी समझते हैं अक्सर विद्यालय जाने वाले लड़के। वे रखवाले की नज़र बचाकर काम कर जाते हैं। थोड़ा आगे चलने के बाद खेल का मैदान आता है, उस मैदान में लड़के अक्सर क्रिकेट खेलते रहते हैं, वे जोर-जोर की आवाज करके चिल्लाते रहते हैं।

थोड़ा आगे चलने के बाद एक विद्यालय है। यह विद्यालय चारों ओर से बड़े-बड़े वृक्षों से घिरा हुआ है। इस विद्यालय में आम, अमरूद, नीम, कटहल आदि के पेड़ भी हैं। विद्यालय के साथ ही सिंचाई के लिए पानी की बड़ी नाली बहती रहती है जो नहर से निकल कर आगे खेतों को सींचती है। आम के वृक्षों पर कोयल मधुर आवाज में कूकती है। यहाँ मोर भी बहुत हैं जो इस पेड़ से उस पेड़ और घरों की मुंडेरों पर भी बैठे रहते हैं।

11th Class Hindi Book Antra Questions and Answers