पत्र-लेखन (Letter-Writing)
पत्र-लेखन ‘पत्राचार’ की सामान्य विशेषताएं
- नियुक्ति-आवेदन-पत्र,
- बैंक से किसी व्यवसाय के लिए ऋण प्राप्त करने का आवेदन-पत्र,
- अपने नगर या गाँव की सफाई हेतु सम्बन्धित अधिकारी को प्रार्थना-पत्र
- विचारों की अभिव्यक्ति में क्रमबद्धता का होना भी आवश्यक है।
- पत्र में पुनरावृत्ति से बचना चाहिए।
- पत्र लिखते समय इस प्रारूप का ध्यान रखना चाहिए।
पत्र लेखन की इतिहास
कहा जा सकता है कि जबसे मानव जाति ने लिखना सीखा, तब से ही पत्र लिखे जाते रहे हैं। पत्र-लेखन का प्रारम्भ कब हुआ? पहला पत्र कब, किसने, किसको लिखा? उन प्रश्नों का कोई प्रामाणिक उत्तर इतिहास के पास नहीं है, भाषा-वैज्ञानिकों के मतानुसार अपने मन की बात दूसरे तक पहुँचाने के लिए मनुष्य ने सर्वप्रथम जिस लिपि का आविष्कार किया, वह चित्रलिपि है।
इससे एक बात का अनुमान लगाया जा सकता है कि लेखन के इतिहास के साथ ही मानव द्वारा पत्र-लेखन प्रारम्भ हो गया होगा, क्योंकि लिपि का सम्बन्ध भावाभिव्यक्ति से है। ईसा से चार हजार वर्ष पूर्व ध्वनि लिपि का प्रयोग प्रारम्भ हो चुका था। सुविधा के लिए हम यह मान सकते हैं कि मानव ने तब से ही किसी न किसी रूप में पत्र लिखना प्रारम्भ कर दिया होगा।
पत्र-लेखन और विशेषत: व्यक्तिगत पत्र-लेखन आधुनिक युग में कला का रूप धारण कर चुका है। अगर पत्र लेखन को उपयोगी कला के साथ ललित कला भी कहा जाए तो अत्युक्ति नहीं होगी। इसका प्रमाण यह है कि आज साहित्य के विभिन्न रूपों में पत्र-साहित्य नामक रूप भी स्वीकृत हो चुका है। महापुरुषों द्वारा लिखित पत्र इसी कोटि में आते हैं। इन पत्रों में ललित कला का पुष्ट रूप दिखाई देता है।
प्रश्न-ज्ञान : इस प्रकरण से परीक्षा में दिए गए विषयों में से किसी एक विषय पर पत्र लिखने के लिए कहा जाएगा। परीक्षा में पूछे जानेवाले पत्र सम्बन्धी प्रश्न निम्नलिखित विषयों पर आधारित होंगे-
(क) नियुक्ति आवेदन-पत्र।
(ख) बैंक से किसी व्यवसायाके लिए ऋण प्राप्त करने के लिए आवेदन-पत्र।
(ग) अपने नगर या गाँव की सफाई हेतु सम्बन्धित अधिकारी को प्रार्थना-पत्र।
पत्र-लेखन एक कला है। इस कला का साहित्य में विशिष्ट स्थान है। अपने प्रतिदिन के जीवन में हम किसी-न-किसी को पत्र लिखते ही हैं। पत्र ही वह माध्यम है, जिसके द्वारा हम दूरस्थ व्यक्ति को अपने हृदयगत भावों का परिचय देते हैं। साहित्य में तो पत्र-लेखन एक शैली माना जाता है। बहुत-सी कहानियों और उपन्यासों को पत्रात्मक शैली में लिखा गया है। इस प्रकार जीवन और साहित्य दोनों में ही पत्र-लेखन का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
पत्र के प्रकार पत्र मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं
(1) व्यक्तिगत या घरेलू-पत्र।
(2) व्यावसायिक-पत्र।
(3) सरकारी या आधिकारिक-पत्र।
विषय-भेद के अनुसार पत्र अनेक प्रकार के हो सकते हैं: जैसे—बधाई-पत्र, निमन्त्रण-पत्र, धन्यवाद-पत्र, सूचना-पत्र, सिफारिशी-पत्र, परिचय-पत्र, उपदेशात्मक-पत्र, प्रबन्धात्मक-पत्र, याचना-पत्र. पूछताछ-पत्र, आवेदन-पत्र, शिकायती पत्र आदि।
पत्र समापन की रीति
पत्र पूरा होने के बाद अन्त में सामान्यतः निम्नांकित वाक्यों का प्रयोग किया जाता है-
- पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में
- पत्रोत्तर की प्रतीक्षा रहेगी
- लौटती डाक से उत्तर अपेक्षित है
- आशा है आप सपरिवार स्वस्थ एवं सानन्द होंगे।
- यथाशीघ्र उत्तर देने की कृपा करें।
- शेष मिलने पर।
- मेष अगले पत्र में।
- शेष फिर कभी।
- शेष कुशल है।
- यदा-कदा पत्र लिखकर समाचार देते रहें।
- आशा है आपको यह सब स्मरण रहेगा।
- मैं सदा/आजीवन आभारी रहूँगा/रहूँगी।
- सधन्यवाद।
- त्रुटियों के लिए क्षमा।
- अब और क्या लिखू।
- कष्ट के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।
पत्र प्रारम्भ करने की रीति
सामान्यतः पत्र का प्रारम्भ निम्नांकित वाक्यों से किया जाता है-
- आपका पत्र/कृपापत्र मिला/प्राप्त हुआ
- बहुत दिन से आपका कोई समाचार नहीं मिला
- कितने दिन हो गये, आपने खैर-खबर नहीं दी/भेजी
- आपका कृपा-पत्र पाकर धन्य हुआ
- मेरा सौभाग्य है कि आपने मुझे पत्र लिखा
- यह जानकर/पढ़कर हार्दिक प्रसन्नता हुई
- अत्यन्त शोक के साथ लिखना/सूचित करना पड़ रहा है कि-
- देर से उत्तर देने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ
- आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि-
- आपका पत्र पाकर आश्चर्य हुआ कि-
- सर्वप्रथम मैं आपको अपना परिचय दे दूं ताकि-
- मैं आपके पत्र की आशा छोड़ चुका था/चुकी थी
- आपको एक कष्ट देने के लिए पत्र लिख रहा हूँ/रही हूँ
- आपसे मेरी एक प्रार्थना है कि-
- सविनय निवेदन है कि-
पत्र-लेखन के आवश्यक नियम
पत्र लिखते समय निम्नलिखित नियमों का ध्यान रखना आवश्यक है
- पत्र लिखते समय पत्र-लेखक को पत्र लिखने के उद्देश्य. तात्पर्य प्रयोजन आदि के साथ-साथ इस बात पर भी विचार कर लेना चाहिए कि पत्र पानेवाले का उससे क्या सम्बन्ध है।
- पत्र शान्त मन से, स्थिरचित्त होकर लिखना चाहिए। उद्वेगपूर्ण स्थिति में लिखा गया पत्र अस्पष्ट और अव्यवस्थित हो सकता है।
- पत्र में व्यर्थ की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए, अन्यथा पत्र पढ़नेवाला उसमें रुचि नहीं लेगा।
- पत्र में सीधी, सरल और स्पष्ट भाषा का प्रयोग किया जाना चाहिए। साथ ही दोहों, कहावतों, मुहावरों, ग्रामीण शब्दों और क्लिष्ट शब्दों का प्रयोग कम किया जाना चाहिए, जिससे पढ़नेवाला उसे आसानी से समझ सके।
- पत्र के ऊपर दाहिनी ओर तिथि तथा स्थान अवश्य लिखना चाहिए, परन्तु आवेदन-पत्रों में तिथि अन्त में बाईं ओर लिखनी चाहिए।
- पत्र-समाप्ति के बाद यदि कुछ और लिखना हो तो सदैव ‘पुनश्च’ करके लिखना चाहिए।
- सरकारी पत्र संक्षिप्त एवं सुगठित होने चाहिए। ऐसे पत्रों में कम शब्दों में अधिक बात लिखी जानी चाहिए।
- सरकारी पत्रों के प्रारम्भ में पत्र का विषय भी लिख देना चाहिए।
- सरकारी पत्रों में ओ३म्, श्री गणेशाय नमः आदि नहीं लिखना चाहिए। सरकारी पत्रों में कहावतों, मुहावरों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए, साथ ही उनमें कविता का कोई अंश भी नहीं लिखना चाहिए।
- सरकारी पत्रों में व्यक्ति का नाम न लिखकर उसे पद से सम्बोधित किया जाना चाहिए।
- पत्र का उत्तर देते समय आए हुए पत्र को सामने रख लेना चाहिए, जिससे पूछी गई सभी बातों का प्रत्युत्तर दिया जा सके।
विभिन्न प्रकार के पत्रों में प्रयोग किए जानेवाले सम्बोधन, निवेदन आदि
पत्र के अंग
पत्र के मुख्यत: छह अंग हैं-
- स्थान तथा तिथि-पत्र में दाईं ओर सबसे ऊपर भेजनेवाले का पता तथा पत्र लिखने की तिथि अंकित रहती है।
- सम्बोधन एवं प्रशस्ति-पत्र के प्रारम्भ में, जिसे पत्र लिखा जा रहा है, उसके लिए सम्बन्ध-विशेष, आयु अथवा पद के अनुसार सम्बोधन शब्द लिखा जाता है।
- शिष्टाचार सम्बोधन या प्रशस्ति के बाद पदानुसार नमस्कार, प्रणाम, आशीर्वाद आदि लिखा जाता है।
- मुख्य विषय-इसमें मुख्य सामग्री रहती है।
- समाप्ति-पत्र के समाप्त होने पर इति शुभम्, शुभमस्तु, धन्यवाद आदि लिखने के बाद लिखनेवाले का नाम अंकित होता है।
- पता-कार्ड या लिफाफे पर पानेवाले का पूरा नाम व पता लिखा जाना चाहिए।
(क) नियुक्ति हेतु आवेदन-पत्र
(1) किसी विद्यालय के प्रबन्धक के नाम प्रवक्ता पद पर अपनी नियुक्ति हेतु एक आवेदन-पत्र लिखिए।
अथवा
अपने जिले के जिला विद्यालय निरीक्षक/प्रधानाचार्य को एक पत्र लिखिए जिसमें उनसे अपने विद्यालय में हिन्दी शिक्षक/लिपिक की नियुक्ति हेतु निवेदन किया गया हो।
सेवा में,
श्रीमान् प्रबन्धक महोदय,
डी० ए० वी० इण्टर कॉलेज,
मुजफ्फरनगर।
मान्यवर,
25 मार्च, 20…… के ‘दैनिक अमर उजाला’ में प्रकाशित आपके विज्ञापन के सन्दर्भ में मैं हिन्दी-प्रवक्ता पद-हेतु अपना प्रार्थना-पत्र आपकी सेवा में प्रेषित कर रहा हूँ।
मेरी शैक्षणिक योग्यताओं का विवरण निम्नलिखित है-
अपने विद्यार्थी-जीवन में मैंने विद्यालय की सांस्कृतिक व साहित्यिक गतिविधियों में उत्साह के साथ भाग लिया और वाद-विवाद प्रतियोगिता में अन्तर्विश्वविद्यालयीय शील्ड भी प्राप्त की।
मैं 2010 से एस० डी० इण्टर कॉलेज, मुजफ्फरनगर में हिन्दी-प्रवक्ता के रूप में कार्य कर रहा हूँ, परन्तु यह स्थान अस्थायी है। आपसे निवेदन है कि मेरी शैक्षणिक योग्यताओं पर विचार करते हुए मुझे अपने कॉलेज में सेवा का अवसर प्रदान कीजिए। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं अपने परिश्रम, कार्यक्षमता एवं अध्यापन-कार्य से अपने छात्रों को सदैव सन्तुष्ट रखूगा और आपको किसी भी प्रकार की शिकायत का अवसर नहीं दूंगा।
दिनांक : 2 अप्रैल, 20….
संलग्नक : प्रमाण-पत्रों की सत्यापित प्रतिलिपियाँ।
भवदीय
अजय शर्मा
218, पुरानी मण्डी,
मुजफ्फरनगर।
(2) सरकारी विभाग के किसी अधिकारी के नाम अपनी नियुक्ति के लिए एक प्रार्थना-पत्र लिखिए।
अथवा
किसी शासकीय कार्यालय में लिपिक पद हेतु नियुक्ति के लिए आवेदन-पत्र लिखिए।
सेवा में,
अतिरिक्त मुख्य अधिकारी
जिला परिषद् ,
बिजनौर।
महोदय,
‘दैनिक जागरण’ के रविवार 1 अप्रैल, 20……… के अंक में प्रकाशित आपके विज्ञापन के सन्दर्भ में मैं हिन्दी-टंकणकर्ता के रिक्त स्थान-हेतु अपना आवेदन आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहा हूँ।
मेरी शैक्षिक योग्यताएँ एवं अनुभव आदि का विवरण इस प्रकार है-
अनुभव-विगत दो वर्षों से मैं स्थानीय शुगर मिल में अस्थायी रूप से टंकणकर्ता का कार्य कर रहा हूँ। हिन्दी में मेरी टंकण गति 50 शब्द प्रति मिनट है।
आयु व स्वास्थ्य-मैं 25 वर्ष का स्वस्थ युवक हूँ और हॉकी का राज्य स्तर का खिलाड़ी भी हूँ।
निवेदन है कि यदि आप मुझ सेवा करने का अवसर प्रदान करेंगे तो मैं अपने सभी वरिष्ठ अधिकारियों को सन्तुष्ट रखेंगा और कभी किसी प्रकार की शिकायत का अवसर न दूंगा।
अपने प्रमाण-पत्रों की सत्यापित प्रतिलिपियाँ संलग्न कर रहा हूँ।
दिनांक : 11-4-20….
भवदीय
विनोद कुमार
25, सिविल लाइन्स,
बिजनौर।
(3) किसी उद्योग के प्रबन्धक को लिपिक के पद पर अपनी नियुक्ति हेतु एक आवेदन-पत्र लिखिए। अथवा अपने महाविद्यालय में कनिष्ठ लिपिक के रिक्त पद पर नियुक्ति हेतु विद्यालय के प्रबन्धक के नाम एक आवेदन-पत्र लिखिए।
सेवा में,
प्रबन्धक,
कागज उद्योग लि०,
सहारनपुर (उ० प्र०)।
विषय : लिपिक के रिक्त पद पर नियुक्ति हेतु आवेदन-पत्र।
महोदय,
मुझे दिनांक 9.4-20…. के दैनिक समाचार-पत्र ‘नवभारत टाइम्स’ द्वारा ज्ञात हुआ है कि आपको अपने कार्यालय के लिए एक लिपिक की आवश्यकता है। इस पद के सन्दर्भ में मेरी शैक्षणिक एवं व्यावसायिक योग्यताओं का विवरण निम्नवत् है-
- शैक्षिक योग्यता-मैंने वर्ष 2012 में उ० प्र० बोर्ड से प्रथम श्रेणी में हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की है।
- मैं हिन्दी एवं अंग्रेजी के टंकण तथा हिन्दी आशुलिपि में डिप्लोमा प्राप्त हूँ।
- मैं विगत 6 माह से एक फाइनेंस कम्पनी में टाइपिस्ट क्लर्क के रूप में कार्य कर रहा हूँ।
उपर्युक्त योग्यताओं के सन्दर्भ में मेरा आपसे निवेदन है कि आप मुझे अपने सुप्रतिष्ठित उद्योग में कार्य करने का अवसर प्रदान करें। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि अवसर प्राप्त होने पर मैं इस पद के योग्य सिद्ध हो सकूँगा तथा अपने कार्य, परिश्रम, निष्ठा एवं आचरण से आपको सन्तुष्ट कर सकूँगा।
धन्यवाद !
दिनांक : 16-4-20….
प्रार्थी
अमित कुमार उपाध्याय
बी-4. रेलवे कॉलोनी,
कानपुर।
(ख) बैंक से किसी व्यवसाय के लिए ऋण प्राप्त करने हेतु आवेदन-पत्र
(4) किसी बैंक के प्रबन्धक को कोई व्यवसाय करने/कार खरीदने/कम्प्यूटर शिक्षा/चिकित्सा शिक्षा हेतु ऋण-प्राप्ति के लिए एक आवेदन-पत्र लिखिए।
सेवा में,
प्रबन्धक,
इलाहाबाद बैंक,
माल रोड,
मेरठ।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि वर्ष 2013 में चौ० चरणसिंह विश्वविद्यालय से बी० ए० की परीक्षा द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण करने के बाद से अब तक मुझे कहीं कोई रोजगार प्राप्त नहीं हो सका है। मुझे ज्ञात हुआ है कि विभिन्न सरकारी ऋण-योजनाओं के अन्तर्गत आपका बैंक भी बेरोजगार युवकों को 50,000.00 रुपये तक की ऋण
सुविधा प्रदान कर रहा है। अतः इस सन्दर्भ में आवश्यक प्रपत्र आदि भरवाकर मुझे भी 50,000.00 रुपये का ऋण प्रदान करने की कृपा करें।
धन्यवाद!
दिनांक : 20-4-20…..
प्रार्थी
अनुज आनन्द
सुपुत्र श्री धर्मवीर आनन्द
25, साकेत, मेरठ।
(ग) अपने नगर या गाँव की सफाई हेतु सम्बन्धित अधिकारी को प्रार्थना-पत्र
(5) किसी दैनिक-पत्र के सम्पादक के नाम एक पत्र लिखिए, जिसमें मुहल्ले की गन्दगी दूर करने के लिए स्वास्थ्य अधिकारी से प्रार्थना की गई हो।
सेवा में,
सम्पादक,
दैनिक अमर उजाला,
मेरठ।
महोदय,
आपके सम्मानित पत्र के माध्यम से मैं मेरठ नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी का ध्यान यहाँ के मुहल्ले नई बस्ती में व्याप्त गन्दगी की ओर दिलाना चाहता हूँ।
इस मुहल्ले को बसे हुए सात वर्ष से अधिक हो चुके हैं, किन्तु अभी तक यहाँ सफाई की समुचित व्यवस्था नहीं की गई है। गन्दे पानी की निकासी का भी कोई प्रबन्ध नहीं है। नालियों में हर समय पानी सड़ता रहता है जो असंख्य मक्खी-मच्छरों को जन्म देता रहता है।
दिन में मक्खियों और रात्रि में मच्छरों का ताण्डव-नृत्य मुहल्ले के निवासियों का जीवन दूभर बनाए हुए है, परिणामतः न दिन में चैन है, न रात्रि में आराम।
नगर निगम का स्वास्थ्य विभाग यदि इसी प्रकार की कुम्भकर्णी निद्रा में सोया रहा तो हैजा और मलेरिया-जैसे भयानक रोगों के फैलने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। अतः समय रहते विभाग को सचेत हो जाना चाहिए।
दिनांक : 20 अप्रैल, 20…..
भवदीय
रमेश कुमार
मेरठ।
(6) नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी ने उस पत्र पर ध्यान नहीं दिया, जिसमें आपने अपने मुहल्ले की गन्दगी की शिकायत की थी। इस बात की शिकायत करते हुए मुख्य नगर अधिकारी को पत्र लिखिए।
अथवा
नगर की सफाई हेतु नगर निगम को पत्र लिखिए।
अथवा
अपने नगर में बाढ़ एवं घनघोर वर्षा के बाद गन्दगी के कारण फैलनेवाले संक्रामक रोगों की आशंका को दृष्टिगत करते हुए रोकथाम के उपायों हेतु जिलाधिकारी को एक पत्र लिखिए।
सेवा में,
मुख्य नगर अधिकारी,
नगर निगम,
मेरठ।
विषय : मुहल्ले में व्याप्त गन्दगी और सड़कों की दशा।
महोदय,
हम आपका ध्यान अपने मुहल्ले में बढ़ती हुई गन्दगी की ओर आकर्षित कराना चाहते हैं। यह लिखते हुए अत्यधिक दुःख है कि हमारा मुहल्ला (शिवपुरी) नगर निगम की उपेक्षा के कारण नरक बन चुका है।
चारों ओर फैला कूड़ा-कचरा, बदबूदार गन्दा पानी, उसमें रेंगते कीड़े और पैदा होते मच्छर नगर निगम की उपेक्षा की कहानी सुना रहे हैं। इससे हैजा जैसे संक्रामक रोगों के फैलने की आशंका बड़ी बलवती हो गई है। मुहल्ले में अनेक लोग मलेरिया से पीड़ित हैं। सड़कों की दशा इतनी खराब है कि पता ही नहीं चलता कि सड़क में गड्ढे हैं अथवा गड्ढ़ों में सड़क है। सड़कों पर चलना जान जोखिम में डालना है, किन्तु घर में बैठकर तो गुजारा नहीं हो सकता, लोगों को प्रतिदिन यह जोखिम उठाना ही पड़ता है। इस विषय में स्वास्थ्य अधिकारी एवं सड़क निर्माण विभाग को भी कई पत्र लिखे हैं, किन्तु उनकी ओर से किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई।
आपसे पुनः निवेदन है कि आप नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए स्वास्थ्य अधिकारी को तुरन्त प्रभावी कार्यवाही का आदेश देकर अनुगृहीत कीजिए।
दिनांक : 25 जुलाई, 20….
हम हैं आपके
मुहल्ला शिवपुरी के निवासी।
(7) अपने नगर/मुहल्ले की सड़कों, नालियों आदि की गन्दगी को दूर करने के लिए उपयुक्त अधिकारी (नगरपालिकाध्यक्ष/स्वास्थ्य अधिकारी) को पत्र लिखिए।
अथवा
अपने नगर में बाढ़ एवं घनघोर वर्षा के बाद जल-जमाव एवं गन्दगी के कारण संक्रामक रोग फैलने की आशंका को ध्यान में रखते हुए जिलाधिकारी को एक पत्र लिखिए।
अथवा
ग्राम प्रधान की ओर से अपने जनपद के जिलाधिकारी को एक पत्र लिखिए, जिसमें गाँव की सफाई व्यवस्था हेतु अनुरोध किया गया हो।
सेवा में,
अधिशासी अधिकारी,
नगरपालिका, रूड़की।
विषय : गन्दगी की समस्या।
महोदय,
मैं आपका ध्यान मॉडल टाउन में व्याप्त गन्दगी और दुर्दशा की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। इस बस्ती को बसे हुए आठ वर्ष हो चुके हैं; किन्तु अभी भी कुछ ऐसी सड़कें हैं, जहाँ पर ग्रामीण भारत के साक्षात् दर्शन हो जाते हैं। जो सड़कें बनी हुई हैं, वे भी जगह-जगह से टूटी हुई हैं और वर्षों से उनकी मरम्मत भी नहीं हुई है। कई सड़कें अभी तक कच्ची हैं।
जिन स्थानों पर नालियाँ बनाई गई हैं, वे भी जगह-जगह से टूट गई हैं। जहाँ नालियाँ हैं, वहाँ पर उनकी सफाई के लिए सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं की गई है, परिणामतः पानी हर समय सड़ता रहता है।
आपसे निवेदन है कि कृपया इस बस्ती की दुर्दशा को देखते हुए इसकी सड़कों की मरम्मत और गन्दे पानी के निकास की उचित व्यवस्था का आदेश दीजिए।
धन्यवाद सहित!
दिनांक : 15 जुलाई, 20…..
भवदीय
रामचन्द्र धवन
134- ए, मॉडल टाउन,
रूड़की।
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