Chetak Ki Veerta Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 11

Class 6 Hindi Malhar Chapter 11 Chetak Ki Veerta Question Answer चेतक की वीरता

चेतक की वीरता Question Answer Class 6

कक्षा 6 हिंदी पाठ 11 चेतक की वीरता कविता के प्रश्न उत्तर – Chetak Ki Veerta Class 6 Question Answer

पाठ से

मेरी समझ से 

अब हम इस कविता पर विस्तार से चर्चा करेंगे। आगे दी गई गतिविधियाँ इस कार्य में आपकी सहायता करेंगी।
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (*) बनाइए
(i) चेतक शत्रुओं की सेना पर किस प्रकार टूट पड़ता था?

  • चेतक बादल की तरह शत्रु की सेना पर वज्रपात बनकर टूट पड़ता था।
  • चेतक शत्रु की सेना को चारों ओर से घेरकर उस पर टूट पड़ता था।
  • चेतक हाथियों के दल के समान बादल के रूप में शत्रु की सेना पर टूट पड़ता था। (*)
  • चेतक नदी के उफान के समान शत्रु की सेना पर टूट पड़ता था।

(ii) ‘लेकर सवार उड़ जाता था’ इस पंक्ति में ‘सवार’ शब्द किसके लिए आया है?

  • चेतक
  • महाराणा प्रताप (*)
  • कवि
  • शत्रु

(ख) अब अपने मित्रों के साथ तर्कपूर्ण चर्चा कीजिए कि आपने ये ही उत्तर क्यों चु
उत्तर :
चेतक हाथियों के दल के समान बादल के रूप में शत्रु की सेना पर टूट पड़ता था। ‘लेकर सवार उड़ जाता था।’ इस पंक्ति में सवार महाराणा प्रताप के लिए प्रयुक्त हुआ है। मेरे अनुसार, उपर्युक्त दोनों प्रश्नों के उत्तर सटीक हैं, क्योंकि कविता में बताया गया है कि महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक वीर, निर्भीक व साहसी था, जो महाराणा प्रताप के इशारों पर तीव्रता से सवार लेकर उड़ जाता था।

पंक्तियों पर चर्चा

पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें पढ़कर समाशए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? कक्षा में अपने विचार साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।
(क) “निर्भींक गया वह ढालों में, सरपट दौड़ा करवालों में।”
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति में चेतक की वीरता और साहस की बात की गई है। वह बिना किसी डर के युद्ध में दुश्मनों का सामना करने के लिए तलवारों और ढालों के बीच में जाकर उन पर प्रहार करता है और तेजी से बाधाओं में फँसने के उपरांत भी वह निकल जाता है।
इस प्रकार इन पंक्तियों में चेतक की निडरता, साहस और युद्ध में उसकी अद्वितीय गति और कौशल को दर्शाया गया है।.

(ख) “भाला गिर गया, गिरा निषंग, हय-टापों से खन गया अंग।”
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति में बताया गया है कि युद्ध के दौरान चेतक ने अपनी वीरता का प्रदर्शन किया। युद्ध में भाले और तलवारें चल रहीं थीं, जिससे युद्ध की स्थिति बहुत ही उम्र और भयंकर थी! चेतक ने इतने भाले और तलवारों का सामना किया कि वे गिरने लगे। चेतक की टापों से शत्रुओं के अंगों में चोट लग गईं, जिससे दुश्मन पूरी तरह से घायल हो गए तथा उनके भाले और तरकस जमीन पर गिर गए।

मिलकर करें मिलान

कविता में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही भावार्थ से मिलाइए। इसक लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।

Chetak Ki Veerta Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 11 3

पंक्तियाँ भावार्थ
1. राणा प्रताप के घोड़े से पड़ गया हवा को पाला था। (i) शत्रु की सेना पर भयानक बज्रमय बादल बनकर टूट पड़ता और शत्रुओं का नाश करता।
2. वह दौड़ रहा अरि-मस्तक पर, या आसमान पर घोड़ा था। (ii) हवा से भी तेज दौड़ने वाला चेतक ऐसे दौड़ लगा रहा था मानो हवा और चेतक में प्रतियोगिता हो रही हो।
3. जो तनिक हवा से बाग हिली लेकर सवार उड जाता था। (iii) शत्रुओं के सिर के ऊपर से होता हुआ एक छोर से दूसरे छोर पर ऐसे दौड़ता जैसे आसमान में दौड़ रहा हो।
4. राप्पा की पुतली फिरी नहीं, तब तक चेतक मुड़ जाता था। (iv) चेतक की फुत्तं ऐसी कि लगाम के थोड़ा-सा हिलते ही सरपट हवा में उड़ने लगता था।
5. विकराल बज्र-मय बादल-सा अरि की सेना पर घहर गया। (v) वह राणा की पूरी निगाह मुडने से पहले ही उस ओर मुड़ जाता अर्थात् वह उनका भाव समझ जाता था।

उत्तर :

पंक्तियाँ भावार्थ
1. राणा प्रताप के घोड़े से पड़ गया हवा को पाला था। (ii) हवा से भी तेज दौड़ने वाला चेतक ऐसे दौड़ लगा रहा था मानो हवा और चेतक में प्रतियोगिता हो रही हो।
2. वह दौड़ रहा अरि-मस्तक पर, या आसमान पर घोड़ा था। (iii) शत्रुओं के सिर के ऊपर से होता हुआ एक छोर से दूसरे छोर पर ऐसे दौड़ता जैसे आसमान में दौड़ रहा हो।
3. जो तनिक हवा से बाग हिली लेकर सवार उड जाता था। (iv) चेतक की फुत्तं ऐसी कि लगाम के थोड़ा-सा हिलते ही सरपट हवा में उड़ने लगता था।
4. राप्पा की पुतली फिरी नहीं, तब तक चेतक मुड़ जाता था। (v) वह राणा की पूरी निगाह मुडने से पहले ही उस ओर मुड़ जाता अर्थात् वह उनका भाव समझ जाता था।
5. विकराल बज्र-मय बादल-सा अरि की सेना पर घहर गया। (i) शत्रु की सेना पर भयानक बज्रमय बादल बनकर टूट पड़ता और शत्रुओं का नाश करता।

शीर्षक

यह कविता ‘हल्दीघाटी’ शीर्षक काव्य कृति का एक अंश है। यहाँ इसका शीर्षक ‘चेतक की वीरता’ दिया गया है। आप इसे क्या शीर्षक देना चाहेंगे और क्यों?
उत्तर :
मैं इस कविता को ‘रणभूमि का शूरखीर चेतक’ शीर्षक देना चाहूँगा, क्योंकि कविता में चेतक की वीरता और उसकी युद्धक्ता को केंद्र में रखा गया है। कविता में जिस प्रकार चेतक रणभूमि में अपने अद्वितीय साहस और शौर्य का प्रदर्शन करता है, उससे वह केवल एक घोड़ा नहीं, बल्कि रणभूमि का सच्चा शूरवीर बन जाता है। अत: यह शीर्षक उसकी अद्वितीय वीरता और रणभूमि में उसके अपार योगदान को सही रूप में प्रस्तुत करता है।

कविता की रचना

“चेतक बन गया निराला था।”
“पड़ गया हवा को पाला था।”
“राणा प्रताप का कोड़ा था।”
“या आसमान पर घोड़ा था।

रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए। ये शब्द बोलने-लिखने में थोड़े मिलते-जुलते हैं। इस तरह की तुकांत शैली प्राय: कविता में आती है। कभी-कभी कविता अतुकांत भी होती है। इस कविता में आए तुकांत शब्दों की सूची बनाइए।
उत्तर :
तुकांत शब्दों की सूची

“निराला था-पाला था”
“कोड़ा था-घोड़ा था”
“उड़ जाता था-मुड़ जाता था”
“चालों में-भालों में-बालों में-करवालों में”
“यहाँ नहीं-वहाँ नहीी-कहाँ नहीं-जहाँ नही” ‘
“लहर गया-ठहर गया-घहर गया”
“निषंग-अंग-दंग-रंग”

शब्द के भीतर शब्द

“या आसमान का घोड़ा था।”
‘आसमान’ शब्द के भीतर कौन-कौन से शब्द छिपे हैं- आस, समान, मान, सम, आन, नस आदि।
अब इसी प्रकार कविता में से कोई पाँच शब्द चुनकर उनके भीतर के शब्द खोजिए।
उत्तर :
करवाल कर, करवा, रवा, वाल, कल
समाज सम, आज, जमा, समा
बादल बाद, दल, बाल, दबा
दिखलाया दिला, दिया, लाया, दिख, लाख
सरपट सर, रपट, पट, रस, टस, पर, परस

पाठ से आगे

आपकी बात

“जो तनिक हवा से बाग हिली
लेकर सवार उड़ जाता था।”

(क) ‘हवा से लगाम हिली और घोड़ा भाग चला’ कविता को प्रभावशाली बनाने में इस तरह के प्रयोग काम आते हैं। कविता में आए ऐसे प्रयोग खोजकर परस्पर बातचीत करें।
उत्तर :
कविता में ऐसे कई प्रभावशाली प्रयोग हैं, जो इसे अधिक सजीव और वर्णनात्मक बनाते हैं। कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं

“रण-बीच चौकड़ी भर-भरकर चेतक बन गया निराला था।”
“गिरता न कभी चेतक-तन पर राणा प्रताप का कोड़ा था।”
“वह दौड़ रहा अरि-मस्तक पर या आसमान पर होड़ा धा।”
“बढ़ते नद ;सा वह लहर गया, वह फिर ठहर गया।”
“विकराल बत्र-मय बादल-सा अरि की सेना पर घहर गया।”

(ख) कहीं भी, किसी भी तरह का युद्ध नहीं होना चाहिए। इस पर आपस में बात कीजिए।
उत्तर :
कहीं भी, किसी भी तरह का युद्ध नहीं होना चाहिए। युद्ध में दो या दो से अधिक देश या समूह अर्थात् विरोधी पक्ष एक-दूसरे के विरुद्ध लड़ते हैं।
युद्ध में लोग घायल होते हैं और अपनी जान गँवाते हैं। इस तरह की हिंसा से किसी को भी लाभ नहीं होता है, बल्कि इससे बहुत सारी समस्याएँ पैदा होती हैं।
युद्ध के कारण न केवल सैनिक, बल्कि आम लोग भी बहुत तकलीफ झेलते हैं। इससे शहर और गाँव नष्ट हो जाते हैं, जिससे उन्हें फिर से बसाने में सालों लग जाते हैं। युद्ध के स्थान पर लोगों को आपस में बातचीत करनी चाहिए और समस्याओं को शांतिपूर्ण तरीके से हल करना चाहिए।
युद्ध के बिना ही दुनिया का विकास संभव है। इसलिए हमें हमेशा यह कोशिश करनी चाहिए कि कभी भी, कहीं भी युद्ध की स्थिति उत्पन्न न हो। हमें आपस में प्यार, दोस्ती और समझदारी से रहना चाहिए। इससे ही हम सभी एक बेहतर और खुशहाल दुनिया बना सकते है।

समानार्थी शब्द 

कुछ शब्द समान अर्थ वाले होते हैं; जैसे- हय, अश्व और घोड़ा। इन्हें समानार्थी शब्द कहते हैं।
यहाँ पर दिए गए शब्दों से उस शब्द पर घेरा बनाइए जो समानार्थी न हों

Chetak Ki Veerta Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 11 4

  1. हवा अनल पवन बयार
  2. रण तुरंग युद्ध समर
  3. आसमान आकाश गगन नभचर
  4. नद नाद सरिता तटिनी
  5. करवाल तलवार असि ढाल

उत्तर :

  1. अनलं
  2. तुरंग
  3. नभचर
  4. नाद
  5. ढाल

आज की पहेली

बूझो तो जानें  –

तीन अक्षर का मेरा नाम, उल्टा सीधा एकसमान।
दिन में जगता, रात में सोता, यही मेरी पहचान।
उत्तर :
नयन

एक पक्षी ऐसा अलबेला, बिना पंख उड़ रहा अकेला। बाँध गले में लंबी डोर, पकड़ रहा अंबर का छोर।
उत्तर :
पतंग

रात में हूँ दिन में नहीं, दीये के नीचे हूँ ऊपर नहीं बोलो, बोलो- मैं हूँ कौन?
उत्तर :
छाया

मुझमें समारात फल, फूल और मिठाई सबके मुँह में आया पानी मेरे भाई।
उत्तर :
गुलाब जामुन।

सड़क है पर गाड़ी नहीं, जंगल है पर पेड़ नहीं शहर है पर घर नहीं, समंदर है पर पानी नहीं।
उत्तर :
मारचित्र

खोजबीन के लिए

प्रश्न 1.
महाराणा प्रताप कौन थे? उनके बारे में इंटरनेट या पुस्तकालय से जानकारी प्राप्त करके लिखिए।
उत्तर :
महाराणा प्रताप भारतीय इतिहास के एक प्रमुख और सम्माननीय योद्धा थे। उन्होने राजस्थान के मेवाड़ राज्य की रक्षा के लिए अपने जीवन को समर्पिंत कर दिया था। वे मेवाड़ के महान शासक और वीर योद्धा के रूप में प्रसिद्ध हैं। उनकी कहानी भारतीय वीरता और धैर्य की एक आदर्श मिसाल है।
महाराणा प्रताप का जन्म 1540 ई. में कुम्भलगढ़ किले में हुआ था। वे राणा उदयसिह द्वितीय के पुत्र थे और मेवाड़ के राजधराने से संबंधित थे। जब महाराणा प्रताप के पिता का निधन हुआ, तो वे 1572 ई. में मेवाड़ के सिहासन पर विराजमान हुए। इस समय तक अकबर ने भारतीय उपमहाद्वीप के बड़े हिस्से पर विजय प्राप्त कर ली थी। वह मेवाड़ को भी अपने अधीन करना चाहता था।

महाराणा प्रताप ने अकबर के साम्राज्य के खिलाफ युद्ध लड़ने का निश्चय किया। उन्होने मुगुल साप्राज्य के साथ किसी भी प्रकार की संधि करने से इनकार कर दिया। वे अपने राज्य की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित रहे। उनके नेतृत्व में मेवाड़ ने कई महत्त्वपूर्ण युद्ध लडे। इन युद्धों में सबसे प्रसिद्ध ‘हल्दीघाटी की लड़ाई’ (1576 ई.) है। इस लड़ाई में महाराणा प्रताप और अकबर के सेनापति मार्नसिह के बीच भीषण संघर्ष हुआ था। इस युद्ध में महाराणा प्रताप की हार हुई, फिर भी वे अपने आत्मसम्मान और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए दृढ़ रहे।

महाराणा प्रताप का जीवन कठिनाइयों और संघर्षों से भरा था। उन्होंने संघर्ष के दौरान जंगलों में निवास किया और अपनी सेना के साथ मिलकर मेवाड़ की भूमि की रक्षा की। उन्होंने कभी भी अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उनकी पहचान बनी। महाराणा प्रताप का जीवन धैर्य, साहस और संकल्प का प्रतीक है। उनके अदम्य साहस और वीरता ने उन्हें भारतीय इतिहास में एक अमिट स्थान दिलाया। वे केवल एक शासक ही नहीं थे, बल्कि एक महान योद्धा और राष्ट्राप्रेमी भी थे। उन्होने अपने समर्पण और बलिदान से एक सशक्त और प्रेरणादायक छवि बनाई। उनके आदर्श और संघर्ष की गाथाएँ आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं।

प्रश्न 2.
इस कविता में चेतक एक ‘घोड़ा’ है। पशु-पक्षियों पर आधारित पाँच रचनाओं को खोजिए और अपनी कक्षा की दीवार-पत्रिका पर लगाइए।
उत्तर :
छात्र स्वयं करें।

चेतक की वीरता Class 6 Summary Explanation in Hindi

‘चेतक की वीरता’ कविता में महाराणा प्रताप के प्रिय घोड़े चेतक के अद्वितीय पराक्रम और वीरता का वर्णन किया गया है। महाराणा प्रताप का चेतक एक अद्वितीय घोड़ा था, जिसका कौशल उसे सामान्य घोड़ों से अलग बनाता था। कविता में चेतक की बहादुरी और तेजस्विता को उजागर किया गया है, जो युद्ध के मैदान में हवा से भी तीव्र गति, फुतीं और साहस के लिए प्रसिद्ध था। चेतक रणभूमि में बड़ी तेजी से दौड़ता था।

Chetak Ki Veerta Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 11 1

उसकी गति इतनी तेज़ थी कि राणा प्रताप का कोड़ा कभी उसके शरीर पर नहीं पड़ता था। चेतक राणा प्रताप की हर आज्ञा का पालन करता था। राणा की पुतली का हल्का-सा भी संकेत पाते ही चेतक तुरंत मुड़ जाता था। उसकी चालों में ऐसी चपलता (तीव्रता) थी कि वह भयंकर भालों व तलवारों के बीच से भी निकल जाता था और ढालों के बीच भी निर्भीक होकर चलता था।

Chetak Ki Veerta Class 6 Question Answer Hindi Malhar Chapter 11 2
चेतक के दौड़ने का कोई निश्चित स्थान नहीं था। उसका प्रचंड पराक्रम ऐसा था कि वह विकराल बादल होकर शत्रुओं की सेना पर छा जाता था। चेतक के प्रहार से भाला गिर जाता, निषंग (धनुप की डोरी) दूट जाती थी। शत्रु समाज चेतक के इस अद्वितीय रंग और पराक्रम को देखकर हक्का-बक्का रह जाता था। चेतक केवल एक घोड़ा नहीं था, बल्कि वह महाराणा प्रताप के पराक्रम और गौरव का प्रतीक था। उसकी वीरता और उसके अद्वितीय गुणों ने उसे इतिहास में अमर बना दिया है।

काव्यांशों की विस्तृत व्याख्या

काव्यांश 1

रण-बीच चौकड़ी भर-भरकर
चेतक बन गया निराला था।
राणा प्रताप के घोड़े से
पड़ गया हवा को पाला था।

शब्दार्थ : युद्ध, -घोड़े की तेज दौड़, जरा T)-अद्वितीय, अनोखा, नुकाबला करना, सामना करना

संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मल्हार’ में संकलित ‘चेतक की वीरता’ नामक कविता से ली गई है। इसके रचयिता ‘श्यामनारायण पांडेय’ हैं।

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने महाराणा प्रताप के प्रिय घोड़े चेतक की अद्वितीयता और उसकी अद्धुत गति का वर्णन किया है।

व्याख्या : प्रस्तुत पंक्तियों में कवि कहता है कि रणभूमि में चेतक अपनी चौकड़ी (गति) से सामान्य घोड़ों से अलग एक अनोखा घोड़ा होता है। उसकी गति इतनी तेज्ञ थी कि हवा भी उसके सामने धीमी प्रतीत होती थी। इस प्रकार चेतक की तेज़ी और रणभूमि में उसकी अनोखी चाल इस तरह प्रतीत होती है लि वह हवा से भी मुकाबला कर सकता था। यह उसकी असाधारण क्षमर. जर वीरता का प्रतीक है।

काव्यांश 2

गिरता न कभी चेतक-तन पर
राणा प्रताप का कोड़ा था।
वह दौड़ रहा अरि-मस्तक पर
या आसमान पर घोड़ा था।

शब्दार्थ : चेतक-महाराणा प्रताप का प्रसिद्ध और बीर घोड़ा, तन-शरीर, कोड़ा-घोड़े को चलाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली चाबुक, अरि-शत्रु या दुश्मन, मस्तक-सिर।

संदर्भ : पूर्ववत्।

प्रसंग : महाराणा प्रताप एक महान राजपूत योद्धा थे। प्रस्तुत पंक्तियाँ चेतक की गति और महाराणा प्रताप की युद्धकला का वर्षन करती हैं। इसमें चेतक की अद्वितीयता का चित्रण किया गया है।

व्याख्या : प्रस्तुत पंक्तियों में महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक की वीरता का वर्णन किया गंया है। चेतक इतना वफादार और प्रशिक्षित था कि महाराणा प्रताप को उसे कभी कोड़ा मारने की जरूरत ज़हीं पड़ी। वह स्वाभाविक रूप से उनके सभी आदेशों का पालन करता था। उसकी गति इतनी तीव्र थी कि ऐसा प्रतीत होता था जैसे वह दुश्मनों के सिरों पर दौड़ रहा हो या आसमान में उड़ रहा हो। इस प्रकार चेतक केवल एक घोड़ा ही नहीं, बल्कि महाराणा प्रताप के युद्धों में उनका सबसे महत्त्वपूर्ण और बहादुर साथी था।

काव्यांश 3

जो तनिक हवा से बाग हिली
लेकर सवार उड़ जाता था।
राणा की पुतली फिरी नहीं
तब तक चेतक मुड़ जाता था।

तनिक – थोड़ा सा, बाग-वन, जंगल, सवार-घोड़े पर बैठने वाला व्यक्ति, पुतली-आँख का वह हिस्सा जो दिशा दिखाने के लिए मुझता हैं, फिरी-मुड़ी, धूमी।

संदर्भ : पूर्ववत्।

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक की अद्वितीय गति, समझदारी और वफादारी का वर्णन करती हैं। चेतक को महाराणा प्रताप के सबसे विश्वसनीय सांधी के रूप में जाना जाता है, जो तणी की पुतली के संकेत मात्र से ही उनक निर्देशों का पालन करता था।

व्याख्या : प्रतुत पंक्तियों में कहा गया है कि चेतक की गति और सजगता इतनी तेज थी कि यदि बाग में पेड़ों की पत्तियाँ जरा-सी भी हिलतीं, तो चेतक तुरंत सजग हो जाता और सवार को लेकर तुरंत उड़ने लगता। आगे कहा गया है कि महाराणा प्रताप की आँखों की पुतलियों (नज़र) के मुड़ने से पहले ही चेतक उनकी प्रत्येक इच्छा को समझकर दिशा बदल देता था। इससे चेतक की अद्वितीय समझदारी और महाराणा प्रताप के प्रति उसकी गहरी वफादारी का पता चलता है। वह बिना किसी आदेश के ही उनके संकेत को समझ जाता था और तुरंत उसके अनुरूप क्रिया करता थ

काव्यांश 4

कौशल दिखलाया चालों में
उड़ गया भयानक भालों में
निर्भीक गया वह ढालों में
सरपट दौड़ा करवालों में।

शब्दार्थ : कौशल-दक्षता, निपुणता, चालों-यहाँ युद्ध में घोड़े द्वारा की गई गतिरिधियाँ या हरकतें, भयानक-डरावना, भय उत्पन्न करने वाला, भालो-धारदार हथियार, भाला, निर्भीक-निडर, बिना भय के, ढालों-रक्षा करने के लिए उपयोग की जाने वाली वस्तु, ढाल, सरपट-बहुत तेजी से, करवालो-तलवारों, खासकर लम्बी तलवार।

संदर्भ : पूर्ववत्।

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियों में महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक की युद्धक्षमता, कौशल और निर्भीकता का वर्णन किया गया है। यहाँ चेतक की

वीरता और उसकी महाराणा प्रताप के प्रति निष्ठा का वर्णन युद्ध के दृश्य के माध्यम से किया गया है।

व्याख्या : प्रस्तुत पंक्तियों में कहा गया है कि चेतक ने युद्ध के मैदान में अपनी चालों से अद्वितीय कौशल का प्रदर्शन किया। वह युद्ध के भयानक भालों (धारदार हथियारों) के बीच से इतनी तेजी से निकला मानो वह वहाँ से उड़ गया हो। वह ढालों के बीच निर्भीकता से आगे बढ़ता रहा और तलवारों (करवालों) के बीच से सरपट दौड़ता रहा। यह वंक्तियाँ चेतक की तेज़ गति, साहस और युद्ध कौशल का वर्णन करती हैं, जो उसे एक असाधारण घोड़ा साबित करती हैं।

काव्यांश 5

है यहीं रहा, अब यहाँ नहीं
वह वहीं रहा है वहाँ नहीं।
थी जगह न कोई जहाँ नहीं
किस अरि-मस्तक पर कहाँ नहीं।

शब्दार्थ : अरि-शत्रु, दुश्मन, मस्तक-सिर।

संदर्भ : पूर्ववत्।

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ चेतक की अद्वितीय गति और युद्ध में उसकी अप्रत्याशित उपस्थिति का वर्णन करती हैं। चेतक इतना तेज़ और तीव्र था कि वह क्षणभर में एक जगह से दूसरी जगह पहुँच जाता था।

व्याख्या : प्रस्तुत पंक्तियों में कहा गया है कि चेतक की गति इतनी तेज थी कि वह एक पल में यहाँ होता था और अगले ही पल वहाँ पहुँच जाता था। उसकी उपस्थिति इतनी अप्रत्याशित थी कि कोई यह नहीं समझ पाता था कि वह कहाँ रहेगा। चेतक की उपस्थिति युद्ध के मैदान में हर जगह महसूस की जाती थी। ऐसा कोई दुश्मन का सिर (अरि-मस्तक) नहीं था, जिस पर उसकी टापों की मार न पड़ी हो। यहाँ चेतक की सर्वव्यापकता, अद्वितीयता और युद्ध के मैदान में उसकी अद्धुत तेजी़ी का वर्णन किया गया है।

काव्यांश 6

बढ़ते नद-सा वह लहर गया
वह गया गया फिर ठहर गया।
विकराल बत्र-मय बादल-सा
अरि की सेना पर घहर गया।

शब्दार्थ : नद-नदी, लहर-पानी की तरंग, विकराल-अत्यधिक भयंकर, बज्ञ-वज्ञ, बिजली की तरह मारक शक्ति, बादल-मेय, घहर-गरजना।

संदर्भ : पूर्ववत्।

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ चेतक की युद्धभूमि में अद्वितीय गति, साहस और युद्ध कौशल का वर्णन करती हैं। चेतक को एक ऐसे योद्धा के रूप में प्रस्तुत किया गया है जो शत्रुओं की सेना पर अपनी अप्रतिम शक्ति और गति से हमला करता है।

व्याख्या : प्रस्तुत पंक्तियों में चेतक की गति और शक्ति की तुलना एक बाढ़ के समान बढ़ती नदी से की गई है। वह तेज़ी से लहरों की तरह आगे बढ़ता है, फिर अचानक रुकता है और ठहर जाता है। उसकी शक्ति को एक विशाल, शक्तिशाली और विकराल (भयंकर) बादल के समान वर्णित किया गया है, जो बिजली की तरह टूट पड़ता है। इस प्रकार चेतक की गति, शक्ति और क्षमता से दुश्मनों की सेना भयभीत हो जाती थी।

काव्यांश 7

भाला गिर गया, गिरा निषंग,
हय-टापों से खन गया अंग
वैरी-समाज रह गया दंग
घोड़े का ऐसा देख रंग

शब्दार्थ : भाला-एक धारदार हथियार जिसे फेंककर मारा जाता है,

निषंग – तरकश, जिसमें तीर रखे जाते है, हय-घोड़ा, टाप-घोड़े के दौड़ने पर उसकी टापों की आवाज, खन-टकराने या गिरने से उत्पन्न होने वाली आवाज, वैरी-शत्रु, दुश्मन, दंग-चौंक जाना, रंग-यहाँ संदर्भ में घोड़े का अद्वितीय रूप, गति और व्यवहार।

संदर्भ : पूर्ववत्।

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियों में बताया गया है कि कैसे चेतक युद्ध के मैदान में अपनी वीरता से शत्रुओं को विस्मित और भयभीत कर देता है। यह पंक्तियाँ चेतक की वीरता और युद्ध में उसकी अप्रतिम भूमिका को दर्गाती हैं।

व्याख्या : युद्ध के दौरान जब चेतक तेज़ी से आगे बठृता है, तो दुश्मनों के हाथ से भाले और तरकश गिर गए। चेतक की टापों की आवाज इतनी तेज़ और भयानक थी कि वह दुश्मनों के शरीर पर चोट करने लगीं, जिससे उनका संतुलन बिगड़ गया। शत्रु सेना चेतक के इस रूप को देखकर दंग रह गई और उसकी अद्वितीय गति तथा शक्ति के सामने आशचर्यचकित हो गई। चेतक की इस वीरता ने दुश्मनों को पूरी तरह से चौंका दिया।

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